Porn Hindi Kahani वतन तेरे हम लाडले
06-07-2017, 02:23 PM,
#36
RE: वतन तेरे हम लाडले
कर्नल इरफ़ान अमजद को मुल्तान की ओर रवाना करने के बाद खुद इस कच्चे रास्ते पर आगे मौजूद कस्बों की ओर जा रहा था। अपने साथ मौजूद एक कार को मुल्तान की ओर भेज दिया था ताकि वह अमजद "सरदार सन्जीत सिंह" की जासूसी कर सके। जब कि कर्नल इरफ़ान का अमजद पर शक खत्म हो गया था और उसे विश्वास था कि यह मेजर राज के साथ नहीं बल्कि राज ने उसको जबरन अपने साथ रखा, लेकिन फिर भी कर्नल के मन में कहीं न कहीं बेयकीनी की स्थिति भी मौजूद थी। इसीलिए उसने अपने कुछ आदमियों को आदेश दिया कि वह मुल्तान तक अमजद का पीछा करें और देखें कि वे रास्ते में या मुल्तान पहुंचकर किसी ने संपर्क तो नहीं कर रहा है।और अगर उसने किसी से संपर्क किया तो तुरंत पता लगाया जाए कि उसने किन लोगों से संपर्क किया और उन्हें क्या कहा। 

कुछ ही देर के बाद कर्नल इरफ़ान सिंह अपने काफिले के साथ एक छोटे से शहर में मौजूद था। रात का समय था, शहर के लोग दूर से ही वाहनों की रोशनी देखकर उठ गए थे। ऐसे छोटे कस्बों में आमतौर आदमी घर के बाहर ही सोते हैं। इसलिए जैसे ही उनकी आंखों में रोशनी पड़ी उनकी आंख खुल गई और अपराधियों की वजह से उन्होंने तुरंत ही अपने घरों से अपनी बंदूकें निकाल ली थी कि ऐसा न हो कि आने वाला हमारे मवेशी या दूसरा कीमती सामान हथियाने की कोशिश करे . जब वाहन शहर में पहुंच गये तो उन्हें एहसास हुआ कि यह सेना और पुलिस के वाहन हैं। अगर खाली पुलिस वॅन होतीं तो वह पुलिस को तुरंत भगा देते मगर सेना से पंगा लेने की हिम्मत उनमें नहीं थी इसलिए शहर के सरपंच ने सब लोगों को अपनी बंदूकें नीची रखने का कह दिया। 

कर्नल इरफ़ान ने भी दूर से ही अनुमान लगा चुका था कि सामने खड़े लोगों के हाथों में बंदूकें हैं। मगर वह जानता था कि जब उन्हें पता लगेगा कि यह सेना की गाड़ियाँ हैं तो वह कोई गलती नहीं करेंगे। इसलिए कर्नल निडरता से आगे बढ़ता रहा। आबादी से कुछ दूर कर्नल ने वाहन रुकवा दिए और कार से उतर कर उन की ओर बढ़ने लगा। कर्नल के आसपास सशस्त्र सैनिक मौजूद थे जो किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार थे जबकि पुलिस वाले भी पीछे पीछे अपनी बंदूकों का रुख शहर वालों की ओर किए चले आ रहे थे। 

कर्नल इरफ़ान ने उनके पास पहुंचकर उन्हें नमस्कार किया तो उनका सरपंच आगे आकर खड़ा हो गया और अपना परिचय करवाया। कर्नल इरफ़ान ने उन्हें बताया कि आप लोग चिंता ना करें , हमारा यहां आने का उद्देश्य आप लोगों को नुकसान पहुंचाना कदापि नहीं बल्कि हम यहाँ एक आतंकवादी को ढूंढने आए हुए हैं जिसने भारत से हमारी सीमा में प्रवेश किया है और एक बार पकड़े जाने के बावजूद हमारी कैद से भाग निकला।अब उसके साथ एक आतंकवादी और भी है और साथ में एक लड़की भी है। हमारी जानकारी के अनुसार वह जामनगर बाईपास से मुल्तान जाने की बजाय कच्चे रास्ते पर इसी शहर से आए हैं। अगर आपको इनके बारे में कोई जानकारी हो तो उन्हें पकड़ने में मदद करें। आपकी मदद से हम अपने दुश्मनों को पकड़ कर सकते हैं। 

कर्नल की बात समाप्त हुई तो शहर के सरपंच ने कर्नल इरफ़ान को कहा, हम लोग छोटे-मोटे अपराध जरूर करते हैं, लेकिन किसी दुश्मन को शरण देने की सोच भी नहीं सकते। दुश्मन देश का कोई भी व्यक्ति हमारे हत्थे चढ़ जाए तो हम उसको जीवित नही छोड़ेंगे उसको शरण देने या उसकी मदद करने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। कर्नल इरफ़ान ने फिर से कहा कि यह आतंकवादी पैसे का उपयोग कर लोगों को खरीदते हैं। हो सकता है आप में से किसी ने पैसे के लिए उनकी मदद की हो। अगर आपको किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में पता है तो हमें बताइए और अगर आप ने किसी अनजान व्यक्ति और उसके साथ लड़की को देखा हो तो वह भी बताएं। सरपंच ने इस बार कर्नल को ललकारा और गुस्से से बोला कि एक बार कह दिया हम किसी आतंकवादी की मदद करने की सोच भी नहीं सकते। 

