Porn Hindi Kahani वतन तेरे हम लाडले
06-07-2017, 02:25 PM,
#43
RE: वतन तेरे हम लाडले
राज आवारा लड़कों की तरह गले में चैन डाल और उसे हाथ में घुमाते भीड़ से निकला और बोला यार ये कौन चीख रही है चुप करवा उसे .... यह कह कर वो एकदम ऐसे चुप हुआ जैसे उसे सांप सूंघ गया हो। उसने सभी को यह शो करवाया कि उसे यहाँ होने वाली घटना के बारे में पता नही वो तो बस लड़की की चीखें सुनकर आ निकला इधर मगर अब उसके साथ ही एक गुंडा हाथ में खंजर लिए खड़ा था, जबकि दूसरा अभी कार तक पहुंच चुका था और कार के दोनों दरवाजे खोल चुका था ताकि राफिया को कार में डालकर तुरंत यहां से सेल्टिक मारी जाए। और जिस गुंडे ने राफिया को पकड़ रखा था वह धीरे धीरे राफिया को घसीटते हुए वहां से कार की ओर जाने की कोशिश कर रहा था। 

राज के साथ जो गुन्डा था वह अब की बार राज की ओर खंजर लहराया और बोला चल बे शियाने निकल तू भी इधर से वरना अपनी जान जाएगा। राज अबकी बार बोला अरे बाप रे तुम लोग तो लड़की का अपहरण कर रहे हो। यह कह कर वह डरने की एक्टिंग करने लगा और उस गुंडे से थोड़ा दूर हो गया और फिर बोला देखो मेरे भाई ऐसे ना करो यह मासूम लड़की है छोड़ दो उसे ... जाने दो उसे क्या मिलेगा तुम्हें एक मासूम लड़की का अपहरण करके। अबकी बार एक गुन्डा गुर्राया और बोला चुप कर बे। कोई आगे बढ़ने की हिम्मत न करे नही तो हम किसी का लिहाज़ नहीं करेंगे। 

गुंडे लगातार गाड़ी की ओर बढ़ रहे थे जबकि राज भी उनके साथ एकएक कदम कार की ओर बढ़ा रहा था जबकि बाकी मौजूद लोग धीरे धीरे दूर हट रहे थे। राफिया अब भी चिल्ला रही थी मेरे पापा तुम लोगों को नहीं छोड़ेंगे वह तुम्हारे पूरे परिवार को बर्बाद कर देंगे। मगर गुंडों पर राफिया की इन धमकियों का तनिक भी असर नही हो रहा था।राफिया ने अब मेजर राज को अपनी ओर देखकर उससे मदद की अपील शुरू कर दी थी एक राज ही तो था जो अभी तक दूर हटने की बजाय एकएक कदम गुंडों की ओर बढ़ रहा था और उन्हें समझा रहा था। और अपने साथ वाले गुंडे से कुछ ही कदम की दूरी पर था। और राफिया की आख़िरी उम्मीद भी अब वही था। राफिया राज को नहीं जानती थी मगर फिर भी उससे मदद मांग रही थी 

अब वह गुंडा राफिया को लेकर कार के बिल्कुल करीब पहुंच चुका था जबकि दरवाजे खोलने वाला गुण्डा कार की दूसरी साइड पर जाकर कार में बैठ चुका था। पहले गुंडे ने अब राफिया की गर्दन से खंजर हटाया और उसे कार की पिछली सीट पर धकेलने लगा, मेजर राज इसी बात के इंतजार में था जैसे ही गुंडे ने राफिया की गर्दन से खंजर हटाया मेजर राज ने एक ही छलांग में साथ वाले गुंडे पर हमला कर दिया और चाकू छीन कर उसके सीने पर चला दिया, मेजर ने खंजर इस तरह मारा कि चाकू सीने में घुसने की बजाय मात्र उसकी चमड़ी को छील दे और खून शुरू हो जाए। इस गुंडे के लिए इस हमले की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी खंजर की धार सीने में लगते ही उसने एक चीख मारी और जमीन पर बैठ गया उसकी चीख सुनकर दूसरे गुंडे ने पीछे मुड़ कर देखा जोकि राफिया को कार में धक्का देने के लिए तैयार था, लेकिन जैसे ही उसने पीछे मुड़ कर देखा उसको अपनी जांघ में लोहे का सीरिया घुसता लगा और वह भी अपने पैर पकड़ कर जमीन पर गिर पड़ा , राज ने पहले गुंडे पर वार करते ही उसी से खंजर को गुंडे की जांघ पर दे मारा था जो राफिया को कार में बिठाने की कोशिश कर रहा था, चाकू मारने के साथ ही मेजर राज 2 छलाँगों में गुंडे के करीब पहुंच चुका था और उसने अब राफिया का हाथ पकड़ा और उसे खींचते हुए दूसरी तरफ भागने लगा, लेकिन राफिया जो इस समय डरी हुई और सहमी हुई थी ऊपर से उसने बड़ी एड़ी वाली जूती पहन रखी थी वह भाग नही सकी और वहीं पर गिर गई, इतनी देर में कार से शेष दो गुंडे भी निकल आए और राज की ओर लपके। दोनों के हाथ में चाकू थे। 

