RE: Porn Hindi Kahani वतन तेरे हम लाडले
इमरान धीमी गति से बाजार की ओर जाने लगा, रास्ते में सड़क किनारे उसे एक ठेले वाला नजर आया जो शर्ट आदि बेच रहा था, इमरान ने वहां गाड़ी रोकी और अपने आकार के अनुसार एक शर्ट खरीद लिया। इमरान ने कार की पिछली सीट पर बैठकर अपनी फटी हुई शर्ट उतारी और वह नई शर्ट पहन कर फिर से अगली सीट पर बैठ गया और गाड़ी चला दी। इस दौरान इमरान ने देखा काफी दूरी पर ही गाड़ी रुकी हुई थी जो राफिया के घर से उसका पीछा कर रही थी, लेकिन इमरान ने उसकी कोई परवाह नहीं की। कुछ ही देर बाद इमरान बाजार पहुंच गया तो एक बड़ा शॉपिंग प्लाजा देखकर इमरान ने उसकी पार्किंग में कार लगाई और प्लाजा में चला गया, प्लाजा में घुसते ही इमरान ने एक आंटी जी के पर्स में से उनका मोबाइल निकाल लिया जो इमरान को तब नजर आया जब आंटी जी पर्स में अपने साथ मौजूद छोटे बच्चे के लिए फीडर निकाल रही थीं, और उसको फीडर पिलाने की जल्दी में वह अपने पर्स की ज़िप बंद करना भूल गई।
मोबाइल निकालते ही इमरान ने तुरंत अपने आकार की एक पेंट ली और साथ ही मौजूद चेनज़िंग रूम में घुस गया। इमरान ने यह सारा काम पीछे आने वाली कार के प्लाजा में पहुंचने से पहले पहले कर लिया था। क्योंकि वह नहीं चाहता था कि पीछा करने वालों की नजरों में आ कर वह किसी को कॉल करे। चेनज़िंग रूम में जाते ही इमरान ने समीरा का नंबर मिलाया जो पिछली रात ही इमरान ने समीरा को दिया था। कुछ देर बेल के बाद समीरा ने फोन अटेंड किया तो आगे से इमरान ने उसकी खैरियत की खबर ली और जल्दी जल्दी उसको अपने प्लान के बारे में जानकारी प्रदान कीं और उसने समीरा को तुरंत मुर्री के लिए निकलने को कहा। समीरा जो कुछ देर पहले ही सो कर उठी थी इस अचानक इस कार्यक्रम पर हैरान हो गई मगर इमरान ने उसे कहा कि यह सब बातें वह बाद में विस्तार से बता देगा वर्तमान में वह अपनी कार निकाले जरूरी सामान साथ ले और एक घंटे तक मुर्री के लिए रवाना हो जाए।
फोन बंद करने के बाद इमरान पेंट ट्राई किए बिना ही बाहर निकल आया और फिर से उसी आंटी की खोज करने लगा। कुछ ही देर में इमरान को वह आंटी फिर से नज़र आ गई जो अभी तक इस बात से अनजान थे कि उनका मोबाइल चोरी हो गया है, उन पर नज़र पड़ते ही इमरान उनके साथ जा कर खड़ा हो गया और चुपके से नजरें बचाते हुए उनका मोबाइल फिर से उनके पर्स में डाल दिया। और फिर से अपने लिए कुछ कपड़े देखने लगा। अब इमरान अपनी पसंद के अनुसार कपड़े पसंद कर रहा था, उसने 1 पेंट, 2 शर्त और 2 शॉर्ट्स खरीदें और साथ अंडर वेयर और कुछ जरूरी सामान खरीद कर प्लाजा से निकल गया। इस दौरान इमरान ने जाना कि एक व्यक्ति लगातार इमरान से कुछ दूरी पर उसके साथ था। जहां इमरान जाता वहीं वह व्यक्ति कुछ दूरी पर खड़ा होकर विंडो शॉपिंग करने लग जाता और जैसे ही इमरान राफिया के क्रेडिट कार्ड से बिल भुगतान करके बाहर निकल कर अपनी कार की ओर गया वह व्यक्ति भी प्लाजा से बाहर निकल आया और उसी कार की ओर जाने लगा जो इमरान का पीछा कर रही थी।
