RE: वतन तेरे हम लाडले
उसके बाद उस व्यक्ति ने किस किस को कॉल करी मैं नहीं जानता मैं तो अपनी बेटी को लेकर अस्पताल चला गया था। ताकि उसका इलाज करा सकूं। मेरे को क्या पता था कि मेरी सिम का गलत इस्तेमाल करेगा। उसकी बात पूरी होने पर केप्टन फ़ैयाज़ ने गुर्राते हुए उससे पूछा उस व्यक्ति ने अपना नाम क्या बताया था ??? और जिस टैक्सी में वह गया उसका क्या नंबर था। ?? कैप्टन के सवाल के जवाब में वह फिर से बोला साहब टैक्सी का नंबर तो मुझे नहीं पता मगर उसकी टैक्सी में उसके साथ एक मेम साहब भी मौजूद थीं जो काफी आधुनिक थी और उस साहब ने अपना कोई नाम नहीं बताया था। अब की बार कैप्टन फ़ैयाज़ ने पूछा वह दिखने में कैसा लगता था। कैप्टन का सवाल सुनकर वह व्यक्ति सोच में पड़ गया कि कैसे बताए तो उसने कैप्टन के चेहरे को गौर से देखा और उसकी हैरानी बढ़ती गई। अबकी बार वह हकलाना हुए बोला वो ववववो .... अरे साा ...... साहब ...... वह तो .... एकदम आप ... आप जैसा दिखता था। यह सुनना था कि कैप्टन ने उसको फिर से एक थप्पड़ रसीद किया और बोला साले झूठ बोलता है पागल बनाता है मुझे। 10 मिनट मे तुझे जेल में सजा मिलेगी तो सब कुछ पानी की तरह उगल देगा तू . यह कह कर कैप्टन फ़ैयाज़ ने अपने साथियों को कहा इसे भी उसी कूड़ा उठाने वाले के साथ कैद कर दो और जब तक यह मेजर राज के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं दे इसको छोड़ना नहीं।
वह व्यक्ति तो चला गया लेकिन कैप्टन फ़ैयाज़ समझ गया था कि यह सच बोल रहा है। क्योंकि उसे याद था एयरपोर्ट वाला वीडियो देखकर एक बार तो कैप्टन फ़ैयाज़ भी अपने आप को एयरपोर्ट पर देख कर हैरान रह गया था। मगर फिर उसे एहसास हुआ कि यह मेजर राज ही हो सकता है जो उसके हुलिए में एयरपोर्ट से लाहोर चला आया था। अब कैप्टन को विश्वास हो गया था कि वह सही दिशा में जा रहा है और जल्द ही उसके हाथ मेजर राज की गर्दन पर होंगे। उस व्यक्ति के जाते ही कैप्टन फ़ैयाज़ ने लाहोर एयरपोर्ट के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज मंगवा ली और विशेष निर्देश दिया कि एयरपोर्ट के बाहर जहां टैक्सी मयस्सर होती है इन सभी कैमरों की वीडियो जल्द से जल्द प्रदान की जाएं। एक घंटे में कैप्टन को वह वीडियो मिल चुकी थी और उस फ़्लाईट के समय के अनुसार कैप्टन ने वह वीडियो देखना शुरू कीं। मात्र 5 मिनट की मेहनत के बाद एक कैमरा वीडियो में कैप्टन को मेजर राज और समीरा दिखे। कैप्टन फ़ैयाज़ एक पल के लिए फिर से अपने आपको देख कर हैरान हुआ मगर फिर उसे तुरंत ही अहसास हो गया कि यह मेजर राज है उसके हुलिए में।
कैप्टन फ़ैयाज़ ने अपनी आईटी टीम की मदद से वीडियो के इस हिस्से को जिसमें मेजर राज और समीरा टैक्सी में बैठ रहे थे विभिन्न फ्रेम्स बनवाए और फिर एक एक करके उन फ्रेम्स देखने लगा . जल्द ही एक फ्रेम में उन्हें टैक्सी का नंबर मिल गया। टेक्सी नंबर मिलते ही कैप्टन फ़ैयाज़ ने लाहोर पुलिस को निर्देश पहुंचा दिए कि यह टैक्सी जहां भी मिले उसके चालक को गिरफ्तार कर तुरंत सेना मुख्यालय पहुंचा दिया जाए। इतनी देर में सेना की