RE: वतन तेरे हम लाडले
अमजद के पुराने ठिकाने पर जैसे ही कर्नल इरफ़ान टीम पहुंची उन्होंने सबसे पहले उस घर को घेर लिया और कमांडो कार्रवाई करते हुए पहले अंदर बेहोश करने वाली गैस राउंड फायर किए और फिर दीवारों को फलाँगते हुए अंदर चले गए, बारी बारी दोनों कमरों की ओर फिर किचन की तलाशी लेने पर भी जब उन्हें कोई व्यक्ति न मिला तो उन्होंने कर्नल इरफ़ान को सूचना दी कि वो लोग यहाँ से निकल चुके हैं। कर्नल इरफ़ान जो बाहर मौजूद कारों में ही एक कार में ही मौजूद था वह अब खुद घर के अंदर प्रवेश किया और खुद को सांत्वना देने के लिए एक बार फिर से घर की तलाशी ली मगर वहाँ कोई होता तो मिलता। फिर कर्नल इरफ़ान ने वहां मौजूद कुछ राइफल्स को अपने कब्जे में लिया और अपने जवानों को कहा इन राइफल्स के साथ आधुनिक हथियार भी जोड़ दो और मीडिया को बुलवाकर वीडियो बनवाओ कि ये आधुनिक हथियार आतंकवादियों के ठिकाने से मिले है।
उसके बाद कर्नल इरफ़ान बाहर आ गया और सेटलाइट फोन के माध्यम से त्वरित संपर्क के लिए अपनी आईटी टीम को फोन किया जो पहले ही बेल पर रिसीव हो गया, कर्नल इरफ़ान ने अपनी आईटी टीम को वही मोबाइल नंबर ट्रेस आउट करने को कहा जो कुछ देर पहले समीरा के पास था, कर्नल की टीम ने महज कुछ मिनटों में नंबर ट्रेस कर लिया और कर्नल को बताया कि आपकी लोकेशन से मात्र 5 किमी आगे वो फोन एक कच्चे घर के पास मौजूद है। और नंबर भी ऑनलाइन है। कर्नल ने अपने विशेष टेबलेट पर जीपीएस के माध्यम से मोबाइल नंबर की लोकेशन मंगवाई और अपनी टीम को लेकर आगे चल पड़ा। कुछ ही दूर जाकर इरफ़ान ने जब अपने टैबलेट की स्क्रीन पर देखा तो अब इसमें एक लाल रंग की लाइट ब्लिंक कर रही थी जिसका मतलब था कि कर्नल अब मेजर राज से 2 किलोमीटर ही दूर है। और टेबलेट पर यह दूरी लगातार कम हो रही थी अंततः हरी लाइट जो कर्नल को अपनी लोकेशन बता रही थी और लाल रंग की लाइट जो मेजर राज की लोकेशन होनी चाहिए थी अब एक दूसरे के ऊपर आ गई थीं। यहाँ एक छोटा सा घर था जो मिट्टी की दीवारों से बना था और शायद इसमें एक ही कमरा था,
कर्नल इरफ़ान के आदेश पर सभी गाड़ियों ने इस घर के चारों ओर घेरा डाल लिया और फिर कोमा वाली गैस राउंड फायर किए और कमांडो कार्रवाई के विशेषज्ञ जवानों ने मुखौटा चढ़ाकर कच्चे मकान पर धावा बोल दिया।मात्र 2 मिनट के बाद कमांडो बाहर निकले तो उनके हाथ में ही मोबाइल फोन था। कर्नल को जब कमांडो ने मोबाइल लाकर दिया तो उसने गुस्से से मोबाइल जमीन पर दे मारा। उसका विश्वास था कि अब मेजर राज मिलेगा लेकिन वह यहां भी कर्नल चकमा दे गया था। अब कर्नल इरफ़ान ने अपने काफिले को तेजी के साथ आगे बढ़ने को कहा। अब कर्नल का काफिला कुछ ही आगे बढ़ा था कि उसे एक फोन कॉल आई यह कॉल सीआईडी के एसीपी की थी। उसने कर्नल इरफ़ान को बताया कि कुछ ही देर पहले राज मार्ग नंबर 6 पर एक नीले रंग की मारुति से 2 लोग रिलायंस गैस स्टेशन की दुकान पर खरीदारी करने आए थे जिनमें एक सिख था जबकि दूसरा व्यक्ति बड़ी मूंछों वाला सफेद सलवार कमीज में था।
