Bahu ki Chudai बहू की चूत ससुर का लौडा
06-26-2017, 12:34 PM,
#48
RE: बहू की चूत ससुर का लौडा
अब सब लोग सोफ़े पर बैठे और डॉली चाय बनाने चली गयी। राज पहले ही समोसे और जलेबियाँ ले आया था। वह उसे सजाने लगी, तभी रश्मि किचन में आयी और डॉली से बोली: बेटी ख़ुश हो ना यहाँ? जय के साथ अच्छा लगता है ना? तुमको ख़ुश तो रखता है?

डॉली: उफ़्फ़ मम्मी आप भी कितने सवाल पूछ रही हो। मैं बहुत ख़ुश हूँ और जय मेरा पूरा ख़याल रखते हैं।

रश्मि: चलो ये बड़ी अच्छी बात है। भगवान तुम दोनों को हमेशा ख़ुश रखे।

डॉली: चलो आप बैठो मैं नाश्ता लेकर आती हूँ।

रश्मि भी उसकी मदद करते हुए नाश्ता और चाय लगाई। सब नाश्ता करते हुए चाय पीने लगे।

रश्मि: जय कब तक आएँगे?

राज: उसको आज जल्दी आने को कहा है आता ही होगा।

डॉली: मम्मी आपका सामान रचना दीदी वाले कमरे में रख देती हूँ। ताऊ जी आपका सामान पापा जी के कमरे में रख दूँ क्या?

राज: अरे बहु तुम क्यों परेशान होती हो, मैं भाभी का समान रख देता हूँ , चलो भाभी आप कमरा देख लो। और हाँ बहु तुम जय को फ़ोन करो और पूछो कब तक आ रहा है।आओ अमित जी आप भी देख लो कमरा।

तीनों रचना वाले कमरे में सामान के साथ चले गए। डॉली जय को फ़ोन करने का सोची। तभी उसे महसूस हुआ कि ये तीनों कमरा देखने के बहाने उस कमरे में क्यों चले गए। शायद मस्ती की शुरुआत करने वाले हैं। मुझे बहाने से अलग किया जा रहा है। ओह तो ये बात है , वह चुपचाप उस कमरे की खिड़की के पास आइ और हल्का सा परदा हटाई और उसकी आँखें फटी की फटी रह गयीं।

सामने मम्मी पापा जी की बाहों में जकड़ी हुई थी और दोनों के होंठ चिपके हुए थे ।पापा जी के हाथ उसकी बड़ी बड़ी गाँड़ पर घूम रहे थे। ताऊ जी भी उनको देखकर मुस्कुरा रहा था और पास ही खड़ा होकर मम्मी की नंगी कमर सहला रहा था। फिर राज रश्मि से अलग हुआ और उसकी साड़ी का पल्ला गिराकर उसकी ब्लाउस से फुली हुई चूचियों को दबाने लगा और उनके आधे नंगे हिस्से को ऊपर से चूमने लगा।
उधर अमित उसके पीछे आकर उसकी गाँड़ सहलाए जा रहा था

डॉली की बुर गरम होने लगी और उसके मुँह से आह निकल गयी। तभी पापा जी ने कहा: अरे क्या मस्त माल हो जान। सच में देखो लौड़ा एकदम से तन गया है।

मम्मी: आज छोड़िए अब मुझे, रात को जी भर के सब कर लीजिएगा। फिर हाथ बढ़ाके वह एक एक हाथ से पापा और ताऊ के लौड़े को पैंट के ऊपर से दबाते हुए बोली: देखो आपकी भी हालत ख़राब हो रही है, और मेरी भी बुर गीली हो रही है।

पापा नीचे बैठ गए घुटनो के बल और बोले: उफफफफ जान, एक बार साड़ी उठाके अपनी बुर के दर्शन तो करा दो। उफफफ मरा जा रहा हूँ उसे देखने के लिए।

