Bahu ki Chudai बहू की चूत ससुर का लौडा
06-26-2017, 12:33 PM,
#45
RE: बहू की चूत ससुर का लौडा
राज ने रचना को फ़ोन किया और बोला: थैंक्स बेटी, तुमने बहुत साथ दिया। अब वो ज़रूर कुछ सोचेगी मेरी शादी को रोकने के लिए।

रचना: अच्छा पापा मेरे को तो बताओ कि क्या आप सच में आप शादी करोगे ?

राज: अरे नहीं बेटी, इस उम्र में में कैसे शादी कर सकता हूँ। किसी लड़की की ज़िन्दगी नहीं खराब करूँगा।

रचना: फिर ठीक है, ये आप डॉली को पटाने के लिए कर रहे हो। है ना?

राज: बिलकुल बेटी यही सच है। अब तुम मेरे पास होती तो हम मज़े कर लेते। पर तुम तो जॉन से मज़े कर रही हूँ। यहाँ मैं अपना डंडा दबा दबा कर परेशान हो रहा हूँ। क्या बताऊँ तुम्हें कि ये डॉली इतनी ग़दरा गयी है कि इसको देखकर ही मेरा लौड़ा खड़ा हो जाता है। साली की गाँड़ मस्त मोटी हो गयी है। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या बताऊँ तुम्हें।

रचना हँसती हुई बोली: बस बस पापा बस करिए। समझ में आ गया कि आपकी बहू मस्त माल हो गयी है। और अब बहुत जल्दी ही वो आपके आग़ोश में होगी। चलिए रखती हूँ। बाई ।

राज का लौड़ा रचना से बात करते हुए खड़ा हो गया था। इसने उसको दबाया और लम्बी साँस ली और सोचा कि चलो कल देखते हैं क्या होता है।

जय घर आया तो उदास डॉली को देखकर पूछा: क्या हुआ जान , उदास दिख रही हो ।

डॉली: अरे कुछ नहीं, बस थोड़ी सुस्ती लग रही थी। चलो आप फ़्रेश हो मैं खाना लगती हूँ।

जय: अरे पहले तुम्हें तो खा लूँ फिर खाना खाऊँगा। यह कहते हुए उसने डॉली को बिस्तर पर गिरा दिया और उसके ऊपर आकर उसके गाल और होंठ चूसने लगा।

डॉली उसको धक्का दी और बोली: चलो अभी छोड़ो और खाना खाते हैं।
जय थोड़ा हैरानी से : क्या हुआ जान? सब ठीक है ना?

डॉली: सब ठीक है, अभी मूड नहीं है।

जय उसे छोड़कर बिस्तर से उठा और बोला: अच्छा आज भी बात हुई पापा जी से पैसे के बारे में?

डॉली झल्ला कर बोली: नहीं हुई और आप भी मत करना । कोई ज़रूरत नहीं है।

जय उसको पकड़कर बोला: बताओ ना क्या बात हुई है? तुम्हारा मूड इतना ख़राब मैंने कभी नहीं देखा।

डॉली: कुछ नहीं हुआ है बस सर दर्द कर रहा है। इसलिए आराम करना चाहती हूँ।

फिर वह किचन में चली गयी। खाना लगाते हुए उसे अपने व्यवहार पर काफ़ी बुरा लगा और वह वापस अपने कमरे में आयी और जय से लिपट गयी और बोली: रात को कर लेना । मना नहीं करूँगी और ये कहते हुए उसने लोअर के ऊपर से उसका लौड़ा दबा दिया। जय भी मस्ती में आकर उसकी कमर सहलाने लगा। फिर उसका हाथ उसके चूतरों पर आ गया और उसकी साड़ी के ऊपर से उसकी पैंटी पर हाथ फिराकर बोला: जान, घर में पैंटी मत पहना करो। बाहर जाओ तो पहन लिया करो। ऐसे हाथ फिरा रहा हूँ तो पैंटी के कारण तुम्हारे चूतरों का मज़ा भी नहीं मिल पा रहा है।

डॉली: आपका बस चले तो मुझे नंगी ही रखोगे क्या पता?

