Bahu ki Chudai बहू की चूत ससुर का लौडा
06-26-2017, 12:30 PM,
#32
RE: बहू की चूत ससुर का लौडा
अगले दिन दोपहर को मंगेश का फ़ोन आया और उसने जय को एक पते पर आने को कहा। जब वो उस फ़्लैट में पहुँचा तो मंगेश और नर्गिस वहाँ पहले से पहुँचे हुए थे। नर्गिस ने लाल साड़ी पहनी थी वो क़रीब २६/२७ साल की लड़की थी और शरीर से थोड़ी मोटी थी। पता नहीं मंगेश ने उसमें क्या देखा जो अपनी बीवी छोड़कर इसके पीछे फ़िदा है- जय ने सोचा। यह तो उस बाद में पता चलने वाला था कि नर्गिस में क्या ख़ास है। जय ने नर्गिस को हेलो कहा और उसका गिफ़्ट स्मार्ट फ़ोन उसे दे दिया। वह ख़ुश होकर जय के गाल चूम ली। जय शर्मा गया।

मंगेश बोला: चल नर्गिस ज़्यादा समय नहीं है, हमें दुकान वापस भी जाना है। चल सुहागरत का डेमो दे देते हैं इसको। वह हँसने लगी और सब बेडरूम में चले गए। जय वहाँ बेड के पास रखी एक कुर्सी पर बैठ गया। नर्गिस अपना घूँघट निकालकर बिस्तर पर बैठ गयी। मंगेश बाहर से अंदर आने का अभिनय किया और आकर बिस्तर के पास आकर उसके पास बैठ गया। फिर उसने जय की गिफ़्ट को नर्गिस के हाथ में देकर कहा: जानेमन, ये लो मेरी ओर से सुहाग रात की गिफ़्ट। फिर उसने उसका घूँघट उठाया और उसके हुस्न की तारीफ़ करने लगा। वह अब उसके पास आके उसके हाथ को चूमा और फिर उसके हाथ को चूमते हुए उसकी गरदन के पास जाकर उसके गाल चूमा। नर्गिस शर्मायी सी बैठी थी। फिर वह उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिया और उसे चूमने लगा। फिर उसने अपनी जीभ उसके मुँह में डाली और उसके निचले होंठ को चूसने लगा। जय ग़ौर से ये सब देख रहा था और उसके लौड़े ने अँगडाइयाँ लेनी शुरू कर दी थी।

अब मंगेश ने उसकी साड़ी का पल्लू नीचे किया और नर्गिस की भारी छातियाँ ब्लाउस से बाहर झाँकने लगीं। अब उसने ब्लाउस के ऊपर से उसके दूध को दबाया और नर्गिस ने झूठ मूठ में हाऽऽऽय करके अपना भोलापन दिखाया। अब नर्गिस की भी सांसें तेज़ चलने लगीं थीं। फिर मंगेश ने अपनी क़मीज़ उतार दी और अब नर्गिस को बिस्तर पर लिटा दिया और उससे चिपक कर उसके होंठ चूसते हुए उसके बदन पर हाथ फिराने लगा। फिर बड़ी देर तक चुम्बन लेने के बाद वह उसके ब्लाउस के हुक खोला और उसको उतार दिया । अब ब्रा में क़ैद उसके मोटे मम्मों को दबाकर उसने नर्गिस की हाऽऽऽय निकाल दी। फिर उसने साड़ी उतारी और पेटिकोट का नाड़ा भी खोला और नर्गिस अब सिर्फ़ ब्रा और पैंटी ने थी। उसका थोड़ा मोटापा लिया हुआ बदन सेक्सी लग रहा था। बस पेट और जाँघों पर एक्स्ट्रा चरबी थी। मंगेश अब उसके बदन को सहलाने लगा। नर्गिस शर्माने की ऐक्टिंग कर रही थी। फिर मंगेश ने अपने पूरे कपड़े खोले और उसका सामान्य साइज़ का लौड़ा जय के सामने था। उसने नर्गिस के हाथ में लौड़ा देने की कोशिश की पर नर्गिस थोड़ी देर बाद उसे छोड़ दी। अब मंगेश ने ब्रा का हुक खोला और उसकी मोटी छातियाँ मंगेश और जय के सामने थीं। नर्गिस उनको अपने हाथ से छुपाने की ऐक्टिंग कर रही थी। अब मंगेश ने उसका हाथ हटाया और उसकी छातियाँ दबाने लगा और फिर मुँह में लेकर चूसने भी लगा।
अब नर्गिस की हाऽऽऽऽऽऽऽयह उइइइइइइइइइ निकलने लगी।