राज अबकी बार राफिया के आगे आ गया और राफिया जो जमीन पर गिर गई राज के पीछे छुप गई आगे बढ़ने वाले गुंडे ने राज पर हमला किया जिसको राज ने पीछे की ओर झुक कर खाली जाने दिया, खंजर राज के सीने से कुछ ही इंच दूरी से गुज़रा था, अभी राज इस हमले से बच कर सीधा ही हुआ था कि दूसरे गुंडे ने भी राज पर वार किया लेकिन राज ने हाथ आगे बढ़ा कर उसके वार को अपने हाथ से रोका और अपना हाथ घुमा कर ऐसा झटका दिया कि खंजर उसके हाथ से निकल कर जमीन पर जा गिरा जो राज ने पहली बार में ही नीचे झुक कर उठा लिया और उसी गुंडे की ओर वार करने के लिए लपका मगर पहले वाला गुण्डा जिसका वार खाली गया था राज पर अगला वार कर चुका था, इस गुंडे ने राज के पैर पर वार किया था राज ने फुर्ती के साथ अपनी टांग बचाते हुए एक दूसरी ओर घूमने की कोशिश की, राज इस खतरनाक वार से बच तो गया मगर खंजर की नोक उसकी थाई की एक साइड को हल्का सा चीरती हुई निकल गई जिससे तुरंत मेजर राज को अपने पैर में तेज जलन महसूस होने लगी। 

लेकिन इस अवसर पर पैर की जलन को भूलकर मेजर राज ने फिर से उस गुंडे पर हमला किया और इस बार उसके सीने पर जोरदार किक मारा जिससे उसको अपना सांस रुकता हुआ महसूस होने लगा और वह नीचे झुकने लगा, मेजर ने मौका बर्बाद किए बिना उसकी गर्दन पर अपना विशिष्ट वार किया जिससे एक गुंडा बेहोश होकर जमीन पर गिर गया जबकि दूसरे गुंडे ने मेजर राज की लापरवाही का फायदा उठाकर एक जोरदार लात मेजर की कमर पर मारी जिससे मेजर राज कलाबाज़ी खाता हुआ 3, 4 फीट दूर जा गिरा, इस गुंडे ने अब फिर से राफिया की तरफ बढ़ना शुरू किया जो अब तक जमीन पर डरी हुई बैठी थी मगर राज ने कराटे शैली में एक क़लाबाज़ी लगाई और एक ही पल में गुंडे और राफिया के बीच में आ गया और उसकी गर्दन पर एक करेट चाप रसीद किया जिससे उसका दम घुट गया और वह गर्दन पकड़ कर जमीन पर आ गिरा पहले दो गुंडों में से एक तो अभी तक अपनी टांग को पकड़ कर बैठा था जिसमें मेजर राज का मारा हुआ खंजर अब तक घुसा हुआ था जबकि दूसरे गुंडे ने हिम्मत की और मेजर राज पर हमला किया लेकिन मेजर राज अब पूरी तरह तैयार था और उसने नीचे झुकते हुए गुंडे के घूसे से अपना चेहरा बचाया मगर साथ ही पीछे कलाबाज़ी खाकर अपनी टांग से उस पर वार किया जो उसके जबड़े हिला गया। , मेजर राज ने सीधे होते ही एक जोरदार लात उसकी कमर पर मारी जिससे वह गुंडा भी जमीन पर ढेर हो गया। 