जय उसके चूतरों के ऊपर से पैंटी को टटोलते हुए बोला: देखो ये पैंटी मेरे हाथ को तुम्हारी मस्तानी गाँड़ को महसूस ही करने नहीं दे रहा है।

डॉली हँसकर बोली: अच्छा नहीं पहनूँगी पैंटी बस । चलो अब खाना खा लो।

वो दोनों बाहर आए और जय ने राज को आवाज़ दी और सब खाना खाए। राज ने कुछ भी ऐसा शो नहीं किया जैसे कि कोई बात है। डॉली सोचने लगी कि कितना बड़ा नाटककार है ये पापा जी , ऐसे बर्ताव कर रहे है जैसे कुछ हुआ ही नहीं। कल शादी करने के लिए लड़की देखने जा रहे हैं और बेटे को इसकी भनक भी नहीं लगने दे रहे हैं और मेरे पीछे भी पड़े हैं कि मैं अपनी जवानी इनको सौंप दूँ। उफफफफ क्या करूँ।

खाना खाते हुए बाप बेटा व्यापार की बातें करते रहे। फिर वो अपने अपने कमरे में चले गए।

रात को जय ने डॉली की दो बार चुदाई की और फिर वो सो गए।

अगले दिन जय के जाने के बाद कमला किचन में आयी और डॉली को बोली: बड़े साहब कहीं बाहर जा रहें हैं क्या?

डॉली : क्यों क्या हुआ?

कमला: वो साहब सूटकेस पैक कर रहे हैं ना इसलिए पूछी।

डॉली बहुत परेशान हो गयी । उफफफफ पापा जी को भी चैन नहीं है । लगता है आज जा रहें हैं लड़की देखने। वह सोची कि क्या करूँ कैसे रोकूँ उनको।

तभी राज ने चाय माँगी। डॉली बोली: अभी लाती हूँ।

कमला अपना काम कर चली गयी। डॉली चाय लेकर सोफ़े पर बैठे राज को दी।

राज चाय पीते हुए बोला: बहु आज मैं गाँव जा रहा हूँ। रात तक वापस आ जाऊँगा।

डॉली: मैं जय को क्या बोलूँ?

राज: जो तुम्हें सही लगे बोल देना। वैसे भी उसे बताना तो होगा ही कि उसकी नयी माँ आने वाली है।

डॉली रुआंसी होकर बोली: जानते हैं उनको कितना बुरा लगेगा। पता नहीं वो टूट ना जाए।

राज: मैं क्या कर सकता हूँ अगर तुम मेरी बात मान जाओ तो मुझे ये सब कुछ नहीं करना पड़ेगा।

डॉली: पापा जी आप समझते क्यों नहीं कि मैं जय से आपके बेटे से बहुत प्यार करती हूँ और उनको धोका कैसे दे सकती हूँ।

राज: वही रट लगा रखी हो । कहा ना हम दोनों की बनकर रहो। पता नहीं क्यों तुम्हें समझ नहीं आ रहा है। तुम मुझे मजबूर कर रही हो कि मैं शादी करूँ और इस घर का बँटवारा करूँ।

डॉली रोने लगी और बोली: पापा जी क्यों मेरी ज़िंदगी तबाह करने पर तुले हैं। मैं बरबाद हो जाऊँगी।

राज: रोने से इस समस्या का हल नहीं होगा बहु। तुमको फ़ैसला करना ही होगा।

यह कहकर वह उठा और अपने कमरे में चला गया। वह दरवाज़ा खुला छोड़कर अपना सूट्केस पैक करने लगा। डॉली सोफ़े पर बैठी हुई राज को पैकिंग करते हुए देख रही थी और उसका कलेजा मुँह को आ रहा था । उसे लगा कि ये पापाजी सूट्केस नहीं बल्कि इस घर की ख़ुशियाँ पैक करके बाहर ले जा रहे हैं। तभी उसने फ़ैसला लिया कि ये नहीं हो सकता और वह ये नहीं होने देगी चाहे इसके लिए उसे कितना बड़ा भी त्याग ना करना पड़े।

