RE: बहू की चूत ससुर का लौडा
जय अब फिर से उसके ऊपर आया और उसके होंठ चूमने लगा। तभी उसे याद आया कि मंगेश कैसे नर्गिस के मुँह में अपनी जीभ डाल रहा था। उसने भी अपनी जीभ डॉली के मुँह में डाली और डॉली को भी अपनी मम्मी की याद आयी कि कैसे वो ताऊजी की जीभ चूस रही थीं। वह भी वैसे ही जय की जीभ चूसने लगी। अब जय ने अपना मुँह खोला। डॉली समझ गई कि वह उसकी जीभ माँग रहा है। उसने थोड़ा सा झिझकते हुए अपनी जीभ उसके मुँह में दे दी और जय उसकी जीभ चूसने लगा। उफफफफ क्या फ़ीलिंग़स थी। डॉली पूरी गीली हो चुकी थी।
अब जय ने उसकी ब्रा खोलने की कोशिश की, पर खोल नहीं पाया। वह बोला: ये कैसे खुलता है? मुझसे तो खुल ही नहीं रहा है।
डॉली मुस्कुराती हुई बोली: सीख जाएँगे आप जल्दी ही। चलिए मैं खोल देती हूँ। फिर वह अपना हाथ पीछे लेज़ाकर ब्रा खोली और लेट गयी। अभी भी ब्रा उसकी छातियों पर ही थीं। जय बे ब्रा हटाया और उसकी चूचियों की सुंदरता देखकर जैसे मुग्ध सा रह गया। आऽऽऽहहह क्या चूचियाँ थीं। बिलकुल बड़े अनारों की तरह सख़्त और नरम भी। निपल्ज़ एकदम तने हुए। एकदम गोरे बड़े बड़े तने हुए दूध उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़।
जय उनको पंजों में दबाकर बोला: उफफफफ जानू क्या मस्त चूचियाँ हैं। आऽऽऽह क्या बड़ी बड़ी हैं।
डॉली हँसकर बोली: आऽऽऽह बस आपके लिए ही इतने दिन सम्भाल के रखे हैं और इतने बड़े किए हैं।
जय मुस्कुराकर: थैंक्स जानू, आह क्या मस्त चूचियाँ हैं। मज़ा आ रहा है दबाने में। अब चूसने का मन कर रहा है।
डॉली: आऽऽऽह चूसिए ना , आपका माल है, जो करना है करिए। हाऽऽय्यय मस्त लग रहा है जी।
अब जय एक चूची दबा रहा था और एक मुँह में लेकर चूस रहा था। डॉली अब खुलकर आऽऽह चिल्ला रही थी।
जय भी मस्ती से बारी बारी से चूचि चूसे जा रहा था। अब वो अपना लौड़ा चड्डी के ऊपर से उसकी जाँघ से रगड़ रहा था। डॉली के हाथ उसकी पीठ पर थे। अब जय उसके पेट को चूमते हुए उसकी गहरी नाभि में जीभ घुमाने लगा। फिर नीचे जाकर उसकी पैंटी को धीरे से नीचे खिसकाने लगा। डॉली की चिकनी फूली हुई बुर उसके सामने थी और अब डॉली ने भी अपनी कमर उठाकर जय को पैंटी निकालने में सहायता की। जय बुर को पास से देखते हुए वहाँ हथेली रखकर सहलाने लगा। बुर पनियायी हुई थी। यह उसकी ज़िन्दगी की पहली बुर थी जिसे वो सहला रहा था।
जय ने उसकी फाँकों को अलग किया और अंदर की गुलाबी बुर देखकर मस्त हो गया और बोला : आऽऽह क्या मस्त बुर है जानू तुम्हारी। फिर वह झुककर एक पप्पी ले लिया उसके बुर की। डॉली सिहर उठी।वह नीचे झुक कर जय को देखी जो उसकी बुर को चूम रहा था। अब जय ने उसकी बुर में ऊँगली डाली और डॉली का पूरा बदन सिहर उठा। वह उइइइइइइ कर उठी। अब जय उठा और अपनी चड्डी भी उतारकर अपना लौड़ा सहलाया। डॉली की आँखें उसको देखकर फट सी गयीं थीं। बाप रे कितना मोटा और लम्बा है -वो सोची। अब जय ने उसका हाथ पकड़ा और अपना लौड़ा उसके हाथ में दे दिया। डॉली चुपचाप उसको पकड़कर सहलाने लगी। उफफफ कितना गरम और कड़ा था वो- उसने सोचा। डॉली ने अपनी ज़िन्दगी में पहली बार लौड़ा पकड़ा था। उसे बहुत अच्छा लगा। जय भी अब उसे लिटा कर उसकी जाँघें फैलाकर उनके बीच में आकर बैठा और अपना लौड़ा उसकी बुर में दबाने लगा। वह उइइइइइइ माँआऽऽऽ कह उठी। वह लौड़े को हाथ में लेकर उसकी बुर के ऊपर रगड़ने लगा। वह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कर उठी। अब जय ने उसकी फाँकों को फैलाया और उसने अपना मोटा सुपाड़ा फंसा दिया और अब हल्के से एक धक्का मारा। लौड़ा उसकी बुर की झिल्ली फाड़ता हुआ अंदर धँस गया।
