ससुर कमीना और बहू नगीना
04-09-2017, 04:38 PM,
#78
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
राजीव का हाथ शीला के ब्लाउस की ओर बढ़ा और वो उसकी साड़ी के ऊपर से ही चूची पर हाथ फेरा। शीला बहुत सुंदर नहीं थी पर जवान तो थी। जवान लड़की के मस्त कसे दूध उस अधेड़ को भी जवान कर गए। अब राजीव उसकी चूचियाँ दबाते हुए बोला: बेटी क्या तुम्हारा पति बिलकुल ही नहीं चुदाई कर पाता?

शीला: आऽऽऽऽह पापा वो तो अपना पतला सा डालते ही सी सी करते हुए झड़ने लगते हैं । दो तीन धक्के ही मुश्किल से मार पाते है।

उसकी साड़ी के पल्लू को नीचे गिराकर राजीव अब उसकी अर्धनग्न छातियों को दबाते हुए बोला: और तुम्हारे ससुर अच्छी तरह से चोद पाते हैं? अब उसने उसका हाथ अपने लण्ड पर रख दिया लूँगी के ऊपर से ।

शीला उसके लण्ड को सहलाने लगी और उसका पूरा साइज़ महसूस की और बोली: जी वो बहुत अच्छे से मज़ा देते हैं।उनका ये भी बड़ा और मोटा है , पर आपका तो उनसे भी ज़्यादा बड़ा है। आऽऽहहह । राजीव ने उसकी चूचियाँ मस्ती में ज़्यादा ज़ोर से दबा दीं।

राजीव उसको खड़े किया और उसकी साड़ी निकाला और फिर ब्लाउस और पेटिकोट में उसकी मस्त जवानी को देख कर ख़ुशी से बोला: बेटी मस्त माल हो , आज चुदाई में बहुत मज़ा मिलेगा।

शीला अपने ब्लाउस खोलते हुए बोली: पापा एक बात समझ में नहीं आयी कि मालिनी ने मुझसे ये सब करने को क्यों कहा। वो ख़ुद भी तो आपसे चु- मेरा मतलब है कि करवा सकती थी।

राजीव उसकी ब्रा के हुक खोलते हुए बोला: बेटी, मालिनी को मेरा बेटा मज़े से चोदता है। इसीलिए वो मुझसे चुदवाना नहीं चाहती। पर वो जानती है कि मैं चुदाई के लिए तड़प रहा हूँ । इसलिए वो तुमको राज़ी की है मुझसे चुदवाने के लिए। भगवान ऐसी बहु सबको दे जो अपने ससुर का इतना ख़याल रखे। वैसे तुम्हारी सास को पता है कि तुम ससुर से चुदवाती हो?

शीला: पता नहीं पक्का नहीं कह सकती। पर एक बार मैं पति को तलाक़ देने को कही थी तब से सास मुझसे दबती है। मुझे लगता है की उसको पता है पर ऐसा दिखाती है जैसे अनजान हो।

राजीव: ओह । फिर तो घर में ससुर से खुल कर चुदवा सकती हो?

शीला: पापा बोल रहे थे कि जल्दी ही वो सासु माँ को भी इसमें शमिल करेंगे ताकि हम तीनों एक साथ मज़ा ले सकें। यह बात सुनकर राजीव मस्ती से भर गया। अब उसने उसकी ब्रा बाहर निकाली और उसके मस्त उरोजों को देख कर मस्ती से उनको सहलाया और फिर दबाने लगा। बड़े बड़े निपल्ज़ को वो ऐंठने लगा। फिर उससे रुका नहीं गया और वह बारी बारी से उनको चूसने लगा। शीला: आऽऽऽऽऽऽऽऽह पापा । बहुत अच्छा लग रहाआऽऽऽऽऽऽऽ है।

