RE: बहू की चूत ससुर का लौडा
अब राज ने उसे अपने बग़ल में लिटा लिया और रश्मि ने अपनी एक टाँगउठा दी। राज ने अपना लौड़ा उसकी बुर के छेद में डाला और फिर एक झटके में पूरा लौड़ा अंदर कर दिया । रश्मि आऽऽऽँहह कर उठी। फिर उसकी दूसरी तरफ़ से अमित भी अपने लौड़े पर क्रीम लगाया। उसने उसकी गाँड़ के अंदर २ ऊँगली डाली क्रीम लगाकर और फिर अपना लौड़ा उसकी गाँड में अंदर करने लगा। जल्दी ही दोनों के लौड़े उसकी दोनों छेदों में घुस चुके थे। अब भरपूर चुदाई शुरू हुई।अब रश्मि भी उई उई ऊँननन उन्न्न्न्न्न और हाऽऽऽयययय फ़ाआऽऽऽड़ो आऽऽऽऽऽहहहह आऽऽऽऽऽऽऽ मरीइइइइइइइ चोओओओओओओओदो चिल्लाए जा रही थी। उसकी कमर आगे पीछे हुई जा रही थी। फिर वह उन्न्न्न्न्न्न्न्न्न कहकर झड़ने लगी। राज और अमित भी अपना अपना वीर्य उसके अंदर डालकर शांत हो गए।
बाद में फ़्रेश होकर रश्मि आइ और कपड़े की तरफ़ हाथ बधाई।, राज ने उसका हाथ पकड़कर उसे नंगी ही बिस्तर पर गिरा गया और और बोला: मेरी जान अभी तो और राउंड करेंगे अभी से कपड़ा कैसे पहनोगी? फिर वह उसे अपने बग़ल में लिटाकर उसके होंठ चूसने लगा। अमित भी उसके शरीर पर हाथ फेरने लगा।
राज: रश्मि, तुम बता रही थीं कि तुम शादी के पहले चुदवा चुकी हो, बताओ ना किसने तुम्हें चोदा था? और कैसे हुआ ये सब?
रश्मि: बहुत पुशशी बात है, छोड़िए ना ये सब । ये कहते हुए वह एक हाथ से राज का और दूसरे हाथ से अमित का लौड़ा सहलाने लगी।
अमित: हाँ जानू सुनाओ ना, कैसे चुदीं तुम पहली बार? बताओ ना प्लीज़।
रश्मि: अच्छा चलिए बतातीं हूँ।
मैं एक किसान परिवार से हूँ और एक गाँव में ही पली बड़ी हूँ। मेरे घर में बाबा और माँ के अलावा मेरा एक छोटा भाई भी था। जीवन आराम से कट रहा था। पास के गाँव में एक स्कूल में हम पढ़ते थे। जब मेरे शरीर में जवानी के लक्षण उभरने लगे तो माँ ने सब कुछ बताया और पिरीयड्ज़ का भी बताया। गाँव में अब आदमियों की नज़र मुझे बदली हुई सी लगने लगीं। लड़कों ने तो मेरे साथ छेड़ छाड़ भी शुरू कर दी थी। हमारे गाँव के पास एक नदी बहती थी। एक बार शाम को मैं और मेरा भाई पास के गाँव में सगाई के कार्यक्रम के लिए गए । वापसी में हमें देर हो गयी। जब हम नदी के पास पहुँचे तो उस समय क़रीब शाम के ८ बजे थे।
हम वहाँ खड़े होकर नदी का बहाव देख रहे थे। तभी वहाँ जंगल से कुछ आवाज़ें आयीं। हम भाई बहन डर गए। तभी किसी के हँसने की आवाज़ आयी। हे भगवान! ये तो काली की आवाज़ है। काली मेरे से २ साल बड़ी थी और ११ वीं में पढ़तीं थीं। तभी वो भागते हुए सामने आयी और उसके पीछे दो लड़के भागते आए और उसको पकड़ लिए और उसे चूमने लगे।मुझे याद आया कि मेरा छोटा भाई भी ये सब देख रहा है। तभी वो हमको देख लिए। काली मेरे पास आइ और बोली: अरे तुम यहाँ क्या कर रही हो?
