RE: बहू की चूत ससुर का लौडा
राज आज बहुत ध्यान से काम कर रहा था क्योंकि शादी में बस सिर्फ़ १५ दिन बचे थे। बहुत लिस्ट वो बना चुका था पर जब लड़की और उसके रिश्तेदारों को क्या उपहार देना है सोचा तब उसका दिमाग़ चलना बन्द हो गया। काश आज पायल होती तो कुछ भी परेशानी नहीं होती। तभी उसको अपनी बेटी का ख़याल आया और वह उसी समय उसको फ़ोन लगाया।
राज उसके दामाद ने फ़ोन उठाया: नमस्ते पापा जी।
राज : नमस्ते बेटा, फिर क्या प्रोग्राम बना?
राजीव: पापा मेरा अभी भी डांवाडोल है ओर रचना की बुकिंग हो गयी है।लो रचना से बात करो।
रचना: नमस्ते पापा जी, मैं आऽऽऽऽऽऽ रही हूँ एक हफ़्ते में। ख़ूब मज़ा आएगा जय की शादी में। ख़ूब धमाल करेंगे।
राज: बेटी जल्दी से आओ और सब सम्भालो, तुम्हारी माँ के बिना बड़ी दिक़्क़त हो रही है। वैसे भी अपने परिवार की शायद आख़री शादी है। क्योंकि तुमने तो शायद बच्चे पैदा करने नहीं है और पता नहीं जय भी क्या सोचता है इस बारे में। तो मेरे जीवन में तो पोता पोती की शादी का नसीब होगा ही नहीं।
रचना: क्या पापा आप क्या उलटा पुल्टा सोच रहे हैं। आप नाती पोता की शादी ज़रूर देखेंगे।
राज : हाँ अगर होंगे तो ही ना देखूँगा। तुम लोग अब ये फ़ैमिली प्लानिंग बंद करो मुझे नाती चाहिए समझी?
रचना की आवाज़ इस बार थोड़ी सी उदास होकर आइ: ठीक है पापा। अब रखती हूँ, बाई।
राज ने भी बाई करके फ़ोन काटा और सोचने लगा कि रचना अचानक उदास क्यों हो गयी? फिर वह ख़ुश होकर जय को फ़ोन कर बताया कि रचना अगले हफ़्ते ही आ रही है। जय भी इस समाचार से ख़ुश हो गया।
तभी शशी आइ और बोली: मैंने खाना बना दिया है, आप खा लेना।
राज: बड़ी जल्दी है जाने की। चल जाते जाते अपनी गाँड़ दिखा कर जा।
शशी हँसने लगी और बोली: देखने से क्या होगा?
राज: मैंने कहा ना दिखा। वह हँसते हुए अपनी साड़ी लहंगे के साथ उठा दी और घूम गयी। अब उसकी पैंटी में क़ैद चूतड़ राज के सामने थे। वह अपना लौड़ा मसलते हुए बोला: चल पैंटी नीचे कर ताकि उनको नंगा देख सकूँ।
शशी ने मुस्कुरा कर पैंटी को नीचे किया और उसके गोल गोल चूतड़ उसके सामने थे। शशी का रंग गहुआं था पर चूतड़ काफ़ी गोरे थे।
राज: सामने झुक और चूतरों को फैला।
शशी ने सोफ़े का सहारा लिया और आगे झुकी और फिर हाथ पीछे करके अपने चूतरों को फैलाया। आह क्या दृश्य था उसकी सूजी हुई बुर और टाइट गाँड़ का छेद मस्त लग रहा था। वह अब अपना संयम खो दिया और अपने नीचे का हिस्सा नंगा करके अपने लौड़े को मसल कर झुकी हुई शशी के गाँड़ के सामने घुटने के बल बैठा और अपना मुँह उसकी दरार ने डाल कर उसकी बुर को चूसने लगा और जीभ से चोदने लगा।
शशी उइइइइइइइइइइ कर उठी और फिर वह अपना लौड़ा उसके मुँह के सामने किया और वो उसे भूक़े की तरह चूसने लगी। फिर वह थूक से सने लौड़े को उसकी बुर में फ़िट किया और पीछे से दबाकर उसकी चुदाई में लग गया। अब ठप ठप की आवाज़ के साथ उसकी मज़बूत जाँघें शशी के चूतरों से टकरा रही थीं और फ़च फ़च की आवाज़ भी बुर से आ रही थी।
शशी भी हाय्य्य्य्य और जोओओओओओओओओओर सेएएएएएए चोओओओओओओओदो कहकर चिल्लाई जा रही थी। अब जैसे जैसे वो अपनी चरम सीमा पर पहुँचने लगी वह उन्न्न्न्न्न्न्न्न हुन्न्न्न्न्न्न करने लगी और फिर वह अपनी जाँघों को आपस में भींचकर उसके लौड़े को जकड़ ली और राज भी इतना मज़ा बर्दाश्त नहीं कर पाया और वो दोनों झड़ने लगे।
शशी बाथरूम से बाहर आयी और बोली: अब जाऊँ?