अब जय का लौड़ा बहुत टाइट हो गया था और वह उसे सहलाने लगा। उधर मंगेश नीचे आकर उसकी पैंटी निकाला और उसकी जाँघें फैलाकर उसने ऊँगली डालकर हिलाने लगा। अब नर्गिस उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्ग कर उठी। फिर उसने नर्गिस की गाँड़ के नीचे तकिया रखा और उसकी टाँगें मोड़कर अपना लौड़ा उसके छेद में लगाकर धक्का दिया और लौड़ा उसकी बुर में घुस गया। फिर वह उसके ऊपर आकर उसकी चुदाई करने लगा। जय को लगा कि ये सब देखना बेकार ही हो गया क्योंकि सभी ब्लू फ़िल्म में भी कुछ ऐसा ही होता है। अब वह अपने लौड़े को मसल रहा था।

थोड़ी देर बाद दोनों चिल्लाकर झड़ने लगे। जय ये सब देख कर बहुत उत्तेजित हो चुका था। अब मंगेश नर्गिस के ऊपर से हटकर बग़ल में लेट गया। नर्गिस की फैली जाँघों के बीच में सफ़ेद वीर्य चमक रहा था। उसने एक कपड़े से अपनी बुर को पोंछा। फिर जय के पैंट के उभार को देख कर बोली: कुछ सीखा आपने? ऐसे होती है चुदाई। आओ अपना भी डाल दो मेरी बुर में। एकदम रेडी है चुदवाने के लिए। ये कहकर उसने अपनी बुर में दो उँगलियाँ डाली और जय को आँख मारी।
मंगेश भी हँसकर बोला: हाँ यार आज तू भी प्रैक्टिकल कर ले। वह भी अपना सुकडा हुआ लौड़ा कपड़े से पोंछने लगा।

जय: नहीं मुझे नहीं करना। मैंने जो देखना था देख लिया है। अब मैं चलता हूँ।

मंगेश: अरे यार अभी तूने नर्गिस का नक़ली रूप देखा है, अब तू इसका असली रूप देख ले फिर चले जाना। फिर वह नर्गिस से बोला: चल अब अपना असली रूप दिखा जिसने मुझे दीवाना बना दिया है।

नर्गिस हँसकर उठी और बोली: देखो राजा , मज़ा कैसे लेते हैं चुदाई का।

फिर नर्गिस ने मंगेश का लौड़ा ऊपर से नीचे तक चाटा और फिर उसे चूसने लगी। अब उसका लौड़ा उसके मुँह में बड़ा होता चला गया। फिर उसने क़रीब १५ मिनट उसे चूसा और चाटा। फिर वह आकर उसके लौड़े पर बैठी और उसे अपनी बुर में अंदर करके उछल कर चुदवाने लगी। फ़च फ़च और ठप्प ठप्प की आवाज़ के साथ पलंग भी चूँ चूँ कर उठा। फिर वह ६९ की पोजीशन में आकर अपनी बुर चटवाते हुए उसका लौड़ा चूसने लगी। फिर मंगेश ने उसे पलटा और वह उसके ऊपर आकर उसे चोदने लगा। वह भी अपनी गाँड़ उठाकर उसका साथ देनी लगी। फिर आख़िर में उसने उसको कुतिया बनाकर पीछे से चोदा और उसके अंदर झड़ गया।

हाँफते हुए उसके बग़ल ने लेटकर मंगेश बोला: देखा साली कैसी रँडी के माफ़िक़ चुदवाती है? मेरी बीवी को साली अभी तक मुझसे शर्म आती है। ना वो कमर उछालती है और ना ही मुँह में लेती है। इस तरह मेरे ऊपर आकर चोदना तो बहुत दूर की बात है। समझा, मैं क्यों इसके पास आता हूँ? जो बीवी से नहीं मिलता वो ये देती है।