डॉली एकदम से हक्की बक्की रह गयी और सोची कि क्या उसकी बेशर्म मॉ उनकी ये इच्छा भी पूरी करेगी। और ये लो मम्मी ने अपनी साड़ी और पेटिकोट उठा दिया। पापा की आँखों के सामने मम्मी की मस्त गदराई जाँघें थी जिसे वो सहलाने लगे थे। और उनके बीच में उभरी हुई बिना बालों की बुर मस्त फूली हुई कचौरी की तरह गीली सी दिख रही थी। पापा ने बिना समय गँवाये अपना मुँह बुर के ऊपर डाल दिया और उसकी पप्पियां लेने लगे। मम्मी की आँखें मज़े से बंद होने लगी। फिर उन्होंने पापा का सिर पकड़ा और ही वहाँ से हटाते हुए बोली: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ बस करिए। डॉली आती होगी।

पापा पीछे हटे और डॉली की आँखों के सामने मम्मी की गीली बुर थी। तभी पापा ने उनको घुमाया और अब मम्मी के बड़े बड़े चूतड़ उसके सामने थे। डॉली भी उनकी सुंदरता की मन ही मन तारीफ़ कर उठी। सच में कितने बड़े और गोल गोल है। पापा ने अब उसके चूतरों को चूमना और काटना शुरू कर दिया। मम्मी की आऽऽहहह निकल गई। फिर पापा ने जो किया उसकी डॉली ने कभी कल्पना नहीं की थी। पापा ने उसकी चूतरों की दरार में अपना मुँह डाला और उसकी गाँड़ को चाटने लगे।उफफगग ये पापा क्या कर रहे हैं ।मम्मी भी हाऽऽऽय्यय कर रही थी। फिर वह आगे बढ़के उससे अपने आप को अलग की और अपनी साड़ी नीचे की और बोली: बस करिए आप नहीं तो मैं अभी के अभी झड़ जाऊँगी। उफफफफ आप भी पागल कर देते हो।

पापा उठे और अपने लौड़े को दबाते हुए बोले: ओह सच में बड़ी स्वाद है तुम्हारी बुर और गाँड़ । वाह मज़ा आ गया।
मम्मी: आप दोनों ऐसे तंबू तानकर कैसे बाहर जाओगे। डॉली क्या सोचेगी। आप दोनों यहाँ रुको और थोड़ा शांत होकर बाहर आना । यह कहते हुए मम्मी ने बड़ी बेशर्मी से अपनी बुर को साड़ी के ऊपर से रगड़ी और बाहर आने लगी। डॉली भी जल्दी से किचन में घुस गयी। उसकी सांसें फूल रही थी और छातियाँ ऊपर नीचे हो रहीं थीं। उसकी बुर गीली हो गयी थी। तभी रश्मि अंदर आइ और डॉली उसे देखकर सोची कि इनको ऐसे देखकर कोई सोच भी नहीं सकता कि ये औरत अभी दो दो मर्दों के सामने अपनी साड़ी उठाए नंगी खड़ी थी और अपनी बुर और गाँड़ चटवा रही थी।

रश्मि: बेटी जय से बात हुई क्या? कब आ रहा है वो? कितने दिन हो गए इसे देखे हुए?

डॉली: हाँ मम्मी अभी आते होंगे। दुकान से निकल पड़े हैं।

तभी जय आ गया और उसने रश्मि के पाँव छुए। तभी राज और अमित कमरे से बाहर आए और ना चाहते हुए भी डॉली की आँख उनके पैंट के ऊपर चली गयी और वहाँ अब तंबू नहीं तना हुआ था। उसे अपने आप पर शर्म आयी कि वह अपने ताऊजी और ससुर के लौड़े को चेक कर रही है कि वो खड़े हैं कि नहीं! छी उसे क्या हो गया है, वह सोची।

फिर सब बातें करने लगे और जय के लिए रश्मि चाय बना कर लाई। जय: मम्मी आप बहुत अच्छी चाय बनाती हो, डॉली को भी सिखा दो ना।

डॉली ग़ुस्सा दिखाकर बोली: अच्छा जी , अब आप ख़ुद ही चाय बनाइएगा अपने लिए।

सब हँसने लगे। राज: जय मुझे तो बहु के हाथ की चाय बहुत पसंद है। वैसे सिर्फ़ चाय ही नहीं मुझे उसका सब कुछ पसंद है। पता नहीं तुमको क्यों पसंद नहीं है।

रश्मि चौक कर राज को देखी और सोचने लगी कि राज ने डॉली के बारे में ऐसा क्यों कहा?