सिख दुकानदार से बातें करता रहा, जबकि दूसरे व्यक्ति ने वहां से रस के 8 डिब्बे और चिप्स के कुछ पैकेट खरीदे और जाते हुए दुकानदार का मोबाइल चोरी कर लिया। दुकानदार ने उस व्यक्ति के जाने के बाद जब अपना मोबाइल उठाना चाहा तो वह वहां मौजूद नहीं था। दुकान में लगे सीसीटीवी कैमरे की मदद से दुकानदार ने देख लिया कि उसका मोबाइल इसी व्यक्ति ने उठाया है जो कुछ ही देर पहले उसकी दुकान में मौजूद था और फिर पेट्रोल डलवा कर वहां से नीले रंग की मारुति में निकल गए। लेकिन अंधेरा होने के कारण गाड़ी का नंबर वह नोट नहीं कर सका और न ही कोई कैमरा उस जगह मौजूद था, जो कार का नंबर नोट करता है।
यह सूचना मिलते ही कर्नल इरफ़ान ने सीआईडी को आदेश दिया कि वह जामनगर से मुल्तान और लाहोर जाने वाले सभी रास्तों पर अपने लोगों को हाई अलर्ट कर और जहां भी यह सिख और बड़ी मूंछों वाला व्यक्ति दिखे उसको तत्काल गिरफ्तार कर लिया जाए। उसके साथ साथ दुकान वाले के सीसीटीवी कैमरे की फुटेज भी कर्नल इरफ़ान ने माँगा ली और उसका मोबाइल नंबर भी मंगवाया। कर्नल को कुछ ही देर में फुटेज और नंबर प्राप्त हो गए। नंबर कर्नल इरफ़ान ने आईटी टीम को दिया जोकि अब बंद था और ट्रेस नहीं हो पा रहा था, लेकिन उसकी अंतिम लोकेशन अब से कोई 20 मिनट पहले जामनगर बाईपास रोड पर थी जहां एक सड़क लाहोर से जबकि एक सड़क मुल्तान की ओर जाती थी। तीसरी सड़क पाकिस्तान के बड़े शहर इस्लामाबाद की ओर जाती थी मगर वह यहां से बहुत दूर था इसलिये इस बात की संभावना कम थी कि मेजर राज और उसके साथी इस्लामाबाद जाएंगे।
ये निर्देश देकर कर्नल इरफ़ान ने अपने स्मार्ट फोन में प्राप्त वीडियो देखी जिसमें मेजर राज बड़ी-बड़ी मूंछों के साथ मैकअप में था और खरीददारी कर रहा था। जब मेजर राज बिलिंग के लिए अमजद के पास आया तो यहां वह कैमरे के ठीक सामने और बहुत करीब था, कर्नल इरफ़ान ने उसे पहचान लिया कि यह मेजर राज ही है जिसने हुलिया चेंज कर रखा है लेकिन अमजद से वह परिचित नहीं था कि यह व्यक्ति कौन है। अब कर्नल ने अपनी टीम को तुरंत वापसी का आदेश दिया और जामनगर बाईपास रोड की तरफ जाने लगा। कर्नल ने अपनी एक टीम को बाईपास रोड से लाहोर जाने वाले रास्ते से भेज दिया और खुद मुल्तान जाने वाले रास्ते पर चल दिया, जहां से कुछ देर पहले ही मेजर राज और अमजद के साथ अलग बसों में बैठकर मुल्तान की ओर रवाना हुए थे। कर्नल इरफ़ान को पूरा विश्वास था कि अब की बार वह मेजर राज को पकड़ लेगा और वह कर्नल के हाथों से बच नहीं पाएगा।
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समीरा अपनी सीट पर बिल्कुल चुपचाप बैठी थी जबकि राज कर्नल इरफ़ान के बारे में सोच रहा था कि अब उस घर में मेजर राज को न पाकर और मोबाइल तक पहुंच कर जो मेजर ने कार से बाहर फेंका था कर्नल इरफ़ान की अगली रणनीति क्या हो सकती है ?? बस भी धीमी गति से अपनी मंजिल की ओर दौड़ रही थी। मेजर राज संतुष्ट था कि उसके पास अब कुछ समय है मुल्तान जाकर ही अब वह कर्नल इरफ़ान के बारे में सोचेगा।