इमरान हल्के से मुस्कुराया और कार में बैठकर फिर से राफिया के घर पहुंच गया। मेन गेट पर गार्ड ने एक बार फिर से इमरान को रोक लिया मगर रात वाली घटना और राफिया की डांट याद आई तो तलाशी लेने की बजाय उसने इंटर काम पर राफिया को इमरान के आने की सूचना दी राफिया ने गार्ड से कहा कि उन्हें जल्दी मेरे रूम तक पहुंचा दो तो गार्ड इमरान के साथ राफिया के रूम की ओर जाने लगा, राफिया के रूम तक पहुंचाकर वह गार्ड वापस चला गया और इमरान बिना हिचक दरवाजा खोलकर राफिया के रूम में प्रवेश हो गया। राफिया इस समय स्पोर्ट्स पैंटी और शर्ट पहने हुए थी शायद जॉगिंग करके हटी थी। और उसके हाथ में एक ढीली शर्ट और एक शॉर्ट थी राफिया ने इमरान को मुस्कुरा कर देखा और बोली तुम दूसरे कमरे में जाकर बाथरूम इस्तेमाल करो, मैं अपने कमरे में ही हूँ बस कुछ देर में नहा कर निकलती हूँ। साथ ही राफिया ने इमरान को मुस्कुराते हुए कहा कि अपनी शेव भी बना लो। बाल काफी बढ़े हुए हैं। इमरान ने भी चेहरे पर हाथ फेरा तो आज काफी दिनों के बाद वास्तव में एहसास हुआ कि उसकी शेव बढ़ी हुई है।
जब से हनीमून के बाद उसने कर्नल इरफ़ान पीछा करना शुरू किया था उसको अपनी सॉफ सफाई का कोई विचार नहीं था बस 1 दिन पहले ही शाजिया जी ने राज के चेहरे को मेकअप करने के लिए धोया था मगर पूरी शेव नहीं बनाई थी ताकि केप्टन फ़ैयाज़ और इमरान की नकल में अधिक सुधार आ सके। राफिया की बात सुनकर इमरान ने राफिया को आँख मारी और बोला केवल शेव ही करना या ... ........... ......
इमरान की इस लम्बी सी "या" मतलब राफिया जल्दी समझ गई थी वह भी मुस्कुराते हुए और थोड़ा शरमाते हुए बोली हां वह भी क्यों नही हम मुर्री जा रहे हैं तो अच्छी तरह सफाई करना होगा। राफिया की बात सुनकर इमरान ने एक ठहाका लगाया और साथ वाले कमरे में मौजूद शौचालय में घुस गया। ठंडे ठंडे पानी के नीचे खड़े होकर इमरान को आराम मिलने लगा था। इतने दिनों की भागदौड़ और मानसिक तनाव अब पानी के साथ बहने लगा। अपने ऊपर अच्छी तरह ठंडा पानी डालने के बाद इमरान ने पहले शौचालय में पड़े रेजर से अपनी शेव बनाई और फिर इसी रेजर से अपने नीचे के बाल भी साफ किए। जांघों के बाल साफ करते हुए इमरान को एहसास हुआ कि वह काफी दिनों से पाकिस्तान में ही है। क्योंकि उसके बाल खासे बढ़े हुए थे, हनीमून पर उसने विशेष रूप से अपने द्वारा नाभि बालों की सफाई थी, मगर जहां तक इमरान को याद था वह महज 4 या 5 दिन से ही पाकिस्तान में था और कर्नल इरफ़ान की कैद से लेकर आज तक सेर्फ 5 दिन ही बीते थे। लेकिन अपने बढ़े हुए बाल देख कर इमरान ने अनुमान लगाया कि वह कोई 10 से 15 दिन से पाकिस्तान में है। शायद यह बाकी के दिन उसके कोमा की हालत मे गुजरे होंगे जब वह कर्नल इरफ़ान की कैद में था
बालों की सफाई के दौरान इमरान को अपनी पत्नी रश्मि की भी याद आई जो हनीमून पर उससे अलग हुई थी और अब तक दोनों का पुनः मिलन नहीं हो सका था। इमरान सोचने लगा कि रश्मि उसके बारे में क्या सोचती होगी कि हनीमून पर ही उसका पति उसे छोड़कर चला गया और इतने दिन बीतने के बाद भी अभी तक उसकी वापस नहीं हो सकी। रश्मि की याद आई तो इमरान का दिल किया कि वह तुरंत इंडिया चला जाए और जाकर अपनी नवव्याहता पत्नी को अपने गले से लगाकर बहुत सा प्यार करे। मगर अफसोस कि ऐसा संभव नहीं था क्योंकि एक सिपाही को स्वदेश प्रेम पहले और बाकी रिश्ते नाते बाद में आते हैं। कुछ ही देर बाद इमरान ने रश्मि के विचार को मन से झटक दिया, इसलिए नहीं कि उसे रश्मि से प्यार नहीं