वह उठी और राज के कमरे में पहुँची और बोली: ठीक है पापाजी मुझे आपकी शर्त मंज़ूर है , आप गाँव नहीं जाएँगे।

राज बहुत ख़ुश हो कर बोला: सच में बहु! अगर तुम मान गयी हो तो मुझे क्या ज़रूरत है जाने की।

यह कहकर वह आगे बढ़ा और डॉली को अपनी बाहों में जकड़ लिया। डॉली ने छूटने का कोई प्रयास नहीं किया और ना ही कोई उत्साह दिखाया। राज उसके गाल चूमा पर डॉली को जैसे कोई फ़र्क़ ही नहीं पड़ा। वह बुत की तरह खड़ी रही।
राज थोड़ा परेशान होकर बोला: क्या हुआ बहु ? क्या बात है?

डॉली: पापा जी , आपको मैं अपना शरीर दे दी हूँ। आप जो चाहे कर लीजिए मेरे साथ। पर मेरा दिल आपको अभी भी अपना नहीं मान रहा है। जय ने मेरे तन और मन दोनों जीता है। पर आपको मेरा सिर्फ़ तन ही मिलेगा, मन नहीं। उसने राज को देखते हुए कहा।

राज उसे छोड़ कर बोला: बहु , मैंने आजतक किसी भी लड़की से कभी भी ज़बरदस्ती नहीं की। मैंने कई लड़कियों से मज़ा लिया है पर कभी भी उनकी मर्ज़ी के बिना नहीं किया। और सुन लो तुमसे भी कोई ज़बरदस्ती नहीं करूँगा।

डॉली: मैंने तो आपको अपना बदन सौंप ही दिया है जो करना है कर लीजिए मेरे साथ। ज़बरदस्ती का सवाल ही नहीं है। यह कहते हुए उसने अपनी साड़ी का पल्लू गिरा दिया। उसकी ब्लाउस में भरी हुई बड़ी बड़ी छातियाँ राज के सामने थी। वो बोली: पापा जी, जो करना है कर लीजिए। आप साड़ी उतारेंगे या मैं ही उतार दूँ।
राज ने देखा कि उसका चेहरा बिलकुल ही भावहीन था। वह सकते में आ गया इस लड़की के व्यवहार से । वह चुपचाप खड़ा रहा , फिर वह पास आकर उसकी साड़ी का पल्लू उठाकर वापस उसके कंधे पर रखा। फिर बोला: बहु ,मुझे लाश से प्यार नहीं करना है। अब मैं भी पहले तुम्हारा मन जीतूँगा और फिर तन से मज़े लूँगा। बोलो मेरा चैलेंज स्वीकार है ?