अब मेजर ने अपना ध्यान चुप बैठी समीरा की ओर किया और उससे पूछा कि वह कब से अमजद और उसकी टीम के साथ काम कर रही है ??? तो समीरा ने बताया कि वह अमजद की मुँह भूली बहन है और बचपन से ही देखा है कि पाकिस्तानी सेना ने किस तरह सिंधी लोगो पर अत्याचार कितने किए। समीरा ने बताया कि उसका संबंध सिंध से है और वहाँ उनका पूरा परिवार पाकिस्तानी आर्मी के अत्याचार की भेंट चढ़ गया। तब से अमजद ने मुजाहिदीन के साथ मिलकर पाकिस्तानी आर्मी के खिलाफ जिहाद शुरू किया और अब पिछले 3 साल से वह पाकिस्तान के विभिन्न क्षेत्रों में पाकिस्तानी सेना को निशाना बनाते हैं और पीड़ित लोगों के अत्याचार का बदला लेते हैं।
मेजर राज ने पूछा कि तुम्हारी उम्र क्या है तो समीरा ने बताया कि वह 20 साल की है और पिछले 10 साल से अमजद के साथ है। पहले वह बच्ची थी तो अमजद के लिए जासूसी का काम करती थी पाकिस्तानी पुलिस के लोग बच्ची समझ कर थाने में भी आने देते थे और अपनी चौकियों तक भी पहुँच देते थे समीरा को, समीरा उनके लिए चाय बनाकर ले जाती और एक चाय का कप 5 रुपये में बेचती। लेकिन उसका मूल उद्देश्य अमजद के लिए जासूसी करना होता था।
राज ने समीरा के सीने पर नज़र डालकर मन ही मन में सोचा कि 20 साल की उम्र में ही समीरा के मम्मे काफी जबरदस्त हैं, लगता है जैसे किसी 28 साल की पकी उम्र वाली महिला के मम्मे हों फिर मेजर राज ने समीरा से पूछा कि वह पढ़ी लिखी है तो समीरा ने बताया कि उमरकोट में वह पांचवीं कक्षा तक पढ़ सकी थी उसके बाद स्कूल छोड़ दिया मगर अमजद के साथियों में कुछ पाकिस्तान से आए हुए पढ़े लिखे लोग थे जो अमजद और उसके साथियों को पढ़ाते थे। उनकी पढ़ाई का उद्देश्य स्कूल कॉलेज की डिग्री नहीं बल्कि अमजद के साथियों को इस योग्य बनाना था कि वह किसी भी उच्च स्तर प्रोफ़ाइल से मिलें तो उसे यह महसूस न हो कि वह किसी अजनबी से बात कर रहा है। और फिर समीरा ने 3 साल पहले पाकिस्तान के एक कॉलेज में एडमिशन लिया था जहां वह अपनी पढ़ाई पूरी कर रही थी। यहां भी समीरा का उद्देश्य डिग्री के बजाय अपने आप को समाज के साथ अप-टू-डेट रखना था, कंप्यूटर शिक्षा और विशेषज्ञता के साथ समीरा को मोबाइल प्रौद्योगिकी का भी शौक था। यह बात सुनकर राज ने कहा वैसे आप को मोबाइल प्रौद्योगिकी का शौक है और इतना नहीं पता कि दुश्मन के इलाके में भारतीयकैदी को छुड़ाने आई हो और साथ अपना मोबाइल भी लाई हो .... यह कहते हुए मेजर राज के चेहरे पर मुस्कान थी, समीरा उसकी बात सुनकर लज्जित हुई और बोली मुझे पता नहीं था कि कर्नल इरफ़ान इतना तेज होगा। मेजर राज ने समीरा को कहा वह कर्नल कोई साधारण सैनिक नहीं, मेजर होकर इस बात को समझ गया तो वह तो मुझसे बहुत अधिक बुद्धिमान और शातिर व्यक्ति है उसके साथ आईएसआई का सक्रिय सदस्य भी है वह। अगर वह चाहे तो इस दुकान वाले मोबाइल से हमारा पता लगा सकता है। ..
