Bahu ki Chudai बहू की चूत ससुर का लौडा
06-12-2017, 11:25 AM, (This post was last modified: 06-12-2017, 11:28 AM by sexstories.)
#13
RE: बहू की चूत ससुर का लौडा
बुलबुल हैरानी से मुझे देख रही थी और मैंने अब अपने दोनों हाथ उसकी चूचियों पर रखे और उसके होंठ चूसने लगा। अब मैं बुलबुल को चोद्ने की तैयारी करने लगा। मैंने देखा कि साधना बाथरूम से वापस आ गयी थी और हमारी टांगों की तरफ़ आकर बैठ गयी थी। अब वह मेरे बॉल्ज़ का मसाज़ करने लगी। मैं अब बहुत मस्त हो कर उसे चोदने की तैयारी करने लगा।
राज रुका और शशी को अपना लौड़ा चूसते देखकर उसकी चूचि दबाकर बोला: मज़ा आ रहा है चूसने में?

शशी: चूसने में तो आ ही रहा है पर आपकी बात में ज़्यादा मज़ा आ रहा है। आगे क्या हुआ ?

राज आगे बोलता चला गया…

अब बुलबुल की बुर में मैंने दो उँगलियाँ डालकर उसकी बुर और clit रगड़ने लगा और एक चूचि मुँह में और एक हाथ में लेकर उसके निप्पल्स को दबाने लगा। साधना मेरे बॉल्ज़ चाटने लगी। फिर मैं नीचे आया और बुलबुल की मस्त पूरी तरह से पनियाई हुई बुर को देखकर मस्ती से उसे चूम उठा। वह बहुत गरम होकर अपनी बुर को मेरे मुँह में अपने कमर उछालकर दबाने लगी।
अब साधना बोली: क्यों तड़पा रहे हो बच्ची को ,

अब डाल भी दो ना। ये कहते हुए वह मेरे अकड़ा हुआ लौड़ा मसल दी। मैंने अब बुलबुल की दोनों टाँगें पूरी तरह से फैलायी और उसके बीच में आकर अपना लौड़ा उसकी बुर के ऊपर सेट करके अपने लौड़े के सुपाडे से उसकी बुर के पूरे छेद और clit को लम्बाई में रगड़ने लगा। वह उइइइइइइइइ माँआऽऽ कर उठी।
मैं: बुलबुल बेटा, बोलो चोदूँ? बोलो ना।

बुलबुल: आऽऽहहह हाँ अंकल हाँ।

मैं : हाँ क्या? बोलो चोदूँ ?

बुलबुल: हाऽऽयय्यय क्यों तड़पा रहे हैं अंकल । चोदिए ना प्लीज़ आऽऽऽऽऽऽऽहहह

मैं: ठीक है तो डाल दूँ ना अब अंदर अपना लौड़ा ?

बुलबुल: हाय्य्य्य्य्य डालिए नाआऽऽऽऽ।

मैं: क्या डालूँ?

बुलबुल: हाऽऽऽऽऽय्यय आऽऽऽऽऽऽपका गरम लौड़ाआऽऽऽऽ आऽऽह और क्या।

साधना: क्यों तड़पा रहे हो चोदो ना अब उसको। देखो कैसी मरी जा रही है ये चुदवाने के लिए ।
मैंने मुस्कुराते हुए अपना लौड़ा उसकी गीली बुर में पेलना शुरू किया और टाइट जवान बुर मुँह खोलकर मेरा लौड़ा गपकते चली गयी। आऽऽहहह क्या ज़बरदस्त अनुभव था । उसकी बुर पूरे तरह से मेरे लौड़े को अपनी ग्रिप में जकड़ ली और मुझे बरसों के बाद बहुत मज़ा आया। अब मैंने चोदना शुरू किया। पहले धीरे धीरे से उसके होंठ और चूचि चूसते हुए और जल्दी ही ज़ोर से पिलाई करने लगा। वह पागलों की तरह चिल्ला कर आऽऽऽहहह हाय्य्यय और उइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽ कहकर अपनी गाँड़ उठाकर चुदवा रही थी।साधना उसके सिर के पास बैठ कर उसकी छाती सहला रही थी।

