RE: वतन तेरे हम लाडले
अब कर्नल इरफ़ान अपनी टीम को लेकर फिर से जामनगर जा रहा था जबकि वह सेना मुख्यालय फोन करके बता चुका था कि मेजर राज मुल्तान में नहीं बल्कि जामनगर में मौजूद है और सरदार सन्जीत सिंह उसका साथी है। जबकि मेजर के बाकी साथी मुल्तान में हैं। उसने आर्मी हेड क्वार्ट निर्देश दिए कि यहां की सभी सेना के ओफीसरो को राज के साथियों को पकड़ने के लिए ओरडर किया जबकि वो खुद राज को पकड़ने जामनगर जा रहा है।
सरमद फिर बस में बैठ चुका था अपने गिटार बॉक्स के साथ। शहर में बस से उतर कर वह अपने पुराने ठिकाने गया जहां उसके कुछ साथी मौजूद थे। मौत के मुंह से बचकर आने वाला सरमद अपने साथियों से मिला और वह गिटार बॉक्स उनके हवाले किया, जिसे लेकर वह जल्दी घर से निकल गए और अपने किसी और ठिकाने की ओर चले गए जहां वह गिटार बॉक्स को ठिकाने लगा सकेंगे।
कर्नल इरफ़ान का छोटा सा काफिला फिर से जामनगर की ओर जा रहा था। जामनगर राज मार्ग 6 पर पहुंचकर कर्नल इरफ़ान अबकी बार खुद उस दुकान वाले से मिला और उसके पास मौजूद सीसी टीवी कैमरे की फुटेज भी देखी इसमें वाकई सरदार सन्जीत सिंह और मेजर राज मेकअप किए हुए नजर आया उसे। अब उसे विश्वास हो गया कि मेजर राज ने कल से आज तक कर्नल इरफ़ान को बहकाया ही है और वह अपनी चालाकी और मक्कारी से कर्नल जैसे व्यक्ति को धोखा देने में सफल रहा। मगर एक गलती वो कर गया कि फिर से इसी पंप पर आ गया और पहचान में आ गया, अब वह किसी भी मामले मे कर्नल के हाथों से बच नहीं पाएगा। कर्नल ने जामनगर की सारी पुलिस फोर्स और वहां मौजूद सेना अधिकारी को तुरंत पूरे शहर में फैल जाने को कह दिया था और एक सरदार और बड़ी मूंछों वाले व्यक्ति की खोज का आदेश दिया था।
रात करीब 2 बज रहे थे और सभी पुलिस वालों की छुट्टी कैंसिल करके उन्हें तुरंत ड्यूटी पर पहुंचने का आदेश दे दिया था। जामनगर शहर के ऐन बीच में कर्नल इरफ़ान पुलिस वालों को निर्देश दे रहा था कि एक बार फिर से उसके मोबाइल पर घंटी बजी। कर्नल ने मोबाइल देखा तो एक अनजान नंबर से कॉल थी। कर्नल ने कॉल रिसीव नहीं की और रेजैक्ट करके फिर से पुलिस वालों से बात करने लगा। मगर फिर उसे उसी नंबर से कॉल प्राप्त हुई तो अब की बार कर्नल ने कॉल रिसीव कर ली। आगे अराज की आवाज़ थी, अराज काँपती हुई आवाज़ में कर्नल को बताने लगा अंकल में अराज बोल रहा हूँ, राफिया और मैं आज नाइट क्लब से बाहर आ रहे थे तो 4 गुंडों ने राफिया का अपहरण कर लिया है आप प्लीज़ जल्दी घर आ जाएं। राफिया के अपहरण का सुनते ही कर्नल का मन ख़ौफजदा होने लगा। एक ओर मुल्तान में सेना की जीप पर हमला जिससे कर्नल सोचा कि राज मुल्तान में ही मौजूद है, मगर फिर राज का जामनगर में मौजूद होना और सीसीटीवी फुटेज से उसका सबूत मिलना, और अब कर्नल की बेटी का अपहरण किया जाना, शायद उसके पीछे भी मेजर राज का ही हाथ हो। कर्नल को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह करे तो क्या करे। वह बिल्कुल बेबस नजर आ रहा था और उसके चेहरे पर बेचारगी के आसार स्पष्ट देखे जा सकते थे .
