ससुर कमीना और बहू नगीना
04-09-2017, 04:41 PM,
#84
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
आख़िर हो ही गया मिलन------

राजीव बाहर आकर चाय पीने लगा और मालिनी को घूरने लगा। वो चुपचाप चाय पीती रही । राजीव उसकी चुप्पी से असहज हो कर पूछा: बेटा क्या बात है? जब से तुमने शिवा और सरला की मस्ती का सुना है तुम थोड़ा अजीब सा व्यवहार कर रही हो? वह उसकी बाँह सहला कर बोला।

मालिनी : कुछ नहीं पापा ऐसा कुछ नहीं है। सब ठीक है।

अब राजीव उसकी नायटी के ऊपर से उसकी चूची दबाकर बोला: नहीं कुछ बात तो है, बेटा। बताओ ना? उफफफफ क्या मस्त चूचि है तुम्हारी। पता नहीं कब इनका रस पिलाओगी?

मालिनी: पापा आप भी बस पीछे ही पड़े रहते हो।

राजीव ने नोटिस किया कि आज वो उसका हाथ अपनी चूचि से नहीं हटा रही थी। अब वो उसकी चूची को ऊपर से सहलाना शुरू किया जहाँ से वो थोड़ी सी नंगी दिखाई दे रहीं थीं । मालिनी बोली: पापा आप छोड़िए ना मुझे शिवा को भी जगाना है। वैसे आज बाई भी नहीं आएगी तो काम भी ज़्यादा होगा ।

राजीव ने उसको अपनी गोद में खींचकर बिठा लिया और बोला: अरे बाई नहीं आएगी तो क्या हुआ? मैं तुम्हारी मदद करूँगा । बोलो क्या करना है। वो उसकी चूचियों को ऊपर से चूमकर बोला।

मालिनी हँसकर: पापा आप पहले इनको छोड़िए। तभी तो मैं कोई काम कर सकूँगी। और हाँ देखती हूँ क्या मदद करते हो आप?

राजीव उसको छोड़ते हुए बोला: बेटा बोलो बर्तन साफ़ करूँ या झाड़ू लगाऊँ?

मालिनी उठकर उसके गाल को चूमकर बोली: अरे आपको ये सब नहीं करना पड़ेगा। फिर प्यार से उसके लौड़े को लूँगी के ऊपर से दबाकर बोली: पापा ये तो बस खड़ा होने का बहाना ही ढूँढता रहता है, है ना?

राजीव: बेटा अब इसको पता नहीं कितने दिन तुम प्यासा रखोगी? ये तो यहाँ घुसने के लिए मरा जा रहा है। उसने उसकी बुर को नायटी के ऊपर से दबाकर कहा।

मालिनी हँसकर: पापा इसके अंदर डालने का आपका प्लान तो बहुत पहले से ही है। चलो मैं शिवा को उठाती हूँ। और हाँ एक बात और, आज आप नाश्ता नहीं करोगे। शिवा पूछेगा तो कोई बहाना बना दीजिएगा। मैं भी नाश्ता नहीं करूँगी। ठीक है?

राजीव: वो क्यों?

मालिनी: पापा आप सवाल बहुत पूछते हो। एक दिन थोड़ा देर से नाश्ता नहीं कर सकते मेरे लिए।

राजीव: अरे बेटा तेरे लिए तो मैं कुछ भी कर सकता हूँ। नाश्ते की क्या बात है ।

मालिनी: अच्छा अब मैं शिवा को चाय देकर आती हूँ। फिर वो किचन में जाकर शिवा के लिए चाय बनाई और शिवा को उठाई। शिवा चाय पीकर फ़्रेश हुआ और नहाने चला गया। जब वो नाश्ता करने बैठा तो राजीव बोला: मैं आज नाश्ता देर से करूँगा , अभी मेरी तबियत थोड़ी ढीली है।

मालिनी : आज मैं भी नहा कर ही खाऊँगी ।

शिवा नाश्ता करके जाने लगा तो मालिनी बोली: आज का क्या प्रोग्राम है?

शिवा हैरानी से: कुछ नहीं बस दुकान जाऊँगा, और क्या?

मालिनी: बस ऐसे ही पूछा ,और कुछ नहीं ।

फिर वो चला गया। मालिनी उसके जाने के बाद राजीव से बोली: आप ज़रा अपने कमरे में आयिए ना।

राजीव उठकर उसके पीछे अपने कमरे में आया और बोला: क्या हुआ बेटा? क्या बात है?