डॉली: मतलब आप मेरा पहले मन जीतेंगे और फिर मेरे साथ यह सब करेंगे?
राज: बिलकुल सही कहा तुमने।
डॉली: फिर आप गाँव जाएँगे क्या?
राज: गाँव जा कर क्या करूँगा। अब तो तुमको जीतना है और तुम्हारा मन भी जीतना है। वो गाँव जाकर नहीं होगा बल्कि यहाँ रहकर ही होगा।
यह कहकर वो हँसने लगा। डॉली को भी अजीब सी फ़ीलिंग हो रही थी। अब राज डॉली के पास आकर उसको अपनी बाँह में लेकर उसके गाल को चूमा और बोला: बहुत जल्दी तुम्हारा मन भी जीतूँगा और ये भी । यह कहते हुए उसने साड़ी के ऊपर से उसकी बुर को दबा दिया और फिर उसको छोड़कर हँसते हुए कमरे से बाहर निकल गया। डॉली उसकी इस हरकत से भौंचक्की रह गयी।
वह भी चुप चाप अपने कमरे में चली गयी । परिस्थितियाँ इतनी जल्दी से बदली थीं कि वह भी हैरान थी।
राज अपने कमरे में आकर सूट्केस का सामान निकाला और मन ही मन ख़ुश होकर सोचा कि आज एक जीत तो हो गयी है।डॉली ने उसके सामने सरेंडर तो कर ही दिया है। उसको पता था कि उसका मर्दाना चार्म इस बला की मादक लड़की को जल्दी ही उसकी गोद में ले आएगा। उसने थोड़ी देर सोचा फिर एक sms किया रश्मि को याने डॉली की मॉ को। उसने उसे आधे घंटे के बाद फ़ोन करने को कहा और उसे अमित के साथ आने का और रात रुकने का न्योता भी दिया। उसने यह भी कहा कि इस sms का ज़िक्र वो अमित से भी ना करे।
उधर डॉली ससुर की हरकत से अभी भी सकते में थी। कितनी बेशर्मी से उसने उसकी साड़ी में ऊपर से उसकी बुर को दबा दिया था। वह बहुत शर्मिंदा थी कि जिस चीज़ पर सिर्फ़ उसके पति का हक़ है उसे कैसे वह इस तरह से दबा सकता है। उसकी आँखें शर्मिंदगी से गीली हो गयीं। वह बाथरूम गयी और मुँह धोकर बाहर आयी।
वह सोफ़े पर बैठ कर टी वी देख रही थी तभी राज अपनी योजना के अनुसार बाहर आया और उसके साथ उसी सोफ़े पर बैठा और डॉली को एक लिफ़ाफ़ा दिया और बोला: लो बहु , इसको संभाल लो।
डॉली: पापा जी ये क्या है?
राज: ये दो लाख रुपए का चेक है, जो तुमने माँगे थे ,जय के बिज़नेस के लिए। अब क्योंकि शादी कैन्सल हो गयी है तो पैसे बच गए ना फ़ालतू ख़र्चे से । इसलिए तुमको दे दिए।
डॉली बहुत ही हल्का महसूस की क्योंकि इसको लेकर जय बहुत तनाव में था। अब ज़रूर वह ख़ुश होगा।वह बोली: थैंक्स पापा जी। इनको पा कर जय को बहुत ख़ुशी होगी।
राज हँसकर: तुम्हें सिर्फ़ जय की ख़ुशी की चिंता है, कुछ ख़ुशी मुझे भी तो दो।
डॉली: आपको क्या ख़ुशी चाहिए।
राज ने उसका हाथ पकड़ा और उसको चूमते हुए बोला: मुझे तो बस एक चुम्बन ही दे दो। यह कहके वह साइड में झुका और उसका एक गाल चूम लिया।
डॉली एक पल के लिए हड़बड़ा गयी। तभी राज के फ़ोन की घंटी बजी। फ़ोन अमित ने किया था। वह मन ही मन मुस्कुराया क्योंकि ये फ़ोन उसकी योजना के अनुसार ही आया था। वह मोबाइल डॉली को दिखाकर बोला: तुम्हारे ताऊजी का फ़ोन है।
डॉली थोड़ी परेशान होकर बोली: ओह, भगवान करे वहाँ सब ठीक हो। ताऊजी ने आपको क्यों फ़ोन किया है?
राज फ़ोन को स्पीकर मोड में रखा और बोला: लो तुम भी सुन लो , जो भी बात होगी।
डॉली ध्यान से सुनने लगी।
अमित:नमस्कार भाई साब कैसे हैं ?