इस बात के बाद राज कुछ पल मौन हुआ और फिर तुरंत ही उसके ज़हन में ख़तरे की घंटी बजी। जो बात अब उसने समीरा को कही थी वह पहले वह खुद क्यों नहीं सोची ??? फिर मेजर राज ने अपने ज़हन पर ज़ोर दिया तो उसे याद आया कि दुकान में सुरक्षा कैमरा भी मौजूद थे तो वास्तव में मेजर राज का चेहरा नजर आया होगा। यह सोचते ही मेजर राज ने समीरा पूछा कि बस स्टॉप कहां होगा तो समीरा ने बताया कि बस कुछ ही दूर जाकर एक छोटा सा कस्बा आएगा वहां बस कुछ मिनट के लिए रुकेगी. मेजर ने समीरा से कहा बस फिर स्टॉप पर उतरने के लिए तैयार हो जाओ और जूस के डिब्बे और अन्य खाद्य वस्तुए समीरा को पकड़ा दीं उसके बाद मेजर ने समीरा को कहा कि वह कंडेक्टर से टिकट के पैसे वापस लेने की कोशिश करता है ताकि अगर आगे जाकर बस की तलाशी ली जाए और बस की इनवेसटीगेशन हो तो उसको किसी प्रकार का संदेह नहीं होगा राज और समीरा पर। क्योंकि आम लोग ही किराए के लिए लड़ाई करते हैं जबकि इस तरह के गुप्त एजेंसी के लोग तो पैसा पानी की तरह बहाते हैं। मेजर राज अपनी सीट से उठने ही लगा था कि समीरा ने उसको हाथ से पकड़ कर वापस खींच लिया।
मेजर राज झटके से वापस बैठा तो उसका दायाँ हाथ समीरा के सीने पर लगा और उसे समीरा के नरम नरम मम्मों का स्पर्श महसूस हुआ। समीरा ने भी शायद इस बात को महसूस कर लिया था मगर उसने तुरंत ही इस बात को इग्नोर करते हुए राज को कहा तुम बैठो मैं बात करती हूँ। मेजर ने पूछा क्यों क्या हुआ है ?? तो समीरा ने उससे पूछा, क्या तुम्हें सिंधी बोली आती है ???