बाकी खड़े लोग महज तमाशा देख रहे थे किसी में आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं थी। अब मेजर राज ने राफिया को देखा जो सहमी हुई आँखों से अपने चारों ओर देख रही थी, मेजर राज ने उसका हाथ पकड़ के उठाया और फिर से भीड़ से दूर भागने लगा मगर इस बार फिर से भागा नहीं गया और वह लड़खड़ाने लगी। राफिया पैर बुरी तरह कांप रही थी। वह बहुत डर गई थी, अब मेजर राज ने उसके कूल्हों के आसपास अपना बाजुओ को फैलाया और उसे अपने कंधे पर उठाकर भीड़ से दूर भागने लगा, भागते भागते उसने राफिया से पूछा आप के पास कार है ??? राफिया ने हांफते हांफते कहा हां है, क्लब के सामने खड़ी है, मेजर राज पहले से ही जानता था कि उसकी गाड़ी क्लब के सामने खड़ी है मगर राफिया को शक न हो इसीलिए उसकी कार के बारे में पूछा मेजर पहले ही क्लब ओर भाग रहा था। 

कार के पास पहुंचकर उसने राफिया को दरवाजा खोले बिना ही फ्रंट सीट पर बिठाया और खुद कूद लगाकर ड्राइविंग सीट पर बैठ गया। अब मेजर ने राफिया से गाड़ी की चाबी मांगी तो उसने इधर उधर देखना शुरू किया, लेकिन उसके पास चाबी नहीं थी, फिर उसने अपने पर्स में देखा तो पर्स में भी नहीं थी मेजर समझ गया कि चाबी कहीं बाहर गिरी है, मेजर ने अपने मन पर जोर दिया तो उसे याद आया वेले से चाबी पकड़ जब राफिया कार की ओर आई थी तो तभी गुंडे ने उसे पकड़ लिया था, और राफिया के हाथ से चाबी नीचे गिर गई थी। मेजर छलांग लगाकर फिर से कार से बाहर निकला और अपने आसपास चाबी ढूंढने लगा आखिरकार मेजर को कार से कुछ ही दूर चाबी मिल गई, मेजर ने तुरंत चाबी को उठाया और कार की तरफ बढ़ा मगर इससे पहले कि वह कार में बैठता उसको ऐसे लगा जैसे उसकी टांग को कोई चीज़ चीरती हुई दूसरी तरफ निकल गई हो। पीछे मौजूद एक गुंडे ने अपना खंजर राज की ओर फेंका था जो सीधा उसकी टांग पर जाकर लगा और 2 इंच के करीब राज के मांस को चीरता हुआ अंदर चला गया। मेजर राज ने मुड़ कर देखा तो वह गुंडा अभी दूर था और यह वही था जिसके पैर में मेजर राज ने चाकू मारा था। मेजर ने तुरंत अपने हाथ से चाकू पकड़ा और एक झटके से खींच कर पैर से निकाल लिया मगर उसका दर्द की तीव्रता से बुरा हाल हो गया। अब मेजर राज अपनी परेशानी को भला कर पुनः लंगड़ाता हुआ कार के पास गया और फिर से कार के दरवाजे से फलाँगता हुआ ड्राइविंग सीट पर बैठ गया। मेजर ने कार स्टार्ट की और गेयर लगाया और तेजी के साथ डांस क्लब से दूर जाने लगा। 


.................................................

इधर कस्बे से उस महिला के बताए हुए रास्ते पर कर्नल इरफ़ान अपने काफिले सहित रवाना हुआ मगर मुल्तान पहुंचने तक न तो उसे मेजर राज मिला और न ही कोई गाड़ी मिली। लेकिन अपनी जीप की हेड लाइट्स की रोशनी में कर्नल इरफ़ान को एक कार के टायरज़ के निशान जरूर मिले कुछ जगहों पर . आगे चलने पर वहां भी कर्नल ने कार के टायर के निशान देखे जिससे उसकी उम्मीद और बढ़ जाती है कि वे सही दिशा में जा रहा है मगर मुल्तान पहुंचने तक भी उसको कोई कार नहीं मिली तो वह सीधा मुल्तान में मौजूद सेना मुख्यालय चला गया। कर्नल लगातार सीआईडी के एसीपी और आईएसआई के उच्च अधिकारियों से संपर्क में था मगर कोई नहीं जानता था कि मेजर राज को आसमान खा गया या जमीन निगल गई। सुबह के समय कर्नल को उस सिपाही की कॉल आई जिसे कर्नल ने अमजद उर्फ सरदार सन्जीत सिंह का पीछा करने के लिए भेजा था। उसने फोन पर अमजद के बारे में बताया कि उस पर शक करना सही नहीं वह काफी देर से उनके बताए हुए पेट्रोल पंप पर खड़ा है लेकिन वहाँ कहीं भी किसी आतंकवादी के आने के आसार दिखाई नहीं देते। 

तब कर्नल ने जवान को कहा कि सरदार जी से कहो अब यहां से जाए और किसी सुरक्षित ठिकाने पर जाकर रहें कहीं फिर से आतंकवादियों के हाथ न लग जाएं। उसके बाद कर्नल ने दूसरी भेजी टीम से संपर्क किया कि शायद कर्नल का विचार गलत हो और मेजर राज मुल्तान की बजाय उधर से चला गया हो, लेकिन वहां भी उसे यही रिपोर्ट मिली हर बस और प्रत्येक वाहन की जांच की गई मगर वांछित व्यक्ति अब तक नहीं मिल सके। कर्नल अब सिर पकड़ कर बैठा था कि आखिर राज को ढूंढे तो ढूँढे कैसे ???