अब उसने उसका पेटिकोट भी खोल दिया। पैंटी में कसी उसकी जवान बुर मस्त दिख रही थी। उसने पैंटी के ऊपर से उसकी बुर को सहलाया और वहाँ के गीलेपन को भी महसूस किया । लौड़िया गरम हो चुकी थी। फिर उसने झुक कर उसकी पैंटी भी उतारी और उसकी गरम बुर को देखकर मस्ती में आकर उसको मूठ्ठी में भींच लिया । वो सोचा कि आख़री चुदाई उसने नूरी की ही की थी। आज उसकी बहु की कृपा से उसके लण्ड की प्यास बुझेगी। अब वो शीला को बिस्तर पर लेटने को कहा। और अपने कपड़े भी उतार दिया। शीला की आँखें उसके ऊपर नीचे होते विशाल लण्ड पर थी। अब वो शीला के ऊपर आया और उसके होंठ चूसने लगा। शीला भी बराबरी से साथ दे रही थी। जब वो उसके दूध चूस रहा था तब वो भी उसका सर अपने दूध पर दबाके मस्ती से आऽऽह कर रही थी। उसका हाथ उसकी नंगी मस्क्युलर पीठ पर घूम रहा था। अब राजीव नीचे आकर उसकी जाँघों को फैलाया और उसकी बुर में दो ऊँगली डाला। पूरी गीली हुई पड़ी थी मस्त टाइट बुर थी।फिर वो थोड़ी देर जीभ से बुर के छेद को चाटा। शीला की सिसकारियाँ निकली जा रही थी।

शीला: आऽऽऽऽह पापा बस करो वरना मैं झड़ जाऊँगी। आऽऽऽहहब मुझे भी आपका चूसना है। राजीव हँसकर मुँह हटा लिया और पलंग के सहारे बैठ गया। अब शीला झुककर उसके जाँघों के बीच आयी और उसके लण्ड को मज़े से चूसने लगी। वह उसकी बॉल्ज़ भी चूस रही थी। राजीव उसकी चूचियाँ दबाए जा रहा था।

अब राजीव बोला: आओ चलो अब लेटो और मैं डालता हूँ।

शीला लेट गयी और अपनी टाँगें फैला ली। राजीव उनके बीच में आकर अपना लण्ड उसकी बुर में डाल दिया। वह आऽऽऽऽहहह पाआऽऽऽऽऽऽऽपा कर के नीचे से अपनी गाँड़ उछाली और पूरा लण्ड निगल गयी। अब राजीव उसे बुरी तरह से चोदने लगा। वो भी उसकी कमर पकड़ कर नीचे दबा रही थी ताकि पूरा लण्ड निगलती रहे। अचानक राजीव ने महसूस किया शीला उसके चूतरों को दबाकर नीचे को खींच रही थी । उसने चुदाई की गति तेज़ कर दी। धक्कों से पलंग भी चूँ चूँ करने लगा। हर धक्के पर वो ऊं ऊं करती थी।उसने सोचा कि बहुत गरम माल है। तभी वो महसूस किया कि शीला ने उसकी गाँड़ में ऊँगली डालनी शुरू की है। वह उत्तेजित होकर आऽऽऽऽऽह करके झड़ने लगा। शीला भी चिल्ला कर उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कहकर झड़ रही थी।

बाद में राजीव उसकी बग़ल में लेटके पूछा: बेटी ये गाँड़ में ऊँगली डालना कहाँ से सीखा है?

शीला: वो मेरे मामा ने सिखाया है। उन्होंने ही शादी के पहले मेरी सील तोड़ी थी। बाद में पति से सुख ना मिलने के कारण मैं फिर से मायके जाकर उनसे चुदवा लेती थी । अब तो ससुर भी मज़ा दे देते हैं।

राजीव: ओह चलो अब जब चुदाई की इच्छा हो मेरे पास आ सकती हो। ठीक है ना?

शीला: जी ठीक है। आपकी बहू को इतराज नहीं होना चाहिए।

राजीव: वही तो तुमको मुझसे मिलवाई है। उसे कोई इतराज नहीं होगा।

शीला उठके बाथरूम गयी और तय्यार होकर बाहर आइ। वहाँ ड्रॉइंग रूम में मालिनी शांति से टी वी देख रही थी।

मालिनी मुस्कुराते हुए: हो गया? मज़ा आया?

शीला भी मुस्कुराकर: हाँ हो गया। बहुत मज़ा आया है।

मालिनी: चलो चाय बनाऊँ?

