RE: बहू की चूत ससुर का लौडा
रचना रश्मि का नाम सुन कर चौकी और फिर अपना नाम सुनकर तो उछल ही पड़ी। उसने नोटिस किया कि पापा ने शशी को उसका नाम लेने पर ग़ुस्सा नहीं किया। तो क्या शशी और पापा अक्सर उसके बारे में ऐसी बातें करते रहते हैं? और क्या पाप रश्मि आंटी को भी कर चुके हैं? और क्या पापा उसको अपनी सगी बेटी को भी चोदना चाहते हैं? हे भगवान ! वो तो पापा से थोड़ा सा फ़्लर्ट की थी और पापा उसे चोदने का प्लान बना रहे हैं?
तभी उसकी नज़र शशी पर पड़ी। वह अब लूँगी उठाकर उसके लौड़े को नंगा कर दी थी और उसे मूठिया रही थी और फिर अपना सिर झुकाकर उसे चूसने लगी। राज बैठे हुए चाय पी रहा था और वह उसके लौड़े को बड़े प्यार से चूस रही थी। रचना सोची- उफफफफ क्या पापा भी , सुबह सुबह नौकशशी से लौड़ा चूसवा रहे है । और हे भगवान! कितना मोटा और बड़ा लौड़ा है! उसी समय राज ने उसको हटाया और बोला: अभी नहीं बाद में चूस लेना। चलो मैं बाथरूम से फ़्रेश होकर आता हूँ। शशी ने थोड़ी अनिच्छा से लौड़े को मुँह से निकाला और चाय का ख़ाली कप लेकर किचन में चली गयी। रचना उसके आने के पहले ही वहाँ से हट गयी। रचना को अपनी गीली बुर में खुजली सी महसूस हुई। वैसे भी उसे अपने पति से अलग हुए बहुत दिन हो गए थे और घर के वातावरण में चुदाई का महोल था ही। जय भी अपनी बीवी को चोद चुका होगा रात में।
तभी राज ड्रॉइंग रूम में आया और रचना को नायटी में देखकर प्यार से गुड मोर्निंग बोला: बेटी, नींद आयी? मुझे तो बड़ी अच्छी आइ।
महक़ : जी पापा आइ । अच्छी तरह से सो ली।
राज मुस्कुरा कर: जय और बहु नहीं उठे अभी?
रचना: अभी कहाँ उठे है । और वो हँसने लगी।
राज: हाँ भाई सुहागरत के बाद थक गए होंगे। वह भी हँसने लगा।
तभी राज का फ़ोन बजा। राज: हेलो , अरे सूबेदार तुम? कहाँ हो भाई, कल शादी में भी नहीं आए? मैं तुमसे नाराज़ हूँ। कैसे दोस्त हो?
सूबेदार: अरे यार KLPD हो गई। हम शादी के लिए ही निकले थे,पर हम नहीं पहुँच पाए। अभी होटेल में चेक इन किए हैं। और अभी सोएँगे। बहुत परेशान हुए हैं। आठ घंटे का सफ़र २४ घंटे में बदल गया क्योंकि नैनीताल के पास पहाड़ियों में रोड पर पहाड़ टूट कर गिर गए थे।
राज: ओह, ये तो बहुत बुरा हुआ यार। तुम अकेले हो या बहु भी है?
सूबेदार: मैं अमिता के बिना कहीं नहीं जाता। वो भी है साथ में।
राज: तो चलो आराम करो। दोपहर को आना और साथ में खाना खाएँगे, और नवविवाहितों को आशीर्वाद दे देना। क्योंकि वो दोनो रात को ही गोवा जा रहे हैं।
सूबेदार: हाँ यार ज़रूर आऊँगा। चल बाई।
रचना: पापा ये आपके वही बचपन के दोस्त हैं जो आरमी से रेटायअर हुए हैं।
सूबेदार: हाँ बेटी, वही है और जिसने अपना जवान बेटा एक ऐक्सिडेंट में खोया है। अब उसकी बहु ही उसका ध्यान रखती है।
रचना: वो आपके दोस्त हैं तो यहाँ क्यूँ नहीं आए?
राज: बेटा, वो अपने हिसाब से रहता है। वो आया शादी में मेरे लिए यही बड़ी बात है।
तभी जय बाहर आया और अपने पापा से गले मिला और आशीर्वाद लिया और रचना से भी गले मिला। तभी डॉली भी बाहर आइ । उसने साड़ी पहनी थी। वह आकर अपने ससुर और अपनी ननद के पर छुए और उनसे आशीर्वाद लिया। फिर डॉली किचन में चली गयी।
रचना: अरे डॉली, किचन में क्यों जा रही हो?
