Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर
06-07-2017, 12:11 PM,
RE: चूतो का समुंदर
फार्महाउस पर.....

वापिस आते ही मैने अपने आदमी को उस महल मे हुई पूरी बारदात बता दी थी...

और उससे पता करने का बोला कि उस महल से मेरा या मेरे दुश्मनो का कोई रीलेशन है क्या...

मैं जानना चाहता था कि इस अटॅक के पीछे कौन है और उसका मक़सद क्या था...

फिर रात को डिन्नर के बाद मैं अपने रूम मे रेस्ट कर रहा था...तभी संजू और अकरम मेरे रूम मे आए और आते ही रूम लॉक कर दिया....

अकरम- अब जल्दी से बोल...क्या हुआ था वहाँ....

मैं- पहले बैठ ..और संजू तू ड्रिंक बना फिर सब बताता हूँ...

फिर हमने ड्रिंक लिए और बैठ गये...

मैं( ड्रिंक की सीप मार कर)- ह्म्म..अब बोल..क्या पूछ रहा था...

अकरम- साले...वहाँ चुप हो गया था...अब यहाँ नही होने वाला..बोल..

संजू- हाँ भाई..सच बात तो बता...

मैं- ओके...बताता हूँ...

फिर मैने उन दोनो को उस बुड्ढे और हमले के बारे मे सब कुछ बता दिया...

मेरी बात ख़त्म होते ही दोनो गुस्से मे खड़े हो गये...

अकरम- क्या..उस बुड्ढे ने...मादर्चोद को छोड़ुगा नही...चल संजू..

संजू- हाँ भाई..अभी उड़ा देते है साले को..चल...

मेरे दोनो जिगरी दोस्त पूरे गुस्से मे उन बुड्ढे को मारने जाने लगे..

मैं- कहीं भी जाने के पहले ये याद रखना कि अभी कहीं गये तो मुझसे कभी बात मत करना...

मेरी बात सुन कर दोनो के पैर थम गये...मैं जानता था कि यही होगा ..

अकरम(गुस्से मे)- आख़िर तू चाहता क्या है...हम चुपचाप बैठे रहे...

मैं- नही..बस अभी मत जाओ...हम कल चलेगे..पक्का..

संजू- ह्म्म..ओके ..आज की रात तेरी बात मान ली..कल तू मानेगा..समझा..

मैं- पक्का..अब आ जाओ सालो...ड्रिंक करते है...

फिर हमने ड्रिंक की और वो दोनो अपने रूम मे चले गये...

थोड़ी देर बाद मेरे आदमी का कॉल आ गया ..

(कॉल पर)

मैं- हाँ बोलो...पता चला ..

स- ह्म्म..बहुत कुछ पता चला...

मैं- तो बोलो..

स- वो महल सम्राट सिंग का है...

मैं- वो मैं जानता हूँ...पर उससे मेरा क्या लेना-देना..

स- है यार...वो तेरे डॅड का दुश्मन है...

मैं- डॅड का दुश्मन...पर क्यो...किस लिए...??

स- वो अभी पता नही चला..पर एक ऐसी बात पता चली है...जो शायद तेरे घरवालों को भी पता नही होगी...

मैं- ऐसी कौन सी बात है..??

और फिर मेरे आदमी की बात सुन कर मुझे झटका लगा...

झटका इसलिए की ये बात मेरे घर मे किसी को भी नही पता थी...जो मानना इम्पॉसिबल था....

क्क्कय्य्ाआआअ.....ये कैसे हो सकता है कि कोई नही जानता.....नो...इट्स इंपॉसिबल....
मैं अपने आदमी की बात सुनकर शॉक्ड था...मुझे उसकी बात बिल्कुल भी सही नही लग रही थी...

स- मुझे यही पता चला है...शायद यही सच हो...

मैं- देखो...मुझे आप पर पूरा भरोसा है...पर और किसी पर नही...

स- ह्म्म..तो क्या करें..ये बोलो...

मैं- आप खुद पर्सनाली इस बात की तह तक जाओ...तभी मैं सच मान सकता हूँ..

स- ओके..वैसे अभी ये बात ज़्यादा इम्पोर्टेंट नही है...अभी हमारा फोकस कामिनी के उपेर है...

मैं- ह्म्म....सही कहा..फिर भी पता करो कि इस बात मे कितनी सच्चाई है...मैं भी महल जा कर आता हूँ...

स- महल...किस लिए...मेरे हिसाब से वहाँ कुछ नही मिलेगा...

मैं- जानता हूँ...पर शायद कुछ मिल जाए...

स- ओके...देख आओ...मैं रात को कामिनी को देखता हूँ....

मैं- ह्म्म..पर इतना ही देखना कि मरे ना वो...

स- हाहाहा...डोंट वरी...यू टेक केर...बाइ...

मैं- ओके..बाइ...

फ़ोन रखने के बाद मैं अपने आदमी की बताई बात के बारे मे सोचने लगा...

मुझे उसकी खबर मे कोई सच्चाई नज़र नही आ रही थी...इसलिए मैने उसे इग्नोर कर दिया....और रेस्ट करने लगा...

करीब 20 मिनिट बाद मुझे हल्की-2 नीद आने लगी...तभी मेरे रूम का गेट ओपन हुआ...

मैने आवाज़ सुनकर गेट की तरफ देखा तो सामने जूही खड़ी हुई थी...