था बल्कि इसलिए कि कहीं रश्मि की याद उसको अपने कर्तव्य से लापरवाही बरतने पर मजबूर न कर दे। इमरान ने अपनी अच्छी तरह सफाई की और एक घंटे तक ठंडे पानी का शॉवर लेने के बाद वह एक शर्ट और साथ मे शॉर्ट पहन कर वापस आ गया। बाहर निकला तो राफिया अपने कमरे में खड़ी मेकअप कर रही थी राफिया ने एक ढीली शर्ट और साथ एक छोटी सी स्कर्ट पहन रखी थी जो शायद उसकी थाईज़ को घेर रही थीं। पैर से लेकर घुटनों तक और फिर आधी से अधिक जांघे नंगी थीं राफिया की, यह देखकर इमरान की शॉर्ट में मौजूद लंड को एक शॉट लगा और वह धीरे धीरे खड़ा होने लगा। मगर जल्द ही उसने अपने जज़्बात पर काबू पा लिया क्योंकि वह जल्दी में अंडर वेयर शौचालय में पहनना भूल गया था। और बिना अंडर वेयर खड़ा लंड कुछ ज्यादा ही स्पष्ट होकर दिखाई दे रहा था इसलिए इमरान ने तत्काल अपनी भावनाओं पर काबू पाया और अपनी कुछ आवश्यक वस्तुएँ एक छोटे से शोल्डर बैग में डालने लगा।
कुछ ही देर में राफिया का मेकअप भी पूरा हो गया, बहुत हल्के से मेकअप में राफिया बहुत सुंदर लग रही थी, उसने भी जल्दी-जल्दी अपने कुछ कपड़े एक छोटे बैग में डाले और चलने के लिए तैयार हो गई। लेकिन अब की बार राफिया ने पुरानी कार में जाने की बजाय अपनी बीएमडब्ल्यू में ही जाने की जिद की तो इमरान भी जल्दी मान गया क्योंकि इतना लम्बा सफर एक तो वैसे ही यातनादायक होता है ऊपर से पुरानी कार में यात्रा करना और भी सजा ... और फिर इमरान तो जानता ही था कि कोई अब राफिया अपहरण नहीं होने वाला है और खतरे वाली कोई बात नहीं इसलिए इमरान ने राफिया की जिद तुरंत मान ली और कुछ ही देर में राफिया और इमरान बीएमडब्ल्यू में आर्मी रीज़ीडीनशियल क्षेत्र से निकल कर पाकिस्तान के प्रसिद्ध बरेजा साइन पानवेल बरेजा से गुजर रहे थे
लाहोर से होकर अब राफिया की बीएमडब्ल्यू 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से छोटे शहरों और कस्बों से होती हुई मुर्री की ओर जा रही थी। इमरान खुद ड्राइव कर रहा था जबकि राफिया इमरान को अपने जीवन के बारे में और अपने रहन-सहन के बारे में बता रही थी, इमरान बड़े ध्यान से राफिया की बातें सुन रहा था उसको पता चल गया था कि राफिया एक बातूनी लड़की है जो चाहती है कि वह हर समय बोलती रहे और दूसरा उसकी बातें सुनता रहे, मगर इमरान को इसलिए भी जरूरी था राफिया की बातों को सुनना क्योंकि राफिया एक कर्नल की बेटी थी और इमरान इंतजार कर रहा था कि शायद कोई और काम की बात रफिया के मुंह से निकले जो इमरान के लिए उपयोगी साबित हो सके।
दूसरी ओर जब समीरा को राज की कॉल प्राप्त हुई तो उसने भी जल्दी से तैयारी शुरू कर दी। समीरा को जो चीज सबसे अधिक दर्दनाक लग रही थी वह इतना लंबा सफर था जो समीरा ने अकेले ही तय करना था। कार में 11 से 12 घंटे की यात्रा अकेले तय करना कोई आसान काम नहीं था। समीरा ने तुरंत किचन में जाकर खाना बनाया, घर में चावल और एक चिकन मौजूद था तो समीरा ने चिकन पुलाव बना लिया और चूल्हे पर हल्की आंच पर चावल रखकर समीरा स्वयं नहाने चली गई, नहा कर समीरा बाहर निकली तो उसने कमरे में ही अपने पहले वाले कपड़े उतारे और शापर से नया सूट निकाल कर पहन लिया, नया सूट पहन कर समीरा तुरंत किचन में गई और चावल में चम्मच हिलाया, फिर वापस बाहर आकर