मेजर राज ने न में सिर हिलाया तो समीरा ने कहा इसलिए कह रही हूँ मुझे बात करने दो ताकि उसे लगे हम सिंध के ही रहने वाले हैं। इस तरह बिल्कुल भी संदेह नहीं होगा। अब पहली बार मेजर राज ने समीरा को प्रशंसा नज़रों से देखा और समीरा आगे जाकर बस वाले से कहने लगी कि हमें अगले स्टॉप पर उतार दो मेरी तबीयत खराब है मैं यहाँ मौसी के घर रुकूंगी, मगर हमारा टिकट मुल्तान तक का है तो हमें बाकी किराया वापस कर दो।
समीरा यह सब बातें सिंधी में कर रही थी, राज दूर बैठा उसकी बोली को समझने की कोशिश कर रहा था, कुछ बातों का मतलब राज को समझ में आया लेकिन कुछ बातें उसके सिर के ऊपर से गुजर गई। थोड़ी सी तकरार के बाद समीरा आधा कराया वापस लेने में सफल हो गई और इतने में बस स्टॉप भी आ गया। मेजर राज और समीरा बस स्टॉप पर उतर गए। मेजर ने पहले बस स्टॉप पर मौजूद शौचालय का इस्तेमाल किया और अपनी मूंछें उतार ने साथ साथ अपना मुँह भी पानी से अच्छी तरह धोया ताकि मेकअप उतर सके जो सरमद ने किया था। अब राज अपने मूल हुलिए में था और काफी तरोताज़ा लग रहा था। मुंह धोने के बाद राज वापस निकला तो दूसरी ओर जामनगर जाने वाली बस खड़ी थी। मेजर राज समीरा का हाथ पकड़ कर उस बस के पास गया और 2 टिकट जामनगर के लेकर बस में सवार हो गया।
समीरा ने परेशान नज़रों से पूछा कि हमें तो मुल्तान जाना है, मुझे और तुम बस बदलना चाहते हो, परंतु यह वापसी क्यों ??? राज ने समीरा से कहा क्योंकि अगर हमने वापसी की यात्रा ना की तो मुल्तान जाने वाली हर बस की तलाशी होगी और कर्नल इरफ़ान के आदमी मुझे ब आसानी पकड़ लेंगे जबकि जामनगर जाने वाली बसों की तलाशी नहीं होगी क्योंकि कर्नल इरफ़ान के अनुसार हम लोग जामनगर छोड़कर बाहर किसी शहर की ओर जा रहे हैं इसलिये केवल जामनगर से बाहर जाने वाली बसों की तलाशी होगी। इस पर समीरा ने कहा मगर कर्नल इरफ़ान को हमारे बारे में कैसे पता होगा कि हम मुल्तान जा रहे हैं और कार के बजाय बस में हैं ?? मेजर राज ने समीरा को घूरते हुए देखा और बोला क्योंकि वह कर्नल इरफ़ान है, समीरा नहीं। यह कह कर मेजर राज एक सीट पर बैठ गया, और समीरा भी उसके आगे से होती हुई उसके साथ वाली सीट पर बैठ गई। जब समीरा मेजर राज के आगे से गुजरी तो उसकी टाइट पैंट में से समीरा के चूतड़ स्पष्ट नजर आ रहे थे, पेंट टाइट और नितंबों बड़े हों तो वह किसी भी आदमी को दीवाना बना देते हैं। मेजर राज के लिए भी यह एक पल का नज़ारा पागल करने के लिए पर्याप्त था। इससे पहले कि मेजर राज समीरा के चूतड़ों को ध्यानपूर्वक देखता समीरा अपनी सीट पर बैठ चुकी थी और राज दिल ही दिल में समीरा की खूबसूरती का कायल हो गया था।
जामनगर वापस जाते हुए समीरा और अमजद ने देखा कि उनकी बस के पास से वाहनों का एक काफिला तेजी से गुजरा है जो मुल्तान की ओर जा रहा था। यह वही काफिला था जिसने अमजद पुराने ठिकाने पर हमला किया था। कारवां गुज़र गया तो राज ने समीरा को संबोधित करते हुए कहा, देख लो, मैंने कहा था न कि कर्नल इरफ़ान कोई मामूली आदमी नहीं उसकी खोपड़ी में शैतान का मन है। उसे पता लग गया कि हम मुल्तान जा रहे हैं। अब प्रार्थना करो अमजद उनके हाथ न लगे, क्योंकि वह उसी कार में जा रहे हैं जिस कार पता कर्नल इरफ़ान ने लगाया है। यह सुनकर समीरा परेशान हो गई और अमजद और बाकी दोनों की सुरक्षा की दुआएं मांगने लगी।
