RE: बहू की चूत ससुर का लौडा
राज ने उसके हाथ से फ़ोन लिया और जय को पूरी बात बताई। वह उसको कहानी बताते हुए अपनी बहु के गाल और हाथ और गरदन सहला रहा था। अब उसका लौड़ा पूरा खड़ा हो चुका था। अचानक डॉली को अपनी गाँड़ में उसके लौड़ा चुभते हुए महसूस किया। वह चौकी और एकदम से खड़ी हुई और उसके गोद से उठकर वह बोली: पापा मैं बाथरूम से मुँह धोकर आती हूँ।
जय: पापा मैं अभी आता हूँ ! ये कहकर वह फ़ोन काट दिया।
उसके जाने के बाद राज उन लमहों के बारे में सोचता रहा जब वह उसकी गोद में बैठी थी। फिर अपना लौड़ा दबाकर अपने कमरे में चला गया।
इधर डॉली सोच रही थी कि आज पापा के कारण वह भारी मुसीबत से बच गयी। पापा कितने अच्छें है और कितने तगड़े हैं दो दो गुंडों से अकेले ही निपट लिए। जब वो रो रही थी तब भी कितने प्यार से उसे सहारा दिए। कैसे उसका हौंसला बढ़ाते रहे। वह पापा के लिए प्यार और आदर के भाव से भर उठी। पर तभी उसको याद आया कि उनका लौड़ा उसकी गाँड़ में कैसे चुभने लगा था? इसका मतलब तो ये हुआ कि वो उसको वासना की दृष्टि से भी देखते हैं।
फिर वह सोचने लगी कि शायद उसने जो शशी को काम से निकाल दिया था वो ग़लत हो गया । वो पापा की भूक़ शांत तो कर देती थी जो अब नहीं हो पा रही है। इसलिए शायद पापा उसके स्पर्श से गरम हो जाते होंगे। वो उलझने लगी कि इस समस्या का आख़िर हल क्या होगा? हे भगवान मुझे रास्ता दिखाइए ।
तभी फिर से घंटी बजी और वह फिर से डर गयी। वो बाहर आयी तो देखा कि पापा दरवाज़ा खोलने के पहले पूछे : कौन है?
जय की आवाज़ आइ: पापा मैं हूँ।
जैसे ही जय अंदर आया , डॉली उससे दौड़ कर लिपट गयी। राज के सामने वह पहली बार ऐसा कर रही थी। जय उससे प्यार करने लगा। वह फिर से रो पड़ी।
जय: पापा आज तो हम लोग लुट जाते। आप तो सूपरमैन निकले।
अब सब हँसने लगे।
जय और डॉली कमरे में चले गए। जय ने उसे अपनी गोद में बिठा लिया और प्यार करने लगा।
जय: उन लोगों ने तुमसे कोई बदमत्तिजी तो नहीं की?
डॉली: बहुत कमीने थे उन्होंने मेरी छाती बहुत ज़ोर से दबाई अभी तक दुःख रही है।
जय: ओह दिखाओ , कुछ क्रीम लगा देता हूँ। ये कहकर उसने ब्लाउस खोला और फिर ब्रा का स्ट्रैप भी निकाला और अब डॉली के बड़े दूध उसकी आँखों के सामने थे और उनके लाल लाल निशान थे उँगलियों के। वह निशान पर हाथ फेरकर बोला: ओह कमीनों ने बड़ी बेरहमी से मसला है। फिर वह पास से एक कोल्ड क्रीम की डिब्बी से क्रीम निकालकर उसकी छातियों में मलने लगा। उसकी मालिश से डॉली के बदन में तरंगें उठने लगीं और वह मस्ती से भरने लगी। अब जय का लौड़ा भी उसके नरम चूचियों के स्पर्श से खड़ा होने लगा। और जल्द ही डॉली की गाँड़ में चुभने लगा।
डॉली सिहर उठी और सोची कि यही हाल पापा जी का भी था कुछ देर पहले। बाप बेटा दोनों ही बहुत हॉर्नी मर्द हैं। अब वह भी गरम हो चुकी थी सो बोली: आऽऽऽऽहहह जी चूसिए ना इनको।बहुत मन कर रहा है चूसवाने को। जय ख़ुश होकर उसकी चूचियाँ चूसने लगा और अब डॉली की आऽऽऽह निकलने लगी।
उधर राज की हालत ख़राब थी , उसके विचारों से उसकी गोद में बैठी बहू के बदन का अहसास निकल ही नहीं रहा था और उसका लौड़ा अभी भी अकड़ा हुआ था। अब वह किचन में पानी पीने गया और उसे डॉली की आहें सुनाई दी धीरे से। वह रुका और दरवाज़े के पास आकर सुनने की कोशिश किया कि क्या डॉली अभी भी रो रही है?