समीरा ने कुछ जरूरी चीज़े समेटी, कार की चाबी उठाई, स्लीपर पहने और फिर से किचन में गई तो चावल लगभग पक चुके थे, समीरा ने कुछ चावल प्लेट में डाल कर किचन में खड़े होकर खाए और उसके बाद प्लेट धो कर एक साइड पर रखकर नल बंद कर दी। फिर समीरा ने एक टिफिन में शेष चावल डाले जो मुश्किल से एक या 2 प्लेट्स के बराबर होंगे, वो टिफिन शापर में डाला और अपने कपड़ों वाला शापर उठाकर गाड़ी की चाबी उठाई और भागती हुई कार में जा कर बैठ गई, कार स्टार्ट की और अपने मोबाइल पर जीपीएस ऑन करके मुर्री का रास्ता सेव कर लिया और मुर्री के लिए निकल गई, समीरा को वास्तव में जल्दी इस बात की थी कि एक तो उसे राज ने कहा था कि उसे जल्दी निकलना है ताकि राज से पहले मुर्री पहुंच सको और दूसरा उसे अकेले यात्रा करना है इसलिए जल्दी निकले तो आधी रात से पहले पहले मुर्री पहुंच सको। समीरा करीब 3 बजे घर से निकली थी, इस हिसाब से अगर वो बहुत जल्दी भी पहुंच जाती तो रात 1 तो बज ही जाने थे इसीलिए समीरा बहुत जल्दी में घर से निकल गई।
उधर राफिया और राज भी अपनी मंजिल की ओर दौड़ रहे थे कि रास्ते में राफिया के मोबाइल पर कप्तान फ़ैयाज़ की कॉल आई। कैप्टन का नाम देखकर राफिया ने बुरा सा मुँह बनाया मगर उसे कॉल अटेंड करनी ही थी। राफिया ने हाय कहा तो आगे से फ़ैयाज़ ने हेलो राफिया मैम कहा और राफिया से पूछने लगा कि मैम आप कब तक मुर्री के लिए रवाना होंगी ?? राफिया ने बताया कि वह मुर्री के लिए रवाना हो चुकी है और अब लाहोर से काफी दूर निकल चुकी है।
इस पर कैप्टन फ़ैयाज़ को एक शॉक लगा क्योंकि उसका मानना था कि राफिया अभी घर पर ही होगी, पर राफिया तो कैप्टन के फोन आने से कोई 30 से 35 मिनट पहले लाहोर से निकल चुकी थी। कैप्टन ने राफिया को बताया कि कर्नल साहब ने मुझे आदेश दिया है कि आपके साथ मुर्री तक जाऊं तो अगर किसी जगह रुक कर मेरा इंतज़ार कर लें तो जल्द ही आप तक पहुंच जाऊंगा, लेकिन राफिया ने कहा कि मैंने पापा को कह दिया था कि जिसको भी भेजें वो मुझसे दूर ही रहे, सुरक्षा के नाम पर अपना यह टूर बोर नहीं होने दे सकती, आप जीपीएस पर मेरी लोकेशन एड कर लो और दूरी रखकर मुर्री तक आजाो। यह कह कर राफिया ने फोन बंद कर दिया। और फिर से इमरान के साथ बातों में व्यस्त हो गई
जबकि केप्टन फ़ैयाज़ ने तुरंत अपना मोबाइल और आवश्यक वस्तुएँ लीं और अपनी सेना की जीप में बैठ कर वह भी मुर्री के लिए रवाना हो गया। उसने अपने मोबाइल पर राफिया की ईमेल आइडी को पहले ही एड कर रखा था और जीपीएस के अनुसार राफिया और केप्टन फ़ैयाज़ की कार के बीच कोई 35 किलोमीटर की दूरी थी जो लगातार बढ़ती जा रही थी क्योंकि राफिया शहर से निकल चुकी थी और काफी तेज गति के साथ मुर्री की ओर जा रही थी जबकि कैप्टन फ़ैयाज़ अभी शहर के यातायात में फंसा धीरे धीरे लाहोर शहर से निकलने की कोशिश कर रहा था। उसके मन में मेजर राज का भी ख्याल था और वह सोच रहा था कि राफिया के इस व्यर्थ के कार्यक्रम के कारण अब वह मेजर राज को नहीं पकड़ सकेगा, हालांकि वह बहुत करीब पहुंच गया था उनके ठिकाने के बस कुछ देर पहले पहुंच जाता तो इस समय समीरा और मेजर राज दोनों उसकी कैद में होते। मगर अफसोस ऐसा नहीं हो सका।
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