मालिनी: पापा आप उस दिन मुझे एक लिंगरी निकाल कर दी थी ना। उस समय मैंने आलमारी में कुछ सुंदर साड़ियाँ देखीं थीं मम्मी जी की। एक बार दिखाएँगे क्या?

राजीव : हाँ हाँ क्यों नहीं बेटा, अब वो तो नहीं रही , इसलिए ये सब तुम्हारा ही है। लो देखो। ये कहकर वो आलमारी खोला और मालिनी वहाँ लटकी हुई साड़ियों का कलेक्शन देखकर बोली: पापा मम्मी बहुत शौक़ीन थीं । कितनी साड़ियाँ ख़रीद रखीं हैं। अब वो कुछ सुंदर साड़ी निकाली और फिर बोली: पापा ये लाल साड़ी कितनी भारी है ना? बहुत महँगी होगी?

राजीव: बेटा ये साड़ी उसने हमारी शादी के दिन पहनी थी। ये साड़ियाँ सिल्क की हैं जो उसे बहुत पसंद थीं। ये सब तुम रख लो।

मालिनी: पापा इनके ब्लाउस कहाँ हैं ? वो ढूँढती हुई बोली।

राजीव पीछे से आकर उसके चूतरों पर हाथ फेरा और बोला: ये देखो इस शेल्फ़ में रखे हैं। पर वो तुमको ढीले होंगे क्योंकि उसका बदन बाद में भारी हो गया था।

मालिनी: ये लाल ब्लाउस तो लगता है आ जाएगा। बाक़ी ज़रूर बड़े लग रहे हैं।

राजीव: अरे लाल वाला तो शादी के दिन पहनी थी ना, उस समय वो तुम्हारी जैसी थी । वो तो बच्चे होने के बाद ज़्यादा ही भारी हो गयी थी।

मालिनी: ठीक है पापा मैं ये ले लेती हूँ। जो बड़े होंगे वो दर्ज़ी से ठीक करवा लूँगी।

राजीव उसकी गाँड़ दबाकर और उसकी गर्दन चूमकर बोला: हाँ बेटा सब रख लो। सब तुम्हारा ही है और मैं भी तो तुम्हारा हूँ।

मालिनी हँसकर : आऽऽह पापा बस अब छोड़ो ना। मुझे नहाना है।
तभी उसकी निगाह कुछ डिब्बों पर पड़ीं और वो बोला: बेटा ये भी देख लो।ये तो उसने पहना ही नहीं। उसने डिब्बा खोला तो उसमें ब्रा और पैंटी रखीं थीं ।

राजीव: बेटा ये ब्रा तो तुमको बड़ी होंगी। उसकी छातियाँ बड़ी थीं ना। तुम्हारी उससे छोटी है अभी।

मालिनी हँसकर: पापा आप जितना इनको दबाते हैं उससे तो लगता है जल्दी ही ये भी इतने बड़े हो जाएँगे। ये कहते हुए उसने नयी ब्रा का कप अपनी एक छाती पर रखा और बोली: मेरी भी जल्दी ही आप इतना बड़ा कर दोगे हा हा ।

राजीव : बेटा सिर्फ़ दबाने से बड़ी नहीं होतीं उनको चूसना भी पड़ता है। वो तो मुझे तुम करने नहीं देती। अरे बेटा ये पैंटी रख लो। ये तो काम आ ही जाएँगी।

मालिनी हँसकर: हाँ जब आप बाप बेटा पहनने दोगे तो ही ना काम आएँगी। आप दोनों को तो मेरा पैंटी पहनना ही पसंद नहीं है।

राजीव उसकी गाँड़ की गोलायी को दबाकर बोला: बेटा देखो कितनी अच्छी लगती है बिना पैंटी की गाँड़ । उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मस्त फ़ीलिंग आती है। पैंटी रहने से ऐसा अहसास थोड़े ना होता है।

मालिनी: आऽऽह पापा छोड़िए अब। ठीक है पैंटी रख लेती हूँ। बाहर तो मैं पहनकर ही जाती हूँ। अच्छा अब आप भी नहाकर तय्यार हो जाओ। आपकी आलमारी दिखाओ तो।

राजीव हैरान होकर बोला: क्यों क्या हुआ?