जय: अरे पापा जी, डॉली को मैं ऐसे ही चिढ़ा रहा था।

फिर सब बातें करने लगे और फिर राज ने कहा: चलो डिनर पर चलें?

जय: जी पापा जी चलिए चलते हैं, मैं थोड़ा सा फ़्रेश हो लेता हूँ।

रश्मि: हाँ मैं भी थोड़ा सा फ़्रेश हो आती हूँ।

राज: चलो अमित, हम भी तैयार हो जाते हैं।

इस तरह सब तैयार होने के लिए चले गए।

राज और अमित सबसे पहले तैयार होकर सोफ़े पर बैठ कर इंतज़ार करने लगे। तभी रश्मि आयी ।उसके हाथ में एक पैकेट था। और एक बार फिर से दोनों मर्दों का बुरा हाल हो गया। वह अब टॉप और पजामा पहनी थी। उफफफ उसकी बड़ी चूचियाँ आधी टॉप से बाहर थीं। उसने एक चुनरी सी ओढ़ी हुई थी ताकि चूचियाँ जब चाहे छुपा भी सके। वह मुस्कुराकर अपनी चूचियाँ हिलायी और एक रँडी की तरह मटककर पीछे घूमकर अपनी गाँड़ का भी जलवा सबको दिखाया। सच में टाइट पजामे में कसे उसके चूतड़ मस्त दिख रहे थे अब वह हँसकर अपनी चुन्नी को अपनी छाती पर रख कर अपनी क्लिवेज को छुपा लिया।

राज: क्या माल हो जान।वैसे इस पैकेट में क्या है?

रश्मि: मेरी बेटी के लिए एक ड्रेस है। उसे देना है।

फिर वह डॉली को आवाज़ दी: अरे बेटी आओ ना बाहर । अभी तक तुम और जय बाहर नहीं आए।

जय बाहर आया और बोला: मम्मी जी मैं आ गया। आपकी बेटी अभी भी तैयार हो रही है।

रश्मि: मैं जाकर उसकी मदद करती हूँ । यह कहकर वह डॉली के कमरे में चली गयी। वहाँ डॉली अभी बाथरूम से बाहर आयी और मम्मी को देखकर बोली: आप तैयार हो गयी ? इस पैकेट में क्या है?

रश्मि: तेरे लिए एक ड्रेस है। चाहे तो अभी पहन ले। रश्मि ने अब अपनी चुनरी निकाल दी थी।

डॉली उसके दूध देख कर बोली: मम्मी आपकी ये ड्रेस कितनी बोल्ड है। आपको अजीब नहीं लगता ऐसा ड्रेस पहनने में ?

रश्मि: अरे क्या बुड्ढी जैसे बात करती हो ? थोड़ा मॉडर्न बनो बेटी। देखो ये ड्रेस देखो जो मैं लाई हूँ।

डॉली ने ड्रेस देखी और बोली: उफफफ मम्मी ये ड्रेस मैं कैसे पहनूँगी? पापा और ताऊ जी के सामने? पूरी पीठ नंगी दिखेगी और छातियाँ भी आपकी जैसी आधी दिखेंगी। ओह ये स्कर्ट कितनी छोटी है। पूरी मेरी जाँघें दिखेंगी। मैं इसे नहीं पहनूँगी।

रश्मि: चल जैसी तेरी मर्ज़ी। तुझे जो पहनना है पहन ले, पर जल्दी कर सब इंतज़ार कर रहे हैं।

डॉली ने अपने कपड़े निकाले। उसने अपना ब्लाउस निकाला और दूसरा ब्लाउस पहनना शुरू किया। रश्मि उसकी चूचियाँ ब्रा में देखकर बोली: बड़े हो गए हैं तेरे दूध। ३८ की ब्रा होगी ना? लगता दामाद जी ज़्यादा ही चूसते हैं। यह कहकर वह हँसने लगी ।

डॉली : छी मम्मी क्या बोले जा रही हो। वैसे हाँ ३८ के हो गए हैं। फिर उसने अपनी साड़ी उतारी और एक पैंटी निकाली और पहनने लगी पेटिकोट के अंदर से।
रश्मि: अरे तूने पुशशी पैंटी तो निकाली नहीं? क्या घर में पैंटी नहीं पहनती?