राज: सब बढ़िया है आप सुनाओ।
अमित: अरे भाई साब , मैंने फ़ोन स्पीकर मोड में रखा है और साथ ही रश्मि भी है।
रश्मि: नमस्ते भाई साब , आप कैसे हैं?
राज ने डॉली को आँख मारी और चुप रहने का इशारा किया और बोला: अरे जान, आज बहुत दिन बाद हमारी याद आइ। हम तो धन्य हो गए।
रश्मि: हमारी शशी बेटी कैसी है? ख़ुश तो है ना?
राज डॉली को आँख मारते हुए: अरे बहुत ख़ुश है और बहुत मस्त हो गयी है। उसका बदन मस्त ग़दरा गया है। देखते ही बनती है।
रश्मि: छी अपनी बहू के बारे में कुछ भी बोलते हो। कहीं उस पर भी बुरी नज़र तो नहीं डाल रहे हो?
डॉली अपनी माँ की इस बात से बुरी तरह से चौकी। पर राज को मानो कुछ फ़र्क़ ही नहीं पड़ा और वह बोला: अरे नहीं नहीं, वो तो मेरी प्यारी बेटी है। उसपर कैसे बुरी नज़र डालूँगा। ये कहते हुए उसने डॉली की एक जाँघ दबा दी।
डॉली ने उसका हाथ वहाँ से हटा दिया।
अमित: अच्छा हम दोनों कल आपके घर आने का प्रोग्राम बना रहे हैं। रश्मि का बहुत मन है डॉली से मिलने का।
राज: सिर्फ़ उसी से मिलने का? और मुझसे मिलने का मन नहीं है?
रश्मि: अरे आपसे भी मिलने का मन है। असल में मैं अमित जी से बोली हूँ कि हम कल शाम को आएँगे और बेटी और दामाद से मिल लेंगे, फिर रात में रुक जाते हैं। आप कोई ना कोई जुगाड़ तो बना ही लोगे रात में मज़ा करने का। ठीक बोली ना मैं?
डॉली का चेहरा सफ़ेद पड़ गया और वह वहाँ से जाने के लिए उठने लगी। पर राज ने उसके हाथ को पकड़कर उसे ज़बरदस्ती वहाँ बिठा दिया और उसके हाथ को पकड़े ही रखा।
राज: अरे क्यों नहीं मेरी जान, रात को तो चुदाई का मस्त जुगाड़ हो जाएगा। जय और बहु भी रात को १० बजे अपने कमरे में जाकर चुदाई में लग जाते हैं। हम तीनों भी मस्त चुदाई करेंगे रात भर।
रश्मि: छी अपने बेटे और बहु के बारे में ऐसी बात क्यों कर रहे हो। क्या उनको देखते रहते हो कि वो कमरे में क्या कर रहे हैं।
राज: अरे जवान जोड़ा अपने कमरे में और क्या करेगा। ये कहते हुए वह डॉली को देखा और हंस दिया। अभी भी वो उसकी बाँह पकड़ा हुआ था और उसे सहला रहा था। डॉली भी चुपचाप मजबूरी में अपनी माँ , ताऊजी और राज की बातें सुन रही थी। पर उसे एक अजीब सी उत्तेजना होने लगी थी और उसके निपल्ज़ कड़े हो गए थे ब्रा के अंदर।
अमित: चलो फिर पक्का हुआ ना कल शाम को हम आ रहे हैं।
राज: पक्का हुआ और मेरी जान कल कुछ सेक्सी पहनना ।
रश्मि: अरे मैं बेटी और दामाद के घर सेक्सी कपड़े पहन कर आऊँगी क्या?
राज: अरे उनके सामने तो साड़ी ही पहन कर आना, पर रात को एक मस्त सेक्सी नायटी में अपना मस्त बदन दिखाना। और हाँ घर से पैंटी पहन कर मत आना।
अमित: अरे भाई , अब इसने पैंटी पहनना बंद कर दिया है। मैंने आपकी इच्छा के मुताबिक़ इसकी पैंटी छुड़वा दी है। हा हा।
डॉली सोचने लगी कि कितना खुलके ये सब गंदी बातें कर रहे है और अचानक ही उसे अपनी बुर गीली होती हुई महसूस हुई। उसे अपने आप पर खीज हुई कि वो इन बातों से गरम कैसे हो रही है!! छि ।
रश्मि: और अब ये जब चाहे साड़ी उठाकर सीधे टार्गट तक पहुँच जाते हैं। कहते हुए वह हँसने लगी और दोनों मर्द भी हंस पड़े।
