RE: वतन तेरे हम लाडले
सबीना होंठ जब गोल गोल घूमते और आपस में मिलते देखा तो कर्नल के होंठ भी पागल हो गये और कर्नल उसके ऊपर झुक कर दीवाना वार उसके होंठों को चूसने लगा जबकि सबीना की दीवानगी भी कुछ कम नहीं थी वह अपने दोनों हाथ कर्नल की कमर पर फेर रही थी और कर्नल का पूरा पूरा साथ दे रही थी, सबीना ने अपना मुँह खोला और कर्नल की ज़ुबान को अंदर जाने का रास्ता दिया, जैसे ही कर्नल ने अपनी ज़ुबान सबीना के गर्म गर्म मुंह में डाली सबीना ने मुंह बंद कर लिया और उसकी ज़ुबान को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।
कर्नल को सबीना की यह दीवानगी बहुत अच्छी लग रही थी। उसको हमेशा ऐसी लड़कियां पसंद थीं जो न केवल चुदाई में पुरुष का पूरा पूरा साथ दें बल्कि पुरुषों से अधिक तीव्रता का प्रदर्शन करें। और चुदाई से पहले फोर प्ले का भी खूब मज़ा लें। सबीना ऐसी ही एक लड़की थी जो न केवल चुदाई और फोर प्ले का स्वयं मज़ा लेती बल्कि पुरुषों को भड़काने और अधिक तीव्रता से प्यार करने पर भी मजबूर करती थी। ये खूबी बहुत कम लड़कियों में होती है। और सबीना इन्हीं कुछ लड़कियों में से थी। कैप्टन साजिद का मानना था कि सबीना कर्नल को अपने शरीर का एक एक अंग दर्शन कराएगी और कर्नल वहीं पर हथियार डाल देंगे और कर्नल तरक्की के लिए मान जाएगा और अगर बात आगे बढ़ी तो चूमा चाटी तक चली जाएगी और साजिद जानता था कि उसकी पत्नी चुंबन में पूरी तरह माहिर है तो उसे विश्वास था कि अपने होंठों के जादू से सबीना कर्नल इरफ़ान को मना लेगी। एक विचार साजिद के मन में यह भी था कि शायद गर्मी इस हद तक बढ़ जाए कि कर्नल उसकी पत्नी की चूत लेने की जिद कर बैठे, ऐसे में अव्वल तो साजिद का विश्वास था कि सबीना परिस्थितियों के अनुसार संभाल लेगी और दूसरी ओर उसके शैतानी मन में था कि अगर उसकी पत्नी न संभाल सकी कर्नल को तब भी अधिक से अधिक एक बार ही कर्नल उसकी पत्नी की चुदाई करेगा मगर बदले में साजिद की तरक्की पक्की हो जाएगी। लेकिन वह यह नहीं जानता था कि उसकी पत्नी जंगली बिल्ली है और लंड की किस हद तक दीवानी है। सबीना न केवल साजिद का लंड ले चुकी थी बल्कि अपने मोहल्ले के कुछ और लोड़ों से भी अपनी चूत की प्यास बुझा रही थी और शादी के बाद भी जब साजिद ड्यूटी पर होता था तो वह कॉलोनी में मौजूद एक मेजर के लंड को अपनी चूत में आराम पहुंचाने का काम करती थी। और आज जब साजिद ने खुद ही अपनी पत्नी को कर्नल को खुश करने को कहा तो सबीना तहे दिल से राज़ी हो गई और उसने तभी सोच लिया था कि आज कर्नल के लोड़े भी चुदाई करवा के देखेगी।
और अब तक सबीना का यह एक्सपीरियेन्स बहुत अच्छा जा रहा था। कर्नल ने बहुत ही रोमांटिक शैली में पहले सबीना के बदन से पानी पिया था और फिर धीरे धीरे उसके मम्मे दबाना शुरू किए थे, कर्नल को किसी चीज़ की जल्दी नहीं थी। वह आराम से और आराम के साथ सबीना की चूत लेना चाहता था। जो पुरुष जल्दी करते हैं वह स्त्री को बीच रास्ते में छोड़कर फारिग हो जाते हैं जबकि कर्नल 45 साल का अनुभवी आदमी था जो अच्छी तरह जानता था कि औरत को मंजिल तक पहुंचाने का सही तरीका क्या है। तभी वह फोर प्ले का हमेशा से ही कायल था। चुंबन के दौरान कर्नल अपना एक हाथ सबीना की कमर के नीचे ले जा कर कमीज़ की डोरिया खोल चुका था और अब मम्मों पर कमीज़ की पकड़ कमजोर हो गई थी जिसकी वजह से सबीना के मम्मे जो गहरी लाइन बना रहे थे अब इसमें थोड़ी कमी आ गई थी। सबीना के सुंदर गुलाबी होठों का रस चूस कर अब कर्नल ने दोनों हाथों से सबीना के मम्मे कमीज़ के ऊपर से ही पकड़ रखे थे और उन्हें दबा रहा था जबकि अपनी ज़ुबान से वह सबीना की क्लीवेज़ की लाइन में फेर कर प्यार कर रहा था।
