RE: बहू की चूत ससुर का लौडा
अमित आगे चल रहा था अब राज ने उसके चूतड़पर भी हल्के से हाथ फेरा। वह मुड़कर उससे बोली: क्या कर रहे हैं। कोई देख लेगा।
राज: सॉरी । और फिर वो कार में बैठकर दुकान की ओर चल पड़े।
दुकान में जय ने उनका स्वागत किया और उसने अमित और रश्मि के पैर छुए। रश्मि ने उसे आशीर्वाद दिया और प्यार से उसका माथा चूमा। ऐसा करते हुए उसकी बड़ी चूचियाँ जय की ठुड्डी को छू गयीं और राज को जय से जलन होने लगी।
जय उन दोनों को बड़े उत्साह से दुकान दिखा रहा था। और राज की नज़र अपनी समधन के बदन से हट ही नहीं रही थी। फिर अमित जय के साथ men सेक्शन में कपड़े देखने लगा और राज रश्मि को बोला: चलो मैं तुम्हें कुछ ख़ास साड़ियाँ दिखाता हूँ। वह उसे लेकर साड़ी के काउंटर में पहुँचा और उसको कई शानदार साड़ियाँ दिखाकर बोला: ये सब तुमको बहुत अच्छी लगेंगी। अपने ऊपर लपेट कर देखो।
रश्मि उदास होकर बोली: भाई सांब, अभी तो मुझे डॉली के लिए कपड़े लेने है और शादी में बहुत ख़र्च होगा इसलिए मैं अपने लिए तो अभी कुछ नहीं खरिदूँगी।
राज: अरे तुमसे पैसे भला कौन माँग रहा है। तुम बस साड़ी पसंद करो मेरी ओर से गिफ़्ट समझना।
रश्मि: नहीं नहीं मैं आपसे कैसे गिफ़्ट ले सकती हूँ? हम तो लड़की वाले हैं।
राज: अगर डॉली के पापा होते तो तुम्हारी बात सही होती पर अभी इसका कोई मतलब नहीं है। ठीक है? मैं चाहता हूँ कि ये गिफ़्ट तुम मेरी प्रेमिका बन कर लो।
रश्मि हैरानी से बोली: ये आप क्या बोल रहे हैं? मैं कैसे आपकी प्रेमिका हो सकती हूँ भला?
राज: क्यों मर्द और औरत ही तो प्रेम करते हैं । तो हम क्यों नहीं कर सकते?
रश्मि उठकर जाने लगी तब राज बोला: तुम्हें मेरी क़सम है अगर तुम बिना साड़ी लिए गई तो ।
रश्मि फिर से बैठ गयी और बोली; सब पूछेंगे तो मैं क्या बोलूँगी कि गिफ़्ट क्यों ली?
राज ने जेब से ५४००/ निकाले और उसको देकर बोला: कहना कि तुमने साड़ी अपने बचाए हुए पैसों से ख़रीदी है।
वो चुपचाप पैसे रख ली और फिर २ साड़ियाँ ली एक अपने लिए और एक डॉली के लिए।
अपनी साड़ी उसने राज की पसंद की ही ली थी। राज ने उसे साड़ी के ऊपर ही साड़ी पहनने में मदद भी की और इस बहाने उसके गुदाज बदन का भी मज़ा लिया। उसके हाथ एक बार उसकी चूचि पर भी पड़े और दोनों सिहर उठे।
काउंटर पर पैसे देने के समय राज बोला: क्यों जय अपनी सास और बीवी की साड़ियों के पैसे लेगा
जय ने पैसे नहीं लिए और साड़ियाँ पैक करके रश्मि को दे दीं।
रश्मि धीरे से बोली: और वो पैसे जो आपने मुझे दिए उनका क्या?
राज: मेरी तरफ़ से कुछ अच्छी सी झूमके ले लेना। तुम पर बहुत सजेंगे।
रश्मि मुस्कुराती हुए बोली: शादी मेरी नहीं मेरी बेटी की हो रही है।
राज अब ख़ुश था उसको पता चल गया था कि उसे पैसों की ज़रूरत है और वह रश्मि को पटाने में क़रीब क़रीब सफल होने जा रहा था।
समधन को कहाँ छोड़ आए
अमित बोला: अब चलते हैं, आप हमें बस स्टॉप पर छोड़ दो।
राज : खाना खा कर जाना अभी इतनी जल्दी क्या है।
रश्मि: नहीं अभी जाना होगा। अब सगाई की तैयारी भी तो करनी है।
राज उनको बस स्टॉप तक ले गया। जब अमित टिकट लेने गया तब राज ने रश्मि का हाथ पकड़ लिया और बोला: रश्मि मुझे तुमसे प्यार हो गया है। तुम चाहो तो मैं तुमसे शादी करने को तैयार हूँ।
रश्मि: काश आप मुझे पहले मिले होते तो मैं आपसे शादी कर लेती पर अब तो बहुत देर हो चुकी है।
राज: तो क्या हमारा प्यार ऐसे ही दम तोड़ देगा। कमसे कम कुछ समय तो हमें एकांत में आपस में बातें करते हुए बिताना चाहिए।
रश्मि: मैं भी आपसे मिलना चाहती हूँ, पर देखिए भाग्य को क्या मंज़ूर है।
राज: हम चाहें तो हम ज़रूर मिल सकते हैं। मैं तुम्हें फ़ोन करूँगा ठीक है?