मैं: बग़ल के गाँव में सगाई थी वहीं से आ रही हूँ।
काली: अपने भाई को भेज दो घर , हम दोनों थोड़ी देर में आ जाएँगी। फिर मेरे भाई से बोली: तुम जाओ , हम अभी आते हैं।
भाई के जाने के बाद काली उन लड़कों से बोली: अब हम भी दो हैं। अब मुझे अकेली को तंग नहीं कर सकते? वो हँसने लगे। मैं उन दोनों को जानती थी । वो दोनों पढ़ाई छोड़ कर खेतों में काम करते थे और हमसे काफ़ी बड़े थे। वो दोनों कई बार मुझे छेड़ चुके थे। अब एक लड़का कबीर मेरे पास आया और मुझे बोला: तुम तो अब मस्त जवान हो गयी हो, मज़ा लिया की नहीं अपनी जवानी का? वो मेरे संतरों को घूरते हुए बोला।
काली: अरे एकदम भोली है मेरी सहेली। अभी कहाँ लिया है मज़ा । तभी दूसरे लड़के मोहन ने काली को पीछे से पकड़ा और उसके गाल चूमते हुए उसकी बड़ी बड़ी छातियों को दबाने लगा। वह घाघरा चोली में थी। और आऽऽऽह करने लगी। तभी कबीर ने मुझे पकड़कर अपनी बाहों में ले लिया और मुझे चूमने लगा। मुझे झटका लगा। तभी काली बोली: देख कबीर आराम से करना वो ये सब अभी तक करी नहीं है।
तभी मोहन ने काली की चोली उठा दी और उसकी बड़ी छातियाँ ब्रा से दिख रहीं थीं। वह अब उनकी काफ़ी बेहरमी से दबा रहा था। वह अब सीइइइइइइ कर उठी। मेरी आँखें भी भारी होने लगी थी ये सब देखकर। तभी कबीर के हाथ भी मेरी छातियों पर आ गए थे। अब मुझे भी अच्छा लग रहा था। फिर वह मुझे भी चूमने लगा। मैं भी काली की तरफ़ देख रही थी। तभी मोहन ने अपनी धोती निकाल दी और उसकी नाड़े वाली चड्डी के एक साइड से उसका बड़ा सा लिंग निकला हुआ दिख रहा था। तभी काली ने उसके लिंग को पकड़ लिया और दबाने लगी। मेरी अब सांसें फूलने लगी थीं। तभी कबीर मेरी फ़्रोक़ उठा कर मेरी चूचियाँ दबाने लगा। अब मैं भी मज़े से भरने लगी। अचानक मोहन ने काली की चूचिया ब्रा से निकाली और उनको चूसने लगा। तभी कबीर ने भी अपनी लूँगी और चड्डी खोल दी और उसका बड़ा सा लिंग मेरी आँखों के सामने थी। उसने मेरे हाथ को खींचकर अपना लिंग मेरे हाथ में दे दिया। उसका गरम और कड़ा लिंग मुझे बेक़रार कर दिया। तभी मैंने देखा कि मोहन ने काली को पेड़ के सहारे झुका दिया और उसके घाघरे को उठाकर उसकी चड्डी नीचे किया और अपना कड़ा लिंग उसकी बुर में डालकर मज़े से चोदने लगा। मेरी आँखें फैल गयीं थीं। मैं पहली बार किसी की चुदाई देख रही थी। मेरी बुर भी गीली हो चुकी थी।
तभी कबीर ने मेरी चड्डी में हाथ डालकर मेरी बुर को पकड़ लिया और दबाने लगा। मेरी तो मस्ती से हालत ख़राब हो रही थी। तभी मुझे समझ में आ गया कि मैं अब चुदने वाली हूँ। मैंने अपना हाथ छुड़ाया और वहाँ से दौड़कर भाग गयी। उस रात भर मुझे काली की चुदाई याद आती रही। और कबीर और मोहन के लिंग मेरी आँखों के सामने झूलते रहे।
अमित: अरे तो उस दिन तुम्हारी बुर का उद्घाटन नहीं हुआ? वो अब रश्मि की चूचि दबा रहा था।
राज ने भी उसकी चूचि चूसते हुए कहा: फिर तुमको पहली बार किसने चोदा?
रश्मि आगे बताने लगी…. अब मैं अक्सर चुदाई के बारे में सोचती रहती थी। एक दिन माँ ने कहा कि जाओ मंदिर में पुजारी के पास जाओ और उनको ये लड्डू दे दो भगवान को चढ़ाने को। मैं जब मंदिर पहुँची तो पुजारी वहाँ नहीं थे और मंदिर बंद था। वहीं एक औरत मंदिर की सफ़ाई कर रही थी।
मैं: पुजारी जी कहाँ हैं ?
