Bahu ki Chudai बहू की चूत ससुर का लौडा
06-26-2017, 12:31 PM,
#37
RE: बहू की चूत ससुर का लौडा
सूबेदार बोलता चला गया: यार, अगर तुमको ऐतराज़ ना हो तो आज रात ही रचना को भी बिस्तर पर खींच लाएँगे। फिर चारों मज़े से सामूहिक चुदाई करेंगे। क्या कहते हो?

राज: मुझे समझ नहीं आ रहा है कुछ भी। वो अमिता की बुर और गाँड़ की फ़ोटो दिखाओ ना।

सूबेदार: कहा ना फ़ोटो क्या दिखाना है, अभी उसे बुलाता हूँ और जो देखना होगा सब देख लेना साली का।

यह कहकर उसने बाहर आकर अमिता को आवाज़ दी। राज ने देखा कि सूबेदार की पैंट में भी तंबू बना हुआ है।

अमिता रचना से बोली: मैं अभी आइ, पापा बुला रहे हैं।

वह उठकर राज के कमरे में आइ और दरवाज़े के पीछे खड़े सूबेदार ने दरवाज़ा बंद कर दिया। अब सूबेदार आकर राज के साथ बिस्तर पर बैठ गया। अमिता सामने खड़ी हो गयी थी।

उधर रचना सोची कि ऐसी क्या बात है जिसके लिए अमिता को बुलाया है। वो जाकर खिड़की से परदा हटाकर झाँकी और उसका मुँह खुला रह गया।

अंदर सूबेदार अमिता के गाल सहलाकर बोला: अमिता, राज का तुम पर दिल आ गया है। वो तुम्हारी बुर और गाँड़ देखना चाहता है। दिखा दो ज़रा। अपनी पैंटी नीचे करो।

अमिता शर्मा कर बोली: क्या पापा छी मुझे शर्म आ रही है।

सूबेदार: अरे मेरी रँडी बेटी, जैसा कह रहा हूँ करो, पैंटी नीचे करो।

अमिता ने चुपचाप पैंटी घुटनो तक नीचे कर दी। अब सूबेदार ने उसकी स्कर्ट ऊपर कर दी और रचना के आँखों के सामने उसके मोटे गोल चूतड़ थे। राज की आँखें उसकी बुर पर टिकी थी।

सूबेदार: बोलो मस्त फूलि हुई है ना इसकी बुर ?

राज: हाँ यार बहुत सुंदर है। फिर वह हाथ बढ़ाकर उसकी बुर को सहलाने लगा। अनिता हाऽऽऽय्य कर उठी।

राज: सच में यार मस्त चिकनी बुर है चोदने में बहुत मज़ा आएगा। फिर वह उसको सहलाया और दो ऊँगली अंदर डालकर बोला: आह मस्त टाइट बुर है। अब वो उँगलियाँ निकाल कर चाटने लगा।

सूबेदार: चल साली रँडी अब पलट कर अपनी गाँड़ दिखा।

अमिता चुपचाप पलट गयी। अब रचना के सामने उसकी नंगी बुर थी। उधर राज उसके मस्त गोल गोल चूतरों को सहला रहा था। तभी सूबेदार बोला: अमिता अपनी गाँड़ दिखाओ अंकल को , वो बहुत मस्ती से तुम्हारी गाँड़ मार कर तुमको मज़ा देंगे।

यह सुनकर अमिता ने अपने दोनो चूतरों को फ़ैलाया और राज उसकी गाँड़ के खुले छेद को देखकर समझ गया कि वह अक्सर गाँड़ मरवाती है। अब राज ने उसकी गाँड़ सहलायी और उसमें एक ऊँगली डाला और अंदर बाहर किया। तभी सूबेदार ने उसकी बुर को दबाना शुरू किया। अब अमिता आऽऽऽऽहहह करने लगी। फिर बोली: अभी छोड़िए ना, रचना, जय और डॉली घर में हैं। बाद में रात को कर लीजिएगा।

अब दोनों ने उसे छोड़ दिया पर सूबेदार बोला: बस एक बार आगे झुक कर अपनी बुर और गाँड़ की छवि तो दिखा दो अंकल को।

वह मुस्कुरा कर आगे झुकी और दोनों अधेड़ मर्द उसकी नंगी जवानी जा हुस्न देखकर मस्ती से अपने लौड़े मसलने लगे। फिर वह उठकर अपनी पैंटी ऊपर की और स्कर्ट नीचे करके कमरे से बाहर आने के पहले अपना हाथ बढ़ाकर एक एक हाथ में दोनों के लौड़ों को पैंट के ऊपर से दबा दी और बोली: रात को मज़ा करेंगे।