सबीना के दोनों हाथ जो कर्नल की कमर पर काफी देर से मसाज कर रहे थे उनमें से एक हाथ रेंगता हुआ कर्नल के पैर तक गया था और पैर से होता हुआ अब दोनों पैरों के बीच मौजूद लोड़े को देख रहा था। जल्दी ही सबीना को अपनी इच्छित वस्तु मिल गई और कर्नल के लोड़े पर हाथ लगते ही उसकी चूत ने अपना मुंह खोला जैसे अभी और इसी समय वह लोड़े को अपने अंदर समा लेना चाहती हो। कर्नल के लोड़े को पेंट के ऊपर से ही हाथ लगा कर सबीना को इतना अनुमान तो हो गया था कि कर्नल के पास इस बुढ़ापे में भी काफी तगड़ा लंड है। कुछ देर सबीना के मम्मों को कमीज़ के ऊपर से दबाने के बाद कर्नल ने एक ही झटके में सबीना के मम्मों को कमीज़ की कैद से मुक्त करवा दिया। मम्मे जैसे ही कमीज़ की कैद से मुक्त हुए जेली की तरह दाएँ बाएँ हिल कर उन्होंने अपनी स्वतंत्रता का जश्न मनाया। इतने सॉफ्ट और सुंदर मम्मे देखकर कर्नल की राल टपकने लगी थी। कर्नल के पास एक से बढ़कर एक लड़कियाँ थी जो कर्नल के एक इशारे पर उसके लंड के नीचे आ जाती थी और अपने बड़े बड़े मम्मों से कर्नल को अपना दूध पिलाती थीं, मगर जो बात सबीना के मम्मों में थी वह किसी और किसी के मम्मों में कर्नल को नज़र नहीं आई।
कर्नल सबीना के मम्मों पर छोटे हल्के गुलाबी रंग के नपल्स को चेरी समझ कर खाने लगा और सबीना की सिसकियाँ अब आह आह ऊच ऊचओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह में तब्दील हो गई थीं, सबीना के नपल्स से निकलने वाला रस कर्नल को अमृत लग रहा था, जिसको वह मज़े से पी रहा था, थोड़ी देर सबीना के निपल्स को दांतों से काटने के बाद कर्नल ने सबीना के मम्मे अपने मुंह में लेने की कोशिश की मगर 36 आकार के मम्मे उसके मुँह के आकार से काफी बड़े थे और कर्नल आधा मम्मा ही अपने मुंह में ले सका इससे ज्यादा नहीं। सबीना की कमर पतली थी और सीना भी अधिक चौड़ा नहीं था मगर सीने पर मौजूद मम्मे अलग ही ऊपर उठे हुए नजर आ रहे थे। सबीना के ब्रा का आकार वास्तव में 36 डी होगा। सबीना के मम्मों से पेट भरा तो कर्नल धीरे धीरे नीचे रेंगने लगा और सबीना की शलवार से कुछ ऊपर नाभि के भाग पर अपनी ज़ुबान फेरने लगा
कर्नल ने सबीना की शलवार का नाडा खोल दिया और शलवार को उतार दिया अब सबीना सिसफ एक छोटी सी पैंटी मे थी अब कर्नल ने सबीना का एक पैर ऊपर उठाया और अपने कंधे पर रख लिया, कर्नल ने एक बार सबीना के बालों मुक्त स्वच्छ पैर पर पैर से लेकर थाईज़ तक अपना हाथ फेरा और अपनी ज़ुबान से सबीना के पैर की उंगलियों को चूसने लगा। सबीना के लिए यह बिल्कुल नया अनुभव था आज तक किसी ने उसको इस तरह से प्यार नहीं किया था। सबीना दिल ही दिल में कर्नल के सेक्स की शैली की आशिक हो गई थी। कर्नल सबीना के पांव की उंगली को अपने मुँह में लेता और होठों से चूसता हुआ उंगली को बाहर निकाला, फिर उसने सबीना के पैर के निचले हिस्से पर अपनी जीभ की नोक फेरना शुरू किया तो सबीना को मजे के साथ हल्की हल्की गुदगुदि भी होने लगी, और वह मजे की तीव्रता में अपना सिर दाएँ बाएं घुमाने लगी, सबीना के सुंदर लबों पर हल्की हल्की मुस्कान थी उसको कर्नल का यह अंदाज बहुत अच्छा लगा था। फिर कर्नल ने अपनी ज़ुबान सबीना के पांवों पर रखी और रगड़ता हुआ सबीना की टांग से घुटनों तक और वहां से सबीना की थाईज़ तक ले आया। 2, तीन बार यह हरकत करने के बाद उसने से सबीना के दूसरे पैर और पैर की उंगलियों पर भी प्यार उसी तरीके से किया था।