पर जल्दी ही डॉली की सिसकियों की आवाज़ से वह समझ गया कि ये तो मस्ती की सिसकियाँ है। वह अब थोड़ा उत्तेजित हो गया और धीरे से खिड़की के पास आकर आधी खुली खिड़की से पर्दा हटाया । कमरे में काफ़ी रोशनी थी क्योंकि अभी दोपहर के २ बजे थे।
कमरे का दृश्य उसे एकदम से पागल कर दिया। जय बिस्तर पर लेता था और उसकी प्यारी सीधी साधी बहू पूरी नंगी उस के लौड़े पर बैठी थी और ऊपर नीचे होकर चुदाई में मस्त थी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या दृश्य था। उसकी बड़ी बड़ी चूचियाँ बुरी तरह से हिल रही थीं जिसे जय दबाकर चूस रहा था। उसकी मोटी गाँड़ भी मस्त लग रही थी जो बुरी तरह से ऊपर नीचे हो रही थी और डॉली की आऽऽऽह और उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽ हाऽऽऽऽयय्यय जीइइइइइइ बड़ा मज़ाआऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽ रहाऽऽऽऽऽऽ है। उन्न्न्न्न्न्न्न्न की आवाज़ें राज को अपनी लूँगी खोलने को मज़बूर कर दिया और वह अपना लौड़ा मूठियाने लगा।
जय भी ह्म्म्म्म्म्म कहकर नीचे से धक्का मार रहा था। जल्दी ही दोनों ह्म्म्म्म्म्म्म उन्न्न्न्न्न्न करके झड़ने लगे और इधर राज ने भी अपना पानी अपनी लूँगी में छोड़ दिया। वो सोचने लगा कि साली बहू कितनी सीधी दिखती है पर चुदवाती किसी रँडी को तरह है। आऽऽऽऽऽह क्या मज़ा आएगा इसे चोदने में। वह वहाँ से अपने कमरे में आकर बहू के सपने में खो गया।
उधर डॉली उठी और बाथरूम से आकर कपड़े पहनी और बोली: चलो तैयार हो जाओ मैं खाना लगाती हूँ । आज देर हो गयी है। पापा जी क्या सोचेंगे।
वह खाना लगाकर राज को आवाज़ दी: पापा जी आ जायीये खाना लग गया है।
फिर तीनों ने खाना खाया और जय दुकान वापस चला गया। राज और डॉली अपने अपने कमरे में आराम करने लगे।
अगले कुछ दिन राज बहुत बेचैन सा रहा। उसकी आँखों के सामने बहु का मादक नग्न बदन जो कि जय के ऊपर उछल रहा था, बार बार आ जाता था और उसको अंदर तक पागल कर देता था। घर में भी उसकी निगाहें डॉली की जवानी को घूरती रहती थी। कभी उसे उसकी मस्त चूचियों का उभार घायल कर जाता था तो कभी उसके गोरे पेट और गहरी नाभि का दर्शन और उसके पिछवाड़े का आकर्षण तो जैसे उसे दीवाना ही बना चुका था।
वह अपनी परेशानी मिटाने के लिए बाज़ार गया। उसके एक दोस्त की पास ही में गिफ़्ट शॉप थी। उसका दोस्त सतीश उसे बड़े तपाक से मिला: दोनों पुशशी बातें करने लगे। फिर बातें करते हुए राज के अकेलेपन पर बात आ गयी।