अब यह कर्नल की आन का मुद्दा बन गया था। और वह हर मामले में मेजर राज को पकड़ कर इबरत नाक सजा देना चाहता था। एक पल को कर्नल के मन में यह बात भी आई कि हो सकता है जहां पर उसे राज के उपयोग में मोबाइल मिला था राज उधर से ही बंदरगाह से चला गया हो और राज मार्ग नंबर 6 पर गैस पंप पर जो वीडियो कर्नल ने देखा वह राज न हो, परन्तु उसके मैच का कोई व्यक्ति हो ... मगर फिर कर्नल ने इस विचार को भी झटका दिया क्योंकि सरदार सन्जीत सिंह के पकड़े जाने और उसका यह बताना कि 2 आतंकवादी और 1 लड़की जामनगर बाईपास रोड से कच्चे क्षेत्र से गए थे और फिर वो मूंछों वाला व्यक्ति जो कर्नल ने वीडियो में देखा, कर्नल की आँखें धोखा नहीं खा सकतीं वो वास्तव राज ही था, इस विचार के आते ही कर्नल ने बंदरगाह जाने वाले विचार को मन से निकाल दिया और फिर से सोचने लगा कि आखिर राज कहाँ जा सकता है, कौन से ऐसे क्षेत्र हैं जहां से राज को मदद मिल सकती है और वह कहां शरण ले सकता है ??? 

मगर कर्नल का अपना दिमाग खाली हो रहा था उसके सोचने-समझने की योग्यता समाप्त होती जा रही थीं। कर्नल ने शाम के समय एक बैठक भी बुलाई जिसमें सेना के 2 कर्नल राठौर सिंह और समीर इलियास शामिल थे और उनके साथ आईएसआई की पेशेवर टीम भी थी जो फोन की मदद से किसी भी व्यक्ति को ट्रेस करने में माहिर थीं। मगर उनके लिए भी मेजर राज नाम की समस्या का निवारण असंभव नजर आ रहा था। उन्हें मेजर की अंतिम लोकेशन जामनगर बाईपास ही मिल रही थी जिसका उल्लेख सरदार सन्जीत सिंह ने कर्नल इरफ़ान के सामने किया था। जब कुछ न बन पाया तो आखिरकार सबने यही फैसला किया कि अब फिर से सरदार सन्जीत सिंह की तलाश की जाए ताकि उससे ज़्यादा पूछताछ हो सके और हो सकता है वह मेजर राज के साथ मिला हुआ हो और उसने जान बूझ कर कर्नल को गलत रास्ते से भेज दिया है। जबकि कर्नल इरफ़ान ही इस फैसले के पक्ष में नहीं था क्योंकि उसने अमजद यानी सरदार सन्जीत सिंह की बातों में सच्चाई और विश्वास देखा था और कर्नल इरफ़ान का मानना था कि वह कभी धोखा नहीं खा सकता। इसलिए वह इस फैसले के खिलाफ था, लेकिन बाकी दोनों करनलज़ और आईएसआई के शीर्ष नेतृत्व के दबाव के तहत सरदार सन्जीत सिंह को ढूंढने का फैसला कर लिया गया। 

ये फ़ैसला होने के बाद मीटिंग ख़तम हुई और मुल्तान शहर में सादे कपड़ों में पुलिस, सीआईडी और आईएसआई के लोग सरदार सन्जीत सिंह की खोज में निकल पड़े, कर्नल इरफ़ान ने अपने टैबलेट में मौजूद वीडियो दिखाकर अमजद की तस्वीरें भी निकाल ली थीं और सभी डीपार्टमनटस को भेज दी थी कि अगर इस हुलिए का कोई भी व्यक्ति दिखे तो उसे तुरंत हिरासत में लेकर सेना मुख्यालय पहुंचा दिया जाए। 