अचानक मुझे लगा की वह मुझसे बुरी तरह चिपक रही है और चिल्लाई : उओइइइइओओओओ हाऽऽऽऽऽऽय्य। मुझे लगा कि वह झड़ रही है। पर मैं रुका नहीं और चुदाई चालू रखा। अब मैं भी झड़ने वाला था पर मैं रुका और उसके होंठ चूसते हुए उसकी चूतरों को दबाने लगा। और बोला: बुलबुल मज़ा आ रहा है।
बुलबुल: आऽऽऽह बहुत मजाऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽ रहा है। मैं तो एक बार झड़ भी गयी। अब दूसरी बार झड़ूँगी । आऽऽह आप चोदते रहिए। हाय्ययय क्या मस्त चोदते हैं आऽऽप। आऽऽऽहह।

मैं अब ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा। मैंने उसकी टाँगें उठाकर उसकी छाती पर रख दी और पूरी ताक़त से धक्के मारने लगा। पूरा पलंग हिल रहा था और फ़च फ़च के साथ ही हाय्य्य्य्यय मरीइइइइइइइइ की आवाज़ें गूँज रही थीं।

साधना: थोड़ा धीरे से चोदो ना । क्या लड़की की फाड़ ही डालोगे।

बुलबुल: आऽऽऽऽऽह माँ चोदने दो ऐसे है , हाय्य्य्य्य क्या मजाऽऽऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽ रहाऽऽऽऽऽ है माँआऽऽऽऽऽऽ। सच ऐसे मैं कभी भी नहीं चुदीं। हूँ। उइइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽ । ये कहकर वो अपनी गाँड़ उठा के मेरे धक्कों का जवाब देने लगी। अब मैंने भी उसके दोनों चूतरों को एक एक हाथ में लिया और ज़बरदस्त धक्के मारने लगा। साधना अब उसके निप्पल्स दबाने लगी

मेरी एक ऊँगली उसकी गाँड़ के छेद को सहलाती हुई कब उसके छेद में घुस गयी मुझे भी पता नहीं चला। वह अब आऽऽऽहहह कर उठी। शायद उसका यह पहला अनुभव था गाँड़ में ऊँगली करवाने का ।

चुदाई अपने पूरे शबाब पर थी और साधना की साँसे फिर से फूलने लगी थी हमारी चुदाई देखकर। वह अब अपनी बुर में दो ऊँगली डालके मज़े ले रही थी। बुलबुल की मस्ती से भरी चीख़ें जैसे रुकने का नाम ही नहीं के रही थी। फिर अचानक वह चिल्लाई: आऽऽऽह्ह्ह्ह्ह मैं गइइइइइओओइओओओ । अब मैं भी झड़ने लगा। मैंने उसकी बुर के अंदर उसकी बच्चेदानी के मुँह पर ही अपना वीर्य छोड़ना शुरू किया। पता नहीं कितनी देर तक हम दोनों एक दूसरे से चिपके हुए अपने अपने ऑर्गैज़म का आनंद लेते रहे। साधना बोली: अब उठो भी क्या ऐसे ही चिपके पड़े रहोगे?

मैं धीरे से उसके ऊपर से उठा और उसके बग़ल में लेट गया और बोला: आऽऽहहह आज बहुत दिन बाद असली चुदाई का मज़ा आया। साधना , बुलबुल तो बनी ही है चुदवाने के लिए। तुम इसे कहाँ छुपा कर रखी थी।
बुलबुल मेरे नरम लौड़े से खेलते हुए बोली: मुझे क्यों ऐतराज़ होगा। उनका बेटा पहले है , मेरा पति तो बाद में बना है।

साधना उलझन के साथ बोली: बुलबुल क्या तुम भी यही चाहती हो?

बुलबुल: माँ आज की चुदाई के बाद तो मुझे ऐसी चुदाई की ज़रूरत पड़ेगी ही। अब वो आपका बेटा करे तो ठीक नहीं तो अंकल तो हैं ही मेरे लिए। क्यों अंकल आप मुझे ऐसे ही चोदेंगे ना हमेशा? वो मुझसे चिपकते हुए और मेरी छाती को चूमते हुए बोली। उसका हाथ अभी भी मेरे लौड़े को सहला रहा था।

साधना को सोच में देखकर मैं बोला: साधना, ज़्यादा सोचो मत । तुम दोनों उसको अच्छी तरह से सिखा दो और फिर मज़े लो घर के घर में।