मालिनी: अरे दिखाइए ना। फिर उसने राजीव के किए वो चूड़ीदार पजामा और कुर्ता निकाला जो कि उसने मालिनी की शादी में पहना था।

वो बोली: पापा आप आज इसको पहनो ।

राजीव: कहाँ जाना है हमको?

मालिनी: बताऊँगी ना अभी थोड़ी देर में। आप यही पहनना । ठीक है ? चलो दस बज गए हैं । आधे घंटे में बिलकुल तय्यार हो जाइए।

राजीव थोड़ा सा कन्फ़्यूज़्ड होकर हाँ में सर हिलाया, और सोचने लगा कि इसके मन में क्या चल रहा है। अब वो उसके कमरे से कपड़े लेकर निकल गयी।

अपने कमरे में आकर वो नहाने के लिए घुसी और अपनी नायटी उतारकर सिर्फ़ ब्रा में ख़ुद को निहार कर अपने आप पर ही मुग्ध हो गयी। अब उसने अपनी बग़लें चेक कीं और वहाँ वीट लगाकर उसने अपने बाल साफ़ किए। फिर उसने अपनी झाँटे चेक कीं और थोड़े से ही बाल उगे थे। उसने बुर और गाँड़ के आसपास की सभी बालों की सफ़ाई की। अब उसने अपनी ब्रा खोली और अपने मस्त टाइट मम्मे देखकर मुस्कुराई और फिर शॉवर लेने लगी। आज जो होने वाला है उसका सोचकर उसकी बुर पनिया चुकी थी। उसने उसे नहीं छेड़ा। वो आज बहुत मस्त मूड में थी। अब वो नहाकर अपनी मदमस्त जवानी को देखती रही और फिर तौलिए से बदन सुखाकर वो नंगी ही बाहर कमरे में आयी। अब वो लिंगरीपहनी जो पापा ने उस दिन दी थी जब शिवा भी एक लिंगरी लेकर आया था। इसमे जाली वाली ब्रा और जाली वाली ही पैंटी थी । जाँघों पर थोंग भी थी और गाँड़ की दरार में एक पट्टी सी थी। उसने ख़ुद को शीशे में देखा ।पूरी रँडी लग रही थी जैसे ब्लू फ़िल्मों की होती हैं। वो पीछे अपनी गोल ठोस गाँड़ देखकर मस्ती से मुस्कुराई। अब वो सास का लाल ब्लाउस पहनी और चेक की । मामूली सा ही ढीला था। फिर उसने लाल पेटिकोट पहना । अब वो और भी सेक्सी लग रही थी। फिर उसने सास की लाल साड़ी पहनी जो उसकी सास ने अपनी और पापा की शादी में पहनी थी।अब वो अपने चेहरे का मेकअप की और फिर वो ज़ेवर पहने जो कि उसको ससुर ने समय समय पर दिए थे। पैरों में पायल ,कानों में झूमके, गले में सुंदर सा हार और हाथों में लाल काँच की चूड़ियाँ भी पहनी। आख़िर में उसने लाल लिप्स्टिक लगाई। अब वो अपने आप को आगे और पिच्छे से देखी और मुस्कुराई । पता नहीं पापा का क्या हाल होगा उसको इस रूप में देखकर।

वो सज सँवर कर बाहर आयी और किचन में जाकर पिछले दिन जो सामान लायी थी उसे थाली में सजायी और ऊपर से एक सुंदर सा लाल कपड़ा डालकर उस थाल को ढाँक दी।

अब वो पूजा के कमरे में गयी और वहाँ उसने सजावट की थोड़ी सी। और वो ढाँकि हुई थाल भगवान के आगे रख दी। अब वो बाहर आकर आराम से टी वी देखने लगी। अब उसने पास के रेस्तराँ में पूरी और छोले ऑर्डर किए और कहा कि आधे घंटे में भेज दो। अब वो शांति से पापा का इंतज़ार करने लगी। तभी राजीव बाहर आया और मालिनी उसे देखकर मुस्कुराई और बोली: पापा आप तो बहुत जवान दिख रहे हो। ये ड्रेस आप पर बहुत फ़ब रही है।

राजीव मुस्कुराया और बोला: ये तुमने क्या पहना हुआ है? आज तो दुल्हन दिख रही हो? अरे ये क्या तुमने तो वही सास की साड़ी पहन ली जो वो हमारे शादी के दिन पहनी थी।

मालिनी: आप सही पहचाने। ये वही साड़ी है। अब वो उठकर बोली: पापा किसी दिख रही हूँ मैं?

