RE: बहू की चूत ससुर का लौडा
राज ने देखा कि अमित शशी के ब्लाउस के अंदर झाँकने की कोशिश कर रहा था। वह समझ गया कि ये भी उसके जैसे ही कमीना है। वह मन ही मन मुस्कुराया।
रश्मि: भाई सांब , पंडित जी से बात हुई क्या?
राज: हाँ हुई है ना। अभी चाय पीकर वहाँ जाएँगे।
फिर सब चाय पीने लगे। इधर उधर की बातें भी होने लगी।
अमित: बस से आए। अब सब बैठ गए।
राज ने शशी को आवाज़ दी और वह पानी लाई।
राज ने देखा कि अमित शशी के ब्लाउस के अंदर झाँकने की कोशिश कर रहा था। वह समझ गया कि ये भी उसके जैसे ही कमीना है। वह मन ही मन मुस्कुराया।
रश्मि: भाई सांब , पंडित जी से बात हुई क्या?
राज: हाँ हुई है ना। अभी चाय पीकर वहाँ जाएँगे।
फिर सब चाय पीने लगे। इधर उधर की बातें भी होने लगी।
पंडित को राज ने एक दिन पहले ही सेट किया था। देखना था कि पंडित कितना मेनेज कर पाता है रश्मि को।
कार पंडित के घर के पास रुकी और रश्मि अपना पल्लू ठीक करते हुए कार से उतरी और उसके बड़े दूध राज को मस्त कर गए। पंडित की उम्र क़रीब ६५ साल की थी। उसके घर में बैठने के बाद राज ने कुंडलियाँ देखीं और थोड़ी देर में ही गुँण मिलने की घोषणा कर दिया। अब अमित और राज एक दूसरे को बधाई देने लगे। रश्मि ने भी बधाई दी।
अब राज रश्मि को बोला: भाभी जी , ये बहुत पहुँचे हुए ज्ञानी पंडित जी हैं। आप अपना हाथ इसे दिलाइए। बहुत सटीक भविष्य वाणी करते हैं।
रश्मि बहुत उत्सुकता से अपना हाथ उनको दिखाई।
पंडित ने उसका हाथ देखा और बोला: मैं आपको अकेले में बताऊँगा । आप दोनों थोड़ा बाहर जाइए।
राज और अमित बाहर आ गए।
पंडित उसके मुलायम हाथ को सहला कर बोला: देखो बेटी, मैंने तुम्हारे हाथ को रेखाओं में कुछ अजीब चीज़ देखी है, इसीलिए तुमको बता रहा हूँ।
रश्मि: क्या हुआ पंडितजी ? कुछ गड़बड़ है क्या?
पंडित: अरे नहीं बेटी, अब तुम बिना पति के अपनी बिटिया की शादी करने जा रही हो ना? तो तुम बहुत ख़ुश क़िस्मत हो कि तुमने बहुत अच्छा परिवार मिला है रिश्ते के लिए।
रश्मि ख़ुश होकर: जी पंडित जी , आप सही कह रहे हैं।
पंडित: एक बात और ये रेखा बता रही है कि तुम्हें अब एक नया प्रेमी मिलने वाला है जो तुमको बहुत प्यार करेगा।
रश्मि चौंक कर बोली: छि पंडित जी , ये क्या कह रहे हैं? भला इस उम्र में मुझे ये सब करना शोभा देता है क्या? ये नहीं हो सकता।
पंडित: बेटी, मैं तो वही बताऊँगा जो कि रेखाएँ दर्शा रही है। तुम्हारे जीवन में अब कोई पुरुष आने वाला है जो कि तुम्हें बहुत प्यार करेगा ।
रश्मि: आपने तो मुझे उलझन में डाल दिया। अच्छा सगाई की तारीख़ कब की निकली?
पंडित: अगले महीने की दस को।
रश्मि ने पंडित के पैर छुए और उसे दक्षिणा दी। पंडित मन ही मन मुस्कुराया और सोचा किउसने राज का काम शायद सही तरीक़े से कर दिया है।
रश्मि बाहर आइ और बोली: चलिए सगाई की तारीख़ अगले महीने की १० को निकली है।
अमित: पंडित ने तुमको अकेले में क्या बताया?
