RE: बहू की चूत ससुर का लौडा
उस दिन भी वो दोनों चुदाई के बाद आराम कर रहे थे शशी उसके लौड़े को हल्के से सहला रही थी। तभी उसके दोस्त सतीश का फ़ोन आया और वह बोला: यार क्या तुम और जय कल यहाँ आ सकते हो? मैं चाहता हूँ कि कल तुम मेरे दोस्त अमित की भतीजी को देख लो। बहुत प्यारी बच्ची है तुम लोगों को ज़रूर पसंद आएगी।
राज ने शशी की गाँड़ सहलाते हुए कहा: अच्छा ये तो बहुत अच्छी बात है। कौन कौन है उसके घर में?
सतीश: यार बेचारी के पिता का तो बचपन में ही देहांत हो गया था वह अपनी माँ के साथ मेरे दोस्त के यहाँ पली है जो कि उसका ताया है । यानी वह अमित की भतीजी है। बी कॉम किया है और दिखने में भी बहुत सुंदर है।
राज: ओह चलो हम कल का प्लान बनाते हैं। तुमको ख़बर कर के कल शाम को आएँगे । तुम्हारा शहर सिर्फ़ दो घण्टे की ही दूर पर तो है। हम वहाँ पाँच बजे तक तो पहुँच ही जाएँगे।
फिर इधर उधर की बात करके उसने फ़ोन रख दिया। फिर राज ने उसकी गाँड़ में एक ऊँगली डाल दी और शशी आऽऽंह कर उठी ।
राज: अरे एक ऊँगली नहीं ले पा रही है तो मेरा लौड़ा कैसे अंदर लेगी?
शशी: मुझे नहीं लेना आपका लौड़ा यहाँ। बुर को जितना चाहिए चोदिए। पर गाँड़ नहीं मरवाऊँगी।
राज: अरे जब तुम गर्भ से हो जाओगी तो गाँड़ से ही काम चलाउंगा ना। डॉक्टर बोल देगी तीन चार महीने बाद कि बुर को चोदना बंद करो।
शशी हँसते हुए बोली: तब की तब देखी जाएगी। अच्छा तो कल आप बहु देखने जा रहे हैं।
राज : हाँ हम जाएँगे। देखें क्या होता है वहाँ?
फिर वह किचन ने चली गयी और वह भी आराम करने लगा।
शशी खाना बना कर चली गयी और जय दुकान बंद कर घर आया तो राज ने उसे अगले दिन लड़की देखने की बात बताई। जय ने ठीक है कहा और दोनों खाना खाते हुए दुकान की बात करने लगे। खाना खाकर थोड़ी देर टेलीविजन देखकर वो सोने चले गए।
रात को सोते हुए राज सोचने लगा कि बहु के आने के बाद उसकी और शशी की चुदाई मुश्किल में पड़ जाएगी। उसे कोई रास्ता निकालना ही होगा ताकि वो शशी को बिना किसी अड़चन के चोद सके। वैसे भी उसकी आँखों में शशी की कुँवारी गाँड़ घूम रही थी और वह यह सोचकर गरम हो गया कि उसकी गाँड़ मारने में क्या मज़ा आएगा। फिर वह अपने खड़े लौड़े को दबाकर सो गया।
अगले दिन जय को जल्दी वापस आने के लिए बोल कर राज ख़ुद भी तैयार होकर बाज़ार गया और वहाँ से मिठाई और फल ख़रीदे। बाज़ार से वापस आकर उसने शशी की एक राउंड चुदाई भी की और फिर शाम को जय और वह पास के शहर में सतीश से मिलने पहुँचे।
सतीश उनको लेकर अपने दोस्त अमित के यहाँ पहुँचा । अमित और उसकी पत्नी ने उनका बहुत स्वागत किया और फिर उनको रश्मि से मिलवाया,जो कि अमित के स्वर्गीय भाई की पत्नी और डॉली की माँ थी। डॉली ही वह लड़की थी जिसे देखने वह दोनों आए थे।
राज ने फल और मिठाई रश्मि को दी। उसने देखा कि रश्मि बला की ख़ूबसूरत महिला थी। बहुत गोरी और अपने उम्र के हिसाब से थोड़ी भरी हुई भी थी। बड़े बड़े दूध और उभरे हुए चूतड़ बहुत ही मादक थे। बहुत दिन बाद राज के लौड़े ने एक नज़र देखकर ही एक औरत के लिए झटका मारा था। राज उसकी गाँड़ के उभार को देखकर मस्ती से भर गया। फिर उसने अपने आप को याद दिलाया कि वह उसकी समधन हो जाएगी अगर ये रिश्ता हो जाता है।
उसने अपने आप को क़ाबू में किया और बोला: भाभी जी आप जब इतनी सुंदर हो तो आपकी बेटी भी यक़ीनन बहुत प्यारी होगी।
रश्मि: अरे आपका बेटा भी तो बहुत प्यारा है। भाई सांब इन दोनों की जोड़ी बहुत जमेगी।
राज हँसते हुए बोला: भाभी जी आपकी बेटी देख तो लें फिर शायद आपको बात से हम भी सहमत हो जाएँगे।
तभी अमित आकर रश्मि को बोला: रश्मि आओ डॉली को ले आते हैं। वो दोनों अंदर चले गए। राज ने नोटिस किया कि अमित अपनी बीवी की तरफ़ ज़्यादा ध्यान नहीं दे रहा था। वैसे उसकी बीवी काफ़ी दुबली पतली थी और बीमार सी दिखती थी।
राज ने एक नौकर से कहा: मुँझे बाथरूम जाना है।