जय अपना लौड़ा पैंट में ऐडजस्ट किया और बोला: मैं समझ गया। अब चलता हूँ। ये कहकर वो बाहर आया और सोचने लगा कि अगर मंगेश की बीवी उसका ठीक तरह से साथ देती तो शायद वो नर्गिस के चक्कर में नहीं पड़ता।

दुकान में आकर वह बाथरूम में गया और मूठ्ठ मारा और अपने काम में लग गया। शाम को डॉली का फ़ोन आया: कैसे हो?

जय: मज़े में हूँ।

डॉली: वो तो होंगे ही, मज़ा जो करके आ रहे है । कैसा रहा प्रैक्टिकल अनुभव ?

जय: सिर्फ़ देखा, किया कुछ नहीं।

डॉली: क्या पता ? वैसे हुआ क्या ये तो बताइए ?

जय: मेरा दोस्त अपनी गर्ल फ़्रेंड के पास ले गया था। वहीं पर उन्होंने मुझे सेक्स करके दिखाया और क्या?

डॉली: फिर आपका मन नहीं किया?

जय: मेरा मन तो सिर्फ़ तुम्हारे साथ करने का है। वो बोली थी पर मैंने मना कर दिया।

डॉली: आप सच में बहुत अच्छे हो। बहुत प्यारे। ये कहते हुए उसने पहली बार उसे फ़ोन पर किस्स किया मुआआऽऽऽऽ बोलके।

जय: ओह थैंक्स ड़ीयर । मुआआऽऽऽऽ ।

डॉली: चलो अब रखती हूँ। उसने फ़ोन काट दिया।
रात को सब एक साथ खाना खा रहे थे और हँसी मज़ाक़ चल रहा था। राज सोच रहा था कि रचना के आने से घर में कितनी चहल पहल हो गयी थी। अभी वह नायटी में थी और जब वो हँसती थी तो उसके बड़े बड़े दूध ब्रा में उछलते थे जो जय और राज की आँखों को अपनी ओर आकर्षित कर ही लेते थे। फिर वह दोनों वहाँ से आँखें हटा लेते थे और मन में ग्लानि के भाव से भर उठते थे।
राज खाने के बाद थोड़ी देर बाद सोने चला गया। जय और रचना अमेरिका की बातें करने लगे।

अचानक जय बोला: दीदी एक बात बोलूँ, आप नाराज़ मत होना।

रचना: अरे बोल ना? क्या बात है?

जय: वो क्या है ना दीदी , मैंने कभी सेक्स किया नहीं है और मुझे सुहाग रात का सोचकर थोड़ा नरवसनेस हो रही है। पता नहीं कैसे होगा?

रचना हँसते हुए: अरे मेरे बुध्धू भाई , इसमे नर्वस होने वाली क्या बात है।

जय: फिर भी दीदी , पता नहीं क्यों मैं बहुत सहज नहीं हो पा रहा हूँ।

रचना: अच्छा चल पूछ क्या जानना है?

जय: यही कि शुरुआत कैसे करेंगे? मतलब अब आपसे कैसे कहूँ ?

रचना: ओह बस इतनी सी बात है, चल अभी समझा देती हूँ, टेन्शन मत ले। सुन, सुहागरत में जितना तू डरा होगा उससे ज़्यादा तो डॉली डरी होगी। तुझे सबसे पहले उसे सहज करना होगा। अंदर जाकर तुझे उसे सबसे पहले गिफ़्ट देनी होगी। फिर घूँघट हटा कर उसकी सुंदरता की बहुत तारीफ़ करनी होगी। समझा कि नहीं?

जय: जी दीदी समझ रहा हूँ, फिर?