औरत: वह उधर अपने घर ने हैं । अभी मंदिर खुलने में समय है।
मैं उनके घर की तरफ़ गयी, पुजारी जी की पत्नी को मैं अच्छी तरह से जानती थी, वो मेरे माँ की अच्छी सहेली भी थी।
मैं उनके घर पहुँचकर दरवाज़ा खटखटाई और बोली: मौसी , मैं रश्मि हूँ ज़रा दरवाज़ा खोलिए। तभी मैंने दरवाजे को धक्का दिया और मेरे सामने पुजारी जी थे जो सिर्फ़ चड्डी पहने आँगन में नहा रहे थे। मैं उनका बालों से भरा सीना और पुष्ट शरीर देखकर थोड़ा सा सकपका गयी। तभी वो खड़े हुए और उनकी गीली चड्डी में से लम्बा लिंग साफ़ दिखाई दे रहा था। मैं शर्म से दोहरीहो गयी। वो बोले: बेटी , आ जाओ अंदर,तुम कैसी हो?
मैं: जी ठीक हूँ। फिर मैं मौसी से मिलने अंदर चली गयी। वहाँ कोई नहीं था। तभी पुजारी जी बदन पोछते हुए आए। अब वह एक तौलिए में थे। उनका लिंग तौलिए से साफ़ उभरा हुआ दिख रहा था।
मैं: मौसी कहाँ हैं?
पुजारी: वो तो मायक़े गयी है। बैठो ना बेटी , बोलो कैसे आना हुआ?
मैं: वो लड्डू लायी थी चढ़ावे के लिए। माँ ने भेजा है। मेरी नज़र बार बार तौलिए के उभार पर जा रही थी।
पुजारी जी फ़्रोक़ में से मेरे संतरों को घूरे और बोले: बेटी ठीक है अभी चलते हैं। आज मैंने पहली बार तुम्हें ध्यान से देखा है, बेटी तुम अब मस्त जवान हो गयी हो और बहुत सुंदर भी। वो अभी भी मेरे संतरों को घूरे जा रहे थे। मैंने देखा कि अब उनका तौलिया ऊपर की ओर उठने लगा , मैं समझ गयी कि उनका लिंग वैसे ही खड़ा हो रहा है जैसे उस दिन मोहन और कबीर का खड़ा था। मेरी बुर गीली होने लगी।
तभी पुजारी मेरे पास आए और मेरे कंधों पर हाथ रखकर बोले: बेटी क्या खाओगी? चलो तुमको मिठाई खिलाते हैं। फिर वो मुझे मिठाई दिए और मेरे कंधों और हाथों को सहलाने लगा। फिर वो वहाँ रखे एक कुर्सी पर बैठे और मुझे बोले: बेटी आओ मेरी गोद में बैठो । आज तुम पर बहुत प्यार आ रहा है।
मैं: नहीं पुजारी जी मुझे जाना है।
वो: बेटी क्यों घबरा रही हो? अब तुम बच्ची नहीं हो मस्त जवान हो गयी ही। डरो मत मज़ा लो अपनी जवानी का। ये कहते हुए उसने मुझे अपनी गोद में खिंचा और मेरे चूतड़ उसके लौड़े पर टिक गए ।मैं उई करके उठी और उसने मेरी फ़्रोक़ ऊपर करके मुझे फिर से अपनी गोद में बिठा लिया। अब मेरी चड्डी में उनके खड़े लिंग का अहसास मुझे हो रहा था। अब वो मुझे चूमने लगे। मैं भी मज़े से आँख बंद कर ली। फिर जब उन्होंने मेरे संतरों को दबाया तो बस मैं बहक गयी। नीचे से लौड़े की चुभन और ऊपर से उनके हाथ मेरे निप्पल को दबाकर मुझे मस्ती से भर दिए थे। अब वो मुझे चूमे जा रहे थे।
फिर वो मेरी फ़्रोक़ को निकालकर मेरी ब्रा में क़ैद संतरों को चूमने लगे और मसलने लगे। फिर उन्होंने मेरी ब्रा भी खोल दी और मेरे संतरों को निचोड़ना शुरू किया। मेरी हाऽऽऽय्य निकल गयी। तभी उनका एक हाथ मेरे पेट को सहलाते हुए मेरी चड्डी पर घूमने लगा। मेरी गीली चड्डी देखकर बोले: बेटी, पिशाब कर दिया क्या? चड्डी गीली हो गई है?
मैं शर्माकर: नहीं, पर पता नहीं कैसे गीली हो गयी।
वो: बेटी, देखूँ अंदर सब ठीक है ना? ये कहकर उन्होंने अपने हाथ मेरी चड्डी में डाला और मेरी बुर और उसके आसपास के रोये जैसे नरम बालों को सहलाने लगे। मेरी अब सिस्कारी निकल गयी।
वो बोले: बेटी अच्छा लग रहा है ना?