वह उसके साथ बाथरूम की ओर चल पड़ा। नौकर उसको एक कमरे में बाथरूम दिखाकर वापस चला गया। वह बाथरूम जाकर जब बाहर आया तभी उसको कुछ आवाज़ सी आयी। वह कमरे से बाहर आते हुए रुक गया और दरवाज़े के पास आकर थोड़ा सा दरवाज़ा खोलकर झाँका।
वहाँ सामने कोई नहीं था। वह बाहर आया और तभी उसको दबे स्वर में हँसने की आवाज़ आयी और वह पता नहीं क्यों उस कमरे के सामने पहुँचकर चुपचाप बातें सुनने लगा। अंदर आदमी बोल रहा था: अब यह शादी हो जाए तो हम खुलकर मस्ती कर सकेंगे । फिर चुम्बन की आवाज़ आइ । अब धीरे से वह अंदर झाँका। वहाँ का दृश्य बड़े ही हैरान करने वाला था। अमित अपने भाई की बीवी के साथ लिपटा हुआ था और उसे चूमे जा रहा था। वह भी उससे मज़े से चिपकी हुई थी। अमित के हाथ उसके बड़े बड़े चूतरों को दबा रहे थे।
रश्मि: अच्छा अब छोड़िए। डॉली तैयार हो गयी होगी।
अमित: हाँ यार जितनी जल्दी उसकी शादी हो जाए हम मज़े से चुदाई कर सकेंगे।
रश्मि: हाँ जी आपको भाभी तो मज़ा नहीं देती इसलिए मुझे ही रगड़ोगे आप तो। चलो अब जल्दी से वरना कोई देख लेगा। वो दोनों अलग हुए तो वह अपनी साड़ी का पल्लू ठीक करते हुए बोली: देखिए पूरा ब्लाउस छाती के ऊपर कैसा मसल दिया है आपने ।कोई भी समझ लेगा कि क्या हुआ है मेरे साथ।
अमित: अरे तुम्हारी चूचियाँ हैं इतनी मस्त कि साला हाथ अपने आप ही उन पर चला जाता है। वह यह कहते हुए अपने लौड़े को पैंट में अजस्ट करने लगा।
फिर दोनों बाहर आने लगे। राज जल्दी से वहाँ से हट कर छुप गया। उनके जाने के बाद वह वापस बाहर आ गया। जय वहीं बैठकर अमित की बीवी से बातें कर रहा था।
थोड़ी देर बाद वो दोनों आए और साथ में डॉली भी आयी। उसने साड़ी पहनी हुई थी। वह माँ जैसी ही गोरी चिट्टि और थोड़े भरे बदन की नाटे क़द की लड़की थी। जय तो उसे एकटक देखता ही रह गया। डॉली ने भी भरपूर नज़र से जय को देखा और वह भी उसको बहुत पसंद आ गया।
राज ने भी डॉली को देखा और वह सच में अपनी माँ का ही प्रतिरूप थी। भरे बदन के कारण वह बहुत सेक्सी भी दिख रही थी। साड़ी से उसकी चूचियों के उभार बहुत ही ग़ज़ब ढा रहे थे। और जब वह उसको नमस्ते करके उसकी बग़ल से आकर साइड के सोफ़े में बैठी तो उसके चूतरों का उभार उसको मस्त कर गया। तभी उसे याद आया कि वह उसकी होने वाली बहु है। उसे अपने आप पर बहुत शर्म आयी और उसने अपना सिर झटका जैसे वह गंदे ख़याल अपने दिमाग़ से बाहर निकाल रहा हो।
अमित: ये है हमारी बिटिया शशी रश्मि। और रश्मि ये है जय और ये हैं इनके पिता।
रश्मि ने फिर से सबको नमस्ते किया। वह अपना सिर झुका कर बैठी थी। राज ने देखा कि जय उसे देखे ही जा रहा था। वह मन ही मन मुस्कुराया और बोला: जय मैं चाहता हूँ कि तुम और डॉली अकेले में थोड़ी देर बातें कर लो और एक दूसरे को समझ लो। अमित जी आपको कोई ऐतराज़ तो नहीं?
अमित: अरे नहीं हमें क्यों ऐतराज़ होगा अच्छा ही है वो दोनों एक दूसरे को समझ लें।
रश्मि उठी और डॉली और जय को लेज़ाकर एक कमरे में बिठा आयी।
जब वो वापस आइ तो राज उसको भरपूर नज़रों से देखा, उसको उसकी और अमित की मस्ती याद आ गयी।
रश्मि: भाई सांब लगता है दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे हैं।
राज: हाँ बड़ी ही प्यारी बच्ची है , मुझे भी लगता है कि दोनों एक दूसरे को पसंद आ गए हैं।
उधर डॉली और जय एक दूसरे से बातें किए जा रहे थे। जय उसको अपने बिज़नेस वग़ैरह के बारे ने बताया और डॉली अपनी पढ़ाई और अपने खाना बनाने के शौक़ के बारे में बतायी। जल्दी ही उन दोनों को समझ में आ गया कि वह एक दूसरे को पसंद करने लगे हैं।
थोड़ी देर बाद जय बोला: आप मुझे पसंद हो, अब आप बताओ कि मैं आपको पसंद हूँ या नहीं?
डॉली ने सिर झुका कर कहा: आप भी मुझे पसंद हो।
फिर दोनों उठकर बाहर आए और राज ने पूछा: हाँ अब बताओ कि क्या इरादा है?
जय: पापा मेरी तो हाँ है।
अमित: और बेटी तुम्हारी?
डॉली ने शर्माकर अपना सिर हाँ में हिला दिया।
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