टीम लाहोर के एक छोटे मगर प्रभावशाली गिरोह के कुछ गुण्डों को पकड़ कर केप्टन फ़ैयाज़ के सामने पेश कर चुके थे। इनमें 1 गुंडे घायल थे जबकि बाकी ठीक थे। कैप्टन ने उनसे भी पूछताछ की राज के बारे में, लेकिन उन्हें बस इतना ही पता था कि हमारे मालिक द्वारा आदेश आया था कि लीबॉया नाइट क्लब के बाहर से एक लड़की का अपहरण करना है और उसकी तस्वीर हमें दे दी गई थी उससे अधिक हम कुछ नहीं जानते। घायल गुंडों ने बताया कि वह भी इस अपहरण की कोशिश में थे मगर फिर अचानक भीड़ में से एक व्यक्ति निकला और उसने देखते ही देखते हम पर हमला कर दिया और इस लड़की को बचाकर वहां से निकल गया। इन गुंडों ने आगे यह भी बताया कि उनके साथ 2 लोग और भी थे अपहरण में जिन्हें वो नहीं जानते, बस वह उनके बॉस के पास से ही आए थे, एक व्यक्ति कार की सीट पर ही बैठा रहा, जबकि एक कार के पास खड़ा रहा और हम दोनों ने आगे जाकर लड़की का अपहरण करने की कोशिश की थी। मगर फिर बाद में भीड़ से निकलने वाले व्यक्ति ने हम चारों को घायल कर दिया, वह 2 लोग तो कार में बैठ कर भाग गए मगर हम काफी देर वहीं सड़क पर ही असहाय पड़े रहे फिर खुद ही हिम्मत करके एक रिक्शा रोका और अपने ठिकाने पर पहुंच गए।
कैप्टन फ़ैयाज़ ने उन गुंडों की भी खूब धुनाई की और उन्हें भी जेल भिजवा दिया। अब कैप्टन फ़ैयाज़ सोच रहा था कि हो न हो अन्य 2 गुंडे जो उनके साथ तो थे मगर यह उन्हें पता नहीं कि उनमे से एक मेजर राज ही हो सकता है। तभी वह अकेला ही अपनी जान बचाकर भागा। और तभी उसकी जेब से वहीं मोबाइल भी गिरा होगा जो सजा वाले के हाथ लग गया। एक पल को कैप्टन फ़ैयाज़ का माथा ठनका और उसने सोचा भला ऐसा कैसे हो सकता है कि एक अकेला निहत्था व्यक्ति 4 गुंडों के चंगुल से एक लड़की को छुड़वा कर इस तरह ले जाए कि लड़की आंच तक न आए और खासकर जब उन चार गुंडो में से एक पेशेवर इंडियन एजेंट हो। ऐसे ट्रेंड एजेंट तो अकेले ही 10 लोगों पर भारी होते हैं मगर यहां एक अकेले व्यक्ति ने 3 गुण्डों और एक इंडियन एजेंट को बुरी तरह बेबस कर दिया और उनके चंगुल से लड़की को छुड़ा कर ले गया।
कहीं ऐसा तो नहीं कि राफिया को इन गुंडों से छुड़ाने वाला व्यक्ति ही मेजर राज हो ???? यह विचार आते ही कैप्टन फ़ैयाज़ के माथे पर पसीने की बूँदें दिखने लगी इस विचार ने कैप्टन को अंदर तक परेशान कर रखा था। क्योंकि वह राफिया के घर हो आया था और उसने वापस आकर कर्नल इरफ़ान को सूचना दी थी कि राफिया मैम सही हैं और वह लड़का भी बेहतर है। उसने कर्नल को यह भी बता दिया था कि राफिया मैम को उस लड़के से कोई खतरा नहीं वह एक सीधा साधा लड़का है ... अब जब कर्नल को पता लगेगा कि वास्तव में वह लड़का कोई साधारण व्यक्ति नहीं बल्कि मेजर राज था तो कैप्टन फ़ैयाज़ के साथ कैसा व्यवहार होगा ??? यह सोच कर ही उसकी रूह कांप उठी थी। मगर फिर उसने खुद को तसल्ली दी कि अगर वह मेजर राज होता तो वह यों आराम से राफिया घर सो नहीं रहा होता बल्कि वह राफिया को किसी अज्ञात स्थान पर ले जाकर कर्नल इरफ़ान से सौदेबाजी करता , आतंकवादियों की रिहाई के लिए या अपनी इंडियन एजेंटो की वापसी के लिए कोई डील करता . भला मेजर राज को क्या जरूरत है कि खुद ही राफिया का अपहरण करवाने के लिए कॉल करे और खुद ही उसको छुड़ा कर उसके घर आराम से जाकर सो जाये। यह सोच कर कैप्टन ने खुद को तसल्ली दी मगर दिल में यह इच्छा भी थी कि शाम को वह ज़रूर उसके लड़के से मिलकर अपनी तसल्ली कर लेगा।