कर्नल की इस प्रक्रिया ने सबीना की चूत में आग लगा दी थी और नीचे सबीना की पैन्टी जो पहले उसके बदन पर मौजूद पानी से गीली थी अब सबीना की चूत से निकलने वाले पानी से जो फाइनल आरगज़म से पहले निकला था उसकी वजह से गीली हो चुकी थी। दोनों पैरों पर इसी तरह प्यार के बाद कर्नल ने सबीना को सोफे से उठाकर नीचे खड़ा कर दिया, और खुद सोफे पर बैठा रहा। सबीना पैन्टी का अगला भाग इंतिहाई ठीक था जो शायद सबीना की चूत के लबों को और चूत की लाइन को छिपाने का काम कर रहा था, जबकि इसके अलावा आसपास का सारा हिस्सा नंगा था, जबकि पैन्टी को कूल्हों में डोरी से बांधकर सहारा दिया गया था। सबीना के सुंदर गोरे बेदाग शरीर पर काले रंग की यह सेक्सी पैन्टी बहुत ही सुन्दर लग रही थी।
कर्नल ने सबीना को चूतड़ों से पकड़ा और अपने पास कर लिया, फिर अपना मुंह सबीना की पैन्टी के पास ले जा कर उसकी पैन्टी में लगे पानी की खुशबू सूंघने लगा। कर्नल के लिए चूत के पानी की खुशबू एक महँगे इत्र से कम न थी, उसने पहले पहल तो सबीना की पैन्टी में ही अपनी ज़ुबान रख दी और उसको चूसने लगा, मगर फिर कर्नल ने नोट किया कि सबीना की चूत के आसपास का सारा हिस्सा बालों से ऐसे सॉफ है जैसे वह कुछ मिनट पहले ही अपनी चूत के बाल साफ करके आई हो। फिर कर्नल को याद आया कि कमरे में आते ही सबीना ने कहा था मैंने नहा लिया है आज रात मजे करेंगे ... इससे कर्नल ने अनुमान लगाया कि सबीना की आज माहवारी खत्म हुई होगी और उसने नहाने के साथ अपनी चूत को भी साफ किया था और सभी बाल उतार दिए थे ताकि वह अपने पति साजिद के साथ आज रात मज़े कर सके, लेकिन उसे क्या पता था कि उसके पति के लंड की जगह उसको आज कर्नल का लंड मिलेगा और कर्नल ही उसकी बालों रहित पारदर्शी चूत को चाट कर उसका रस पिये जा रहा था
कर्नल ने अब सबीना के कूल्हों पर मौजूद पैन्टी की एक साइड की डोरी को खोला तो पैन्टी एक साइड से नीचे सरक गई मगर अब भी सबीना की चूत के होंठ पैन्टी ने छुपा रखे थे, फिर कर्नल ने सबीना को दूसरी ओर किया और उसकी पैन्टी की दूसरी साइड की डोरी को अपने मुंह से पकड़ कर धीरे धीरे खींचते खींचते पीछे सोफे से टेक लगा ली, सबीना की पैंटी कर्नल मुंह के साथ साथ पीछे आ गई थी जबकि सबीना अब पूरी तरह से कर्नल के सामने नंगी खड़ी थी और उसकी चूत का पानी ऐसे चमक रहा था जैसे सुबह घास पर ओस की बूंदें चमकती है।
कर्नल फिर आगे बढ़ा और सबीना की चूत से ओस की बूंदों को अपनी जीभ से चाटने लगा। सबीना ने अपनी दोनों टाँगें थोड़ी सी खोल ली और अपने दोनों हाथ कर्नल के सिर पर रख कर उसको अपनी चूत की तरफ धकेलने लगी। चूत से ओस की बूंदें चाटने के बाद अब कर्नल ने सबीना की टाइट चूत को अपने अंगूठे से थोड़ा खोला और चूत के लबों के बीच में जगह बनाता हुआ अपनी जीभ को चूत के अंदर ले गया। सबीना एक सप्ताह से लंड की प्यासी थी माहवारी के कारण वो अपनी प्यास नहीं बुझा सकी थी, आज सप्ताह बाद उसकी चूत को कर्नल की ज़ुबान ने छुआ तो उसके शरीर में एक सनसनी सी दौड़ गई, और उसकी टाँगें हौले हौले कांपने लगीं थीं। कर्नल इरफ़ान सबीना की पिता की उम्र का था और यह सोच सोच कर सबीना ज़्यादा कामुक हो रही थी कि आज वह अपने पिता की उम्र के व्यक्ति से चुदाई कराएगी। जबकि कर्नल तो पहले से ही जवान लड़कियों