सतीश: यार तू दूसरी शादी कर ले। अभी तो तू हट्टा कट्टा है। किसी भी लौंडिया को मज़े से संतुष्ट कर सकता है।
राज: यार अभी तो जय की शादी की है। अब अपनी भी शादी करता हूँ तो क्या अच्छा लगेगा? नहीं यार ये नहीं हो सकता।
सतीश: सब हो सकता है। यह कहकर वह एक फ़ोन मिलाया और बोला: पंडित जी नमस्कार। कैसे हैं। अच्छा एक मेरा दोस्त है क़रीब ४५ साल का है उसकी बीवी का निधन हो गया है। दो शादीशुदा बच्चें भी हैं । उसके लिए कोई लड़की चाहिए। हो पाएगा? मैं आपको स्पीकर मोड में डाला हूँ ताकि मेरा दोस्त भी सुन सके।
राज धीरे से बोला: अबे मैं ५४ का हूँ।
सतीश ने आँख मारी : अबे सब चलता है।
पंडित: हाँ हाँ क्यों नहीं हो पाएगा। यहाँ तो बहुत ग़रीब लड़कियाँ है हमारे गाँव में , कितनी उम्र की चाहिए?
सतीश: अरे बस यही कोई २२/२५ की और क्या? अब शादी करेगा और इतना ख़र्चा करेगा तो भाई को मज़ा भी तो मिलना चाहिए ना?
पंडित खी खी कर हँसा और बोला: आप ठीक कहते हो। मैं आज से ही इस काम में जुट जाता हूँ और आपको ३/४ दिन में बताऊँगा। बस मेरा ख़याल रखिएगा।
सतीश: मैं तुम्हारा नम्बर राज को दे रहा हूँ । अब आगे की बात आप दोनों आपस में ही करना। आपको भी राज का नम्बर भेज रहा हूँ। चलो रखता हूँ।
राज: अबे, मेरी शादी ज़बरदस्ती करा देगा क्या? यार मैं ये नहीं कर सकता इस उम्र में। अच्छा चल छोड़ ये सब, अब चलता हूँ।
उधर डॉली भी बड़ी ऊहापोह में थी कि पापा जी का घूरना बढ़ता ही जा रहा था और लूँगी में अपना लौड़ा सहलाना भी बड़ी बेशर्मी से जारी था। वह अभी भी फ़ैसला नहीं कर पा रही थी कि इसका ज़िक्र वो माँ से करे या जय से करे? या फिर रचना दीदी से बात करे?
तभी राज घर आया और सोफ़े पर बैठी डॉली से पानी माँगा। उसकी आँखें अब उसके जवान और भरे हुए बदन पर थीं और वह फिर से उत्तेजित होने लगा आज उसने साड़ी पहनी थी। उफफफफ क्या माल थी उसकी बहू । वह अपने पैंट को दबाया। पानी पीकर वह अपने कमरे में गया और आज बहुत गम्भीरता से डॉली को पाने के बारे में सोचने लगा। तभी उसके फ़ोन की घंटी बजी और वो चौंक गया क्योंकि रचना का फ़ोन था। वह सोचा कि इस वक़्त तो वहाँ रात होगी। इस वक़्त कैसे फ़ोन आया होगा।
राज: हेलो बेटी कैसी हो?
रचना: पापा मैं बहुत अच्छीं हूँ। आप लोग सब ठीक हो?