साधना: हाँ लगता है आप ठीक ही कह रहे हो। अब बच्चा होने के बाद बुलबुल आपसे हमेशा तो चुदवा नहीं सकती ना।
बुलबुल: अंकल आपका फिर से खड़ा हो रहा है।
मैं: चलो चूसो इसको। साधना तुम भी आओ और दोनों मिलके चूसो। वह दोनों मिलकर मेरे लौड़े और बॉल्ज़ को चूसने लगीं और मैं आनंद से भर उठा। आऽऽह क्या दृश्य था सास और बहू दोनों मेरे को अद्भुत मज़ा दे रहीं थीं। फिर मैंने साधना को घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी ज़बरदस्त चुदाई की , उसकी लटकी हुई चूचियाँ अब बुलबुल दबा रही थी। साधना उइइइइइइइइ आऽऽऽऽऽहहह उन्ह्ह्ह्ह्ह करके जल्दी ही झड़ गयी। अब मैंने बुलबुल को घोड़ी बनाया और उसकी भूरि गाँड़ के छेद को देखकर वहाँ जीभ डालके उसे चाटने लगा।वह आऽऽऽह कर उठी। फिर मैंने उसकी बुर में लौड़ा पेला और उसकी गाँड़ में दो ऊँगली डालके उसे ज़बरदस्त तरीक़े से चोदने लगा। क़रीब २० मिनट की घिसाई के बाद हम दोनों झड़ गए।

बाद में साधना अपने कपड़े पहनते हुए बोली: मुझे तो लागत है कि बुलबुल को आज ही गर्भ ठहर गया होगा। आप ऐसी चुदाई किए हो आज कि मैं भी हिल गयी।
बुलबुल मुझसे लिपट कर बोली: थैंक यू अंकल । इतना मज़ा दिया और अगर माँ भी बन गयी तो सोने पे सुहागा हो जाएगा।

मैं: अगर का क्या मतलब बेटा, माँ तो बनोगी ही। देखना भगवान ने चाहा तो इस महीने तुम्हारा पिरीयड आएगा ही नहीं।

साधना मेरे लौड़े को पैंट के ऊपर से दबाके बोली: सब इसका कमाल है । आह क्या मस्ताना हथियार है आपका।

हम तीनों हँसने लगे। फिर अगले दिन मिलने का कहकर वो चली गयीं।
शशी ने लौंडे को चूसते हुए पूछा : फिर क्या हुआ ?

मैं: बस इसी तरह चूदाई चलती रही और उसका अगले महीने पिरीयड नहीं आया। फिर दो तीन महीने बाद वह चुदवाना बंद कर दी। बाद में साधना बताई कि वह भी अपने बेटे से ही चुदावाने लगी थी, और अब बुलबुल और वह दोनों उससे ही अपनी बुर की प्यास बुझवाते थे। समय पर उसके एक बेटा हुआ और वो मुझे उसे दिखाने मेरी दुकान पर आयीं। बहुत सुंदर और प्यारा लड़का था । बस इसके बाद कभी कभी वो दुकान पर आतीं हैं तो मुलाक़ात हो जाती है ,वरना वह अपने घर ख़ुश और मैं अपने घर ख़ुश ।

यही कहानी है बुलबुल के माँ बनने की, अब तुम्हारी बारी है , तुम भी इसी महीने गर्भ से हो जाओगी, देखना?

फिर मैंने उसका सिर अपने लौंडे से हटाया और उसको लिटाकर उसकी ज़बरदस्त चूदाई की। अपना वीर्य मैंने उसकी बच्चेदानी के मुँह पर ही छोड़ा ताकि वो भी जल्दी से माँ बन जाए।
शशी को चोदने के बाद राज जैसे बाथरूम से बाहर आया उसका फ़ोन बजा। रश्मि थी वो बोली: नमस्ते भाई साब , कैसे हैं?

राज: नमस्ते भाभी जी बढ़िया हूँ। आपको मिस कर रहा हूँ। आप और डॉली बिटिया की बड़ी याद आ रही थी।

रश्मि: मैंने कूरीयर से डॉली की कुंडली भेज दी है। आप पंडित जी से मिलवा लीजिएगा।

राज: अरे अब उन दोनों के दिल मिल गए हैं कुंडली भी मिल ही जाएगी। और शादी के बाद वैसे भी बाक़ी सब का भी मिलन हो ही जाएगा। यह कहते हुए वह कमिनी हँसी हँसा।

रश्मि: भाई सांब आप भी क्या क्या बोलते हैं । सगाई की कोई तारीख़ का सोचा आपने?