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इधर ......
नाइट क्लब से दूर निकल जाने के बाद मेजर राज ने एक बार मिरर में देखा कि कोई उनका पीछा तो नहीं कर रहा है ??? मगर वहाँ कोई मौजूद नही था, पूरा रोड सुनसान था। मेजर ने साथ बैठी राफिया को देखा जो काफी डरी हुई थी और उसने कार की छत भी बंद कर दी थी जो पहले फ़ोल्ड थी। मेजर ने राफिया से पूछा मिस आपका घर कहाँ है मैं आपको घर छोड़ आता हूँ ?? राफिया ने डरे हुए और सहमे हुए चेहरे के साथ राज की ओर देखा और काँपती हुई आवाज़ में बोली आर्मी रीज़ीडीनशल कॉलोनी। इस पर मेजर ने हैरान होते हुए कहा ओए बाप रे .... कहीं वास्तव में आपके पापा आर्मी में कर्नल तो नहीं ??? राफिया ने मेजर को देखा और बोली हां वह कर्नल ही हैं। मेजर राज अबकी बार काँपती हुई आवाज़ में बोला अरे म। । । में तो। । । मैं तो मजाक समझ रहा था ... मुझे क्या पता था कि आपके पापा वाकई कर्नल होंगे। आपको यहीं उतार देता हूँ प्लीज़ आप खुद ही अपने घर पहुंचे।
यह सुनते ही राफिया फिर से भयभीत हो गई, उसके मन में अब तक गुंडों का भय था, अगर राज वहां न होता तो अराज तो उसे अकेला छोड़कर अपनी जान बचाकर जा चुका था। राज ने कार की स्पीड कम करना शुरू किया तो राफिया ने एकदम से मेजरके कंधे पर हाथ रखा और बोली नहीं प्लीज़ ऐसे मत करो मैं अभी कार ड्राइव करने की भी स्थिति में नहीं हूँ और मुझे बहुत डर लग रहा है प्लीज़ मुझे मेरे घर तक छोड़ दो। ... राज ने कहा नहीं मेडम आपके पापा तो मुझे पकड़ कर जेल में डाल देंगे कि मेरी बेटी का अपहरण करवाने में यह भी शामिल होगा और वह मेरे से गुंडों के बारे में पूछताछ भी करेंगे, वैसे भी मैं छोटे-मोटे अपराध करता रहता हूँ जैसे कभी किसी की जेब काट ली तो कभी किसी का मोबाइल चुरा लिया। आपके पापा मुझे कुछ न भी कहें तो पुलिस के हवाले तो ज़रूर करेंगे।
इस पर राफिया ने उसे तसल्ली दी कि डरो नहीं मैं पापा को कुछ नहीं बताउन्गी तुम्हारे बारे में और वैसे भी वह शहर में नहीं हैं किसी इंडियन एजेंट को पकड़ने के लिए जामनगर गए हुए हैं। यह सुनकर राज ने सुख का सांस लिया। राज मन ही मन सोचने लगा कि यार मैं तो शानदार एक्टर हूं, फिर राज ने उससे घर में मौजूद और लोगों के बारे में पूछा तो राफिया ने बताया कि उसकी माँ की मौत हो चुकी है और वह अपने पापा की इकलौती बेटी है। घर में केवल कुछ कर्मचारी होंगे और सुरक्षा गार्ड होन्गे.ये सुनकर राज को थोड़ा संतोष हुआ कि उसकी जानकारी ठीक थीं कि कर्नल के घर में उसकी बेटी और कर्मचारियों के सिवा और कोई नहीं होता।