कोई 30 मिनट के बाद समीरा और राज जामनगर बस स्टेशन पर उतर गए और पैदल ही चलते हुए बस स्टैंड से दूर एक साइड पर जाने लगे जहां कुछ चहल पहल थी। रात का 1 बजने वाला था मगर जामनगर में अब भी चहल पहल थी और बाजार जीवन किसी न किसी हद तक चल रहा था। चलते चलते अचानक मेजर राज ने समीरा से पूछा कि अब हम कहां जाएंगे ??? तो समीरा भी सोच में पड़ गई कि जामनगर में इस ठिकाने के अलावा हमारे पास और कोई ठिकाना नहीं था और हो सकता है वहाँ अब भी जासूस मौजूद हों राज ने कहा कहा कि हां वहां तो हम नहीं जा सकते और कोई जगह ढूँढनी होगी। अब समीरा और राज दोनों ही सोच में गुम थे। मेजर राज ने पहले एक होटल में रहने का सोचा लेकिन फिर यह सोच कर अपना इरादा त्याग दिया कि शायद कर्नल इरफ़ान ने सभी होटल्स में राज की फोटो दे रखी हो और वह जैसे ही होटल में जाए होटल प्रशासन कर्नल इरफ़ान को उसकी सूचना दे दें ।
अब राज यही सोच रहा था कि समीरा बोली यहां से थोड़ी ही दूर एक डांस क्लब है जो सारी रात खुला रहता है। वहाँ जाते हैं। मेजर राज ने समीरा को ध्यान से देखा और बोला तुम्हें पता भी है कि डांस क्लब का माहौल कैसा होता है ??? इस पर समीरा ने कहा कि जासूसी का काम भी करती हूँ, और ऐसे डांस क्लब में अक्सर पाकिस्तानी आर्मी के कुत्ते भी आते हैं महिलाओं के शरीर का मज़ा लेने तो मैं मखतफ डांस क्लब में न केवल जासूसी कर चुकी हूँ बल्कि यहां के एक डांस क्लब में बतौर डांसर भी परफॉर्म कर चुकी हूँ .... मेजर राज ने फटी फटी आँखों से समीरा की तरफ देखा और बोला तुम और डांसर ???? तो समीरा ने कहां हां इसमें ऐसी कौन सी बात है? जासूसी करने के लिए यह सब करना ही पड़ता है। फिर समीरा बोली बल्कि ऐसा करते हैं इसी डांस क्लब में चलते हैं जहां डांसर हूँ, वहाँ का प्रबंधक मुझे जानता भी है, वह हमें बिना शक किए रात बिताने के लिए कमरा भी दे देगा और हमारी रात भी आराम से गुजर जाएगी .. ..
मेजर राज ने समीरा की ओर शरारती नज़रों से देखा और बोला तो तुम्हारा कहने का मतलब है कि तुम और मैं एक ही कमरे में सोएँगे ??? समीरा ने मेजर की बात मानते हुए कहा हां ... और केवल सोएँगे और किसी चीज की उम्मीद नहीं रखना। लेकिन प्रबंधक के सामने आप यही शो करना है कि तुम मेरे प्रेमी हो और हम "प्यार" के उद्देश्य के लिए यहां आए हैं। मेजर राज ने अंजान बनते हुए कहा कौन से उद्देश्य के लिए ?? समीरा ने गुस्से से मेजर को देखा और बोली वैसे तो तुम्हें हर बात समझ आ जाती है कर्नल इरफ़ान क्या करेगा किधर जाएगा यह भी समझ आ जाती है, मेरी बात समझ क्यों नहीं आई तुम्हें ???
समीरा की यह बात सुनकर मेजर खिलखिला कर हंस पड़ा और बोला अच्छा बाबा ठीक हैं गुस्सा क्यों करती हो। चलो चलें। मगर मेरी शर्त है कि आज रात में तुम्हारा डांस देखूंगा। समीरा बोली हां ठीक है वैसे भी हमारे पास पैसे कम हैं प्रबंधक से कुछ पैसे अग्रिम मांगू तो वह दे देगा मगर इसी शर्त पर होगा कि आज रात वहाँ डांस करूं। ...