डॉली चीख़ उठी: हाय्य्य्य्य मरीइइइइइइइ।
जय ने फिर से धक्का मारा और अबके आधे से भी ज़्यादा लौड़ा अंदर चला गया। अब डॉली चिल्लाई: हाऽऽऽऽऽय निकाआऽऽऽऽऽऽलो प्लीज़ निकाऽऽऽऽऽऽलो।
जय उसके ऊपर आकर उसके होंठ चूसने लगा और उसकी चूचियाँ भी दबाने लगा। अभी वो रुका हुआ था और उसका थोड़ा सा ही लौड़ा बाहर था बाक़ी अंदर जा चुका था। जब डॉली थोड़ा शांत हुई और मज़े में आने लगी। तब जय ने आख़री धक्के से अपना पूरा लौड़ा पेल दिया। डॉली फिर से चिहूंक उठी: उइइइइइइइइ आऽऽहहह।
जय अब हल्के हल्के धक्के मारने लगा जैसा उसने मंगेश को करते हुए देखा था नर्गिस के साथ। जल्दी ही डॉली भी मस्ती में आ गयी और उन्न्न्न्न्न्न्न उन्न्न्न्न करके अपनी ख़ुशी का इजहार करने लगी। जय अभी भी उसके निपल और दूध को प्यार किए जा रहा था।
अब डॉली भी अपनी टाँगे उठाकर जय के चूतरों के ऊपर रख दी और पूरे मज़े से चुदाई का आनंद लेने लगी। क़रीब आधे घंटे की चुदाई के बाद डॉली चिल्लाई: उइइइइइइइ मैं तोओओओओओओओओ गयीइइइइइइइइइ। अब जय भी ह्म्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगा। दोनों अब भी एक दूसरे से चिपके हुए थे। जय अभी भी डॉली को चूमे जा रहा था। वह भी उसके चुम्बन का बराबरी से जवाब दे रही थी। फिर डॉली उठी और अपनी बुर को ध्यान से देखकर बोली: देखिए फाड़ ही दी आपने मेरी।
जय उठकर उसकी बुर का मुआयना किया और बोला: मेरी जान, थोड़ा सा ही ख़ून निकला है। अभी ठीक हो जाएगा। चलो बाथरूम में ,में साफ़ कर देता हूँ।
डॉली: वाह पहले फाड़ेंगे, फिर इलाज करेंगे। मैं ख़ुद साफ़ कर लूँगी। यह कह कर वो बाथरूम गयी और सफ़ाई करके वापस आ गयी। फिर जय भी फ़्रेश होकर आया और डॉली ने उसके लटके हुए लौड़े को पकड़कर कहा: बाप रे कितना बड़ा है। पूरी फाड़ दी इसने तो मेरी।
जय: बेचारे ने तुम्हारी इतनी सेवा की और तुम इसे प्यार ही नहीं कर रही हो।
डॉली को याद आया कि उसकी मम्मी कैसे ताऊजी का लौड़ा चूस रही थीं। वो जय के लौड़े को देखी और झुककर उसकी एक पप्पी ले ली। फिर उसने उसके सुपाडे को भी चूम लिया। जय का पूरा बदन जैसे सिहर उठा। आह क्या मस्त लगा था। उसे दीदी की कही हुई बात याद आ गयी कि ओरल सेक्स तो लड़का और लड़की की मर्ज़ी पर निर्भर करता है। यहाँ तो लगता है कि इसमें कोई दिक़्क़त नहीं होगी। थोड़ी देर आराम करने के बाद वो दोनों एक दूसरे से नंगे ही चिपके रहे। डॉली ने शर्म के मारे चद्दर ढाक ली थी। जय के हाथ अब उसके चूतरों पर फिर रहे थे।
वह बोला: आह कितने मस्त चिकने चूतड़ हैं तुम्हारे? दबाने में बहुत मज़ा आ रहा है।
डॉली: आप उनको दबा रहे हो या आटा गूंद रहे हो? वो हँसने लगी।
जय: आह कितने बड़े हैं और मस्त चिकने हैं। उसकी उँगलियाँ अब चूतरों के दरार में जाने लगीं। अब जय उसकी गाँड़ और बुर के छेद को सहलाए जा रहा था। वह भी आऽऽहहह कहे जा रही थी । अब वह भी उसका लौड़ा सहलाने लगी। उसका लौड़ा उसके हाथ में बड़ा ही हुए जा रहा था। अब वह अपने अंगूठे से उसके चिकने सुपाडे को सहला कर मस्ती से भर उठी। जय का मुँह अब उसकी चूचियों को चूसने में व्यस्त थे। शीघ्र ही वह फिर से उसके ऊपर आकर उसके बुर में अपना लौड़ा डालकर उसकी चुदाई करने लगा। अब डॉली की भी शर्म थोड़ी सी कम हो गयी थी। वह भी अब मज़े से उउउउउम्मम उम्म्म्म्म्म करके चुदवाने लगी।
जय: जानू, फ़िल्मों में लड़कियाँ अपनी कमर उठाकर चुदवाती है। तुम भी नीचे से उठाकर धक्का मारो ना।
डॉली मस्त होकर अपनी गाँड़ उचकाइ और बोली: ऐसे?