राज: अरे आप कल आ जाइए ना फिर हम दोनों पंडित से कुंडली भी मिलवा लेंगे और सगाई की तारीख़ भी तय कर लेंगे। और फिर हम अपनी भी दोस्ती और पक्की कर लेंगे। वह फिर से फूहड़ सी हँसी हँसा। रश्मि को उसके इरादों में गड़बड़ी दिखाई दी पर वह क्या कर सकती थी।
राज भी बाई करके फ़ोन काटा और अपने लौड़े को सहलाते हुए सोचा कि साली क्या माल है, मज़े तो लूँगा ही।

शशी जो उसे ध्यान से देख रही थी बोली: आप समधन को ठोकने का प्लान बना रहे हैं। है ना?

राज: साली मस्त माल है और अपने जेठ से ठुकवा रही है। मैं भी लाइन लगा लिया हूँ। यह कहते हुए वह हँसने लगा।
रात को जय से बात हुई तो वह बोला: आज मेरी डॉली से बात हुई । वह बहुत संस्कारी लड़की है।

राज : हाँ बहुत प्यारी लड़की है। उसकी माँ एक दो दिन में आएगी और हम पंडित से मिलेंगे तुम्हारी सगाई की तारीख़ के लिए।
जय: ठीक है पापा अब मैं सोता हूँ।

राज हँसते हुए: क्या डॉली से रात भर बात करनी है?

जय: नहीं पापा वो ऐसे ही, हाँ उसको गुड नाइट तो करूँगा ही। फिर वह हँसते हुए अपने कमरे में चला गया। उसके जाने के बाद वह भी सो गया । अगले दिन रश्मि का फ़ोन आया : नमस्ते भाई सांब ।

राज: नमस्ते जी। क्या प्लान बनाया है आपने?

रश्मि: जी कल आऊँगी और पंडित जी से सगाई की बात भी कर लेंगे।
राज: कौन कौन आएँगे?

रश्मि: मैं और जेठ जी आएँगे।

राज : चलिए बढ़िया है आइए और कल ही प्लान फ़ाइनल करते हैं। बस एक रिक्वेस्ट है?

रश्मि: कहिए ना , आप आदेश दीजिए। रिक्वेस्ट क्यों कर रहे हैं?

राज: आप गुलाबी साड़ी पहन कर आइएगा। आप पर बहुत जँचेगी।

रश्मि: ओह,आप भी ना, ये कैसी फ़रमाइश है भला? देखती हूँ , मेरे पास है कि नहीं। बाई।

राज भी अपना लौड़ा दबाते हुए सोचा कि क्या मस्त लगेगी वह गुलाबी साड़ी में।

राज सोचने लगा कि ये तो जेठ के साथ आ रही है । उसकी बात कैसे बनेगी? वह बहुत सावधानी से धीरेधीरे आगे बढ़ना चाहता था। उसने सोचा चलो देखा जाएगा।
राज ने जय को बताया कि कल उसकी होने वाली सास आ रही है। जय मुस्कुरा कर दुकान चला गया और शशी राज की खिंचाई करने लगी, रश्मि को लेकर। राज ने उस दिन शशी की ज़बरदस्त चुदाई की उसको रश्मि का सोचकर।
शशी की ज़बरदस्त चुदाई

अगले दिन जय के जाने के बाद अमित और रश्मि आए। राज ने रश्मि को देखा और देखता ही रह गया । वह गुलाबी साड़ी में मस्त क़ातिल माल लग रही थी। अमित भी जींस और शर्ट में काफ़ी स्मार्ट लग रहा था। उसकी और राज की उम्र में कोई ज़्यादा अंतर नहीं था। हाँ रश्मि उनसे छोटी थी करीब ४५ की तो वो भी थी।
साड़ी उसने नाभि दर्शना ही पहनी थी और ब्लाउस भी छोटा सा था और पीछे से पीठ भी करीब पूरी नंगी ही थी। ब्लाउस में से उसके कसे स्तन देखकर राज के लौड़े ने अंगड़ाई लेना शुरू कर दिया था। उससे तेज़ सेण्ट की ख़ुशबू भी आ रही थी।

राज: आप लोग कैसे आए?

अमित: बस से आए। अब सब बैठ गए।

राज ने शशी को आवाज़ दी और वह पानी लाई
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RE: बहू की चूत ससुर का लौडा - by sexstories - 06-12-2017, 11:25 AM

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