राज ने ध्यान से देखा कि उसके गाल शर्म से लाल हो गए थे। वह बोली: बस ऐसे ही कुछ डॉली और जय के बारे में बता रहे थे। कुछ ख़ास बात नहीं है। चलिए अब ।
राज ने देखा किपंडित ने अपना काम ठीक से कर दिया है। अब उसका काम है दाना डालने का। वो कमिनी मुस्कान लाकर सोचा कि अब इसे पटाना है।
मुझे नाम से ही बुलाइए
राज : चलो कहीं कॉफ़ी हाउस में कॉफ़ी पीते हैं।
फिर वो सब एक कॉफ़ी हाउस पहुँचे।
बहुत सही जा रहे हो डिअर…
अपडेट बड़े नहीं ले रहा तो कोई बात नहीं… आप छोटे छोटे अपडेट डालते रहो…’मज़ा आ रहा हँ…
इस वक़्त जब कोई भी लेखक बहे अपडेट नहीं डाल प् रहा होगा तो आपके छोटे छोटे अपडेट सभी पाठकगण
बड़े चाव से पड़ेंगे… यानि मामला टी आर पि का हँ बॉस….
जितने ज्यादा अपडेट उतनी थी ज्यादा व्यूज मिलेगी…
बेस्ट ऑफ़ लक…
कॉफ़ी हाउस में अमित और राज रश्मि के आजु बाजु बैठे। इन्होंने एक कैबिन लिया था ।
राज: भाभी जी क्या लेंगीं?
रश्मि: आप मुझे भाभीजी मत कहिए , मैं तो आपसे छोटी हूँ। आप मुझे नाम से ही बुलाइए।
राज: अच्छा रश्मि क्या लोगी कॉफ़ी के साथ?
रश्मि: मुझे तो सिर्फ़ कॉफ़ी पीनी है।
तभी अमित का फ़ोन बजा और वह बाहर चला गया कहकर कि एक मिनट में आया।
राज : आप कुछ खाती नहीं क्योंकि आपको अपना फिगर बनाए रखना है ना ?
रश्मि: काहे का फ़िगर ? कितनी मोटी तो हूँ मैं?
राज: तुम और मोटी? तुम्हारा फ़िगर तो किसी को भी पागल कर दे रश्मि। सच कहता हूँ कि तुममें जो बात है ना वह मुश्किल से किसी में मिलती है। मैं बताऊँ मुझे तो तुम्हारी जैसी भरी हुई औरतें ही अच्छी लगती हैं । मेरी वाइफ़ का भी फ़िगर बिलकुल तुम्हारे जैसे ही था । मस्त भरा हुआ बदन।
ये सब उसने उसकी चूचि को घूरते हुए कहा।
रश्मि की हालत काफ़ी ख़राब हो रही थी, इस तरह की तारीफ़ सुनकर। आख़िर तो वह भी एक औरत ही थी, जिसे अपने रूप का बखान अच्छा लगता है।
रश्मि: क्या भाई सांब आप तो मेरे पीछे ही पड़ गए।
राज ने हिम्मत की और उसका हाथ अपने हाथ में लेकर बोला: रश्मि सच में तुम्हें देखकर मुझे अपनी स्वर्गीय बीवी की याद आती है । वह भी बिलकुल तुम्हारी जैसी प्यारी थी।
ये कहते हुए उसने अपने आँसू पोछने की ऐक्टिंग की ।
रश्मि भावुक हो गयी और बोली: आप बहुत अच्छे हैं, भाई सांब । कई लोग तो बीवी के जाते ही नयी शादी कर लेते हैं । आपने ऐसा नहीं किया।
राज: अगर तुम जैसी कोई मिल जाती तो मैं वो भी कर लेता।
रश्मि: क्या भाई सांब आप भी कुछ भी बोल देते हैं?
राज : मैं तो दिल की बात कर रहा हूँ। वैसे एक विचार आया है, क्यों ना हम दोनों भी उसी मंडप में शादी कर लें जिसने जय और डॉली की शादी होगी? क्या कहती हो?
उसने रश्मि का हाथ सहलाते हुए कहा।
रश्मि हंस दी: आप भी ना , कोई ऐसा मज़ाक़ भी करता है?
