RE: बहू की चूत ससुर का लौडा
उस दिन साधना के जाने के बाद मैं रात को साधना को SMS किया: कैसी हो? क्या कर रही हो?
वह लिखी: ठीक हूँ अभी खाना खाया है। आप क्या कर रहे हो?
मैं:: अरे अपना लौड़ा दबा रहा हूँ बुलबुल की बुर के बारे में सोच कर।
वो : कल दिलवा तो रही हूँ।
मैं: तुम्हारा हबी क्या कर रहा है?
वो: यहाँ नहीं है , एक हफ़्ते के टूर पर हैं दोनों बाप बेटा।
मैं: ओह तो फिर मैं वहीं आ जाता हूँ और अभी चोद देता हूँ तुम दोनों को।
वो: नहीं हमारे साथ नौकर भी है। और हमारी सास भी रहती है। कल ही मिलेंगे।
मैं: अरे तो फ़ोन पर बात तो कर सकते हैं। बुलबुल और तुम्हारे साथ।
वो: नहीं मेरी सास कभी भी आ जाती है। वो ८२ साल की है पर बहुत तेज़ है। फिर आपकी वाइफ़ भी तो होगी वहाँ ना?
मैं: अरे मैं छत पर जाकर बात कर सकता हूँ।
वो: नहीं हम बात नहीं कर पाएँगे। मैं उसको लेकर कल आ तो रही हूँ।
मैं : चलो अब क्या हो सकता है, कल का इंतज़ार करते हैं। बाय । और फ़ोन काट दिया।
दुसरे दिन साधना बुलबुल को अपने साथ लेकर आई मै घर के अन्दर था और साधना ने दरवाजे के बाहर आकर डोरवेल बजायी और मै आकर दरवाजा खोला अब वो दोनों अंदर आयीं। बुलबुल ने मुझे नमस्ते की और साधना को मैंने अपने से लिपटा लिया। साधना मुझे बता चुकी थी कि बुलबुल हमारे रिश्ते के बारे में जानती है। अब मैं सोफ़े पर बैठा और वो भी सामने वाले सोफ़े पर बैठ गयीं।
साधना: तो ये बुलबुल है मेरी बहू। और आपके बारे में मैं इसे बता ही चुकी हूँ। बुलबुल अपना सिर झुकाए बैठी थी।
उसके गाल शर्म से लाल हो रहे लगे।
मैं: अरे बेटी, इतना क्यों शर्मा रही हो। तुम तो पाँच साल से शादीशुदा हो इन सब बातों को समझती हो। है कि नहीं? कोई कुँवारी बच्ची तो हो नहीं? सही कहा ना मैंने?
उसने हाँ में सिर हिलाकर मेरी बात से सहमती व्यक्त की। अब वो सहज होने लगी थी। मैंने साधना को देखा और कहा: आज तो इस रूप में तुम भी ग़ज़ब ढा रही हो।
साधना: अरे ये सब इस लड़की का किया धरा है। मुझे अपने जैसे कपड़े पहना कर लाई है। भला अब मेरी उम्र क्या इस तरह के कपड़े पहनने की है? सब तरफ़ माँस बाहर आ रहा है। वो अपने पेट को देखकर बोली।
मैं: अरे नहीं जान, इस ड्रेस में तो तुम्हारा मस्त बदन और क़यामत बरसा रहा है। सच में आज मैं अपनी क़िस्मत पर फूला नहीं समा रहा कि क्या माल मिले हैं
आज मुझे वो भी दो दो ।
साधना: मैं यहाँ नहीं रुकूँगी, बस अभी चली जाऊँगी। आप बुलबुल के साथ अपना काम कर लो। मैं दो घंटे के बाद उसे लेने आऊँगी।
मैं हँसते हुए बोला: तुम्हारा आना अपनी इच्छा से हुआ पर जाना मेरी इच्छा से होगा। अच्छा आओ बुलबुल बेटा, आओ हमारी गोद में बैठो। चलो तुमसे दोस्ती करते हैं। ये कहते हुए मैंने अपना आधा खड़ा लौड़ा पैंट में अजस्ट किया और बुलबुल को उसपर बैठने का इशारा किया।