रचना: फिर उससे ख़ूब सारी बातें करना और फिर ख़ुद लेट जाना और उसे भी लेटने को बोलना। अब दोनों लेट कर बातें करना और अपना हाथ उसके हाथ में लेकर उसे चूमना और फिर उसके गाल वगेरह को चूम कर अपना प्यार प्रदर्शित करना। फिर उसके लिप्स को भी चूमना। जब वो नोर्मल हो जाए तो फिर उसके बदन पर हाथ फिराना। किसी भी लड़की के होंठ और उसके बूब्ज़ उसके शरीर के ऐसे अंग हैं जिनको छूने , चूमने और चूसने से वो गरम हो जाती है। तुम्हें यही करना होगा। प्यार से उसके ब्लाउस को और बाद में ब्रा भी निकालना होगा और होंठ और बूब्ज़ को चूस कर उसे गरम करना होगा। नीचे का हिस्सा आख़िर में नंगा करना होगा। फिर उसकी पुसी में ऊँगली से उसे और भी गरम करना होगा। जब वह वहाँ पर गीली हो जाए तब उसको सेक्स की अवस्था में लाकर उसकी पुसी में अपना हथियार डालना होगा।

एक बात बता दूँ, ये काम बहुत धीरे से और धैर्य से करना होगा। जब उसे दर्द हो तब रुकना भी होगा। और फिर से अंदर डालना होगा। फिर उसके साथ सेक्स करना। हमेशा याद करते हुए की तुम उसे सुख दे रहे हो। सिर्फ़ अपने मज़े के लिए मत करना। कोशिश हो कि वह पहले शांत हो और तुम उसके बाद ।

हाँ एक बात और सेक्स के बाद जो लोग मुँह फेर के सो जाते हैं, लड़की उनको पसंद नहीं करती। वह सेक्स के बाद ख़ूब सारा प्यार और दुलार चाहती है। बहुत सारी बातें करो और उसे बताओ के तुम्हें क्या अच्छा लगा और उससे पूछो कि उसे क्या अच्छा या बुरा लगा। बस इतना ही मैं बता सकती हूँ।

जय: ओह दीदी , आपने बहुत अच्छी तरह से समझा दिया, थैंक्स । बस एक बात और ओरल सेक्स के बारे में बताओ प्लीज़।

रचना: देखो यह सेक्स लड़के और लड़की की मर्ज़ी पर निर्भर करता है। तुम इसके लिए किसी पर दबाव नहीं डाल सकते। और इसके लिए दोनों के अंगों का साफ़ होना बहुत ज़रूरी है। ये तो धीरे धीरे सेक्स करते हुए अपने आप अच्छा या बुरा लगने लगता है।
जय: और दीदी वो जो कई आसन होते है ? उनका क्या?

रचना हंस कर: अरे जैसे जैसे समय बीतेगा, तुम दोनों सब सीख जाओगे।

जय भी हँसने लगा। फिर दोनों गुड नाइट करके सोने के लिए अपने अपने कमरे में चले गए।

जय सोने के समय सोचने कहा कि दीदी ने कितने अच्छी तरह से समझाया और एक बार भी उसका लौंडा खड़ा नहीं हुआ। सच में दीदी कितनी परिपक्व है। फिर उसके आँखों के सामने दीदी के दूध आए,जो कि उसके हँसने से उछल रहे थे । अब उसके लौड़े में हरकत हुई और वह शर्मिंदा होकर अपना सिर झटक कर सो गया।
जब जय दीदी से सुहागरत की ट्रेनिंग ले रहा था तभी डॉली किचन में पानी पीकर किचन बंद करके सोने के लिए जाने लगी। तभी उसको एक कमरे के सामने से फुसफुसहाट सुनाई दी। वह रुक कर सुनने की कोशिश की। अमित: अरे जान आज बहुत इच्छा हो रही है, रात को साथ सोते हैं। मैं उसको नींद की दवाई खिला देता हूँ और फिर रात को मज़े करते हैं। ठीक है?

रश्मि: आऽऽह धीरे से दबाओ ना। अच्छा चलो एक घंटे में आती हूँ। तब तक भाभी सो जाएगी ना?