राजीव:उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ बेटा क्या कहूँ? बिलकुल वैसी दिख रही हो जैसे तुम्हारी सास दिखी थी सालों पहले शादी के दिन।बल्कि उससे भी ज़्यादा प्यारी और सुंदर।

मालिनी: आज तो पापा आप भी कई क़त्ल कर दोगे अगर ऐसे बाहर गए तो। पता नहीं कितनी लड़कियाँ और अंटियाँ आप पर मर मिटेंगी। क्या लग रहे हो आप?

राजीव झेंप कर: अरे मुझे ही खींचने लगी अब तुम। वैसे इरादा क्या है तुम्हारा? ये दुल्हन का लिबास पहनकर कहाँ जाओगी? और मुझे भी कहाँ ले जाओगी?

वो हँसी: पापा आपको इतना तय्यार करके अगर मैं बाहर गयी तो पता नहीं आप जब वापस आएँगे तो पता नहीं कितनी लड़कियों के साथ आएँगे? ऐसा रिस्क मैं ले नहीं सकती। इस लिए अब हम कहीं बाहर नहीं जा रहे हैं । ठीक है? बस इस पूजा घर तक ही जाएँगे।

राजीव चौंक कर: पूजा घर ? वहाँ क्यों?

मालिनी: क्योंकि आज मैं आपसे गंधर्व विवाह करने वाली हूँ।

राजीव को अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ, वो हैरानी से बोला: क्या कहा? ज़रा फिर से कहना।

वो मुस्कुराई : हाँ हम अभी गंधर्व विवाह करेंगे। आपकी इच्छा थी ना कि मैं आपकी भी पत्नी बनूँ, वो आज मैं पूरी करूँगी। इसी लिए तो मैंने आपसे शुभ समय का पूछा था। अब से लेकर १२ बजे तक अत्यंत शुभ समय है आपको कल पंडित ने बताया था ना। बस अब चलिए पूजा घर में , मैंने सब तय्यारियाँ कर रखी हैं।

राजीव ख़ुशी से झूम कर: वाह बहु तुमने तो एकदम से मुझे हैरत में ही डाल दिया। मुझे तो यक़ीन ही नहीं हो रहा है किमेरी क़िस्मत खुल गयी है ।

वह आगे बढ़ा और उसको बाहों में लेकर चूम लिया। वो उसको बोली: पापा अभी छोड़ो और पूजा घर चलो।

दोनों ने वॉश्बेसिन में हाथ धोए और पूजा घर में घुसे । अब मालिनी बोली: पापा हम इसका वीडीयो बनाते हैं। यादगार रहेगा। उसने अपने फ़ोन का वीडीयो रिकॉर्डिंग चालू की और वहाँ खिड़की पर रख दिया। फिर दोनों वहाँ पर बैठ गए। अब मालिनी ने एक पुस्तक निकाली और कुछ भजन पढ़ने लगी। राजीव मंत्र मुग्ध सा उसके चेहरे को देखता ही रह गया। अब मालिनी ने भगवान के आगे दिया जलाया। और आँख बंद करके प्रार्थना की। फिर वो खड़ी हुई और राजीव भी खड़ा हुआ। अब वो थाल का कपड़ा उठाई और उसमें से दो फूलों की माला निकाली। एक माला उसने राजीव को दी। अब वो ख़ुद राजीव के सामने खड़ी होकर उसके गले में माला डाली और अब राजीव भी उसके गले में माला डाला। अब उसने राजीव को सिंदूर की डिब्बी दी जिसमें से लाल सिंदूर निकालके वह उसकी माँग भरा और मालिनी झुककर उसके पैर छुई। राजीव ने उसे उठाकर अपने सीने से लगा लिया और उसका माथा चूम लिया। अब मालिनी बोली: पापा चलो हो गया। देखें विडीओ कैसा बना है।

अब दोनों बाहर आए और ड्रॉइंग रूम में बैठे तभी घंटी बजी और मालिनी ने रेस्तराँ से आए पैकेट को लेकर पैसा दिया।

राजीव अपने कमरे में गया और एक चाबियों का गुच्छा लेकर आया और उसने मालिनी की कमर में उसे खोंस कर बोला: बेटा अब ये चाबियाँ तुम ही सम्भालो। आज से ये घर तुम्हारा हुआ। और तुम इस घर की महारानी हो।