डॉली: दीदी आज नाश्ता मैं बनाऊँगी। वो भी अपनी मर्ज़ी से , देखती हूँ आपको पसंद आता है या नहीं?
क़रीब एक घंटे के बाद शशी ने नाश्ते की टेबल सजायी और डॉली ने उन सबको छोले पूरी और दही और हलवा खिलाया। सब उँगलियाँ चाटते रह गए।
राज ने खाने के बाद उसको एक सुंदर सा हार दिया और बोला: बेटी, बहुत स्वाद खाना बनाया तुमने। ये रखो। एक बात और बेटी, मेरा दोस्त और उसकी बहु खाने पर आएँगे आज। तुम और शशी कुछ अच्छा सा बना लेना।
डॉली: जी पापा जी , हो जाएगा।
रचना ने भी उसे एक अँगूठी दी और उसके खाने की बहुत तारीफ़ की।
जब रचना और जय अकेले बैठे थे तो रचना बोली: फिर सब ठीक से हो गया ना? मिस्टर नर्वस मैन ।
जय: दीदी आपकी ट्रेनिंग काम आइ और सब बढ़िया से हो गया।
रचना: उसको बहुत तंग तो नहीं किया?
जय शर्माकर: नहीं दीदी, आप भी ना, मैं ऐसा हूँ क्या?
रचना: अरे मैं तो तुझे छेड़ रही थी।
फिर सब अपने कमरे में आराम किए। डॉली ने शशी को सब्ज़ी वगेरह काटने को बोला। जय और वो गोवा जाने की पैकिंग भी करने लगे।
दोपहर को १ बजे सूबेदार और उसकी बहु आए जिनको राज अंदर लाया। सूबेदार की बहु अमिता बहुत सुंदर और सेक्सी लग रही थी। उसने टॉप और स्कर्ट पहना था और सूबेदार टी शर्ट और जींस में था। सूबेदार आगे था उसके पीछे अमिता उसकी बहु और पीछे राज चलकर ड्रॉइंग रूम में आए। राज तो उसकी पतली कमर और उठी हुई गाँड़ देखकर ही मस्त होने लगा था
उनको मिलने रचना भी बाहर आयी। वह अभी जींस और टॉप में थी। सूबेदार उससे गले मिला और बोला: अरे तुम तो बहुत बड़ी हो गयी हो बेटी। तुम्हारी शादी के बाद पहली बार देखा है तुमको। वह उसकी छातियों को घूरते हुए बोला। जब रचना अमिता से गले मिल रही थी तो सूबेदार की आँखें रचना की मस्त गोल गोल जींस में फँसी हुई गाँड़ पर ही थीं। फिर वह चारों बातें करने लगे।
तभी जय और डॉली भी आए और दोनों ने सूबेदार के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। सूबेदार ने अमिता से एक लिफ़ाफ़ा लिया और उनको उपहार दिया। डॉली ने सलवार कुर्ता पहना था और उसका बदन पूरा ढका हुआ था अमिता की जाँघें नंगी थी और राज की आँखें बार बार वहीं पर जा रहीं थीं। सब खाना खाने बैठे और सबने डॉली के बनाए भोजन की तारीफ़ की।
फिर अमिता रचना के कमरे में चली गयी और राज सूबेदार को अपने कमरे में ले गया और जय और डॉली अपने कमरे में चले गए। नयी नयी शादी थी तो वह जल्दी ही चूम्मा चाटी करके चुदाई में लग गए। चुदाई उसी तरह से हुई जैसे रात को हुई थी।
रचना और अमिता अपनी अपनी शादी की बातें कर रहीं थी। अमिता ने अपने पति के ऐक्सिडेंट का क़िस्सा भी सुनाया।
उधर सूबेदार और राज भी बातें कर रहे थे।
राज: यार तेरे साथ बहुत बुरा हुआ जो जवान लड़का चल बसा। मैंने सोचा था कि अमिता विधवा होकर अपने मॉ बाप के पास चली जाएगी। पर उसने तेरे पास ही रहना पसंद किया। ये बहुत बड़ी बात है।
सूबेदार: असल में बेटे की मौत के ग़म ने मुझे बिलकुल तोड़ दिया था। अमिता भी भारी सदमे में थी। तो हम दोनों एक दूसरे का सहारा बने। बाद में जब उसके माँ और बाप ने उसे अपने साथ चलने को कहा तो इसने मना कर दिया। जानते हो क्यों?
राज: क्यों मना कर दिया?