कुछ ही देर में समीरा और मेजर राज एक लोकल ढाबे के सामने मौजूद थे जहां पान सिगरेट और कोल्डड्रिंक आदि उपलब्ध थीं। समीरा ढाबे वाले के पास गई और उससे पूछा कि सिक्सी आया है आज? ढाबे वाले ने समीरा के बड़े मम्मों की समीक्षा करते हुए कहा हां आया हुआ है। और आज बड़े लोग आए हैं अगर पैसे चाहिए तो आज एक गर्म डांस कर दे। यह सुनकर समीरा राज का हाथ पकड़े ठाबे की एक साइड पर गई जहां कई वाहन खड़े थे और सामने ही एक गेट मौजूद था। हर तरफ अंधेरा था। समीरा ने गेट खोला और सीधे अंदर चली गई, मेजर राज भी उसके पीछे पीछे चला गया। अब उन्हें हल्के हल्के संगीत की आवाज सुनाई दे रही थी। जैसे-जैसे मेजर समीरा के पीछे अंदर जा रहा था संगीत की आवाज तेज होती जा रही थी। फिर समीरा ने एक कमरा खोला और मेजर को अंदर ले गई। अंदर विभिन्न टेबल लगी हुई थी जहां पुरुष और महिलाए कुर्सियों पर बैठे थे। पुरुषों की संख्या अधिक थी महिला 5 से 6 ही थीं। मगर वो शरीर से ही आवारा किस्म की महिला लग रही थीं जो अपने किसी आशिक के पास रात बताने आई हो।
समीरा ने मेजर राज को एक कुर्सी पर बैठने को कहा और बोली प्रबंधक से मिलने जा रही हूँ तुम यहीं रहो और किसी से ज्यादा बात करने की जरूरत नहीं बस चुप कर के सामने मौजूद लड़कियों का डांस देखते रहो।मेजर ने ठीक है कहा और समीरा उसी दरवाजे से वापस चली गई जिस दरवाजे से आई थी। अब मेजर सामने मौजूद मंच की तरफ देखने लगा जहां दो डानसरशीला की जवानी पर बहुत ही सेक्सी डांस कर रही थीं। हाफ डीप नेक ब्लाऊज़ पहने वो डाँसर कभी अपना लक हिलाती तो कभी अपने मम्मे हिला हिला कर सामने बैठे लोगों को सेक्सी लुक दे रही थीं। राज अपनी जगह से उठा और थोड़ा आगे जाकर बैठ गया जहां से वो डांसर्स के शरीर का सही तरह निरीक्षण कर सके। दोनों डांसर का रंग गोरा था और मम्मे कम से कम भी 38 के थे। जब वह आगे झुक कर अपने मम्मे हिलाती तो हॉल में मौजूद सभी पुरुष सीटियाँ बजाते।
मेजर के साथ उसी टेबल पर एक और पुरुष भी बैठा था जिसने काफी पी रखी थी और वह बार बार एक डांसर की ओर फलाईनग किस उछाल रहा था। अब गाना चेंज हो गया था और सलमान खान की फिल्म का मशहूर गाना मुन्नी बदनाम हुई चल रहा था। इस पर भी दोनों डानसरज़ का शरीर थिरकने लगा था। कुछ देर बाद एक डांसर जिसने लाल रंग का ब्लाऊज़ पहन रखा था, लेकिन यह ब्लाऊज़ कम और ब्रा अधिक था जिसमे से उसके 38 आकार के मम्मों का ज्यादातर हिस्सा दिख रहा था अपना बदन हिलाती हुई वो डाँसर मंच से नीचे उतर आई मेजर राज की टेबल पर बैठे एक अन्य व्यक्ति के सामने आकर डांस करने लगी, उसने अपनी पीठ व्यक्ति की ओर की और नितंबों को बाहर निकालकर उन्हें हिलाने लगी, उस व्यक्ति ने डांसर के चूतड़ों पर एक चमाट मारी और अपनी जेब से अपना बटुआ निकालकर उसमें से कुछ पैसे निकाले और डांसर के स्कर्ट में पैसे फंसा दिए।
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