मालिनी मुस्कुराकर: पापा थैंक यू। मैं अपनी ज़िम्मेदारी पूरी ईमानदारी से सम्भालूँगी। राजीव ने उसे चिपका कर उसे प्यार किया। फिर मालिनी बोली: पापा चलो छोले भटूरे खाते हैं। आपकी पसंद की रेस्तराँ से मँगाये है।

अब मालिनी ने टेबल में नाश्ता लगाया और एक थाली में सब लगाया। मालिनी: पापा अब एक ही थाली में खाएँ ना।

राजीव उसके गाल चूमकर: हाँ बेटा क्यों नहीं। अब तो हम दो बदन एक जान है । पर एक बात बता कि मैं अब तेरा पति भी हूँ और ससुर भी। तो क्या तुमको बेटी बोलूँ या नहीं?

मालिनी: पापा आप मुझे बेटी ही कहिए। वो क्या है ना सबके सामने जो बोलेंगे वही अकेले में भी बोलेंगे तो ठीक ही रहेगा।

राजीव खाते हुए बोला: चलो जैसा तुम चाहो। फिर दोनों खाना खाते हुए विडीओ देखने लगे।

दोनों खा कर उठे और अब मालिनी बोली: पापा क्या आप मेरे लिए वही पान ला देंगे जो कभी कभी खिलाते हो।

राजीव हैरानी से : पान खाना है वो भी अभी? ठीक है आज तो मैं तुम्हारी सभी शर्तें पूरी करूँगा। वो उठकर बाहर चला गया। क़रीब १० मिनट का पैदल रास्ता था। गली में थी पान की दुकान तो वो पैदल ही चला गया।

जब वो चला गया तो मालिनी ने राजीव के कमरे में जाकर बिस्तर पर नयी चादर बिछाई और फिर फूलों की पंखुड़ियाँ बिखेरीं ।दरवाज़े पर फूलों के हार सेलो टेप से चिपकायी। अब वो रूम में ख़ुशबू वाली स्प्रे भी करी। सब कुछ सुंदर बना दिया था उसने। अब वो वाशरूम गयी और फ़्रेश होकर अपनी बुर को साफ़ किया। अब उसने वहाँ भी एक ख़ुशबू वाला स्प्रे किया अब वो अपनी घूँघट नीचे करके बिस्तर पर दुल्हन बन कर बैठ गयी। अब वो अपने दूल्हे राजा का इंतज़ार कर रही थी। उसके निपल्ज़ कड़े हो गए थे और बुर गीली हो गयी थी।

तभी राजीव आया और अंदर आकर मालिनी को आवाज़ दिया। फिर वो उसके कमरे में गया और वहाँ उसको ना पाकर वो किचन में गया। अब वो सोचा कि कहाँ चली गयी? तभी मालिनी ने आवाज़ लगाई : पापा मैं यहाँ हूँ आपके कमरे में।

राजीव अपने कमरे की ओर बढ़ा और जैसे ही कमरे में पहुँचा वो ख़ुशी से झूम उठा। उफफफफ ये लड़की भी क्या क्या सोच लेती है? मस्त दुल्हन बनी बैठी है मेरे बिस्तर पर। आह्ह्ह्ह्ह उसका लौड़ा तनाव में आने लगा। अब वह बोला: बेटी पान लाया हूँ।

मालिनी ने हाथ बढ़ाकर कहा: लायिए मुझे खाना है।

राजीव ने उसके नाज़ुक हथेली पर पान रखा और वो उसे खाने लगी। घूँघट के अंदर से ही वो राजीव को देख रही थी जो अपना पान भी खाने लगा था।

राजीव: बेटी क्या सजावट की है तुमने ? मेरे जीवन की आज सबसे ख़ुशनुमा घड़ी है। सच में आज तुमने मुझे अपना ग़ुलाम बना लिया है।

अब राजीव ने आलमारी खोली और एक ज़ेवर का बॉक्स निकाला और लाकर बिस्तर पर रखा। अब वो वाश रूम गया और फ़्रेश होकर आया । उसने अपना लौड़ा अच्छी तरह से साफ़ किया और मालिनी के बग़ल में आकर बैठ गया।