सूबेदार: वो इसलिए, कि उसके पापा की आर्थिक स्तिथि अच्छी नहीं थी। अमिता को रईसी से जीने की आदत पड़ गयी थी। अच्छा खाना, महँगे कपड़े , पार्टी ,घूमना फिरना और बड़ी कारों का शौक़ था, जोकि उसके मायक़े में था ही नहीं।
राज: ओह ये बात है। तो क्या तुम उसकी शादी करने की सोच रहे हो?
सूबेदार कुटीलता से मुस्कुराया: देखो यार, जब तक मेरा बेटा ज़िंदा था तबतक वो उसकी बीवी थी। अब उसकी मौत के बाद मैंने देखा किपार्टी में लोग उसको खा जाने की कोशिश करते है। और फिर एक दिन मैंने उसको अपनी बुर में मोमबत्ती डालकर हिलाते देखा।बस तभी मैंने उसको समझाया कि घर के बाहर चुदवा कर मेरी बदनामी करवाने से अच्छा है कि वो मेरी ही बीवी की तरह रहे। मेरी बीवी को मरे तो एक अरसा हो गया था। उसकी प्यास भी बुझ जाएगी और मेरा रँडीयों पर होने वाला ख़र्च भी बच जाएगा। उसको समझ में आ गया कि अगर अमीरी की ज़िंदगी जीनी है तो उसे मेरी बीवी बनकर रहना ही होगा। वो मान गयी, और अब हम पति पत्नी की तरह रहते हैं। और सिर्फ़ दुनिया के सामने वो मुझे पापा कहती है। ये है हमारी कहानी।
राज: ओह, मतलब तुम उस हसीन कमसिंन लौंडिया से पूरे मज़े कर रहे हो। यार बड़े क़िस्मत वाले हो।
सूबेदार: अरे यार क्या तुम्हारा भी मन है उसे चोदने का? ऐसा है तो बोलो, वो भी हो जाएगा। तुमको समीर याद है?
राज: हाँ वो जो अहमदाबाद ने बड़ा व्यापारी है अपना दोस्त था।
सूबेदार: वह ३ महीने पहिले नैनिताल आया था हमारे यहाँ। वह भी इस पर लट्टू हो गया। मैंने अमिता को समझाया कि जवानी चार दिन की है, मज़े करो। वो मान गयी और हम लोग पूरे हफ़्ते सामूहिक चुदाई का मज़ा लिए।
राज का मुँह खुला रह गया: ओह, तो तुमने और समीर ने मिलकर उसे चोदा, wow।
सूबेदार: अरे इसके बाद मेरा एक मिलिटेरी का दोस्त अपने बेटे और बहू को मेरे घर भेजा था छुट्टियाँ मनाने। उन दिनो बहुत बर्फ़ पड़ रही थी। बाहर जा ही नहीं पा रहे थे। मुझे वह चिकना लड़का और उसकी बहू बहुत पसंद आ गए थे। वो लड़का भी बाईसेक्शूअल था मेरे जैसा। मैंने पहले चिकने को पटाया और उसकी ले ली। फिर उसको अपनी बीवी देने के लिए पटाया और तुम विश्वास नहीं करोगे अगले दिन ही हम चारों बिस्तर पर नंगे होकर चुदाई कर रहे थे। उस लड़के ने भी अमिता को चोदा।
राज: यार, तुम तो उसको रँडी बना दिए हो। यह कहते हुए वह अपना खड़ा लौड़ा मसलने लगा।
सूबेदार: लगता है तुझे भी इसकी बुर चोदने की बहुत हवस हो रही है? वैसे उसकी बुर और गाँड़ दोनों मस्त है। देखोगे?
राज: दिखाओ ना फ़ोटो है क्या?
सूबेदार: हा हा फ़ोटो क्या देखना है, जब वो ही यहाँ है अपना ख़ज़ाना दिखाने के लिए। पर उसके पहले एक बात बोलूँ, बुरा तो नहीं मानोगे?
राज: बोलो ना यार , तुम्हारी बात का क्या बुरा मानूँगा।
सूबेदार: मेरा रचना पर दिल आ गया है। तुमने उसे चोदा है क्या?
राज : अरे नहीं , वो मेरी बेटी है । मैं ऐसा कुछ नहीं किया।
रचना भी हैरान रह गयी कि वो दोनों उसकी बात कर रहे हैं। वह सूबेदार की सोच पर हैरान रह गयी।
सूबेदार: क्या मस्त माल है यार तुम्हारी बेटी, एक बार बस मिल जाए तो। ये कहते हुए वह अपना लौड़ा मसलने लगा।
राज ना हाँ कर पाया और ना ही ना।
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