हमें पैसे से नहीं खरीदा जा सकता। हम चोर हैं डाकू हैं अपराधी हैं मगर देशद्रोही हरगिज़ नहीं। हम अपने दुश्मन देश से आए किसी भी आतंकवादी की मदद करना पाप समझते हैं। आप बार बार हम पर यह आरोप लगाकर हमारा अपमान कर रहे हो। अब की बार कर्नल इरफ़ान ने सपाट लहजे में कहा सरपंच जी आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं। मगर सरकार हमें इस देश की रक्षा करने की पगार देती है। और जब तक हम अपनी तसल्ली नहीं कर लेते हम यहां से नहीं जाएंगे। हमें इस शहर में मौजूद हर घर की तलाशी लेनी होगी क्या पता किसी ने उसे घर में छुपा कर रखा हो ?? कर्नल की बात सुनकर कस्बे के सरपंच ने बाकी लोगों को देखा और उनसे मुखातिब होकर बोला कर्नल साहब को तलाशी लेने से कभी नहीं रोकेंगे क्योकि यह उनका कर्तव्य है, लेकिन उनकी तलाशी लेने से पहले ही मुझे बतादो अगर किसी ने शरण दी हो किसी आतंकवादी को तो उन्हें अभी कर्नल साहब के हवाले कर दिया जाए। मेरा वादा है कि उसको कुछ नहीं कहा जाएगा। लेकिन अगर तलाशी के दौरान किसी भी घर से आतंकवादी बरामद हुए तो उसकी खैर नहीं फिर।

सभी लोगों ने एक ज़ुबान होकर कहा कि कर्नल को तलाशी लेने दी जाए, हमने किसी को भी शरण नहीं दी। यह सुनकर कर्नल इरफ़ान ने अपने साथियों को इशारा किया और वह 2, 2 की टोलियों में वहाँ घरों में घुसकर तलाशी लेने चले गए जबकि कर्नल इरफ़ान अपने 2 साथियों के साथ बाहर ही मौजूद रहा। करीब आधा घंटा कर्नल के आदमी शहर में मौजूद घरों की तलाशी लेने के बाद विफल लौट आए और बताया कि सर यहाँ कोई मौजूद नहीं है। सरपंच ने गर्व भरी नज़रों से कर्नल देखा जैसे कहना चाह रहा हो कि मैंने पहले ही कहा था हम देशद्रोही हरगिज़ नहीं। 

कर्नल ने सरपंच का धन्यवाद किया और अगले शहर से जाने के इरादे से , अभी वह वापसी के लिए मुड़ा ही था कि एक औरत भागती हुई आई और उसने बताया कि उसके साथ वाले घर में एक लड़का रहता है जिसकी उम्र 18 साल है । उसका पिता शहर से बाहर गया हुआ है और कुछ ही देर पहले मैंने उसे अपनी कार में कहीं जाते हुए देखा है। उसके साथ कार में एक लड़की भी मौजूद थी जिसका रूप में सही से देख नहीं पाई और वह आधे घंटे पहले यहां से निकले हैं। 

कर्नल ने उसकी बात सुन कर फिर से अपने उस अधिकारी को बुलाया जो जामनगर और शहर के बारे में जानकारी रखता था। कर्नल ने उस औरत से कहा कि इस आदमी को रास्ता समझाए कि वे किस ओर गए हैं। तो इसने अपनी सिंधी ज़ुबान में उसे एक रास्ता समझाया जो छोटे गांवों और कस्बों से होता हुआ मुल्तान के पास जाकर निकलता था। इस अधिकारी ने कर्नल को बताया कि ये सभीरास्ते कच्चे है और यहाँ से मेन रोड तक 3 घंटे में यह दूरी तय होती है कि कच्चे रास्ते से 4 घंटे लग जाएंगे। कर्नल इरफ़ान ने तत्काल अपने साथियों को वाहन में बैठने के लिए कहा और सबसे आगे अपनी कार रखते हुए इस अधिकारी को अपने साथ बिठा लिया ताकि वह रास्ता बता सके। कर्नल के काफिले में ट्रक थे जो कच्चे रास्ते पर खासी गति से अपना सफर तय कर सकते थे उसके विपरीत कार के लिए यह यात्रा कठिन थी और कार अधिक गति के साथ नहीं चल सकती। इसलिए कर्नल को विश्वास था कि इन लोगों के मुल्तान पहुंचने से पहले कर्नल इरफ़ान उन तक पहुंच जाएगा।

अमजद धीमी गति के साथ मुल्तान का सफर तय कर रहा था। उसे पता था कि रास्ते में अभी और भी पुलिस नाकों पर उसे रोका जाएगा मगर अब वह संतुष्ट था कि जब कर्नल इरफ़ान उसे नहीं पहचान पाया तो यह आम पुलिसकर्मी सरसरी तौर पर वाहन की चेकिंग के बाद उसको छोड़ देंगे। और हुआ भी यही, अमजद को रास्ते में जहां कहीं भी रोका गया उसने अपना राशन कार्ड निकाल कर दिखाया जिस पर सरदार सन्जीत सिंह का नाम दर्ज था, पुलिस कर्मियों ने अमजद की कार की तलाशी ली और उसको आगे जाने दिया। यह काम हर पुलिस नाके पर हुआ और अमजद बिना परेशान हुए पूरे विश्वास के साथ हर नाके पर अपनी जाँच करवाता रहा। 
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RE: वतन तेरे हम लाडले - by sexstories - 06-07-2017, 02:23 PM

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