रचना भी भागकर अपने कमरे में आयी और बाथरूम में घुस गयी। पिशाब करके उसने अपनी वासना को क़ाबू में किया और वापस कमरे में आयी तो अनिता वहाँ बैठकर टी वी देख रही थी जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो। रचना के दिमाग़ में एक बात ही चल रही थी कि उसके पापा ने सूबेदार की रचना के बारे में की गई गंदी बातों का कोई जवाब नहीं दिया और ना ही उसे ऐसी बात करने से टोका। इसका मतलब वो भी यही चाहते हैं कि मैं उनके दोस्त से चुदवाऊँ!! हे भगवान , ये सब क्या हो रहा है? वो आज तक अपने पति के अलावा किसी और से नहीं चुदी थी। यहाँ उसके पापा के दोस्त और क्या पता पापा भी उसको चोदने के चक्कर में है।

रचना का सिर घूमने लगा कि ये उसकी ज़िंदगी में कैसा मोड आने वाला है। क्या वो इसके लिए तैयार है ? पता नहीं आज की रात कैसे बीतेगी और उसकी ज़िंदगी में कैसा तूफ़ान आएगा?
शाम के नाश्ते के बाद जय और डॉली एयरपोर्ट के लिए चले गए। राज ने शशी को छुट्टी दे दी और डिनर बाहर एक रेस्तराँ में करने का प्लान बनाया। सब तैयार होकर एक रेस्तराँ के लिए निकले। रचना भी अब अमिता की तरह स्कर्ट और टॉप में ही थी। दोनों की मस्त गोरी जाँघें बहुत मादक दिख रही थीं। कार में दोनों मर्द आगे बैठे और लड़कियाँ पीछे बैठीं।

रेस्तराँ में राज और अमिता अग़ल बग़ल एक सोफ़े पर बैठे और रचना के साथ सूबेदार बैठ गया। हल्का अँधेरा सा था हॉल में और सॉफ़्ट म्यूज़िक भी बज रहा था। कुछ जोड़े डान्स फ़्लोर पर नाच भी रहे थे। राज ने अपने लिए और सूबेदार के लिए विस्की ऑर्डर की और लड़कियों को पूछा किक्या लेंगी।

सूबेदार: वाइन लेंगी और क्या लेंगी? ठीक है ना रचना?

रचना मुस्कुरा दी: ठीक है अंकल ले लूँगी। अमिता क्या लेगी?

सूबेदार: अरे वो तो विस्की भी ले लेती है पर अभी वाइन से ही शुरुआत करेगी।

फिर जैसे जैसे शराब अंदर जाने लगी, माहोल रोमांटिक होने लगा। राज का हाथ अमिता की नंगी जाँघों पर था और वह उसकी स्कर्ट को ऊपर करके सहलाए जा रहा था। अब सूबेदार रचना को बोला: बेटी, अब तुम बड़ी हो गयी हो, विस्की का भी मज़ा लो।

रचना भी सुरुर में आ गई थी: ठीक है अंकल दीजिए , मुझे सब चलता है।

जब सूबेदार ने देखा कि रचना थोड़ी सी टुन्न हो रही है तो वह उसको बोला: क्या मैं अपनी प्यारी सी बेटी को डान्स फ़्लोर में चलने को कह सकता हूँ?

रचना: ज़रूर अंकल चलिए ना डान्स करते हैं।
अमेरिकन सभ्यता का असर भी तो था।

अब वो दोनों डान्स करने लगे। अब सूबेदार ने उसकी कमर में हाथ डालके उसको अपने से चिपका लिया। उसके बड़े बड़े बूब्ज़ सूबेदार की छाती से टकरा रहे थे और वह उसके नंगी कमर को सहलाए जा रहा था। थोड़ी देर बाद सूबेदार ने उसके निचले हिस्से को भी अपने निचले हिस्से से चिपका लिया और रचना को उसके खड़े लौड़े का अहसास अपने पेट के निचले हिस्से पर होने लगा। वो अब ख़ुद भी उसकी मर्दानी गंध से जैसे मदहोश सी होने लगी। तभी सूबेदार ने उसकी बाँह उठाकर नाचते हुए उसकी बग़ल में नाक घुसेड़ दी और उसकी गंध से मस्त होकर बोला: बेटी, तुम्हारे बदन की ख़ुशबू बहुत मादक है।

रचना शर्मा कर: अंकल क्या कर रहे हैं? कोई देख लेगा?

सूबेदार: बेटी, सब अपनी मस्ती में खोए हुए हैं, किसी को दूसरे की कोई फ़िक्र ही नहीं है। यह कहते हुए उसने रचना को अपने से और ज़ोर से चिपका लिया। फिर वह बोला: बेटी, मुझे तुम्हारे पति से जलन हो रही है।

रचना: वो क्यों?

सूबेदार: क्या क़िस्मत पायी है जो उसे तुम्हारे जैसे बीवी मिली है। क्या मस्त बदन है तुम्हारा। वो तो तुमको छोड़ता ही नहीं होगा ना? दिन रात तुमसे लगा रहता होगा?

रचना मुस्कुरा कर: अंकल शुरू शुरू में तो ऐसा ही था, पर अब हमारी शादी को छे साल हो गए हैं , अब वो बात कहाँ?