बुलबुल झिझक रही थी तो उसकी सास उसे खड़ा की और मेरे पास लाकर मेरी गोद में बैठा दिया। बुलबुल तो मेरे खड़े हो रहे लौड़े पर बैठकर थोड़ा सा चिंहुकी और अपने चूतरों को हिलाकर बैठ गयी। और इधर मैं: अरे नहीं जान, इस ड्रेस में तो तुम्हारा मस्त बदन और क़यामत बरसा रहा है। सच में आज मैं अपनी क़िस्मत पर फूला नहीं समा रहा कि क्या माल मिले हैं आज मुझे वो भी दो दो ।
अब मैंने साधना के पेट को सहलाना शुरू किया और उसकी टॉप को उठा कर उसके नंगे पेट को चूमने लगा। उसकी नाभि भी जीभ से कुरेदने लगा। फिर मैंने हाथ बढ़ाकर बुलबुल की बाँह सहलाते हुए उसकी चूचि पकड़ ली। आऽऽह क्या सख़्त अनार सी चूचि थी। साथ ही मैंने अपना एक पंजा सीधा साधना की बुर के ऊपर उसकी पैंट के ऊपर से रख दिया और उसको मूठ्ठी में लेकर दबाने लगा। एक साथ सास और बहू की आऽऽऽह निकली। दोनों मेरे इस अचानक हमले के लिए तैयार नहीं थीं।
अब मैं बारी बारी से बुलबुल की चूचि दबा रहा था और साधना की बुर भी मसल रहा था। साधना: आऽऽऽह छोड़िए ना। आज नहीं, आज सिर्फ़ बुलबुल से मज़े लो। आऽऽहहहह मुझे जाने दो।
मैं: क्यों मज़ा ख़राब कर रही हो? देखो तुम्हारी बहु कितने मज़े से चूचियाँ दबवा रही है , तुम भी अपनी पैंट खोल दो अभी के अभी। ये कहते मैंने उसकी पैंट की ज़िपर नीचे कर दी और अंदर हाथ डाल दिया। मेरे हाथ उसकी बिलकुल गीली हो चुकी पैंटी पर थे और मैं बोला: देखो तुम्हारी बुर कितना पानी छोड़ रही है। चलो अब खोलो इसे और पहले मैं तुमको चोदूंग़ा और जब बुलबुल की शर्म निकल जाएगी तब उसे भी चोद दूँगा।
अब मैंने बुलबुल का टॉप खोला और वह हाथ उठाकर मुझे टॉप उतारने में मेरी मदद की। अब मैं ब्रा के ऊपर से उसकी बड़े अनारों के चूम रहा था। मैं: आऽऽहब क्या माल है तेरी बहु, आऽऽज बहुत मज़ा आएगा इसे चोदने में।
उधर साधना बोली: तो चोदो ना उसे पर मुझे जाने दो। मुझे बड़ा अजीब लगेगा इसके सामने चुदवाने में।
बुलबुल: माँ आप ये कैसी भाषा बोल रही हो?
मैं: अरे बेटा, चुदाई को तो चुदाई ही बोलेंगे ना? अब करवाएगी या मज़ा लेगी , इसका कुछ और मतलब भी हो सकता है, पर चुदाई का कुछ और मतलब सम्भव ही नहीं है । अब मेरी दो उँगलियाँ पैंटी के साइड से उसकी बुर में घुस गयीं। साधना हाय्य्यय कहकर उछल गयी। फिर मैंने उँगलियाँ निकाली और बुलबुल को दिखाकर बोला: देखो तुम्हारी सासु माँ की बुर कितनी चुदासि हो रही है। ये कहते हुए मैंने वो दोनों उँगलियाँ चाट लीं। बुलबुल की आँखें अब मेरे द्वारा किए जा रहे चूचि मर्दन से और मेरी बातों से लाल होने लगी थी और वह चूतड़ हिलाकर मेरे लौड़े को अपनी गाँड़ पर महसूस करके मस्त हुई जा रही थी।
अब मैंने साधना का पैंट का बेल्ट खोला और वह मेरे हाथ को हटाकर बोली: आप प्लीज़ मुझे जाने दो ना।
मैं: बुलबुल फ़ैसला करेगी कि तुम जाओगी या नहीं। बोलो बुलबुल क्या तुम चाहती हो कि तुम्हारी सासु माँ प्यासी रहे?