डॉली शर्म से लाल होकर: मम्मी आप भी पैंटी तक पहुँच गयी हो। कुछ तो बातें मेरी पर्सनल रहने दो।

रश्मि: अरे मैंने तो अब जाकर पैंटी पहनना बंद किया है, तूने अभी से बंद कर दिया? वाह बड़ा हॉट है हमारा दामाद जो तुमको पैंटी भी पहनने नहीं देता।

डॉली: मामी आप बाहर जाओ वरना मुझे और देर जो जाएगी। रश्मि बाहर चली गयी। साड़ी पहनते हुए वो सोची कि उसने पैंटी पहनना पापाजी के कहने पर छोड़ा या जय के कहने पर? वह मुस्कुरा उठी शायद दोनो के कहने पर।

तैयार होकर वो बाहर आयी। साड़ी ब्लाउस में बहुत शालीन सी लग रही थी। रश्मि ने भी अभी चुनरी लपेट रखी थी।

राज: तो चलें अब डिनर के लिए। सब उठ खड़े हुए और बाहर आए।

जय: पापा जी मैं कार चलाऊँ?

राज: ठीक है । अमित आप आगे बैठोगे या मैं बैठूँ?

अमित: मैं बैठ जाता हूँ आगे। आप पीछे बैठो ।

अब राज ने रश्मि को अंदर जाने को बोला। रश्मि अंदर जाकर बीच में बैठ गयी। डॉली दूसरी तरफ़ से आकर बैठी और राज रश्मि के साथ बैठ गया। तीनों पीछे थोड़ा सा फँसकर ही बैठे थे। रश्मि का बदन पूरा राज के बदन से सटा हुआ था। राज गरमाने लगा। जगह की कमी के कारण उसने अपना हाथ रश्मि के कंधे के पीछे सीट की पीठ पर रखा और फिर हाथ को उसके कंधे पर ही रख दिया और उसकी बाँह सहलाने लगा। उसका हाथ साथ बैठी डॉली की बाँह से भी छू रहा था। डॉली ने देखा तो वह समझ गयी कि अभी ही खेल शुरू हो जाएगा। रात के ८ बजे थे ,कार में तो अँधेरा ही था। तभी राज ने रश्मि की बाँह सहलाते हुए उसकी चुन्नी में हाथ डाला और उसकी एक चूचि पकड़ ली और हल्के से दबाने लगा। डॉली हैरान होकर उसकी ये हरकत देखी और उसने रश्मि को राज की जाँघ में चुटकी काटकर आँख से मना करने का इशारा करते भी देखी। पर वो कहाँ मानने वाला था। अब उसने डॉली की बाँह में हल्की सी चुटकी काटी और फिर से उसे दिखाकर उसकी मम्मी की चूचि दबाने लगा और उसने डॉली को आँख भी मार दी।

डॉली परेशान होकर खिड़की से बाहर देखने लगी। अब राज ने थोड़ी देर बाद रश्मि का हाथ लेकर अपने लौड़े पर रखा और रश्मि उसे दबाने लगी। फिर वह अपना हाथ रश्मि की चूचि से हटा कर डॉली की बाँह सहलाने लगा। डॉली चौंक कर पलटी और उसकी आँख रश्मि के हाथ पर पड़ी जो कि राज के पैंट के ज़िपर पर थी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मम्मी भी ना,कितनी गरमी है इनमे अभी भी। तभी राज का हाथ उसकी चूचि पर आ गया। वह धीरे से उसको घूरी और उसका हाथ हटाते हुए बोली: पापा जी जगह कम पड़ रही है तो मैं टैक्सी में आ जाती हूँ।

रश्मि ने झट से अपना हाथ हटा लिया।

जय: क्या हुआ? आप लोग आराम से नहीं हो क्या?