शीला: नहीं अब निकलती हूँ। घर में सब इंतज़ार कर रहे होंगे।

फिर वह मिलते हैं कहकर जल्दी से चली गयी। मालिनी बैठी सोच रही थी कि ये आज उसने क्या कर दिया? अब पापा को तो हमेशा इस तरह की अपेख्शाएँ हो जाएँगी उससे । तभी राजीव लूँगी बाँधता हुआ आया और बोला: बेटा आज तो बहुत दिन बाद चुदाई का मज़ा दिला दिया तुमने सच में तरस गया था इसके लिए। वह उसके गाल चूमकर बैठ गया।

मालिनी हँसकर: पापा पसंद आयी शीला?

राजीव: अरे बिलकुल टाइट माल है जवान है चुदासी भी है। चेहरे से वो सुंदर नहीं है तो क्या। बाक़ी सब तो बढ़िया है। बुर मस्त टाइट है।चूचियाँ भी मस्त हैं।

मालिनी हँसने लगी।

उधर सरला बच्चों के लिए शाम का नाश्ता और चाय बनाई। रुचि और मुन्नी चाय पीने लगी। तभी सरला ने राकेश को आवाज़ दी तो वो बाहर आया अपने कमरे से। उसका चेहरा सूखा हुआ था। वो बोला: हाँ मम्मी बोलो।

सरला को उसके सूखे चेहरे को देखकर चिंता हुई और वो बोली: बेटा तबियत ठीक है ना?

वो : हाँ सब ठीक है।

सरला: तो फिर आ जा चाय पी ले।

राकेश: नहीं इच्छा नहीं है। वो ये कहकर अपने कमरे में वापस चला गया।

सरला को उसकी भूक़ हड़ताल की बात याद आइ और वो सोची कि इस नालायक को समझाती हूँ। वो उसके कमरे में गयी । वो बिस्तर पर पेट के बल लेता था। वो बोली: बेटा क्या हुआ । चलो चाय पी लो। मैंने तुम्हारे पसंद के पकोड़े भी बनाए हैं।

वो : मम्मी मुझे कुछ नहीं खाना है। आप मेरे बैग से लंच बॉक्स भी निकाल लो क्योंकि मैंने खाना नहीं खाया है।

सरला झुंझला कर: बेटा क्या तमाशा बना रखा है ये सब। चलो चुपचाप उठो और खाना खाओ।

राकेश सीधे होकर लेटा और बोला: मम्मी मैं नहीं खाऊँगा। जब तक आप मेरी बात नहीं मानोगी।

सरला: बेटा जो तुम चाहते हो वो नहीं हो सकता। मॉ बेटा ये सब नहीं कर सकते। मैंने कहा तो कि ज़्यादा से ज़्यादा मैं तुमको हाथ से कुछ सुख दे सकती हूँ। बस इसके आगे कुछ नहीं।

राकेश: मम्मी आप जाओ यहाँ से मुझे सोने दो।

अब सरला ग़ुस्से में : जा मर भूका । कहकर वहाँ से बाहर आ गयी।

फिर कोई पड़ोसन उसके पास आयी और वो बातें करने लगीं।

उधर शाम की चाय मालिनी और राजीव भी पी रहे थे।

राजीव: और बताओ क्या क्या किया मम्मी के यहाँ?

मालिनी: पापा बताया था ना बहनों के साथ शॉपिंग की और फ़िल्म देखी। शिवा नहीं जा पाए थे। उनका सर दर्द हो रहा था।

राजीव अनजान बन कर : तो उसे घर में अकेला छोड़ गए थे। सरला भी तो तुम्हारे साथ गयी होगी ना ?