अमित: फिर भाई साब फ़ोन रखूँ?
राज: अरे यार इतनी जल्दी क्या है, इतने दिनों बाद तो फ़ोन किया है। आप दोनों लास्ट कब चुदाई किए?
रश्मि: अरे भाई साब , आजकल तो इनको रोज़ चाहिए। कल भी किए थे। आपने इनको बिगाड़ दिया है।
राज: हा हा अरे इसमें अमित की कोई ग़लती नहीं है। तुम हो ही इतनी क़ातिल चीज़ जो देखकर ही लौड़ा हिलने लगता है। मेरा भी खड़ा हो गया है, तुमसे बात करके ही।
यह कहते हुए राज ने हद कर दी। उसने अपनी लूँगी एक साइड में की और चड्डी तो वो पहनता ही नहीं है घर में, इसलिए उसका लम्बा मोटा साँवला सा लौड़ा बाहर आ गया और वो उसे बेशर्मी से सहलाने लगा। डॉली को बहुत ज़बरदस्त शॉक लगा और वह भौंचाक्की सी उसके लौड़े को देखती रह गयी। उसका साइज़ भी जय जैसा ही था और सुपाड़ा जय से भी ज़्यादा ही बहुत मोटा था। राज ने उसको अपने लौड़े को एकटक देखते हुए पाया और फ़ोन के स्पीकर पर हाथ रख के बोला: बहु पसंद आया हमारा? जय का भी ऐसा ही होगा। हमारा बेटा जो है। सही कहा ना?
डॉली की तो जैसे साँस ही रुक गयी। पर उसकी बुर अब पानी छोड़ने लगी।
तभी रश्मि बोली: क्या हुआ भाई साब हिला रहे हैं क्या? जो अपनी आवाज़ आनी बंद हो गयी। और रश्मि और अमित के हँसने की आवाज़ आने लगी।
डॉली के कान में माँ की अश्लील बातें गूँज रही थी।और आँखों के सामने ससुर का नंगा लौड़ा था जिसे वो हिला रहे थे। उसकी तो जैसे बोलती ही बंद हो गयी थी।
राज अपना लौड़ा हिलाते हुए बोला: अरे हिलाते हुए भी तो बात कर सकता हूँ। मेरे मुँह में कौन से तुम्हारी चूचि घुसी हुई है जो बात नहीं कर पाउँगा। हा हा ।
रश्मि: कल आऊँगी तो कल वो भी आपके मुँह में घुसेड़ दूँगी।फिर देखती हूँ आपकी बोलती कैसे बन्द नहीं होती।
राज: सच जान, बहुत दिन हो गए तुम्हारी चूचि चूसे हुए। कल तो रात भर चूसूँगा।
रश्मि हँसते हुए: रात को मुँह में लेकर सो जाईएगा।
डॉली की हालत अब ख़राब होने लगी थी।उसकी माँ ने इतनी अश्लील बातें करके उसे दुखी कर दिया था।
अमित: कल रात तो मैं भी मुँह में लेकर सो गया था। हा हा ।
रश्मि: अरे तो क्या हुआ, मेरे पास दो दो हैं, एक एक आप दोनों मुँह में लेकर सो जाईएगा।
डॉली अपनी माँ की इतनी अश्लील बातों से एकदम सन्न रह गयी थी और ऊपर से पापा जी अपना लौड़ा हिलाए जा रहे थे। राज ये सोचकर कि वो बहु की माँ से अश्लील बातें कर रहा है और बहु उसे सुन भी रही है और उसके लौड़े को भी देख रही है , वह बहुत उत्तेजित हो गया। फिर अचानक वह आऽऽऽऽहहह कहकर झड़ने लगा। उसका पानी दूर तक ज़मीन में गिरे जा रहा था और वह ह्म्म्म्म्म्म आऽऽऽऽह कहकर मज़े से डॉली को देख रहा था, जिसकी आँखें उसके लौड़े और उसमें से गिर रहे सफ़ेद गाढ़े वीर्य पर थीं।
राज ने फ़ोन पर हाँफते हुए कहा: आऽऽऽह मैं झड़ गया। अच्छा अब रखता हूँ।
रश्मि की भी हाऽऽय्यय की आवाज़ें आ रही थीं। वह बोली: ठीक है ये भी गरम हो गए हैं, मेरी साड़ी उठाकर अपना डालने जा रहे हैं। आऽऽऽऽऽह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ । रखती हूँ बाअअअअअअअइइइइ ।