अमित: बिलकुल मेरी जान। आ जाना।

रश्मि: हाऽऽऽऽय क्या कर रहे हो अभी, उसी समय कर लेना ना ये सब । आऽऽऽह छोड़ो।

डॉली ने धीरे से झाँक कर देखा । रश्मि को अमित पीछे से पकड़ा हुआ था और उसके दोनों बूब्ज़ उसके पंजों में थे और शायद वह उनको ज़ोर से दबा रहा था तभी रश्मि की आऽऽऽह निकल रही थी। जब अमित ने रश्मि को छोड़ा तो उसके लूँगी का तंबू साफ़ दिख रहा था। वह शायद उसे रश्मि के चूतरों पर रगड़ रहा था। अब रश्मि ने बड़ी बेशर्मी से उस तंबू को दबाकर कहा: थोड़ी देर और धीरज रखो फिर शांत हो जाओगे। और यह कहकर हँसती हुई वहाँ से अपने कमरे में चली गयी। अमित के जाने के बाद डॉली भी चली आयी।

डॉली को नींद नहीं आ रही थी। बार बार उसके कान में ये बात गूँज रही थी कि माँ अभी थोड़ी देर में अमित ताऊजी से चुदेगी। आज तक जब भी वह उनको साथ देखी थी तब जल्दी से शर्माकर हट जाती थी। आज उसका मन कर रहा था कि पूरा खेल देखे। ये सोचकर वह उठी और माँ जे कमरे में झाँकी। मम्मी वहाँ नहीं थीं। वो अब अमित के कमरे की ओर गयी। खिड़की के परदे को हटाया और अंदर का दृश्य उसकी आँखों के सामने था।

ताई सोयी हुई थी। और ताऊ जी बिस्तर पर बैठे थे और मम्मी नीचे में ज़मीन पर गद्दा बिछा रही थी। फिर वह वहीं लेट गयीं। नायटी में उनकी विशाल छातियाँ ऊपर नीचे हो रही थीं। अब वह अमित को देख कर मुस्कुराई। अमित आकर उसके साथ लेट गया। अब रश्मि ने अपनीं बाहें उसकी गरदन में डाली और उससे लिपट गयी। वह। ही उसको अपने आप से चिपका लिया। अब उनके होंठ एक दूसरे से मानो चिपक से गए थे। अमित की जीभ रश्मि के मुँह में थी और अमित के हाथ उसकी पीठ और कमर सहला रहे थे।

अमित के हाथ इसकी नायटी को उठाए जा रहे थे और जल्दी ही रश्मि नीचे से नंगी हो गयी। उसके बड़े चूतरों को वो दबाने लगा। और उसकी दरार में हाथ डालकर वह उसकी बुर और गाँड़ सहलाने लगा। रश्मि भी उसकी लूँगी निकाल दी और उसके लौड़े को मसलने लगी। ताऊजी का लौड़ा उसे जय के लौड़े से थोड़ा छोटा ही लगा। अब रश्मि उठी और अपनी नायटी उतार दी। वह नीचे पैंटी और ब्रा नहीं पहनी थी। ताऊजी भी चड्डी नहीं पहने थे। शायद ये उनका पहले से तय रहता है कि चुदाई के समय ये सब नहीं पहनेंगे।

डॉली की हालत ख़राब होने लगी और उसका हाथ अपनी चूचियों पर चला गया और वह उनको दबाने लगी। तभी रश्मि नीचे को झुकी और अपनी चूचि अपने हाथ में लेकर अमित के मुँह में डाल दी। वह उसको चूसने लगा और दूसरी चूचि को दबाने लगा। अब रश्मि आऽऽहहह कर उठी। फिर रश्मि उसके लौड़े को सहलाने लगी। फिर वह झुकी और उसके लौंडे को चाटी जीभ फिराके, और फिर उसे चूसने लगी। अमित भी मज़े से उसके मुँह को चोदे जा रहा था। फिर रश्मि उसके ऊपर आ गयी और अपनी बुर को उसके मुँह पर रखी और अब ६९ की चुसाइ चालू हो गयी।

डॉली की आँखें वहाँ जैसे चिपक सी गयी थीं। अब वह अपनी नायटी उठाकर पैंटी के अंदर उँगली डालकर अपनी बुर सहलाने लगी।
उसकी बुर पूरी गीली हो गयी थी।
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RE: बहू की चूत ससुर का लौडा - by sexstories - 06-26-2017, 12:30 PM

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