मालिनी: नहीं, मम्मी नहीं गयी थीं ।

राजीव : ओह तो तुम शिवा को सरला के पास अकेले छोड़ गयी थी? ये क्या किया बेटा तुमने? तुम अपनी मम्मी को जानती हो ना कि वो कितनी चुदासी है? वो ज़रूर शिवा से चुदवा ली होगी।

मालिनी का मुँह हैरानी से खुला ही रह गया। वो बोली: छी पापा आप कितनी गंदी बात कहते हैं। शिवा ऐसे नहीं है और ना ही मम्मी कभी उनसे चुदवाएँगी। ये सब आपकी कोरी गंदी कल्पना है।

राजीव: अरे बेटा मैंने शिवा को उस दिन पार्टी में सरला की चूचियों को घूरते हुए देखा था। अगर मौक़ा मिला तो वो उसे चोदे बिना नहीं रहा होगा।

मालिनी: पापा आप भी कुछ भी बोले जा रहे हो। मैं नहीं मान सकती। वह ग़ुस्से से पैर पटक कर चली गयी।


राजीव मन ही मन मुस्कुराया और सोचा कि तीर निशाने पर लगा है। जल्दी ही बात आगे बढ़ाऊँगा।

रात को शिवा के साथ दोनों ने खाना खाया। शिवा और मालिनी अपने कमरे में आ गए।

जल्दी ही दोनों एक दूसरे को प्यार करने लगे और फिर चूमने सहलाने के बाद शिवा उसके ऊपर आकर उसे चोदने लगा। जब दोनों मस्ती से चुदाई कर रहे थे तभी मालिनी उसके कान को काट कर बोली: आऽऽहहह क्या मस्त चोओओओओओद रहे हो हाऽऽययय जाऽऽऽऽऽऽऽन । अच्छा ये तो बताओ कि क्या आप मम्मी के साथ भी ये सब किए थे जब हम फ़िल्म देख रहे थे।

शिवा तो जैसे आसमान से गिरा। वो हड़बड़ाकर बोला: क्या फ़ालतू बात कर रही हो।

तभी मालिनी ने महसूस किया कि उसका लण्ड नरम पड़ गया है। वो सोची कि इसकी क्या वजह हो सकती है। क्या सच में वह मम्मी को चोदा है। इस लिए घबरा गया है। या मैंने इतनी ग़लत बात कह दी है कि वो अपसेट होकर अपनी उत्तेजना गँवा बैठा है। पता नहीं क्या सच है और क्या झूठ?

शिवा अब उसके ऊपर से उतरकर बग़ल में लेटकर बोला: क्या पूरा चुदाई का मूड ख़राब कर दिया। आख़िर ये बात तुमको सूझी कैसे? वो मन ही मन डर भी रहा था कि इसको शक कैसे हो गया?

मालिनी: अरे मैं तो मस्ती कर रही थी और आप इतना सीरीयस हो गए? वो सोची कि इसे ये तो नहीं बता सकती कि ये सब पापा के दिमाग़ की ख़ुराफ़ात है।

मालिनी अब उठ कर सॉरी बोली और उसका लण्ड सहलायी और फिर चूसने लगी। जल्दी ही वो फिर से मूड में आ गया और उसका मस्त खड़ा हो गया। वो अब फिर से उसके ऊपर आकर मालिनी की ज़बरदस्त चुदाई में लग गया। फिर दोनों झड़कर सुस्ताने लगे।

शिवा: जान ये मम्मी वाली बात तुम्हारे दिमाग़ में आयी कैसे?

मालिनी बात बना कर बोली: उस दिन पार्टी में आप मम्मी की चूचियों को घूर रहे थे। तो मैंने सोचा कि कहीं मौक़ा मिलते ही आपने उनका मज़ा तो नहीं ले लिया ?

शिवा: मेरा छोड़ो तुमको अपनी मम्मी पर विश्वाश नहीं है क्या?

मालिनी थोड़ी सी गम्भीर होकर: देखो आज आपको एक बात बताऊँगी किसी को कहिएगा नहीं।

शिवा: क्या बात?

मालिनी: मम्मी पापा के जाने के बाद ताऊजी से सम्बंध बना चुकी थीं । घर में सबको पता है पर सब ऐसा दिखाते हैं जैसे किसी को भी पता नहीं है।

शिवा बनते हुए : ओह ऐसा क्या? वो सोचा कि ये तो उसको पता ही है।

मालिनी: हाँ मैंने दोनों को कई बार चुदाई करते देखा है। इसीलिए मैं सोची कि कहीं वो आपसे भी तो नहीं चुदवा ली?