मैं: जी बहुत अच्छा लग रहा है। वो मेरी बुर में ऊँगली डालकर उसे छेड़ने लगे और बोले: बेटी कभी किसी से चुदवाई है क्या?
मैं: : जी नहीं कभी नहीं किया।
वो :बेटी तभी तुम्हारी बुर बड़ी टाइट है , मैं तुम्हारी सील तोड़ूँगा। तुमको पहले थोड़ा सा दर्द बर्दाश्त करना होगा। फिर उसके बाद मज़े ही मज़े। ठीक है ना?
मैं: जी ठीक है। मेरी बुर पनिया चुकी थी और अब मैं चुदवाने को मरी जा रही थी।
वो: ठीक है बेटी फिर उठो और नीचे ज़मीन पर बने बिस्तर को दिखा कर बोले: चलो यहाँ लेट जाओ।
मैं वहीं लेट गयी । अभी मैंने सिर्फ़ चड्डी पहनी थी। उन्होंने भी अपना तौलिया खोलकर निकाला और उनका लौड़ा देखकर मेरे प्राण निकल गए कि इतना बड़ा मूसल मेरे अंदर जाएगा कैसे?( उनका आपके जितना ही बड़ा था, वो अमित से बोली। )
तभी उन्होंने किचन से तेल लाकर मेरी बुर में डाला और ऊँगली से मेरी बुर को फैलाकर उसमें दो उँगलियाँ डाली और फिर अपने लौड़े पर भी तेल मला। फिर मेरी टाँगे घुटनों से मोड़कर पूरा फैलाया और बीच में बैठकर अपना लौड़ा मेरी बुर के मुँहाने में लगाया और धीरे धीरे से दबाने लगा। मेरी तो जैसे जान ही निकल गयी। मुझे लगा कि मेरे अंदर जैसे कोई कील गड़े रहा है। मैंने उनसे अलग होने की कोशिश की जो नाकयाब साबित हुई। अब मेरे रोने का उनपर कोई असर नहीं हो रहा था। वो अपना पूरा लौड़ा अंदर करके मेरे होंठ और मेरी चूचि चूसने लगे। जल्द ही मेरा दर्द कम होने लगा। फिर वो पूछे: बेटी अब दर्द कम हुआ?
मैं: जी दर्द अब कम हुआ है।
वो: तो फिर चुदाई शुरू करूँ?
मैं शर्माकर बोली: जी करिए।
वो मुस्कुराकर मेरे संतरों को दबाकर चूसे और फिर अपनी क़मर हिलाकर मेरी चुदाई शुरू किए। मेरी टाइट बुर में उनका लौड़ा फँस कर अंदर बाहर हो रहा था । अब मुझे फिर से दर्द भी हो रहा थ और मज़ा भी आ रहा था। मैं उइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽ करके चिल्ला रही थी। पर अब वो पूरी तरह से चुदाई में लग गए थे और मेरी बुर की धज्जियाँ उड़ रही थी। आधा घंटा चुदाई के बाद वो झड़कर मेरे ऊपर से उठे। मैं भी दो बार झड़ी थी। मैं चुदाई के बाद एक लाश की तरह चुपचाप पड़ी थी। मेरी बुर में बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा था। वो उठकर एक गीला तौलिया लाए और बड़े प्यार से मेरी बुर को साफ़ किए और बोले: देखो बेटी, कितना ख़ून निकला है , पहली बार ऐसा होता है। अब तुम्हारी बुर मस्त खुल गयी है , अब आराम से चुदवा सकती हो। ठीक है ना? आज तुमको चलने में थोड़ी तकलीफ़ होगी, घर में बोल देना की पैर में मोच आ गयी है। ठीक है ना बेटी?