कुछ ही देर में राज ने गाड़ी को उसी गली में मोड़ लिया जहां राफिया का घर था, यहां राफिया राज को गाइड कर रही थी और अपने घर के सामने पहुंचकर राफिया ने ब्रेक लगाने को कहा तो राज ने गाड़ी रोक दी। और बोला लो जी मेडम आपका घर आ गया, अब आप जानो और आपका काम मैं तो चला यहाँ से। राफिया बोली अरे आप कैसे जाएंगे वापस रूको मैं अपने किसी कर्मचारी को भेजती हूँ वह आपको छोड़ देगा, यह कह कर राफिया ने कार का दरवाजा खोला और नीचे उतर गई, राज ने भी तुरंत गाड़ी का दरवाज़ा खोला और नीचे उतर आया, नीचे उतरते ही राज ने हल्की ची चीख मारी और सड़क पर गिर गया। राफिया ने मुड़ कर देखा तो राज सड़क पर अपनी टांग की पिछली साइड पर हाथ रखे धीरे धीरे कराह रहा था। राफिया भागती हुई राज के पास आई और बोली क्या हुआ ??? तो राज ने कहा कुछ नहीं बस वह आपको बचाते हुए एक दुष्ट व्यक्ति ने चाकू मार दिया था पैर मे, अब अचानक पैर पर वजन आया तो अपना संतुलन बनाए नहीं रख सका और गिर गया। आप चिंता न करें मैं चला जाऊंगा।
राफिया बोली अरे नहीं ऐसे कैसे। आपने मेरी जान बचाई और मैं आपको ऐसी स्थिति में कैसे जाने दूँ, आप उठें और अंदर चलिए मैं आपको प्राथमिक चिकित्सा देती हूँ और किसी अच्छे से डॉक्टर से चेकअप भी करवाते हैं। यही तो राज चाहता था कि किसी तरह वह राफिया के साथ उसके घर में जाए। मगर इसके लिए उसे यह नाटक करना पड़ा। जबकि उसके पैर में बहुत दर्द था मगर इतना भी नहीं था कि वह अपना संतुलन बनाए ना रख सके और गिर जाए। यहां भी राज ने एक्टिंग की और अपने घाव के बारे में बता दिया। इससे पहले यह पता ही नहीं था कि राज को कोई खंजर भी लगा है। राफिया के मन में तो बस यही था कि वह गुंडे बहुत खतरनाक थे और उस व्यक्ति ने राफिया को सही समय पर बचाया है आकर। राफिया ने मेजर राज को सहारा दिया और मेजर उसके कंधे पर हाथ रख कर अपना वजन कुछ हद तक राफिया के नाजुक शरीर पर डाल कर लड़खड़ाते हुए राफिया के घर में जाने लगा। चौकीदार गेट पहले ही खोल चुका था, राफिया अंदर दाखिल हुई तो वहां मौजूद एक सुरक्षा गार्ड भागता हुआ राफिया के पास आया और बोला रुको रुको तलाशी दो अपनी। मेजर राज उसके लिए अजनबी था। इसलिए यहां किसी भी अंजान आदमी का आना संभव नहीं था। मगर यह सुरक्षा गार्ड जैसे ही राज के पास आया राफिया ने घूरते हुए उसको देखा और बोली अंधे हो क्या, देखते नहीं यह घायल है। दफा हो जाओ इधर से। वो सुरक्षा गार्ड फुर्ती के साथ पीछे हट गया और बोला बीबीजी माफी चाहता हूँ मगर साहब का आदेश है कि कोई अनजान व्यक्ति बिना तलाशी लिए अंदर नहीं जाना चाहिए। यह सुनकर राज बोला आ जाओ यार ले लो तलाशी। मगर राफिया ने एक बार फिर सुरक्षा गार्ड को डांट पिला दी कि यह अनजान नहीं मेरे दोस्त हैं। रोड पर एक्सीडेंट में घायल हो गए हैं इसलिए मेरे साथ आए हैं जाओ तुम मैं खुद पापा से बात कर लूंगी। यह कह कर उसने राज को सहारा दिया और आगे बढ़ गई और घर का मेन दरवाजा बंद करके अब राज को अपने कमरे में ले जा कर अपने बेड पर लिटा दिया।