शिवा हँसकर: अच्छा अगर वो सच में मुझसे भी चुदवा लेती तो तुम क्या करती?

मालिनी हँसकर : तो मैं आपसे बदला ले लेती।

शिवा: वो कैसे ?

मालिनी: आप मेरी मम्मी को चोदे तो मैं किससे चुदवाऊँगी बदला लेने के लिए? बताइये ।

शिवा सोचकर: ओह भगवान । तो क्या तुम वही सोच रही हो जो मैं सोच रहा हूँ।

मालिनी: मुझे क्या पता आप क्या सोच रहे हो?

शिवा: यही कि बदला तो तभी पूरा होगा जब तुम मतलब- याने कि - ओह मैं कैसे कहूँ?

मालिनी: मैं बोल देती हूँ जब मैं पापा से चूदूँ । यही ना।

शिवा सन्न रह गया और हैरानी से मालिनी को देखने लगा।

फिर वो बोला : हाँ बदला तो यही हो सकता है। पर- क्या - तुम--

मालिनी: आप बर्दाश्त कर पाओगे? मैं आपके पापा से चुदवाऊँ?

शिवा चुप होकर उसको ध्यान से देखने लगा। दोनों अभी भी चुदाई के बाद नंगे ही थे। अचानक उसने देखा कि मालिनी के निपल्ज़ अब पूरे तन गए थे। उधर मालिनी ने भी देखा कि शिवा का लण्ड अब फिर से फ़नफ़ना रहा था।

दोनों सोचने लगे कि मालिनी का पापा से चुदवाने का ख़याल भी दोनों को ही उत्तेजित कर रहा है। इसका मतलब?

शिवा मालिनी को लुढ़काया और वो पेट के बल हो गयी। वो उसके पीछे जाकर उसको कमर से पकड़कर घोड़ी बनाया। अब उसके उसकी बुर में ऊँगली डाली और वो स्तब्ध रह गया क्योंकि वहाँ तो जैसे रस की धार निकल रही थी। इसका क्या मतलब है वो सोचा। क्या पापा से चुदवाने के ख़याल से ही वो उत्तेजित हो उठी है। वो ख़ुद बहुत उत्तेजित होने लगा। उसका लण्ड बहुत कड़ा हो गया था और दर्द कर रहा था। उसने अपना लंड उसकी बुर में एक झटके में डाला। बुर गीली थी गपाक से उसको निगल ली। अब वो जैसे पागल हो गया हो वैसे उसकी ज़बरदस्त धक्कों के साथ चुदाई करने लगा। मालिनी की चीख़ें निकलने लगीं: आऽऽऽऽऽऽहहह और जोओओओओओओओर सेएएएएए चोओओओओओदो।

शिवा भी बिना रुके धक्के मारे जा रहा था। मालिनी को भी लगा कि शायद इतनी भयानक चुदाई शिवा ने आजतक नहीं की है। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मज़ा आ रहा था। क्या मस्त चुदक्कड हो गया है शिवा। आज तो लगता है मेरी बुर सुज़ा कर ही मानेगा। जल्दी ही दोनों चिल्लाकर झड़ने लगे। फिर दोनों लस्त होकर पड़ गए। और नींद की आग़ोश में समा गए।

उधर सरला के घर में रात का खाना सबने खाया। मगर राकेश नहीं आया। श्याम ने भी पूछा: राकेश नहीं दिख रहा?

सरला: वो अभी आराम कर रहा है। मैं उसे खिला दूँगी बाद में। वो श्याम को क्या बताती कि उसका बेटा ज़िद में अड़ा है कि वो खाना तभी खाएगा जब वो अपने बेटे से चुदने के लिए राज़ी होगी। कोई सुनेगा तो क्या कहेगा।

सब खाना खाकर अपने अपने कमरे में चले गए। श्याम ने सरला को इशारे से बताया कि आज चुदाई का मूड है। सरला मुस्कुरा कर हाँ कर दी।
अब सरला ने एक थाली में खाना सजाया और राकेश के कमरे में गयी। वो अभी भी लेटा हुआ था। उसका चेहरा बुरी तरह से कमज़ोर दिख रहा था। माँ का दिल कचोट गया। वो बिस्तर पर बैठ कर उसका सर सहला कर बोली: चल अब पागलपन छोड़ और खाना खा ले।