की चूत मारने का आदी था। उसके लिए अगर कोई नई बात थी तो इतने सुंदर शरीर का होना और लंड की इतनी तीव्र मांग का होना था कि आमतौर पर लड़कियों को लंड की माँग हो भी सही तो वह अपनी भावनाएँ व्यक्त नहीं करतीं। जबकि सबीना किसी सेक्सी बिल्ली की तरह कर्नल को अपने शरीर से खेलने दे रही थी। कर्नल की ज़ुबान लगातार सबीना की चूत के लबों में जाकर उसकी गर्मी को शांत करने की कोशिश कर रही थी। आखिरकार सबीना के शरीर में थोड़ा तनाव पैदा होने लगा, और फिर यह तनाव अचानक ही समाप्त हो गया जब सबीना के शरीर को कुछ झटके लगे और उसने अपनी चूत का पानी कर्नल के मुंह पर ही छोड़ दिया।
सबीना ने चूत का पानी निकलते ही कर्नल का मुंह अपनी चूत से हटा दिया और नीचे बैठ कर कर्नल की पेंट उतारने लगी, कर्नल ने पहले अपनी बेल्ट खोली और फिर बटन और जीप खोलकर अपने चूतड़ों को सोफे से ऊपर उठाया और पेंट आधी उतार दी बाकी आधी सबीना ने खुद अपने हाथों से उतारी। और कर्नल के 9 इंच मोटे लंड को वासना भरी नजरों से देखने लगी। इतना बड़ा लंड देखकर सबीना को अपने पड़ोस का दर्जी याद आ गया जिससे वह अक्सर अपनी चुदाई करवाती थी, जब भी सबीना को कोई सूट या और कपड़े सिल्वाने होते और वो माप देने के लिए दर्जी के पास जाती तो अपना आकार देने के साथ साथ उसके लंड का आकार भी जरूर चेक करती है और हर बार उसके लंड को अपनी चूत में प्रवेश करने की अनुमति ज़रूर देती थी मगर फिर सबीना की शादी हो गई तो वह पति के घर आ गई और दर्जी से संबंध समाप्त हो गया। आज बहुत समय के बाद सबीना ने इतना बड़ा लंड फिर से देखा था और उसकी चूत ने उसको तंग करना शुरू कर दिया था। वह जल्द से जल्द इस मोटे और लंबे लंड को अपनी चूत में लेना चाहती थी।
लेकिन इतने बड़े लंड को चूत में लेने से पहले उसको चिकनाई बहुत ही आवश्यक थी अन्यथा चूत का बुरा हाल हो जाता है ऐसे लंड से, इसलिए सबीना ने फ़ौरन ही कर्नल के लंड को हाथ में पकड़ा और उसकी मुठ मारने लगी, कुछ झटकों के बाद ही कर्नल के लंड की टोपी पर वीर्य की बूँदें चमकने लगी और सबीना उसको देखकर अपने होठों पर जीभ फेरने लगी, वह लगातार दोनों हाथ से लंड पकड़े उसकी मुठ मार रही थी, लंड का पानी टोपी के ऊपर फैल गया तो सबीना ने अपना एक हाथ कर्नल की टोपी पर मसला और उसके पानी को पूरे लंड पर मसलने लगी, उसके बाद फिर से कर्नल की मुठ मारने लगी और फिर से पानी की बूँदें निकलने लगी और बूँदें अधिक होने पर सबीना ने एक बार फिर उसको कर्नल के लंड पर अच्छी तरह मसल दिया। फिर सबीना ने अपनी ज़ुबान कर्नल के लंड टोपी पर रखी और गोल गोल घुमाने लगी। कर्नल के लंड लंड पर जब मुँह की गर्मी लगी तो पानी की और बूँदें निकलने लगी कि सबीना अपनी जीभ से ही चाटते रही और फिर अपनी जीभ को कर्नल के लंड पर नीचे तक फेरने लगी। कुछ देर अपनी ज़ुबान कर्नल के लंड पर फेरने के बाद सबीना ने अपना मुँह खोला और कर्नल के लंड की टोपी को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। सबीना कभी लंड की टोपी पर अपने दांत हौले से गढ़ा देती तो कभी उसे अपने होंठों में फंसाकर गोल गोल घुमाती और फिर सबीना ने कर्नल का लोड़ा अपने मुँह में डाल लिया। शायद आधा लंड सबीना के मुँह में गया जिसको वह कल्फ़ी की तरह चूसने लगी, सबीना के मुंह की गर्मी और उसकी लार कर्नल के लंड पर लगी तो उसके लंड की नसें और भी फूलने लगीं और उसकी सख्ती पहले की तुलना में बढ़ गई।
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