राज ने उसे प्यार से चूमा और कहा: जाओ मेरी जान, पर डॉक्टर को शाम को ज़रूर दिखा देना और ये लो पैसे।
शशी भी उसको चूमकर पैसे लेकर चली गयी।
राज अब आराम करने लगा।
अगले दो दिन कुछ ख़ास नहीं हुआ। शशी डॉक्टर को दिखा आइ थी और टोनिक और दूसरी दवाइयाँ लेने लगी थी । राज दिन में एक बार उसको चोद देता था।
उस दिन राज नाश्ता करके शशी से शादी के कपड़े संभलवा रहा था तभी फ़ोन बजा। उसने हेलो कहा और दूसरी तरफ़ से एक लड़की की पतली सी आवाज़ आयी: हेलो, कौन बोल रहे हैं?
राज: मैं राज बोल रहा हूँ, आप कौन बोल रही हैं?
लड़की: अंकल जी मैं पंडित बोल रही हूँ।
राज हैरानी से फ़ोन को देखा और बोला: अरे पंडित बेटी, कैसी हो? बोलो आज हमारी याद कैसे आ गयी।
पंडित: अंकल वो आपने अपना विज़िटिंग कार्ड रख दिया था ना मेरे पर्स में , वहीं से आपका नम्बर मिला है। इसलिए फ़ोन किया है।
राज का लौड़ा खड़ा होने लगा। वह बोला: हाँ हाँ बेटी क्यों नहीं, बोलो क्या हाल है? आज स्कूल नहीं गयी?
पंडित: जी अंकल आज स्कूल की छुट्टी हो गयी है , हमारे प्रिन्सिपल की माता जी का निधन हो गया है।
राज: बेटी इस समय तुम कहाँ हो?
पंडित: जी स्कूल से बाहर आ रही हूँ।
राज: तो यहाँ आ जाओ हमारे घर , तुम्हें शशी बढ़िया पकोड़े खिलाएगी।
पंडित: जी मैं तो स्कूल बस से आती हूँ, मैं आपके घर कैसे आऊँगी?
राज: अरे बेटी ऑटो कर लो और हमारे घर तक आ जाओ। नीचे शशी खड़ी रहेगी वो पैसे दे देगी। ठीक है ना? उसने अपना लौड़ा मसलते हुए कहा।
पंडित: जी अंकल मैं आती हूँ, पर आप शशी दीदी को तो बाहर भेज दीजिएगा।
राज: हाँ हाँ तुम बिलकुल फ़िकर ना करो वह घर के सामने खड़ी मिलेगी पैसों के साथ। फिर उसने फ़ोन काट दिया।
शशी उसकी बात सुन रही थी , वो बोली: ये क्यों आ रही है यहाँ? पकोड़े खाने, या कुछ और खाने?
राज कुटिल हँसी हंस कर बोला: साली पकोड़े नहीं मेरा लौड़ा खाने आ रही है। और तुम मेरी मदद करोगी उसकी बुर फाड़ने में, समझी?
शशी: वह थोड़ी छोटी नहीं है आपके इस मोटे हथियार के लिए? उसको अपनी उम्र के लौंडों से चुदवाना चाहिए जिनके छोटे और पतले हथियार होते हैं। पता नहीं वो आपका कैसे लेगी?
राज: अरे बहुत प्यार से मस्त गीला करके क्रीम लगाकर लेंगे उसकी। आह देखो मेरा लौड़ा कैसे अकड़ गया है? मैंने तो उसे फ़ोन किया नहीं वो ख़ुद ही चुदवाने आ रही है तो क्या मैं उसे छोड़ दूँ?
शशी ने प्यार से उसके लौड़े को लोअर के ऊपर से सहलाया और बोली: आप ऐसा करो लूँगी पहन लो और चड्डी भी खोल दो ताकि उसको आपके लौड़े का अहसास हो जाए। वो मस्त गरम हो जाएगी।
राज: वाह क्या सुझाव दिया है, बल्कि अब तो मैं लूँगी में हीं रहना शुरू कर देता हूँ। चड्डी भी नहीं पहनूँगा । शाबाश क्या मस्त सेक्सी लड़की हो तुम। सोचकर ही मज़ा आ गया, जाओ लूँगी लाओ।
शशी जब लूँगी लायी तो वह नीचे से पूरा नंगा था और उसका लौड़ा ऊपर नीचे हो रहा था। शशी आकर झुकी और उसके लौड़े के टोप को चूम ली। फिर वह लूँगी डाला और उसका खूँटा लूँगी से अलग से दिख रहा था। शशी इस सेक्सी दृश्य को देखकर मुस्कुराई। तभी पंडित की मिस्ड कोल आयी। उसने जल्दी से शशी को पैसे देकर बाहर पंडित को लाने भेजा।
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