कैप्टन फ़ैयाज़ अभी इन्हीं सोचों में गुम था कि एक सैनिक ने आकर बताया सर वह टैक्सी ड्राइवर पकड़ा गया है उसको अंदर लाऊं क्या ?? यह सुनकर कैप्टन फ़ैयाज़ जल्दी से बिना कोई जवाब दिए बाहर निकल गया, बाहर सामने 2 सैनिकों के साथ एक व्यक्ति खड़ा था जिसकी उम्र लगभग 50 साल होगी और उसके हाथ में हथकड़ी लगी हुई थीं। कैप्टन फ़ैयाज़ ने उसके पास जाते ही अपनी जेब से समीरा और मेजर राज की तस्वीरें निकालीं जो उसने सीसीटीवी फोटज में से निकालकर मोबाइल मे सेव कर ली थीं तस्वीरें दिखाकर केप्टन फ़ैयाज़ ने पूछा, क्या वह इन्हे जानता है? ? टैक्सी ड्राइवर ने कुछ पल के लिए तस्वीरो को ध्यान से देखा और जल्दी बोला जी साहब कल सुबह ही यह मेरी टैक्सी में बैठे थे, मगर फिर उसने कैप्टन फ़ैयाज़ को ध्यान से देखा तो एक पल के लिए वह भी हैरान रह गया, कप्तान उसकी हैरानगी समझ गया और जल्दी से बोला परेशान होने की जरूरत नहीं है, यह एक आतंकवादी है जो मेरे हुलिए शहर में फिर रहा है और आतंकवादी गतिविधियों में व्यस्त है।
क्या आप मुझे बता सकते हैं कि आपने उनको कहां उतारा था ??? टैक्सी वाले ने पूरी बात समझते हुए तुरंत हां में सिर हिलाया और बोला क्यों नहीं साहब, उन लोगों ने तो मुझे 500 रुपये की टिप भी दी थी। यह कह कर टैक्सी ड्राइवर ने नेहरू नगर का पूरा पता और मकान नंबर कैप्टन फ़ैयाज़ को बता दिया जहां उसने समीरा और मेजर राज को उतारा था।
मेजर राज ने तुरंत एक कार निकलवाई और टैक्सी चालक को अपने साथ बिठा कर घर की ओर चल दिया, उसके पीछे सेना की एक और जीप भी चली आई जिसमें पाकिस्तानी आर्मी के ट्रेंड सिपाही थे। कैप्टन अपनी कार का हुटर बजाते हुए बहुत तेजी के साथ नेहरू नगर की ओर जा रहा था, उसे विश्वास था कि अब वह मेजर राज और समीरा को बहुत जल्दी पकड़ लेगा और जब वह कर्नल इरफ़ान को अपनी इस सफलता की सूचना देगा तो उसकी तरक्की सुनिश्चित होगी। 20 मिनट की ड्राइव के बाद कैप्टन ने उस घर के सामने अपनी कार रोक ली जहां टैक्सी ड्राइवर ने मेजर राज को उतारा था। और राफिया के अपहरण के बाद समीरा सीधी वापस उसी घर में आई थी और आते ही गहरी नींद सो गई थी .
कैप्टन फ़ैयाज़ अपनी कार से उतरा और उसने पीछे मौजूद जीप में अपने सैन्य जवानों को आदेश दिया कि वह इस घर को चारों ओर से घेर लें कहीं से भी कोई व्यक्ति बचकर न जाने पाए, और अगर कोई भागने की कोशिश करे तो बे धड़क उसको गोली मार दी जाए। यह आदेश देकर कैप्टन फ़ैयाज़ ने टैक्सी चालक को कार में ही रुकने के लिए कहा और खुद अपने हाथ में पिस्तौल लिए दबे कदमों के साथ इस घर की तरफ बढ़ने लगा। दरवाजे के बाहर पहुंचकर कैप्टन फ़ैयाज़ ने दरवाजे के साथ कान लगाकर अंदर से आवाज सुनने की कोशिश की मगर उसे कोई आहट या आवाज़ नही मिली .