बुलबुल: नहीं मैं ऐसा क्यों चाहूँगी? माँ आप रुक जाओ ना।
साधना: तू भी इनकी तरफ़ हो गई? अभी तो चुदीं नहीं है तब ये हाल है, चुदाई के बाद तो मेरा साइड छोड़ ही देगी। अब हम तीनों हँसने लगे। अब साधना ने भी विरोध छोड़ दिया और अपनी पैंट उतार दी। काली पैंटी में उसका गोरा भरा हुआ बदन बहुत कामुक दिख रहा था। मैंने उसकी मोटी जाँघें सहलायीं और फिर पैंटी नीचे कर दिया। उसने पैंटी भी उतार दी। उसकी मोटी फूली हुई बुर मेरी और बुलबुल की आँखों के सामने थी।
बुलबुल भी इसे पहली बार देख रही थी। उसको आँखें वहीं चिपक गयीं थीं। अब मैंने साधना को अपने पास खिंचा और उसकी बुर पर अपना मुँह रख दिया और उसे चूसने और चाटने लगा। जल्दी ही उसकी आऽऽऽहहहह निकल गयी और वह मेरा सिर अपनी बुर पर दबाके अपनी कमर हिलाने लगी।
मेरे मुँह में उसकी दूसरी चूचि
एक हाथ से अभी भी मैं बुलबुल की चूचि दबा रहा था। अब मैंने अपना मुँह उठाया और फिर मैंने बुलबुल की ब्रा का स्ट्रैप खोला और उसकी नंगी चूचियाँ देखकर मैं जैसे अपने होश खो बैठा और उसकी चूचियाँ चूसने लगा ।अब मेरा हाथ साधना के बुर में ऊँगली कर रहा था और दूसरा हाथ उसकी एक चूचि दबा रहा था और मेरे मुँह में उसकी दूसरी चूचि थी।
अब वो दोनों आऽऽऽहहह कर रही थीं और अब बुलबुल खूल्लम ख़ूल्ला मेरे लौड़े पर अपनी बुर पैंट के ऊपर से रगड़ रही थी और उसकी कमर हिले जा रही थी। अब मैं बोला: चलो बिस्तर पर चलते हैं। वो दोनों मुस्करायीं और साधना बोली: चलो आपने मुझे इतना गरम कर दिया है कि अब बिना चुदवाने मुझे चैन नहीं आने वाला।
हम बेडरूम में पहुँचे और वहाँ साधना मेरे कपड़े उतारने लगी और मैंने उसका टॉप उतार दिया। फिर उसके ब्रा को खोलकर उसकी बड़ी बड़ी चूचियाँ नंगी हो गयी। उसने भी मुझे नंगा किया और मेरी चड्डी उतारकर मेरे लौड़े को पकड़कर बुलबुल को दिखाकर बोली: ये है इनका मस्त लौड़ा जो तुमको माँ बनाएगा। देखो इनके बालस कितने बड़े हैं और मस्त मर्दाना स्पर्म से भरे हुए हैं जो तुमको जल्दी ही क्या पता आज ही माँ बना देंगे।
बुलबुल मेरे लौड़े को और बॉल्ज़ को देखती रही।तब तक साधना नीचे बैठ गयी और मेरा लौड़ा चूसने लगी।और फिर वह बुलबुल को दिखाकर मेरे बालस चूसने लगी। अब मैं भी गरम हो गया था और मैंने बुलबुल की पैंट उतारी और उसकी पैंटी को देखकर मस्त हो गया जो की सामने से पूरी गीली थी। मैं समझ गया कि वह बहुत गरम है और बड़े मज़े से चुदवाएगी । उसकी पैंटी नीचे करके मैंने उसकी बुर को देखा और बिना झाँट के बुर को देखकर मेरे लौड़े ने साधना के मुँह में झटका मारा।
वह अब बहुत गरम थी और मैंने साधना को नीचे लिटाया और उसके ऊपर आकर उसे पागलों की तरह चोदने लगा। वह भी कमर उठकर मज़ा देने लगी। मैंने देखा कि बुलबुल भी बग़ल में आकर लेट गयी और अपनी बुर में ऊँगली डाल रही थी और हमारी चुदाई को ध्यान से देख रही थी। कमरा फ़च फ़च की आवाज़ों से गूँज रहा था और वह ध्यान से मेरे धक्कों को देख रही थी मानो वो भी कोई नया अजूबा देख रही हो।
मैं बोला: क्या बात है बुलबुल , क्या देख रही हो? तुम्हारा पति भी तो ऐसे ही चोदता होगा ना तुमको रोज़ ?