कर्नल इरफ़ान पिछले दो दिन से मेजर राज की वजह से अपमानित हो रहा था। पहले तो उसने अपने हाथों से अपने वफादार दाऊद इश्माएल और उसके गिरोह का सफाया कर दिया था और अब मेजर राज को ढूंढने में वह बुरी तरह नाकाम दिख रहा था। अब वह थोड़ा रिलैक्स करना चाहता था। रिलैक्स करने के क्रम में कर्नल अब अपने कार्यालय से निकला और जामनगर में मौजूद आर्मी कॉलोनी पहुंच गया जहां वह एक कैप्टन को जानता था। कैप्टन का नाम साजिद चोपड़ा था जो कुछ समय पहले ही लाहोर में कर्नल इरफ़ान से प्रशिक्षण लेकर आया था और अब उसकी पोस्टिंग मुल्तान में थी जहां वह अपनी पत्नी सबीना के साथ रहता था। कैप्टन की शादी को अब सिर्फ 3 महीने हुए थे और लाहोर से लौटने पर वह कर्नल इरफ़ान को विशेष रूप से अपने यहां आमंत्रित का कह कर आया था। जब कर्नल इरफ़ान ने आराम करने का सोचा तो उसके मन में कैप्टन का दिया हुआ निमंत्रण याद आ गया, कर्नल ने सोचा कि यहाँ रहकर अपना दिमाग खराब करने से बेहतर है उसके घर जाकर थोड़ी देर आराम करूँगा और नहा धोकर ताजा होकर फिर अपने मिशन पर लग जाऊंगा। थकान दूर होगी तो उसका मन पहले की तरह तेजी से काम करना शुरू कर देगा। 

कर्नल ने कैप्टन साजिद के दरवाजे पर दस्तक दी तो दूसरी दस्तक पर कैप्टन ने दरवाजा खोला और कर्नल को अपने सामने पाकर बहुत खुश हुआ और एक जोरदार सलयूट मारा। कर्नल ने खुश्दिलि आगे बढ़ कर केप्टन से हाथ मिलाया और केप्टन उसे सीधा अपने घर ले गया। अंदर लाकर साजिद ने कर्नल को सोफे पर बिठाया और उसका हालचाल पूछने लगा। कर्नल इरफ़ान कमरे में मौजूद बड़े सोफे पर बैठ गया था जबकि साजिद उसके सामने पड़े सोफे पर बैठ गया और बातें करने लगा। कर्नल इरफ़ान ने जब साजिद ने पूछा कि वह कब से मुल्तान में मौजूद हैं तो पहले तो कर्नल अपनी पूरी कहानी बताने लगा लेकिन फिर यह सोचकर चुप हो गया कि एक कैप्टन क्या सोचेगा कि उसका अधिकारी एक भारतीय एजेंट को गिरफ्तार नहीं कर सका। । बल्कि वह कर्नल की कैद से निकल कर भाग भी गया और अभी तक पकड़ा नहीं जा सका।

कर्नल ने जैसे ही यह सोचा उसने त्वरित बात बना दी कि बस मुल्तान में एक आवश्यक बैठक थी, तो बैठक खत्म करके विचार आया। और सोचा कि आप से भी मिल लें और अभी तुम्हारी नई शादी हुई है तो तुम्हें और तुम्हारी पत्नी को शादी का कोई उपहार भी दे दें। कैप्टन साजिद कर्नल की बात सुनकर बहुत खुश हुआ और बोला कि सर सबीना तो अभी नहा रही है जैसे ही वह बाथरूम से निकलती है तो मैं उसको कहता हूं कि कर्नल साहब आए हैं हमारे गरीबखाने में और एक आर्मी ऑफिसर के लिए सबसे बड़ा उपहार तो उसकी पदोन्नति ही होती है। अगर मुझे कैप्टन से मेजर के पद पर प्रमोट कर दें तो आपकी बड़ी कृपा होगी। कर्नल ने कैप्टन की बात सुनी तो सपाट स्वर में बोला तरक्की इतनी आसानी से नहीं होती साजिद, बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं अपने अधिकारियों को खुश करना पड़ता है, मेहनत करनी पड़ती है जिससे अधिकारी की नजरों में अपनी अहमियत बढ़ जाए और फिर टेस्ट पास करना भी जरूरी होता है। कर्नल की बात सुनकर साजिद खिसियानी हंसी हंसने लगा और बोला सर आपको तो पता ही है मेरे प्रदर्शन के बारे में और मैंने टेस्ट भी दे रखा है। अगर आप चाहें तो मुझे इस परीक्षण में पास करवा सकते हैं और मेरी सिफारिश कर मुझे तरक्की भी दिलवा सकते हैं। 
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RE: वतन तेरे हम लाडले - by sexstories - 06-07-2017, 02:25 PM

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