राकेश : नहीं मम्मी मैं नहीं खाऊँगा।

सरला: मैं तेरे ताऊ जी को बुलाऊँ? वो ही तुझे ठीक करेंगे।

राकेश: मम्मी आप उनको कहोगी क्या ये तो सोच लो।

सरला ग़ुस्सा दिखाकर: मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। चल उठ और खाना खा।

राकेश उठकर बैठा और बोला: मम्मी लो मैंने अपने गाल आपके पास किया । मारो थप्पड़ ज़ोर से ।

अब सरला रुआंसी होकर: बेटा क्यों तंग कर रहा है अपनी माँ को। प्लीज़ खाना खा ले । ऐसी ज़िद नहीं करते बेटा।

राकेश: मम्मी मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ। मैं अपने बिना नहीं रह सकता । आप हाँ कर दो मैं अभी खाना खा लूँगा।

सरला: मेरे हाँ करते ही तू मेरे ऊपर टूट पड़ेगा । हैं ना ?

राकेश: नहीं मम्मी आप बस हाँ कर दो। फिर आप जब कहोगी और जैसा कहोगी वैसा हो होगा।

सरला:मतलब हाँ कहने पर भी तू मुझे थोड़ा वक़्त देगा ना?

राकेश: मम्मी बिलकुल । आप जब तक नहीं चाहोगी मैं आपको नहीं चोदूँगा। पर प्यार तो हम कर हो सकते हैं ना?

सरला : अच्छा चल मैंने हाँ की। पर तुझे मेरे को मानसिक रूप से तय्यार होने का समय देना होगा।

राकेश ख़ुशी से उछल कर मम्मी की गोद में लेट गया। वह उसके बालों में हाथ फेरी और बोली: बहुत ज़िद्दी हो गया है तू। अपनी बात आख़िर मनवा कर ही माना। चल अब खाना खा।

राकेश : मम्मी आप ही खिलाओ आज। अब वह अपनी मम्मी की साड़ी का पल्लू गिराया और उसकी ब्लाउस में से बाहर झाँकती छातियों को चूमकर मस्त हो गया।

सरला हँसकर: अच्छा अब तबियत ठीक हो गयी। चल बदमाश ठीक है मैं ही खिला देती हूँ। फिर वो अपने बेटे को प्यार से खिलाने लगी। वो भी सुबह से भूका था इसलिए जल्दी जल्दी खाने लगा। मालिनी ने उसे पकड़कर उठाया और बिठाकर खिलाने लगी। उधर वो उसकी साड़ी के ऊपर से जाँघें दबाने लगा, और बोला : मम्मी आपकी जाँघें कितनी गद्दीदार हैं।

वो हँसकर: अच्छा, और क्या गद्दीदार है मेरा ?

राकेश: ये मम्मी । कहते हुए वो उसकी छातियाँ दबाने लगा।

सरला ने उसका हाथ वहाँ से नहीं हटाया और कहा: अच्छा ये बता कि तू मेरी छातियाँ ऐसे दबाएगा तो मैं परेशान नहीं होऊँगी क्या? और क्या तू मुझे परेशान करना चाहता है?

राकेश उसी समय उसकी छातियों से हाथ हटाया और बोला: नहीं मम्मी मैं आपको बिलकुल परेशान नहीं करना चाहता। मैं तो बस आपको प्यार करना चाहता हूँ।

सरला: अगर तू मुझे सच्चा प्यार करता है तो चल जल्दी से खाना खा ले । और मुझे जाने दे ।

राकेश: मम्मी आज मेरे साथ सो जाइए ना प्लीज़। मैं आपको नहीं चोदूँगा। पक्का।

सरला: अरे तू तो नहीं चोदेगा मगर तेरे ताऊ तो अभी इशारा करके गये हैं कि वो आज आयेंगे चुदाई के लिए। अब तुझसे क्या छिपाना। तुम तो सब जानते हो।