जूही के चेहरे से सॉफ पता चल रहा था कि वो बड़ी उदास है...

और ऐसा लग रहा था कि जैसे अभी-2 रो कर आ रही है..

मैं- उउंम...जूही...तुम..इस वक़्त...आओ...

जूही आकर बेड पर ही मेरे साइड मे बैठ गई...

थोड़ी देर मुझे चुपचाप देखने के बाद जूही ने मेरे हाथ को अपने हाथ मे लिया और दूसरे हाथ से मेरे हाथ को सहलाने लगी...

मैने गौर किया तो पाया कि जूही सिर झुकाए रो रही थी...

मैं- जूही...क्या हुआ...तुम..तुम रो रही हो...

मेरे बोलते ही जूही की आँखो मे क़ैद आँसू उसकी आँखो से बाहर निकलने लगे...

मैं- क्या बात हुई यार...रो क्यो रही हो...

जूही ने फिर भी कुछ नही बोला बस मेरे हाथ को उपर उठा कर अपने नरम होंठो से चूमने लगी और आँसू बहाने लगी...

जूही के आँसुओं को मैं अपने हाथ पर महसूस कर रहा था...और इन आसुओं की वजह मुझे पता करनी ही थी...

मैं- जूही...कुछ तो बोलो यार..हुआ क्या...

जूही फिर भी नही बोली बस आँसू बहती रही...अब मुझसे उसका रोना देखा नही जा रहा था...

मैं- तुम्हे मेरी कसम..जल्दी बोलो...

जूही(सुबक्ते हुए)- तुम ठीक हो ना...

मैं- हाँ..मुझे क्या हुआ...

जूही- क्या हुआ...तुम्हे पता नही...मेरी तो जान निकल गई थी...थॅंक गॉड तुम ठीक हो...

मैं- ओह्ह...तो ये आँसू इसलिए वेस्ट किए जा रहे है ...

जूही(मेरे हाथ पर हल्की थपकी मार कर)- चुप रहो...कोई वेस्ट नही हो रहे है...समझे..

मैं- ह्म्म...कुछ-2 समझा...

जूही- कुछ-कुछ...??

मैं- ह्म्म...मुझे इतनी सी चोट लगी और तुमने इतने कीमती आँसू बहा दिए..हाँ..

जूही- तुमसे कीमती कुछ नही है...समझे...

मैं- ओह्ह...अच्छा ये बताओ...इतनी सी चोट मे ये हाल है...तो अगर मैं मर जाता....

इससे आगे बोलने के पहले ही जूही को जूरदार हाथ मेरे गाल पर पड़ा...

जूही- चुप रहो...तुम..तुम...

और जूही रोती हुई मेरे सीने से लग गई..

मुझे उसका प्यार देख कर बहुत खुशी भी हो रही थी और बुरा भी लग रहा था...

बुरा इसलिए की मुझे लगता था कि मैं जूही के प्यार के काबिल नही....

मैं- आअहह...इतना तेज थप्पड़ ...आअहह..

जूही(सुबक्ते हुए)- सॉरी...पर तुम ऐसी बात मत करना कभी....नही तो मुझसे बुरा कोई नही होगा...


मैं- तुमसे बुरा कोई है भी नही...

जूही(मुझे देख कर)- क्या...मैं इतनी बुरी हूँ...

मैं- और नही तो क्या...देखो कैसे बच्चो की तरह रोती हो...

जूही- सिर्फ़ तुम्हारे लिए...

मैं- अच्छा...मेरे लिए...पर क्यो..??

जूही(शरमाते हुए)- एक लड़की एक लड़के के लिए क्यो रोती है..इतना भी नही जानते ..पागल...

मैं- नही....मुझे कैसे पता होगा...कभी कोई रोया ही नही मेरे लिए...

जूही- तो क्या हुआ...पता तो होगा ही...

मैं- मुझे तो यही पता है कि एक लड़की एक लड़के के लिए सिर्फ़ बेड पर रोती है...खास कर गोलडेन नाइट पर...ह्म्म

मैने अपनी बात कही और आँखो से जूही को इशारा करते हुए मुस्कुराने लगा.....

जूही(मुस्कुरा कर)- तुम बहुत बेकार हो...मैं जा रही हूँ...

जूही ने जाने का नाटक किया पर मैने उसका हाथ नही छोड़ा...

मैं- मुझे छोड़ के जाओगी...

जूही(बिना पलटे)- कभी नही...

मैं- तो आज की रात मेरे नाम कर दो...

जूही(पलट कर मेरी आँखो मे देखती हुई)- आज रात नही...मेरी सारी राते तुम्हारे नाम कर दी है...

और फिर जूही मेरे सीने मे सिर छुपा कर शरमाने लगी...

मैने जूही को अपने पास ही लिटा लिया और अपनी बाहों मे कस लिया....

फिर हम ऐसे ही चिपके हुए लेटे रहे और नीद की आगोश मे चले गये.....

आज का दिन मेरे लिए काफ़ी शॉकिंग और ख़तरनाक था....पर रात का अंत प्यार भरा रहा ...

मुझसे कहीं दूर कामिनी के दिन की शुरुआत इससे भी बुरी हुई थी.....
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RE: चूतो का समुंदर - by sexstories - 06-07-2017, 12:11 PM

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