राज: हाँ बेटी यहाँ भी सब ठीक है। तुम्हारी प्रेग्नन्सी का क्या हुआ? तुमने तो बताया ही नहीं।
रचना: बधाई हो पापा , आप बहुत जल्दी पापा और नाना दोनों बनने वाले हैं। अब मुझे पता नहीं कि बच्चा आपका है या सूबेदार अंकल का। यह कहकर वह हँसने लगी।
राज ख़ुश होकर: बहुत बधाई बेटी तुमको। क्या फ़र्क़ पड़ता है पापा कोई भी हो, मा तो तुम ही होगी ना? इतने दिनो बाद क्यों बता रही हो?
रचना: पापा मैं पक्का कर ली हूँ और अब तो मैं ३ महीने से परेगननट हूँ। तभी बताने का सोची। राजीवभी बहुत ख़ुश है ।
राज: ला उसे भी फ़ोन दे दे बधाई दे दूँ। आख़िर पापा तो वही कहलाएगा, भले वो पापा हो चाहे ना हो।
रचना: पापा वो टूर पर गए हैं तभी तो फ़ोन कर रही हूँ।
राज: ओह तो अकेली है मेरी तरह। ज़रा वीडीयो काल में आना। मुझे तुम्हें देखे कितने महीने हो गए। मैं फ़ेस टाइम भेज रहा हूँ।
रचना: ठीक है पापा भेजिए रिक्वेस्ट । जल्दी ही दोनों विडीओ कॉल में कनेक्ट हो गए।
राज: बेटी बहुत प्यारी लग रही हो। गाल और भर गए हैं।
रचना हँसकर : पापा गाल ही नहीं सब कुछ भर गए हैं।
राज: अच्छा और क्या क्या भर गया है, ज़रा दिखाओ ना।
रचना हँसकर: देखिए। अब वो अपना पेट दिखाई जहाँ थोड़ा सा साइज़ बढ़ा हुआ लगा। फिर वह अपनी छाती दिखाई और बोली: पापा ये भी अब ४० के हो गए हैं। वो एक नायटी पहनी थी।
राज के लौड़े ने लूँगी में झटका मारा। और वह उसे दबाने लगा और बोला: बेटी सच इतने बड़े हो गए? ज़रा दिखा दो ना मुझे भी।
रचना हँसती हुई बोली: पापा आप मेरे साथ सेक्स चैट करोगे क्या? शायद ही कोई बाप बेटी ऐसा किए होंगे अब तक?
राज: प्लीज़ दिखाओ ना? देखो मेरे अब खड़ा हो गया है। यह कह कर उसने अपना लौड़ा लूँगी से बाहर निकाला और उसको केमरे से दिखाने लगा। रचना पूरे फ़ोन पर उसके खड़े लौड़े का विडीओ देखकर गरम हो गयी और अब अपनी नायटी उतार दी। अब वह सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थी।
राज: आऽऽऽऽऽह बेटी, क्या मस्त माल हो तुम। सच ब्रा में से भी तुम्हारी चूचियाँ कितनी बड़ी दिख रही हैं। आऽऽऽऽहहह वह मूठ्ठ मारते हुए बोला: अब ब्रा भी निकाल दो मेरी प्यारी बच्ची। आऽऽऽऽह्ह्ह्ह्ह।
रचना ने ही मुस्कुरा कर अपनी ब्रा निकाल दी और उसकी बड़ी चूचियाँ देखकर वह मस्ती से लौंडे को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगा। अब रचना अपनी चूचियाँ दबाने लगी और निपल को भी मसलने लगी। उसकी आँखें उसके लौड़े पर थी।
राज: आऽऽऽहहह बेटी, अब पैंटी भी निकला दो और अपनी मस्त चूत और गाँड़ दिखाओ ताकि मैं झड़ सकूँ। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़।
रचना ने पैंटी धीरे धीरे किसी रँडी की तरह निकाली और अपने पापा को एक स्ट्रिप शो दे दिया । अब वह रँडी की तरह गाँड़ मटका रही थी। और फिर उसने कैमरा अपनी बुर के सामने रखा और उसको फैलाकर अपनी बुर की गुलाबी हिस्सा दिखाई और फिर उसने तीन उँगलियाँ डालकर हस्त मैथुन करने लगी।
राज अब पूरी तरह उत्तेजित होकर आऽऽऽऽऽहहहह क्या चूउउइउउउउउउत है बेटीइइइइइइइइ मैं तोओओओओओओओओ गयाआऽऽऽऽऽऽ। कहकर झड़ने लगा। उसकी वीर्य की धार उसके पेट पर गिरे जा रही थी। उधर वह भी पाआऽऽऽऽऽऽपा कहकर झड़ने लगी।
जब दोनों शांत हो गए तो रचना बोली: पापा शशी से चुदाई चल रही है ना? आप इतने प्यासे क्यों लग रहे हो?