राकेश: ओह मम्मी कोई बात नहीं। मैं तो बस आपसे चिपक कर सोना चाहता था। चलो कल सही। आप जाओ ताऊ जी के साथ आपका रिश्ता बहुत पुराना है। मैंने कई बार आप दोनों को चुदाई करते देखा है ।

सरला: सच तू अब बड़ा हो गया है। मुझे तुझपर गर्व है। अच्छा अब चलती हूँ। उसके खाने के ख़ाली बर्तन उठाए और झुक कर बेटे का गाल चूमने लगी। पर बेटा कहाँ कम था , उसने अपने गाल घुमाए और अपने होंठ अपनी मम्मी के होंठ पर रख दिए। एक लम्बे चुम्बन के बस सरला अलग हुई और हाँफते हुए बाहर चली गयी। जाते हुए राकेश का खड़ा लण्ड इसकी तेज़ निगाहों से नहीं बच सका।

उस रात सरला के कमरे में श्याम करीब रात को ११ बजे आया और उसने जमकर चुदाई की। राकेश चुदाई देखने के लोभ से अपने आप को वंचित नहीं रख सकता था । सो वह खिड़की से पूरी चुदाई देखा ।आज श्याम उसे घोड़ी बनाकर पीछे से चोद रहा था। मम्मी की बड़ी सी गाँड़ में श्याम की जाघें थप्प थप्प कर के आवाज़ निकाल रही थी। वह उसकी चूचियाँ भी दबाए जा रहा था। राकेश मज़े से भर गया और मूठ्ठ मारकर अपनी भूक़ शांत किया। वहाँ बिस्तर पर मम्मी पेट के बल लेटी थी और उसकी बड़ी गोरी गाँड़ बहुत मस्त लगी राकेश को। श्याम का लण्ड अब सिकुड़ चुका था। वो उठा और बोला: सरला मैं अब जाता हूँ जान।

राकेश चुपचाप वहाँ से हट गया और ताऊ को बाहर जाते देखा। फिर वो खिड़की से अंदर झाँका और वहाँ मम्मी नहीं थी। शायद बाथरूम गयी होंगी। वो चुपचाप अंदर कमरे में पहुँच कर बिस्तर पर बैठ कर मम्मी के वापस आने का इंतज़ार करने लगा। सरला बाहर आइ और वो सिर्फ़ नायटी में थी। उसकी हिलती बड़ी चूचियाँ इस बात की गवाही दे रही थी कि उसने ब्रा नहीं पहनी है। वो राकेश को देखकर बोली: बेटा, तू इस समय यहाँ क्या कर रहा है? वो उसके पास आकर बैठी।

राकेश: मम्मी आपकी चुदाई देख रहा था। मैं तो बचपन से ही आपकी चुदाई देख रहा हूँ। मुझे बहुत अच्छा लगता है।

सरला: पागल है तू। एक ही चीज़ को बार बार देखने में क्या मज़ा आता है तुझे?

राकेश उसकी गोद में लेट गया और बोला: मम्मी मैं तो आपके बदन का दीवाना हूँ। अब वो नायटी के ऊपर से उसकी चूचियों को सहलाने लगा और बोला: मम्मी दुद्दु पिलाओ ना।

सरला: चल हट बदमाश। इतना बड़ा हो गया है। अभी भी माँ का ही दूध पीना है। कोई गर्ल फ़्रेंड ढूँढ ले और उसका दूध पी।

राकेश ने देखा कि मम्मी उसका हाथ अपनी चूचियों से हटाया नहीं था। इसलिए वो अब उसके निपल्ज़ को दबाया। सरला: आऽऽऽऽऽह क्यों तंग कर रहा है बेटा। जा अब सो जा। मैं भी थक गयी हूँ।

राकेश: मम्मी चुदाई से थकावट हो जाती है क्या?