राज ने कराहते हुए अपनी टांग को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और बेड पर रख लिया। वो यही प्रकट कर रहा था कि उसकी तकलीफ अब बर्दाश्त से बाहर है। राज के पैर से काफी खून भी निकला था जो राफिया की कार को खराब कर चुका था और अभी भी उसकी टांग पर और कपड़ों पर खून जमा हुआ था। राज को बेड पर लिटा कर राफिया जल्दी अपनी अलमारी की ओर बढ़ी और फर्स्टएड बॉक्स निकाल लाई। उसने एक कैंची से राज की पेंट के निचले हिस्से को काट दिया और राज को उल्टा होने को कहा।
राज उल्टा होकर लेट गया तो राफिया ने पहले राज के पैर से कपड़ा साइड पर हटाकर वहां स्प्रिट लगाई और जमा हुआ खून साफ किया, राज ने स्प्रिट लगने पर एक चीख मारी और फिर मुंह भींच कर तकलीफ को बर्दाश्त करने लगा। फिर राफिया ने राज की मरहम पट्टी की और डॉक्टर को फोन कर दिया। यह डॉक्टर भी सेना का ही था और कॉलोनी में उसकी रात की ड्यूटी होती थी। राज ने राफिया को कहा कि प्लीज़ किसी को मेरे बारे में कुछ मत बताना मैं कोई बड़ा अपराधी नहीं बस छोटी मोटी चोरी करता हूँ जिससे पेट भर कर खाना खा सकूं। राफिया ने राज को तसल्ली दी कि तुम चिंता मत करो तुम्हें कोई कुछ नहीं कह सकता।
अभी राफिया राज को तसल्ली ही दे रही थी कि राफिया के मोबाइल पर घंटी बजने लगी। राफिया ने अपने पर्स से मोबाइल निकाला और राज को देखते हुए बोली पापा का फोन ??? यह कह कर राफिया ने फोन अटेंड किया और नमस्ते पापा बोली तो आगे से कर्नल इरफ़ान की घबराई हुई आवाज़ आई बेटा, तुम ठीक तो हो ना? कहाँ हो तुम इस समय ??
राफिया ने कहा क्या हुआ पापा मैं बिल्कुल ठीक हूँ घर पर हूँ। कर्नल इरफ़ान ने फिर कहा बेटा वह अराज का फोन आया था वह कह रहा था कि कुछ सड़क छाप गुंडों ने तुम्हारा अपहरण कर लिया है। अराज का नाम सुनते ही राफिया के चेहरे पर नफरत के भाव आने लगे मगर फिर मुस्कुराते हुए बोली अरे पापा किसी में इतनी हिम्मत भला कि आपकी बेटी का अपहरण कर सके ???
कर्नल बोला मगर बेटा वह अराज ......
राफिया ने कहा ना पापा आप परेशान न हों, मैं बिल्कुल ठीक हूँ, नाइट क्लब से वापसी पर कुछ गुंडों ने कोशिश जरूर की थी मुझे अपहरण करने की उनके हाथ में चाकू थे और अराज ने चाकू देखकर वहां से दौड़ लगा दी, मगर फिर वहां मौजूद एक भले इंसान ने मेरी मदद की और मुझे उन गुण्डों से छुड़वा कर मुझे घर तक पहुंचा दिया।
यह सुनकर कर्नल ने सुख की सांस ली और बोला बेटा कौन था वह ?? राफिया ने बताया कि वह उसे जानती नहीं मगर उसने आपकी बेटी की जान बचाई है, और इस कोशिश में वह खुद घायल हो गया है, उसको चाकू भी लगा है और उसकी टांग से बहुत ज्यादा खून भी बहा है, वह ठीक से चल भी नहीं सकता। मैं उसे घर ही ले आई हूं और इस समय उसे प्राथमिक चिकित्सा देने के बाद डॉक्टर सिक्सी को फोन कर दिया है। वह कुछ ही देर में आकर उसका निरीक्षण करेंगे। कर्नल ने कहा बेटा उससे मेरी बात करवा ज़रा।
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