राज: अरे बेटी, इस बहू ने सब काम ख़राब कर दिया । एक दिन उसने मुझे शशी को चोदते हुए देख लिया और उसको नौकरी से ही निकाल दिया। अब मेरी प्यास बुझाने वाली कोई है ही नहीं। बहु की माँ को एक बार होटेल में बुला कर चोदा हूँ। पर बार बार होटेल का रिस्क नहीं ले सकता।
रचना: ओह ये तो बड़ी गड़बड़ हो गयी। शशी कम से कम आपको शांत तो कर देती थी। अब क्या करेंगे?
राज : पता नहीं बेटी, तुम्हारे और राजीवके मज़े तो ठीक चल रहे हैं ना?
रचना: पापा आपसे चूदने के बाद अब तो इनके पतले हथियार से मज़ा ही नहीं आता। इसलिए यहाँ भी मैंने अपने लिए एक अमेरिकन पापा ढूँढ लिया है।
राज: मतलब? मैं समझा नहीं।
रचना: पापा, मेरे ऑफ़िस में आपकी उम्र का ही एक आदमी है जॉन । वो तलाक़ शुदा है। वह मुझे घूरता रहता था। आपसे मिलकर जब वापस आइ तो बुर बहुत खुजाती थी मोटे लौड़े के लिए। आपकी आदत जो पड़ गयी थी। तब मैंने इसे लिफ़्ट दी और अब वह मुझे मज़े से चोदता है। मैं उसे पापा कहती हूँ अकेले में और चुदवाते समय भी। वह भी मुझे डॉटर की तरह ट्रीट करता है अकेले में। उसका लौड़ा भी आपकी तरह मस्त मोटा और बड़ा है। वो भी मस्ती से चोदता है बिलकुल आपकी तरह।
राज: वाह बेटी तुमने वहाँ भी एक पापा ढूँढ लिया है, पर मुझे तो यहाँ एक बेटी नहीं मिली।
रचना हँसकर बोली: पापा घर में बहू तो है ,बेटी ना सही , उसी से काम चला लो। वैसे उसका व्यवहार कैसा है?