मैं: जी पुजारी जी।
जब मैं वापस आने लगी तो वो प्यार करते हुए बोले: बेटी जब चुदवाने की मर्ज़ी हो तो आ जाना। ऐसा कहते हुए उन्होंने मेरे संतरे दबा दिए और मेरे चूतरों पर हाथ भी फेर दिया।
मैं कई बार उनसे चुदवाई थी शादी के पहले। मेरे पति चुदाई के मामले में ज़्यादा मज़ा नहीं दिए पर मैं उनके साथ गुज़रा करती रही। बाद में उनकी मृत्यु के बाद अमित जी ने मुझे संतुष्ट किया। और अब आप दोनों मुझे सुख दे रहे हो। यही मेरी कहानी है।
रश्मि की कहानी सुनकर दोनों गरम हो चुके थे । राज तो उसकी बुर में मुँह घुसाकर उसकी बुर चाटने लगा था। अब अमित नीचे लेटा और रश्मि अपनी बुर में उसका लौड़ा घुसेड़ ली। फिर पीछे से राज ने उसकी गाँड़ में क्रीम लगाकर उसकी गाँड़ में अपना लौड़ा पेल दिया। अब रश्मि की फिर से डबल चुदाई चालू हुई। रश्मि चिल्लाने लगी। उन्न्न्न्न्न्न्न्न उइइइइइइ और फ़च फ़च और ठप्प ठप्प की आवाज़ें कमरे में भर गयीं थीं।
राज उसकी चूचियाँ भी मसल रहा था और रश्मि के कान में बोला: आऽऽऽह क्या मस्त गाँड़ है तुम्हारी । क्या टाइट है जानू। फिर वो उसके चूतरों को दबाकर उसपर थप्पड़ मारने लगा। वह चिल्ला कर अपनी गरमी को व्यक्त कर रही थी। अब चुदाई पूरी जवानी पर थी। पलंग भी चूँ चूँ कर रहा था। तभी रश्मि जो अमित के लौड़े पर उछल उछल के चुदवा रही थी, बड़बड़ाने लगी : आऽऽऽह मज़ाआऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽ रहाआऽऽऽऽ है। मैं गईइइइइइइइइ कहते हुए झड़ने लगी। उधर अमित और राज भी झड़ गए। सब अग़ल बग़ल लेटकर सब एक दूसरे का बदन सहलाने लगे। राज रश्मि के भरे हुए बदन पर हाथ फेरते हुए बोला: बहुत मज़ा आया जानू , क्या भरा बदन है तुम्हारा। एकदम मख़मल सा बदन है । वह उसके बड़े चूतरों को सहलाते हुए बोला: म्म्न्म्म्म मज़ा आ जाता है इनपर हाथ फेरने में। फिर उसके पेट से लेकर उसकी छाती सहलाकर बोला: ये दूध कितने रसभरे हैं। रश्मि हँसने लगी।
उस दिन और कुछ ख़ास नहीं हुआ। रश्मि और अमित वापस अपने शहर आ गए।
अगले दिन शादी को सिर्फ़ सात दिन रहे थे। दोनों बाप बेटा बड़े ख़ुश थे क्योंकि आज रचना अमेरिका से आने वाली थी। जय को दीदी और राज की इकलौती लाड़ली बेटी। जय और राज एयरपोर्ट पहुँचे उसे लेने के लिए।
रचना जब एयरपोर्ट से बाहर आइ तो जय की आँखें ख़ुशी से चमक उठी। उसकी प्यारी दीदी जो आयी थी वो भी काफ़ी दिनों के बाद। वो उससे जाकर लिपट गया और वह भी उसे गले लगाकर प्यार करने लगी। राज भी बहुत ख़ुश हुआ इतने दिनों कि बाद अपनी बेटी को देखकर। पर उसकी आँखें उसकी टॉप पर भी थी जिसमें से उसकी मस्त गदराइ हुई छातियाँ बिलकुल मादक लग रही थी। उसकी टॉप से झाँकती हुई अधनग्न छातियाँ उसे और भी सेक्सी बना रही थी। उसकी हिप हगिंग जींस भी बहुत कामुक दृश्य प्रस्तुत कर रही थी। उसके चुतरों के उभार और भी सेक्सी लग रहे थे । जब वह जय से लिपटी और उसके बाद वह अपना समान लेने के लिए झुकी , उसकी जींस नीचे खिसकी और उसकी गाँड़ की दरार सबके सामने थी। आते जाते लोग भी उसकी मस्त गोरी गाँड़ की दरार देख रहे थे और अपना लौंडा अपने पैंट में अजस्ट कर रहे थे। उसे अपने लौंडे में भी हरकत सी महसूस हुई। अब वो आकर पापाआऽऽऽऽ कहकर राज से लिपट गई। उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ राज के चौड़े सीने से टकरा कर राज के पैंट में और ज़ोर से हलचल मचा दीं।उसका हाथ रचना की कमर पर पड़ा और वहाँ के चिकनी त्वचा को सहला कर राज के लौंडे को पूरा खड़ा कर बैठा। रश्मि अब राज के गाल को चूम रही थी और बोली: पापा कैसे हैं आप?
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