कप्तान फ़ैयाज़ ने पीछे हट कर एक बार घर की समीक्षा की, उसकी छत पर कैप्टन के सैनिक पहुंच चुके थे और साथ वाले घरों की छतों पर भी सेना के जवान चौकन्ने खड़े थे, अब की बार कैप्टन फ़ैयाज़ ने दरवाजे पर हल्का सा दबाव डाला तो दरवाजा हल्की से गड़ गराहट के साथ खुलता चला गया, केप्टन ने आंगन में प्रवेश किया तो सामने एक दरवाजा और था जो बंद था। कैप्टन ने कुछ देर सांस रोके इधर उधर की समीक्षा की और फिर धीरे धीरे आगे बढ़ने लगा, केप्टन को खाने की सौंधी सौंधी खुशबू आ रही थी, केप्टन ने इस से अनुमान लगाया कि अंदर चावल बन रहे हैं, यह सोचकर कैप्टन ने सोचा इससे पहले कि मेजर राज पेट पूजा करे वह या तो कैप्टन फ़ैयाज़ के शिकंजे में होगा या फिर वह कैप्टन की गोलियों का निशाह बन चुका होगा। कैप्टन ने कुछ देर बिना सांस लिए दरवाजे के बाहर खड़े होकर हिम्मत जुटाई और फिर एक जोरदार ठोकर दरवाजे पर मारी जिससे दरवाजा एक विस्फोट के साथ खुलता चला गया, और केप्टन कमांडो कार्रवाई में कलाबाज़ी खाते हुए कमरे में घुस आया और अंधा धुन्ध फायरिंग शुरू कर दी।
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राफिया जब मेजर राज को किस्से सुना सुना कर थक गई तो उसको याद आया कि जिस व्यक्ति ने उसकी जान बचाई है उसके बारे में तो उसे कुछ पता ही नहीं था। अब राफिया ने मेजर राज से पूछा कि अरे मैं भी किन बातों को लेकर बैठ गई बातों बातों में तुम्हारा नाम ही नहीं पूछा मैंने तो। मेजर राज ने राफिया को अपना नाम इमरान बताया और पूछने पर इमरान यानी मेजर राज ने राफिया को बताया कि उसने बीए तक अध्ययन किया है, बचपन में वह एक कराटे अकादमी में भी जाता था जहां से उसने लड़ने प्रशिक्षण और इसके अलावा वह कंप्यूटर की भी जानकारी रखता है, लेकिन अब तक उसे कोई अच्छी नौकरी नहीं मिल पाई। गलत दोस्तों की सोहबत का असर है कि उसने छोटी मोटी चोरियां भी शुरू कर दी। इमरान ने आगे अपने बारे में कुछ झूठी कहानियां राफिया को सुनाई जिससे राफिया को इमरान से सहानुभूति होने लगी, अब राफिया को ऐसे लगने लगा कि इमरान एक अच्छा और भला इंसान है मगर जमाने के अन्याय का शिकार है। राफिया ने मन ही मन तय कर लिया था कि वह अपने पापा से कहलवा कर इमरान को किसी अच्छी सी फर्म में नौकरी दिलवाएगी और उसको समाज में एक अच्छे इंसान के रूप में योगदान करने में सहायता प्रदान करेगी।
मगर मेजर राज राफिया की बातें ज़्यादा सुनना चाहता था क्योंकि वह चाहता था कि किसी तरह कोई काम की बात राफिया से उगलवाई जा सके, बल्कि अपने बारे में कहानियां सुनाने की कोशिस से बचना चाहता था वह चाहता था कि राफिया को बात करने का मौका ज़्यादा मिले . तभी मेजर ने फिर से राफिया को संबोधित किया और उसके पापा कर्नल इरफ़ान के बारे में बातें करने लगा। राफिया ने भी अपने पापा की बहादुरी के किस्से सुनाना शुरू किया और बताने लगी कि कैसे उसके पापा ने दुश्मन देश एजेंटो की आंखों में धूल झोंक कर बार बार उन्हें नुकसान पहुंचाया है। और हर बार वह अपने उद्देश्य में सफलता प्राप्त कर वापस आ जाते हैं मगर इंडियन सुरक्षा एजीनसीज़ को कानों कान खबर तक नहीं होती। फिर राफिया ने अपनी अलमारी से अपना लैपटॉप निकाल लिया और उसको लोगइन करके अपने पापा की तस्वीरें दिखाने लगी इमरान को। इमरान ने भी इन तस्वीरों में इंटरेस्ट लेना शुरू कर दिया और कर्नल इरफ़ान की जिस किसी तस्वीर में और लोग भी दिखाई दिए वहीं इमरान कर्नल के साथ मौजूद लोगों के बारे में राफिया से पूछा कि यह कौन हैं? तो राफिया ने उनका परिचय करवाया।
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