रश्मि: फ़ोन नहीं SMS करिएगा।
फिर अमित को आते देख राज ने रश्मि के हाथ को एक बार और दबाया और फिर उसका हाथ छोड़ दिया।
अब अमित बस में चढ़ गया पर साड़ी के कारण रश्मि को चढ़ने में थोड़ी दिक़्क़त हो रही थी। राज ने उसकी कमर और चूतरों को दबाकर उसको ऊपर चढ़ा दिया। वो मुस्कुरा कर पलटी और प्यार से थैंक्स बोलकर गाड़ी में बैठ गयी और बस चली गयी।
राज रश्मि के बारे में सोचते हुए अपने घर को वापस आया। घर पर शशी खाना लगा रही थी।
वो आँख मारकर बोली: समधन को कहाँ छोड़ आए?
राज उसको खींचकर अपनी गोद में बिठाया और बोला: समधन को मारो गोली। यहाँ तू तो है ना मेरे लिए । ये बोलते हुए उसकी छातियाँ दबाते हुए उसके होंठ चूसने लग। शशी ने कोई विरोध नहीं किया। वो भी सुबह से चुदासि थी। उसको अपनी गोद से हटाकर राज खड़ा हुआ और अपनी पैंट और चड्डी निकाल दिया। उसका खड़ा लौड़ा बुरी तरह से अकड़ा हुआ था ।
वह वापस सोफ़े पर बैठा और शशी को ज़मीन में बिठाया और वह उसकी जाँघों के बीच आके उसका मोटा लौड़ा चूसने लगी। थोड़ी देर बाद वह शशी को सोफ़े पर उलटा लिटाया और उसकी साड़ी और पेटिकोट को एक साथ ऊपर चढ़ाया और उसके नंगे चूतरों को दबाकर उसको सोफ़े के किनारे पर लाया और उसकी कमर को पकड़कर उसकी टाँगे फैलाकर उसकी बुर में पीछे से अपना लौड़ा पेल दिया। वो अब उसे चौपाया बनाकर बुरी तरह से चोदने लगा। उसने आँखें बन्द की और रश्मि के चेहरे को याद किया और ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा।
शशी की चीख़ें निकलने लगी और वह आऽऽऽऽहहह मरीइइइइइइओइ उइइइइइइइ कहकर मज़े से चुदवाने लगी। जल्दी ही शशी झड़ने लगी। अब उसने रस से सना अपना लौड़ा बाहर निकाला और उसने उसपर थूक लगाया और ऊँगली में ढेर सारा थूक लेकर उसकी गाँड़ में दो ऊँगली डाल कर अंदर बाहर करने लगा। शशी चीख़ी :आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह जलन हो रही है।
पर आज तो राज कुछ भी सुनने को जैसे तैयार नहीं था । वह सामने पड़ी क्रीम की शीशी से क्रीम निकाला और शशी की गाँड़ में लगाया और अपने लौड़े पर भी मला और फिर उसकी गाँड़ में अपने लौड़े का सुपाड़ा अंदर करने लगा।
शशी चिल्लाई: आऽऽऽऽंह दर्द हो रहा है।
पर राज आज कुछ अलग ही मूड में था। उसने आधा लौड़ा एक धक्के में ही अंदर कर दिया। और अगले धक्के में पूरा लौड़ा आँड तक पेल दिया।
अब वह शशी की गाँड़ को ज़बरदस्त तरीक़े से चोदने लगा। कमरा ठप ठप की आवाज़ों से और शशी की हाय्य्यय उइइओओइओओ मरीइइइइइइइ गूँजने लगा।
जल्दी ही शशी भी मज़े में आ गयी और अपने चूतरों को पीछे दबाके पूरा मज़ा लेने लगी। अब राज ने अपनी चुदाई की गति बढ़ाई और वह आऽऽहहहह ह्म्म्म्म्म्म करके झड़ने लगा। उसने नीचे हाथ बढ़ाकर शशी की बुर में भी तीन ऊँगली डाली और उसकी clit को भी रगड़ा। शशी भी उइइइइइइइओ माँआऽऽऽऽऽऽ कहकर झड़ गयी। अब राज उसके अंदर से अपना लौड़ा निकाला और बाथरूम में जाकर सफ़ाई करके बाहर आकर नंगा ही सोफ़े पर बैठा। शशी भी बाथरूम से आयी और उसंके पास बैठ गयी।
इतनी बुरी तरह से चोद रहे थे
शशी: आज आपको क्या हो गया था? इतनी बुरी तरह से चोद रहे थे?