सूबेदार: बेटी, तुम्हारी जवानी तो अब निखार पर आइ है। फिर वो उसकी कमर से हाथ ले जाकर उसके चूतड़ को हल्के से सहलाया और बोला: देखो क्या मस्त बदन है अब तुम्हारा । हर जगह के उभार कितने मस्त हैं। और फिर वह उसके चूतड़ दबा दिया।

रचना जानती थी कि अगर उसने अभी सूबेदार को नहीं रोका तो बाद में उसे रोकना नामुमकिन हो जाएगा। पर तभी सूबेदार ने झुक कर उसकी टॉप से बाहर झाँक रही चूचियों पर चुम्बन ले लिया और रचना का रहा सहा विरोध भी ख़त्म हो गया। उसकी बुर गीली होकर चुदाई की डिमांड करने लगी। वैसे भी उसे काफ़ी दिन हो गए थे चुदवाए हुए।
रचना: चलिए अब वापस टेबल पर चलते हैं।

उधर राज और अमिता उनको देखे जा रहे थे। जैसे ही वो दोनों डान्स फ़्लोर पर गए अमिता बोली: अंकल सूबेदार साहब आज आपकी बेटी को पटा के ही छोड़ेंगे।

राज ने उसकी जाँघ सहलाते हुए कहा: अच्छा है ना, अगर उसे सूबेदार पसंद है, तो वह उससे चुदवा ले। इसमें बुराई क्या है?

फिर वह अमिता को बोला: बेटी, तुम बाथरूम जाकर पैंटी उतार कर अपने पर्स में डाल लो। मुझे तुम्हारी बुर में ऊँगली करनी है।
अमिता: अंकल पैंटी को एक तरफ़ कर देती हूँ, आप ऊँगली डाल लीजिए। यह कहकर वो थोड़ी सी उठी और शायद उसने पैंटी को एक तरफ़ को कर दिया। अब राज ने उसकी जाँघों के बीच उँगलिया डाली और वो सीधे बुर के अंदर चली गयीं। अमिता की आऽऽऽह निकल गयी। राज की उँगलियाँ जल्दी ही गीली हो गयीं। वह उनको चाटने लगा। तभी अमिता बोली: देखिए अंकल, सूबेदार के हाथ अब रचना के चूतड़ दबा रहे हैं। और आऽऽऽहहह देखिए वो अब उसकी चूचियाँ चूम रहे हैं।

राज का लौड़ा अब पूरा कड़क हो चुका था और अपनी बेटी को अपने दोस्त के साथ मस्ती करते देख वह बहुत उत्तेजित हो रहा था। फिर जब वो दोनों वापस आए टेबल पर तो सूबेदार के पैंट का टेंट साफ़ दिखाई दे रहा था। टेबल पर बैठ कर वो फिर से पीने लगे। इस बार सूबेदार भी बेशर्म होकर अपने हाथ को उसकी नंगी जाँघों पर फेरने लगा। रचना ने भी बेशर्मी से अपनी जाँघें फैला दी और अब उसकी उँगलियाँ उसकी बुर को पैंटी के ऊपर से छूने लगी। सूबेदार धीरे से रचना के कान में बोला: बेटी, तुम्हारी पैंटी तो गीली हो रही है । सब ठीक है ना?

वो हँसकर बोली: अंकल सब आपका किया धरा है।

सूबेदार ने अब हिम्मत की और उसका हाथ पकड़कर अपने पैंट के ऊपर से अपने लौड़े पर रखा और बोला: देखो मेरा भी बुरा हाल है। ये तो तुम्हारा ही किया धरा है।

रचना भी बेशर्मी से उसके लौड़े को सहलायी और उसकी लम्बाई और मोटाई का अहसास करके बोली: आऽऽह आपका तो बहुत बड़ा है अंकल।

सूबेदार: क्यों तुम्हारे पति का छोटा है क्या?

रचना: उनका सामान्य साइज़ का है, पर आपका तो बहुत बड़ा है।

ये कहते हुए वह उसका लौड़ा सहलाए जा रही थी। तभी रचना का फ़ोन बजा। उसके पति का फ़ोन था। रचना: हाय कैसे हो?

वो: ठीक हूँ, तुम्हारी याद आ रही है, अब तो शादी भी हो गयी , अब वापस आ जाओ ना।

रचना नशे में थी और उसके आँखों के सामने उसका सामान्य लौड़ा आ गया। अभी भी उसका एक हाथ सूबेदार के लौड़े पर था। ओह भगवान मैं क्या करूँ? एक तरफ़ इतना मस्त लौड़ा है और दूसरी तरफ़ पति का सामान्य सा लौड़ा। वो सोचने लगी कि अंकल की चुदाई भी मस्त होगी। उसकी बुर अब पूरी तरह से पनिया गयी थी। वो बोली: बस अभी पापा अकेले हैं, जैसे ही जय और डॉली होनिमून से वापस आएँगे मैं भी आ जाऊँगी।
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