राज: अरे नहीं बेटा, सब ठीक है। मैं ज़रा हाथ फैलाकर बैठा तो बहु को लगा कि मैं आराम से नहीं बैठा हूँ। सब ठीक है तुम गाड़ी चलाओ। वो डॉली को आँख मारते हुए बोला।

फिर थोड़ी देर बाद उसने रश्मि का हाथ अपने लौड़े पर रख दिया जिसे वो दबाने लगी। और वह रश्मि की दोनों चूचि बारी बारी से दबाने लगा। डॉली ने देखा और फिर खिड़की से बाहर देखने लगी। उसने सोचा कि जब वो दोनों इसमें मज़ा ले रहे हैं तो वो भला इसमें क्या कर सकती है।

थोड़ी देर में वो एक शानदार रेस्तराँ में पहुँचे। जय और अमित बाहर आए और डॉली और रश्मि भी बाहर आ गए। राज अपनी पैंट को अजस्ट किया कि क्योंकि उसकी पैंट का तंबू ज़रा ज़्यादा ही उभरा हुआ दिख रहा था। वो भी वहाँ हाथ रखकर बाहर आया। ख़ैर डिनर टेबल तक पहुँचते हुए उसका लौड़ा थोड़ा शांत हो गया था।

टेबल गोल थी। राज के बग़ल में रश्मि बैठी और उसकी बग़ल में अमित बैठा। उसकी बग़ल में जय और फिर डॉली बैठी। डॉली के बग़ल में एक कुर्सी ख़ाली थी।
राज: अमित थोड़ा सा ड्रिंक चलेगा?

अमित: यार परिवार के साथ अटपटा लगता है।

राज: अरे इसने अटपटा की क्या बात है? सब अपने ही तो हैं। बोलो रश्मि, अगर हम पिएँ तो तुमको कोई आपत्ती है क्या?

रश्मि: मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। जय से पूछ लीजिए।

जय: पापा जी लीजिए ना जो लेना है। और उसने वेटर को आवाज़ दी।

राज ने उसे दो पेग व्हिस्की लाने को कहा। फिर उसके जाने के बाद अमित बोला: जय अभी तक लेनी शुरू नहीं की क्या?

जय: ताऊ जी कॉलेज में एक दो बार लिया था। पर आप लोगों के सामने हिचक होती है।

राज: अरे बेटा अब तुम जवान हो गए हो। इसमें हिचकना कैसा? चलो तुम्हारे लिए भी मँगाते हैं। पर बेटा, इसको कभी भी आदत नहीं बनाना। कभी कभी ऐसे अवसरों पर चलता है।

फिर वह रश्मि से बोला: भाभी आप भी वाइन ट्राई करो ना। आजकल बहुत आम बात है लेडीज़ का वाइन पीना।

अमित: हाँ रश्मि ले लो ना वाइन। यह तो सभी औरतें आजकल लेती हैं। बोलो मँगाए क्या?

रश्मि हँसकर : मैंने तो आज तक कभी ली नहीं है। मेरे दामाद जी बोलेंगे तो लूँगी नहीं तो नहीं लूँगी।

जय हँसकर: मम्मी जी आप भी ट्राई करिए ना।फिर डॉली से बोला: डॉली तुम भी लो ना थोड़ी सी वाइन।

डॉली: ना बाबा , मुझे नहीं लेना है। मम्मी को लेना है तो ले लें।

राज ने वाइन भी मँगा ली। डॉली के लिए कोक मँगाया।

अब सबने चियर्स किया और पीने लगे। रश्मि: ये तो बहुत स्वाद है। डॉली तू भी एक सिप ले के देख।

डॉली ने थोड़ी देर विरोध किया पर जब जय भी बोला: अरे क्या हर्ज है एक सिप तो ले लो। तो वो मना नहीं कर पाई और मम्मी की वाइन के ग्लास से एक सिप ली।

रश्मि: कैसी लगी?
डॉली: अच्छी है मम्मी। स्वाद तो ठीक है।

फिर क्या था उसी समय राज ने डॉली के लिए भी एक वाइन का ग्लास मँगा लिया। अब सब पीने लगे। क्योंकि रश्मि और डॉली पहली बार पी रहे थे जल्दी ही उनको नशा सा चढ़ने लगा। सभी जोक्स सुनाने लगे और ख़ूब मस्ती करने लगे। जल्दी ही पीने का दूसरा दौर भी चालू हुआ। डॉली ने मना कर दिया कि और नहीं पियूँगी। पर राज ने उसके लिए भी मँगा लिया।