राज: बस ऐसे ही , सुबह से रश्मि ने बहुत गरम कर दिया था। वैसे तुम्हारी गाँड़ बहुत मस्त है। दुःख रही होगी ना?
शशी: नहीं दुखेगी? पूरी फाड़ दी है आपने। ख़ून भी आ गया है।
राज: क्या करूँ? इतनी सुंदर दिख रही थी कि रहा नहीं गया और पेल दिया। पर बहुत मज़ा आया । और हाँ मज़ा तो तुमको भी आया क्योंकि चूतड़ दबाकर पूरा लौड़ा निगल रही थी तुम भी।
शशी: जी मज़ा तो आया पर अब दुःख रही है।
राज उठा और एक मलहम लेकर आया और बोला: चलो साड़ी उठाओ मैं ये मलहम लग देता हूँ। जब मैं पायल याने अपनी बीवी की गाँड़ मारता था तब भी ये क्रीम लगा देता था।
शशी उठी और अपनी साड़ी उठायी और अपने चूतरों को उसके सामने करके आगे को झुकी और अपने चूतरों को फैला दी। उसकी बुरी तरह से लाल गाँड़ का छेद उसके सामने था । उसने छेद को फैलाकर उसकी गाँड़ में उँगली से क्रीम डाली और बाद में उसके छेद के ऊपर भी क्रीम लगा दिया। शशी: आह अब आराम मिल रहा है। ये कहकर उसने अपनी साड़ी नीचे गिरा दी।
अब वह बाथरूम जाकर हाथ धोया और फिर जाकर लेट गया और रश्मि के बदन की ख़ुशबू को याद करते हुए सो गया।
शाम को उसने रश्मि को sms किया: हाई , क्या हो रहा है?
रश्मि का जवाब थोड़ी देर से आया: बस सगाई की प्लानिंग।
राज: हम्म और मुझे मिस कर रही हो?
रश्मि: आप मिस कर रहे हैं क्या?
राज: बहुत ज़्यादा मिस कर रहा हूँ।
रश्मि: मैं भी मिस कर रही हूँ।
राज: अच्छा मैं तुमको कैसा लगता हूँ?
रश्मि: अच्छे लगते हैं।
राज: मेरा क्या अच्छा लगता है?
रश्मि: आपकी बातें और आपका अपनापन दिखाना।
राज: बस और कुछ नहीं?
रश्मि: और अभी देखा ही क्या है अभी तक?
राज: तुम मौक़ा तो दो, और सब भी दिखा देंगे।
रश्मि: छी , कैसी बातें कर रहे हैं? कुछ तो उम्र का लिहाज़ कीजिए।
राज: उम्र का क्या हुआ? ना मैं अभी बूढ़ा हुआ हूँ और तुम तो अभी बिलकुल जवान ही धरी हो।
रश्मि: मेरी बेटी जवान हो गयी है और आपका बेटा भी जवान हो गया है और आप मुझे जवान कह रहे हैं?
राज: ज़रा शीशे में देखो क्या मस्त जवान हो तुम। तुम्हारे सामने तो आज की जवान लड़कियाँ भी पानी भरेंगी।
रश्मि: आप भी मुझे शर्मिंदा करने का कोई मौक़ा नहीं छोड़ते।
राज: मैं सही कह रहा हूँ। तुम्हारे सामने तो अब क्या बोलूँ? तुम बुरा मान जाओगी।
रश्मि: नहीं मानूँगी, बोलिए क्या बोलना है?
राज: तुम डॉली से भी ज़्यादा हसीन हो जानेमन। रश्मि इस सम्बोधन से चौंकी और लिखी: अच्छा अब रखती हूँ।
राज: नाराज़ हो गयी क्या?
रश्मि: अब आप माँ बेटी में तुलना कर रहे हो, तो क्या कहूँ?
राज: अच्छा चलो जाने दो, ये बताओ अब कब मिलना होगा?
रश्मि: अभी तो कुछ पक्का नहीं है। देखिए कब भाग्य मिलाता है हमें।
राज: ठीक है , इंतज़ार रहेगा। बाई ।
रश्मि: बाई।
राज ने सोचा कि गाड़ी सही लाइन पर है।
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