डॉली समझ गयी कि ताऊजी ने माँ को चोदना शुरू कर दिया है। अब तक राज भी अपनी पीठ टिकाकर सोफ़े पर झड़ा हुआ बैठा था। उसका लम्बा मोटा लौड़ा अभी भी आधा खड़ा हुआ था। अब उसने उसका हाथ छोड़ दिया था। डॉली उठी और उसने महसूस किया कि उसके पैर काँप रहे हैं। वह ज़मीन पर गिरे हुए वीर्य से अपने पैरों को बचाते हुए अपने कमरे में पहुँची और बिस्तर पर गिर गयी। उसकी बुर पूरी गीली हो चुकी थी। उसने साड़ी और पेटिकोट उठाया और पैंटी में दो उँगलियाँ डालकर अपनी बुर को रगड़ने लगी। बुर के दाने को भी वो मसल देती थी ।बार बार उसकी आँखों के सामने पापा का लौड़ा आ जाता था। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कितने बड़े बॉल्ज़ थे पापा के। आऽऽह्ह्ह्ह्ह ।और क़रीब १० मिनट में वो बहुत ज़ोर से ऊँगली चलाते हुए झड़ने लगी।
थोड़ी देर बाद वह फ़्रेश होकर बाहर आइ और देखा कि राज वहाँ नहीं है। वह भी अपने कमरे में जा चुका था। उसकी नज़र ज़मीन पर पड़े हुए सूखे हुए वीर्य पर पड़ी। वह नहीं चाहती थी की नौकशशी उसे देखे , इसलिए वो एक पोछा लायी और ज़मीन पर बैठकर उसे साफ़ करने लगी। अचानक पता नहीं उसके मन में क्या आया कि उसने एक धब्बे को अपनी एक ऊँगली से पोंछा और उसे नाक के पास लाकर सूँघने लगी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मस्त मादक ख़ुशबू थी। उसकी बुर फिर से गीली होने लगी। तभी उसे ख़याल आया कि वह ये क्या कर रही है, वो अपने आप से शर्मिंदा होने लगी और सफ़ाई करके अच्छी तरह से हाथ धोकर वापस खाना लगाने लगी। फिर उसने राज को आवाज़ लगाई: पापा जी खाना लगा दिया है। आ जाइए।
राज के कमरे का दरवाज़ा खुला और वह बाहर आया।
राज और डॉली चुपचाप खाना खा रहे थे। राज ने ख़ामोशी तोड़ी और बोला: तुमने देखा कि आदमी और औरत के बीच में सेक्स का रिश्ता ही सबसे बड़ा रिश्ता है। तुम्हारी मॉ मेरी समधन है पर उससे बड़ा रिश्ता है हमारे बीच सेक्स के रिश्ते का। वैसे ही तुम्हारे ताऊ जी रश्मि के जेठ हैं पर उनके बीच भी चुदाई का ही रिश्ता सबसे बड़ा है। इसी तरह हम दोनों में भी ससुर बहु का रिश्ता है पर मैं चाहता हूँ की हमारे बीच भी मर्द और औरत का यानी चुदाई का रिश्ता भी हो जाए। बस इतनी सी बात है बहु शशी।

डॉली: पापा जी, मैं नहीं जानती कि सच क्या है और क्या ग़लत , पर सच में मम्मी ने मुझे बहुत ठेस पहुँचाई है। मैंने कभी भी नहीं सोचा था कि वह इस तरह का व्यवहार या बातें कर सकती हैं। और ताऊजी भी ऐसे कर सकते हैं।

राज: बहु , जैसे जैसे उम्र बढ़ती है, वैसे वैसे सेक्स की इच्छा भी बढ़ती है। यही हाल हम तीनों का है। अब कल हम दोनों तुम्हारी मम्मी को बहुत मज़ा देंगे। और वह भी हमें बहुत मज़ा देगी। इसी का नाम जीवन है बहु शशी। अब वह सोफ़े पर आकर बैठ गया। डॉली टेबल से बर्तन हटा रही थी। जैसे ही वह उसके सामने से गुज़री , राज ने उसके हाथ को पकड़ा और बोला: जानती हो तुम्हारा सबसे सेक्सी अंग क्या है?
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RE: बहू की चूत ससुर का लौडा - by sexstories - 06-26-2017, 12:33 PM

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