अब वो मालिनी को बोला: बेटा घूँघट उठाऊँ क्या? या और कोई रस्म बाक़ी है।

मालिनी अपनी बुर के गीलेपन से परेशान ही थी सो बोली: आह पापा अब और कोई रस्म बाक़ी नहीं है ।

राजीव ने उसका घूँघट उठाया और उसके रूप का तेज़ देखकर वो मस्ती से भर गया। अब वो उसके हाथ में ज़ेवर का बॉक्स रखा और बोला: बेटा ये मेरी तरफ़ से तुम्हारी मुँह दिखाई का तोहफ़ा।

मालिनी मुस्कुरा कर उसको लेकर बोली: पापा थैंक यू।

अब राजीव बोला: बेटा अब और ना तड़पाने । आओ मेंरी बाँहों में आ जाओ। अब वो उसको खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया। अब वो उसके गाल को चूमने लगा। मालिनी ने महसूस किया कि पापा का खूँटा उसके गाँड़ में चुभ रहा था। वो और भी मस्त हो गयी थी। अब राजीव उसके गरदन और होंठ चूसने लगा। अब राजीव ने उसे बिस्तर पर लिटा दिया। वो उसके बग़ल में लेटा और मालिनी को अपनी बाँह में भरकर चूमने लगा। मालिनी भी राजीव के बलिष्ठ शरीर से लिपट गयी।

राजीव: कितने दिनों के बाद आज मेरी तमन्ना पूरी होगी। उफ़्फ़ कितना तड़पाया है तुमने।

मालिनी: पापा मैंने नहीं तड़पाया है बल्कि आप ख़ुद ही तड़प रहे थे। मुझे तो कई बार शक होता है कि आप मुझे इस घर में अपने लिए लाए हो या शिवा के लिए?

राजीव हँसकर उसकी गाँड़ में एक चपत लगा कर बोला: वैसे ये सच है कि मेरा कमीना दिल तो तुम पर तभी से आया हुआ था जब मैं तुमको पहली बार शिवा के साथ देखने आया था। तुम चीज़ ही ऐसी मस्त हो जान। अब चलो ना ये भारी भरकम साड़ी उतारो और अपनी जवानी दिखाओ।

मालिनी हँसकर: आप ही उतारो ना। गरज तो आपकी है।

राजीव हँसकर : बिलकुल सही कहा। मैं ही तो मरा जा रहा हूँ तुम्हें चोदने को। यह कह कर उसने उसकी साड़ी की गाँठ कमर से खोली और एक ही झटके में साड़ी उसके बदन से अलग कर दी। अब वो मालिनी की रसीलि जवानी को ब्लाउस और पेटिकोट में देखकर मस्ती से भर गया। वो उसके ऊपर झुका और उसकी गरदन और कंधे को चूमने लगा। अब वो उसकी ब्लाउस को देखा और छातियों को दबाकर बोला: ये लगता है तुमने अपनी सास का ब्लाउस ही पहना है ना? बिलकुल फ़िट आ गया है। ऐसी ही मस्त टाइट अनार थे उसके भी शुरू में । फिर वो उसके नंगे सपाट पेट को चूमा और नाभि के छेद में अपनी जीभ फिराने लगा। मालिनी बोली: पापा आऽऽह गुदगुदी हो रही है।

अब राजीव नीचे होकर उसके पेटिकोट का नाड़ा खोला और मालिनी ने अपनी गाँड़ उठाकर उसको निकालने में मदद की। राजीव की आँखें उस लिंगरी वाली पैंटी पर पड़ी जिसकी जाली से उसकी बुर की फाँक साफ़ नज़र आ रही थी। वो मस्ती में आकर उसकी बुर को देखता रहा और बोला: बेटा क्या मस्त बुर है और इस पैंटी में तू मस्त माल लग रही है। अब वो उसकी एक टाँग उठाया और उसके पैर के तलवे को चूमने और चाटने लगा। अब वो उसकी एक एक ऊँगली को मुँह में लेकर चूस रहा था। मालिनी के लिए ये नया अनुभव था। वो सिसकारियाँ भरने लगीं। फिर वो उसकी पिंडली चाटते हुए उसके घुटने और फिर जाँघ चाटने लगा। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मालिनी सोची कि पापा आज तो उसकी जान ही ले लेंगे। अब वो उसकी बुर के पास जाकर रुका और फिर दूसरी जाँघ चाटते हुए वापस नीचे दूसरी पैर की उँगलियों तक आया। मालिनी अब गरम होने लगी थी। वो अपनी कमर हिलाकर अपनी बेचैनी दिखाई। राजीव अब उसके पेट को चूमता हुआ उसके हाथों तक पहुँचा। अब वो उसकी हाथ की उँगलियाँ एक एक कर चूस रहा था। वो उसकी उँगलियों के जोड़ भी चाटकर मस्त हो रहा था। अब वो कलाई और बाँह चाटा और फिर उसका हाथ उठाकर उसकी बग़ल को सूँघा और फिर वहाँ भी जीभ से चाटने लगा। मालिनी को लगा कि वो पागल ही हो जाएगी।