दूसरे दौर में तो जय को भी चढ़ गयी। अब वो भी बहकने लगा। डॉली ने अपना दूसरा ग्लास नहीं छुआ। बाक़ी सब पीने लगे। अब अडल्ट्स जोक्स भी चालू हो गए और सब मज़े से थोड़ी अश्लील बातें भी करने लगे। डॉली हैरान रह गयी जब जय ने भी एक अश्लील जोक सुनाया।

रश्मि भी अब बहकने लगी थी। राज उसे बार बार छू रहा था और वह भी उसको छू रही थी। जय भी डॉली को छू रहा था। डॉली को बड़ा अजीब लग रहा था। वह बार बार उसकी जाँघ दबा देता था।

तभी खाना लग गया। सब खाना खाने लगे। राज ने रश्मि को एक और वाइन पिला दी जो कि डॉली ने भी पी थी। खाना खाते हुए अचानक राज अपने फ़ोन पर कुछ करने लगा और फिर डॉली के फ़ोन में कोई sms आया । वह चेक की तो पापाजी का ही मेसिज था: बहु, चम्मच गिरा दो और उसे उठाने के बहाने टेबल के नीचे देखो ।

डॉली ने राज को देखा तो उसने आँख मार कर नीचे झुकने का इशारा किया। डॉली ने उत्सुकतावश नीचे चम्मच गिराया और उसको उठाने के बहाने से टेबल के नीचे देखी और एकदम से सन्न रह गयी। उसने देखा कि पापा जी की पैंट से उनका लौड़ा बाहर था और मम्मी की मुट्ठी में फ़ंसा हुआ था। अमित ताऊजी का हाथ मम्मी की जाँघ पर था और वह काफ़ी ऊपर तक क़रीब बुर के पास तक अपने हाथ को ले जाकर मम्मी को मस्त कर रहे थे।
मम्मी अपने अंगूठे से मोटे सुपाडे के छेद में अँगूठा फेर रही थी और लौड़े को बड़े प्यार से मूठिया रही थी। छेद के ऊपर एक दो प्रीकम भी चमक रहा था। अचानक मम्मी ने प्रीकम को अंगूठे में लिया और वहाँ से हाथ हटाइ।
उफफफफ क्या हो गया है इन तीनों को? डॉली सीधी हुई और राज ने फिर से आँख मारी। तभी डॉली ने देखा कि रश्मि राज को दिखाकर अपना अँगूठा चूसी और प्रीकम चाट ली। डॉली बहुत हैरान थी मम्मी के व्यवहार पर। फिर उसने रश्मि की चूचियों की ओर इशारा किया जो कि उसके टॉप से आधी नंगी दिख रही थी क्योंकि नशे के सुरूर में उसकी चुन्नी गले में थी। फिर उसने एक sms किया और डॉली ने पढ़ा। लिखा था: जय को देखो , उसकी आँखें अपनी सासु मा की चूचियों पर बार बार जा रही हैं।

डॉली चौंकी और कनख़ियों से जय को देखी और सच में वह बार बार मम्मी की आधी नंगी चूचियों को देखे जा रहा था। उसे बड़ा बुरा लगा। पर वह कुछ बोल नहीं पायी एकदम से। फिर धीरे से वह उसे बोली: क्या कर रहे हो? मम्मी को क्यों घूर रहे हो? छी शर्म नहीं आती।

जय झेंपकर: कुछ भी बोल रही हो? मैं कहाँ घूर रहा हूँ।

डॉली ने टेबल के नीचे से हाथ बढ़ाकर उसके लौड़े को चेक किया तो वो पूरा खड़ा था। वो फुसफुसाई : ये क्या है? आप मेरी मम्मी को गंदी नज़र से देख रहे हो और ये आपका खड़ा हथियार इस बात का सबूत है।

जय: अरे नहीं जान ये तो बस ऐसे ही खड़ा हो गया है। आज रात को मज़ा करने का सोच कर।

डॉली: झूठ मत बोलो चलो घर आज तो आपसे मैं बात ही नहीं करूँगी ।
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RE: बहू की चूत ससुर का लौडा - by sexstories - 06-26-2017, 12:34 PM

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