सरला: हाँ बेटा मुझे अब थकावट हो जाती है। मेरी उम्र भी तो हो रही है।

राकेश: मम्मी अभी तो आप मस्त जवान हो। उफफफ क्या मस्त चूचियाँ हैं आपकी। मम्मी एक बार चुदवा लो ना अभी? प्लीज़।

सरला ने देखा कि उसका लोअर पूरी तरह से तन गया था। वो उसके उभार को देखकर बोली: देख तू तो अपना खड़ा कर के बैठ गया।

राकेश: मम्मी तभी तो कह रहा हूँ कि चुदवा लो ना।

सरला: अच्छा चल बाहर निकाल । चूस देती हूँ। चुदाई के लिए मैं अभी भी तय्यार नहीं हूँ। माँ बेटे में चुदाई नहीं हो सकती।

राकेश अपना लोअर और चड्डी नीचे किया और सरला उसके लण्ड को प्यार से देखी और बोली: बाप रे कितना बड़ा हो गया है तेरा। ये कहकर उसने प्यार से मुट्ठी में भर लिया। और उसको सहलाने लगी। फिर उसके टोपी के ऊपर की चमड़ी पीछे की और मोटे सुपाडे को देखकर मस्त होकर उसे अंगूठे से सहलाई।

राकेश के सपने मानो साकार होने लगे थे। वो मस्ती में आकर मम्मी की गोदे में लेटे हुए नायटी के ऊपर से उसके दूध को मुँह में लेने लगा। अब सरला बोली: चल बिस्तर पर लेट तभी तो चूसूँगी। अच्छा ये तो बता कि किसी लड़की के साथ मज़ा लिया है या नहीं?

राकेश: मम्मी आप पहली औरत हो जिसने इसे पकड़ा है। मैं तो आपका ही दीवाना हूँ । मुझे कोई लड़की नहीं चाहिए।

अब वह बिस्तर पर लेट गया। सरला ने उसके लौड़े पर अपना मुँह झुकाया। और उसकी झाँटे सहलाते हुए उसके सुपाडे को चूमने लगी। राकेश आऽऽऽऽहह कर उठा। अब सरला ने उसके पूरे लम्बाई को चूमा और फिर उसके बालों से भरे बॉल्ज़ को भी चूमी। अब वो अपने होंठ और जीभ से उसके सुपाडे को चूसने लगी। अब राकेश की -आऽऽऽह मम्मी - निकल गयी। अचानक उसने लंड को पूरा मुँह में लेकर चूसना शुरू किया। अब वो उसे डीप थ्रोट देने लगी। राकेश आऽऽऽऽहहह मम्मीइइइइइइइ मैं तो गयाआऽऽऽऽऽऽऽ। अब वो प्यासी औरत अपने बेटे का कामरस पीती चली गयी। राकेश आँखें फाड़े मम्मी को अपना वीर्य पीते देख रहा था और झटके मार मार कर झड़े जा रहा था। बाद में वो उसके लण्ड के एक एक हिस्से को प्यार से चाट कर साफ़ की। जब वो मुँह ऊपर उठाई तो उसके होंठों में कुछ बूँदें लगी हुईं थीं जिसे वो हाथ से साफ़ की और फिर हाथ को भी चाट ली। राकेश मज़े से लस्त होकर पड़ा रहा। सरला उसकी ओर देखी और मुस्कुराती हुए बोली: मज़ा आया?

राकेश: मम्मी इससे ज़्यादा मज़ा आज तक कभी किसी चीज़ में नहीं आया। थैंक्स ।

सरला हँसती हुई बाथरूम चली गयी। अब वो भी अपना लोअर ऊपर किया। मम्मी के आने पर वो उससे लिपट गया और दोनों ने एक दूसरे को बहुत प्यार किया। फिर सरला बोली: चल अब जा अपने कमरे में देर हो गयी है। कल कोलेज भी जाना है ना?

राकेश : ठीक है मम्मी । कहकर वहाँ से चला गया। सरला भी अब लेटकर सोने की कोशिश की।

उधर राजीव भी सोने की कोशिश कर रहा था। दिन भर की घटनाओं के बारे में सोचने लगा। आज बहुत कुछ हुआ था। मालिनी ने उसको शीला की बुर दिलाई थी। साथ ही आज उसने मालिनी के मन में शिवा और सरला के बारे में शक की बुनियाद रख दी है। देखें तीर कितना निशाने पर लगता है? वो भी सो गया।

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RE: ससुर कमीना और बहू नगीना - by desiaks - 04-09-2017, 04:38 PM

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