जय: हाँ जानू ऐसे ही। लगातार उछालो ना।
डॉली ने अब अपनी कमर उछाल कर चुदवाना शुरू किया। जय: मज़ा आ रहा है जानू?
डॉली: हाँ जी बहुत मज़ा आ रहा है। और ज़ोर से करिए।
जय: क्या करूँ? बोलो ना?
डॉली हँसकर: वही जो कर रहे हो।
जय: बोलो ना ज़ोर से चोदो।
डॉली: मुझसे गंदी बात क्यों बुलवा रहे हैं आप?
जय: इसमें गंदा क्या है? चुदाई को चुदाई ही तो कहेंगे ना?
डॉली: ठीक है आप चाहते हो तो यही सही। अब वह अपनी गाँड़ और ज़ोर से उछालके चुदवाने लगी और बड़बड़ाने लगी: आऽऽऽऽऽहहह और ज़ोर से चोदिए ।हाय्य्य्य्य्य कितना अच्छा लग रहा है उइओइइइइइइइ माँआऽऽऽऽ । अब वह ज़ोर ज़ोर से बड़बड़ाने लगी: उम्म्म्म्म्म्म मैं गईइइइइइइइ। अब जय भी ह्न्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगा।
जब दोनों फ़्रेश होकर लेटे थे तब जय बोला: जानू तुम्हें प्रेगनैन्सी का तो डर नहीं है? वरना पिल्ज़ वगेरह लेना पड़ेगा।
डॉली: मुझे बच्चे बहुत पसंद हैं , भगवान अगर देंगे तो मुझे बहुत ख़ुशी होगी। आपका क्या ख़याल है?
जय: जानू जो तुमको पसंद है वो मुझे भी पसंद है। फिर वह उसे चूम लिया।
डॉली: अब मैं कपड़े पहन लूँ? नींद आ रही है।
जय: एक राउंड और नहीं करोगी?
डॉली: जी नीचे बहुत दुःख रहा है। आज अब रहने दीजिए।
जय: मैं दवाई लगा दूँ वहाँ नीचे। वैसे उस जगह को बुर बोलते हैं। और इसे लौड़ा कहते हैं। उसने अपना लौड़ा दिखाकर कहा।
डॉली: आपका ये बहुत बड़ा है ना, इसीलिए इतना दुखा है मुझे। चलिए अभी सो जाते हैं।
दिर दोनों ने कपड़े पहने और एक दूसरे को किस करके सो गए।
अगले दिन सुबह रचना उठी और शशी के लिए दरवाज़ा खोली। शशी रचना के लिए चाय बनाकर लाई और रचना चाय पीने लगी। फिर शशी चाय लेकर राज के कमरे में गयी। पता नहीं रचना को क्या सूझा कि वह खिड़की के पास आकर परदे के पीछे से झाँकने लगी। उसने देखा कि शशी राज को उठा रही थी। राज करवट लेकर सोया हुआ था। तभी वह सीधा लेटा पीठ के बल और उसका मोर्निंग इरेक्शन शशी और रचना के सामने था। उसकी लूँगी का टेण्ट साफ़ दिखाई दे रहा था। अब शशी हँसी और उसके टेण्ट को मूठ्ठी में पकड़ ली और बोली: सपने में किसे चोद रहे थे? जो इतना बड़ा हो गया है यह ?
राज: अरे तुम्हारे सिवाय और किसकी बुर का सोचूँगा। तुम्हें सपने में चोद रहा था।
शशी: चलो झूठ मत बोलो। आपको तो सपने में रश्मि दिखी होंगी और क्या पता रचना दीदी को ही चोद रहे होगे।
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