बुलबुल: मेरे पति मुझे बहुत प्यार करते हैं और बड़े आराम से करते हैं। आपके जैसे जंगली की तरह नहीं करते।
तभी साधना हाय्य्य्य्य्य्य्य्य और ज़ोर से चोओओओओओदो चिल्लायी और बुलबुल हैरानी से अपनी सास को देखने लगी। वह अब ज़ोर ज़ोर से अपनी कमर उछालकर हाय्य्यय आऽऽह करके झड़ने लगी। अब उसके झड़ने के बाद मैंने अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया और अब बुलबुल के ऊपर आ गया। मेरा लौड़ा अभी भी पूरा खड़ा था और साधना की बुर के रस से गीला होकर चमक रहा था।
अपने लौड़े को बुलबुल की आँखों के सामने लाकर उसको झुलाते हुए मैं बोला: बुलबुल बेटा मर्दाना चुदायी ऐसी होटी है। क्या तुम्हारा पति भी ऐसे ही धमासान चुदाई करता है? देखो तुम्हारी सासु माँ क्या मस्ती से चुदायी। अभी मैं तुमको ऐसे ही चोदूँगा। तुम कभी नहीं भूलोगी और मेरे पास बार बार आओगी चुदवाने जैसे तुम्हारी सास आती है।
बुलबुल: अंकल आपको पता है कि मैं आपके पास सिर्फ़ इस लिए आयी हूँ कि मुझे माँ बनना है । वैसे आपको बता दूँ कि मेरे पति भी मुझे बहुत अच्छी तरह से संतुष्ट करते है और उनका भी आपके जैसे ही बहुत बड़ा है। बस पता नहीं स्पर्म कैसे कम हो गए । इसीलिए आपके पास आयी हूँ। मैं उनसे बहुत प्यार करती हूँ। पर हाँ वो ऐसे ज़ोर ज़ोर से नहीं करते जैसे आप किए थे अभी माँ को!
मैं: अरे उसी जबदरस्त चुदाई में ही तो मज़ा है बेटा। अभी देखना कैसे तुमको मस्त करता हूँ। बेटी लड़की एक से ज़्यादा मर्द से भी तो प्यार कर सकती है। जैसे तुम्हारी सास अब मुझे भी प्यार करने लगी है। वैसे ही तुम भी बहुत जल्दी मुझे भी प्यार करने लगोगी। मैं भी तो अपनी बीवी से भी प्यार करता हूँ।
बुलबुल: आपकी सोच मेरे से अलग है।
मैं: अब तुम दोनों सुनो मेरी सोच तो यह है कि जब तुम्हारे पति का लौड़ा बहुत मस्त है तो साधना को बाहर आकर मुझसे चुदवाने की क्या ज़रूरत है वो तो अपने बेटे से भी चुदवा सकती है ना।
बुलबुल: क्या बकवास कर रहे हैं आप? भला ऐसा भी कहीं होता है? वो माँ बेटा हैं।
मैं: क्यों साधना, तुम्हारे बेटे का लौड़ा मस्त है और अगर बुलबुल को कोई ऐतराज़ ना हो तो क्या तुम अपने बेटे से चुदवा नहीं सकती?
साधना: छी कैसी बातें कर रहे है आप? छोड़िए ये सब बकवास और बुलबुल को चोदिए अब।
बुलबुल: एक बात पूँछुँ अंकल? आपकी बेटी को भी आप चोदना चाहोगे क्या?
मैं: सच बताऊँ, अगर पायल नहीं होती तो सच में मैं अपनी बेटी को चोद देता। बस उसके डर से नहीं चोदा। वरना जब वह जवान हो रही थी तो कई बार मन में आया कि मेरी जवान बेटी किसी दूसरे से क्यों चुदवाए वो भी मेरे जैसे चुदक्कड के होते हुए।
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