राज: रश्मि, जब तुम हँसती हो तो और भी सेक्सी लगती हो।
रश्मि: छी ये क्या बोल रहे हैं। राज ने देखा कि वह अपना हाथ उसके हाथ से छुड़ाने का कोई प्रयास नहीं कर रही थी ।
रश्मि सोचने लगी किक्या पंडित जी ने राज के बारे में ही कहा था कि उसके ज़िंदगी में प्यार आएगा।
तभी अमित अंदर आया और अपनी कुर्सी ओर बैठ गया। रश्मि ने अपना हाथ राज के हाथ से छुड़ा लिया था। अमित के बैठने के बाद राज ने रश्मि का हाथ टेबल के नीचे से फिर पकड़ लिया था। रश्मि ने भी मना नहीं किया। अब वह उसकी नरम और गुदाज कलाई को सहलाए जा रहा था। तभी राज की नज़र अमित के पीछे रखे आइने पर पड़ी और वह चौक गया। अमित ने भी उसकी एक कलाई को अपने हाथ में लेकर सहलाना शुरू कर दिया था।
बेचारी रश्मि दो दो मर्दों के हाथों में अपना हाथ दे रखी थी। तभी कोफ़्फ़ी आयी और रश्मि ने बेज़ारगी से राज को देखा और उसने उसका हाथ छोड़ दिया।
राज ने देखा की अमित अब भी उसकी कलाई सहला रहा था ।फिर वो उसकी जाँघ भी सहलाने लगा ।
राज ने भी हिम्मत की और अपना एक हाथ उसके घुटने पर रख दिया। रश्मि चौक कर उसकी ओर देखी। पर कुछ नहीं बोली।
फिर जब अमित का हाथ उसकी जाँघ पर ज़्यादा ही ऊपर की ओर आ गया तब वह अमित से बोली: भाई सांब , आपकी कुर्सी पीछे करिए ना मुझसे टकरा रही है। अमित समझ गया कि वह कुर्सी के बहाने उसे जाँघ से हाथ हटाने को कह रही है। उसने हाथ भी हटा लिया और कुर्सी भी खिसका ली।
राज ने आइने में सब देखा और फिर अपना हाथ धीरे से उसकी जाँघ पर फेरने लगा , रश्मि ने उसकी तरफ़ देखा पर वह चुपचाप उसकी जाँघ सहलाता रहा। अब रश्मि के चुप रहने से उसकी हिम्मत भी बढ़ी और वह जाँघ को हल्के से दबाने भी लगा। रश्मि की बुर में हलचल होने लगी।
अमित तो उसको चोदते ही रहता था पर राज का स्पर्श नया था और पंडित भी बोला था कि नया प्रेमी मिलेगा। तभी राज ने अपना चम्मच नीचे गिरा दिया और उसको उठाने के बहाने रश्मि की साड़ी को भी थोड़ा सा उठा दिया और उसकी पिंडलियां सहलाने लगा। नरम नरम भरी हुई पिंडली और घुटना मस्त लगा उसको।
रश्मि भी उसकी हिम्मत की दाद देने लगी। उसने अपना हाथ राज के हाथ पर रखा और उसे हटाने को इशारा किया। पर राज की तो हिम्मत जैसे और बढ़ गयी। वो उसकी साड़ी को और उठाके उसकी नरम गुदाज जाँघ सहलाने लगा। रश्मि की आह निकल गयी। अमित ने पूछा क्या हुआ?
रश्मि: कुछ नहीं मुँह जल गया थोड़ी ज़्यादा गरम है कोफ़्फ़ी ।
तभी राज का हाथ उसकी जाँघ में और आगे बढ़ता हुआ उसकी पैंटी से थोड़ा ही दूर था । तभी वेटर बिल ले आया और उसने अपना हाथ बाहर निकाल लिया और अपनी उँगलियाँ चाट लिया। रश्मि उसके इशारों को समझ गयी और उसका चेहरा लाल हो चुका था । उसकी बुर पैंटी को गीला करने लगी थी । फिर वो कोफ़्फ़ी हाउस से बाहर आए।
राज बाहर आते हुए बोला: चलिए आपको दुकान दिखाया जाए और जय से भी मिल लेना।
मस्त नरम कमर है तुम्हारी
रश्मि: हाँ हाँ मुझे दामाद से तो मिलना ही है चलिए। कोफ़्फ़ी हाउस बाहर आते आते राज ने उसकी नंगी कमर को हल्के से छुआ और वो सिहर उठी। राज धीरे से उसके पीछे चलते हुए बोला: मस्त नरम कमर है तुम्हारी।
रश्मि: आप अब बच्चों जैसी हरकत बन्द करिए आपको शोभा नहीं देती ।
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