राज: व्यवहार तो बहुत अच्छा है उसका, पर साली बहुत सेक्सी है । मैंने उसकी और जय की चुदाई ग़लती से देखी है, आऽऽऽऽह क्या मस्त बदन है और क्या रँडी की तरह मज़ा देती है। आऽऽऽऽहहह देखो उसके नाम से मेरा फिर से खड़ा हो गया।
रचना: पापा आपकी बातों से मैं भी गीली हो गयी। चलो एक राउंड और करते हैं । यह कहकर वो अपनी जाँघें फैलायी और वहाँ रखे एक डिल्डो ( नक़ली लौड़ा) से अपनी बुर को चोदने लगी।
राज भी अपना लौड़ा रगड़ने लगा और बोला: बेटी घोड़ी बन जाओ ना, तुम्हारी गाँड़, चूत और चूतड़ सभी दिखेंगे। ज़्यादा मज़ा आएगा।
रचना उलटी हुई और गाँड़ उठा ली और अपने पापा को अच्छे से दर्शन कराया। फिर पीछे से हाथ लाकर वो डिल्डो अपनी बुर में डालकर मज़े लेने लगी। राज को उसकी गुलाबी बुर में वह मोटा सा नक़ली लौड़ा अंदर बाहर होते हुए दिख रहा था और वह भी बुरी तरह से मूठ्ठ मार रहा था। दस मिनट में दोनों झड़ गए।
क्योंकि दोनों थक गए थे इसलिए और ज़्यादा बात नहीं हुई और दोनों आराम करने लगे फ़ोन बंद हो चुका था।
उधर डॉली भी अपने कमरे में बैठी थी। उसके पिछले दो दिन से पिरीयड्ज़ आए हुए थे। जय भी रात को चुदाई के लिए तड़प रहा था। उसने एक बार मुँह से संतुष्ट किया था। दूसरी बार वह उसके बूब्ज़ पर लौड़ा रगड़ कर शांत हुआ था। उसने गाँड़ में डालने की कोशिश की थी पर डॉली के आँसू देखकर वह अंदर नहीं डाला। वह मुस्कुराई और सोची: कितना प्यार करते है, मुझे ज़रा सा भी कष्ट ने नहीं देख सकते। तभी जय का फ़ोन आया: जान खाना खा लिया ?
डॉली: हाँ जी। आप खा लिए?
जय: हाँ खा लिया। अब तुमको खाने की इच्छा है।
डॉली: एक दो दिन सबर करिए फिर मुझे भी खा लीजिएगा।
जय: अरे जान सबर ही तो नहीं होता । पता नहीं तुम्हारा रेड सिग्नल कब ग्रीन होगा। और तुम्हारी सड़क पर मेरी फटफटि फिर से दौड़ेगी ।
डॉली हँसने लगी: आप भी मेरी उसको सड़क बना दिए।
जय: किसको, नाम लो ना जान। वो अपने चेम्बर में अकेला था सो उसने अपना लौड़ा पैंट के ऊपर से दबाया।
डॉली फुसफुसाकर: मेरी बुर को।
जय: आऽऽऽह शशी वीडीयो कॉल करूँ क्या? एक बार अपनी चूचियाँ दिखा दो तो मैं मूठ्ठ मार लेता हूँ।
डॉली: आप भी ना। आप रात को आइए मैं मार दूँगी और चूस भी दूँगी।
जय: प्लीज़ प्लीज़ जान ,अभी बहुत मूड है।
डॉली: दुकान में कोई आ गया तो?
जय: अभी लंच ब्रेक है, कोई मेरे कैबिन में नहीं आएगा। लो मैं अंदर से बंद कर लिया प्लीज़ कॉल करूँ विडीओ में?
डॉली: हे भगवान, आप भी ना, अच्छा चलिए करिए।
जल्दी ही वो विडीओ कॉल से कनेक्ट हो गए। जय ने उसे कई बार चुम्मा दिया। फिर अपना लौड़ा दिखाकर बोला: देखो मेरी जान कैसे तड़प रहा है ये तुम्हारे लिए?
डॉली आँखें चौड़ी करके बोली: हे राम, आप तो पूरा तैयार हैं। अब उसके निपल्ज़ भी तन गए।
जय: जान, प्लीज़ चूचि दिखाओ ना।
डॉली ने ब्लाउस खोला और फिर वहाँ कैमरा लगाकर उसको ब्रा में क़ैद चूचियाँ दिखाईं। उसने कहा: आऽऽऽऽह प्लीज़ ब्रा भी खोलो।
वह ब्रा निकाल कर नंगी चूचियाँ दिखाने लगी। अब जय के हाथ अपने लौंडे पर तेज़ तेज़ चलने लगे। वह बोला: आऽऽऽऽऽह जाऽऽऽऽऽऽन अब पिछवाड़ा भी दिखा दो प्लीज़ । आऽऽऽऽहहह तुम्हारे चूतड़ देखने है आऽऽऽहहह।
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