अब वो मालिनी का ब्लाउस का हुक खोलने लगा। मालिनी ने हाथ उठा कर अपना ब्लाउस उतारने में उसकी मदद की। अब उसका गोरा बदन सिर्फ़ लिंगरी में बहुत ही मादक लग रहा था। वह उसके इस रूप को मुग्ध होकर देखता रहा और बोला: बेटी उफफफ क्या फ़िगर है और इस लिंगरी में तो बहुत क़ातिलाना लग रही हो। ये लिंगरी मैंने तुम्हारी सास के लिए ख़रीदा था। वो तो पहनी नहीं पर सच में तुमपे यह बहुत सेक्सी लग रही है।देखो तुम्हारे निपल्ज़ कितने मस्त दिख रहे हैं, नेट के अंदर से ।

मालिनी: पापा मैं तो ये लिंगरी पहन कर अपने आप को नंगी ही महसूस करती हूँ। और आप तो अभी भी पूरे कपड़े पहने हो।

राजीव: चलो मैं भी कपड़े उतार देता हूँ।

यह कहकर वो अपने कपड़े उतारने लगा और चड्डी में आकर बोला: सच में बहुत कामुक बदन है तुम्हारा। अब वो झुका और उसकी ब्रा के ऊपर से उसके गोरे दूध को चूमने लगा। मालिनी के बदन में भी सिहरन होने लगी। चड्डी में से राजीव का खड़ा लौड़ा बहुत मस्त दिख रहा था और चड्डी में दो बूँद प्रीकम भी चमक रहा था। मालिनी हाथ बढ़ा कर उसके चड्डी के ऊपर से उसके लौड़े को दबाई।
अब वो उसकी ब्रा के पीछे हाथ डाल कर उसका हुक खोला। अब उसने धीरे से उसके ब्रा का कप उठाया और उसके मदमस्त करने वाले सख़्त दूधिया अनार उसकी आँखों के सामने थे। काले बड़े निपल उन गोलायियों के ऊपर उफफफ क्या सज रहे थे। वह इन चूचियों को दबाने , सहलाने और चूसने के लिए पागल हुआ जा रहा था इतने दिनों से ।

अब वो झुका और उसने उसकी मस्त छातियों को सहलाना शुरू किया मानो वो उनकी मालिश कर रहा हो। उसकी ऊँगली और अंगूठे ने निपल को मसलना शुरू किया । अब मालिनी आऽऽहहहह कर उठी। उसकी बुर ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था। अब राजीव ने उसकी एक छाती मुँह में लेकर चूसना और दूसरे को मस्ती से दबाना चालू किया। अब मालिनी आऽऽह कर उठी। वह अपनी जीभ से उसके निपल को सहलाने लगा। मालिनी उइइइइइइ करके उसका सिर पकड़कर अपनी चुचि पर दबा दी। क़रीब दस मिनट तक चूसने के बाद वो अपना सिर उठाया और मालिनी के होंठ चूसने लगा। अब वो अपनी जीभ उसके मुँह में डाला और मालिनी उसे चूसने लगी। अब दोनों बहुत गरम हो गए थे। राजीव नीचे होकर उसकी पैंटी को नीचे किया । मालिनी ने भी गाँड़ उठाकर पैंटी उतारने में मदद की। अब उसको पनियाई हुई गीली बुर उसके सामने थी। वो उसकी जाँघें फैलाया और उनके बीच में फूलि हुई बुर को सहलाया और फिर दो ऊँगली अंदर डाला और बोला: आऽऽह कितनी गरम हो गयी हो तुम। बिलकुल गीली हो।

मालिनी: आऽऽह पापा अब डाआऽऽऽऽऽऽल दो ना। अब नहीं रहा जा रहा ।

राजीव झुक कर उसकी बुर को चूमा और चाटने लगा।

मालिनी: आऽऽऽह पापा इतने दिनों से बस चटवा ही तो रही हूँ और आपका चूस रही हूँ। अब बस चोओओओओओओद दीजिए। आऽऽहहहह बहुत खुजा रही है।

राजीव: हाँ बेटा मैं भी अब बस अंदर डाले बिना नहीं रह सकता। वो अपने लौडे को चड्डी से मुक्त करके बोला। मालिनी ने देखा कि उनका लौड़ा बहुत मस्त दिख रहा था।

वो बोली: पापा अब और मत तड़पाओ अंदर डाऽऽऽऽऽऽऽऽल दो।

वो उसकी टाँगें उठाकर अपने लौडे के सुपाड़े को उसकी बुर के छेद पर सेट किया और उसे वहाँ रगड़ने लगा। मालिनी उइइइइइइइ करके चिल्लाई :आऽऽऽऽऽह पाआऽऽऽऽऽऽपा । क्यों तड़पा रहे हो डाआऽऽऽऽऽलो।

राजीव मज़े से भर गया और अपनी बहू की तड़प का मज़ा लेकर बोला: आऽऽऽह बेटा अब डालता हूँ। लो मेरा लौड़ा अपनी बुर में। आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ह्म्म्म्म्म्म्म्म। अब उसका सुपाडा उसके बुर में घुस गया। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या टाइट बुर है। अब वो एक धक्का मारा और आधा लौड़ा उसकी बुर में समा गया। मालिनी: आऽऽऽऽऽऽह पाआऽऽऽऽऽपा। धीरे सेएएएएएएए प्लीज़। बहुत मोटा है हाऽऽऽऽऽय।

राजीव अब अगले धक्के में पूरा लौड़ा अंदर कर दिया और अब पूरा लौड़ा उसकी बुर में समा चुका था। मालिनी भी मस्ती से बोली: आऽऽऽहहह पापा बहुत बड़ा है आऽऽऽऽऽपका ।

राजीव: शिवा का भी तो बड़ा होगा ना? वो भी मेरे जैसा ही तगड़ा मर्द है।

मालिनी: आऽऽऽह उनका भी मस्त है मगर आपका मोटा ज़्यादा है। आह्ह्ह्ह्ह। अब चोदिए प्लीज़।

अब राजीव ने उसकी चुदाई शुरू की और मालिनी भी अपनी गाँड़ उछालकर चुदावने लगी। राजीव उसकी चूचियाँ दबाकर उसके होंठ चूस रहा था। अब फ़च फ़च की आवाज़ के साथ पलंग की भी चूँ चूँ की आवाज़ आ रही थी। तभी राजीव ने महसूस किया कि उसकी बुर के मसल्स ने उसके लौडे को जैसे अपने ग्रिप में ले लिया है। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ वह सोचा कि ऐसी चुदाई का मज़ा बरसों बाद मिल रहा था। कुछ तो बात है इस कामुक जवानी में। क्या मज़े से चुदवा रही है। पूरा मज़ा दे रही है। तभी मालिनी : आऽऽहहह पाआऽऽऽऽपा मैं गयीइइइइइइइ। और वो झड़ने लगी । राजीव भी ह्म्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगा।
दोनों झड़कर अग़ल बग़ल लेटे थे और एक दूसरे के बदन पर हाथ फेर रहे थे। मालिनी हाथ से राजीव के नरम लौड़े को दबा रही थी। अब वो उसके बड़े बॉल्ज़ को सहला कर बोली: पापा आपके इन बॉल्ज़ ने तो कई लड़कियों को माँ बनाया है। मुझे लगता है अब मेरा भी नम्बर आ जाएगा अब।

राजीव: ओह हाँ ये हो तो सकता है । मगर तुम अगर प्रेगनेंट हुई तो कैसे पता चलेगा कि बाप शिवा है या मैं?

मालिनी हँसकर बोली: मुझे क्या फ़र्क़ पड़ता है कि आप उस बच्चे के पापा हैं या दादा? मुझे तो प्यारा से बच्चा मिल जाएगा। अगर शिवा का होगा तो वो पापा और आप दादा।

राजीव उसे हैरानी से देखता रह गया।

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RE: ससुर कमीना और बहू नगीना - by desiaks - 04-09-2017, 04:41 PM

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