RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
सरला अब सोच में पड़ गयी कि ये काम कैसे शुरू करे। उसने अपना फ़ोन चार्जिंग में लगाया और जब श्याम उसके पास किसी काम से आया तो वो बोली: कई दिन हो गए , मालिनी और शिवा से बात ही नहीं हुई। मेरा फ़ोन चार्जिंग में है आप लगाओ ना शिवा को । उसका हाल पूछते हैं।
श्याम फ़ोन लगाया और बोला: बेटा क्या हाल है?
शिवा: ताऊ जी सब बढ़िया । आप लोग सब ठीक हैं ना?
श्याम: लो अपनी मम्मी से बात करो।
सरला: हेलो बेटा कैसे हो? कई दिन से कोई ख़बर नहीं मिली।
शिवा: मम्मी जी सब ठीक है। बस ऐसे ही दुकान में कुछ काम ज़्यादा था। आप तो कई दिनों से यहाँ आयीं ही नहीं? प्रोग्राम बनाइए ना।
सरला: वाह बेटा, मैं तो कई बार आयी हूँ पर तुम लोग तो कभी प्रोग्राम ही नहीं बनाते। इस इतवार को क्या कर रहे हो? आओ ना आप सब ।
शिवा: जी मम्मी जी मैं मालिनी से बात करके प्रोग्राम बनाता हूँ।
सरला: चलो फिर रखती हूँ। बाई।
अब सरला मालिनी को फ़ोन की : कैसी है मेरी बेटी?
मालिनी: ठीक हूँ आज अपनी बेटी की कैसे याद आइ मम्मी जी?
सरला: बेटी हम सब तो तुमको बहुत याद करते हैं। अभी श्याम जी और मैंने दामाद से बात की और बोला है कि तुम सब इतवार को यहाँ आने का प्रोग्राम बनाओ।
मालिनी: ओह ठीक है मम्मी जी बनाते हैं। फिर आपको बताएँगे। फिर कुछ देर इधर उधर की बातें की और फ़ोन रख दिया ।
खाना खाते हुए मालिनी राजीव से बोली: मम्मी का फ़ोन आया था । वो हम सबको इतवार को आने को बोल रही थी।
राजीव: ओह तो जा रहे हो तुम लोग?
मालिनी: आप नहीं जाएँगे?
राजीव : अरे तुम लोग हो आओ। मैं चला गया तो श्याम के साथ मिलकर तुम्हारी माँ की चुदाई में लग जाऊँगा। तुम लोग उस बेचारी से मिल भी नहीं पाओगे। हा हा ।
मालिनी: छि आप तो बस हर समय चुदाई की ही बात करते रहते हैं। अच्छा आप मत जायिएगा।
राजीव: अरे बेटी, ग़ुस्सा क्यों करती हो। मैं तो मज़ाक़ कर रहा था। वैसे भी इतवार को मेरे दोस्तों ने एक पार्टी रखी है। मैं वहाँ जाऊँगा।
राजीव का बस चलता तो वो मालिनी को भी ना जाने देता ताकि सरला आपका काम आराम से कर ले पर वो शायद सम्भव नहीं था ।
उस दिन शिवा रात को मालिनी को बोला: मम्मी का फ़ोन आया था । इतवार को बुलाई हैं। चलें क्या?
मालिनी: हाँ चलते हैं । बहुत दिन हो गए मैं भी वहाँ नहीं गयी हूँ।
इस तरह इतवार को जाने का प्रोग्राम तय हुआ। अगले दिन शिवा ने सरला को फ़ोन किया: मम्मी जी हम परसों यानी इतवार को आ रहे हैं।
सरला: बेटा ये तो बड़ी ख़ुशी की बात है। आपके पापा भी आएँगे?
शिवा: नहीं वो नहीं आ पाएँगे।
सरला ने चैन की साँस ली और बोली: ठीक है बेटा क्या बनाऊँ तुम्हारे लिए स्पेशल?
शिया : अरे मम्मी आपको जो पसंद हो बना लेना। वैसे आपको कौन सी सब्ज़ी पसंद है।
सरला बेटा, मुझे तो कच्चे केले और बैगन पसंद हैं। कहो तो इनकी सब्ज़ी बना दूँ ?
शिवा थोड़ा चौंका । उसे याद आया कि एक ब्लू फ़िल्म में भाभी बोलती है कि उसे बैगन और केला अच्छा लगता है और उसका देवर बोलता है कि उसको भी संतरें और फूली हुई कचौरी पसंद है उफफफ वो क्या क्या सोच गया। उसे अपने आप पर शर्म आयी। वो बोला: ठीक है मम्मी आप वही बना लो।
सरला:अरे तुम भी बोलो ना तुमको क्या पसंद हैं?
शिवा: जी मैं तो सब खा लेता हूँ।
सरला:: अरे शिवा बेटा श्याम को तो आम और फूली हुई कचौरी पसंद है। तुमको भी पसंद है ना ?
शिवा अब सन्न रह गया । हे भगवान ये क्या बोल रही है मम्मी? क्या वो उसे कुछ इशारा कर रही है या यह एक महज़ इत्तिफ़ाक़ है कि जो उसने ब्लू फ़िल्म में देखा था वही मम्मी भी बोल रही है। बस संतरे की जगह आम बोली है।
शिवा: जी मम्मी मुझे भी पसंद है, पर आप तो सब्ज़ियों की बात करते करते फल और नाश्ते पर आ गयीं।
सरला: बेटा, सिर्फ़ सब्ज़ी ही खाओगे और नाश्ता और फल नहीं खाओगे?
शिवा हँसकर: जी सब खाऊँगा ।
सरला: बेटा तुम्हारी दुकान में मेरी कुछ सहेलियाँ आना चाहती हैं , कपड़े ख़रीदने के लिए। वो पूछ रहीं थीं कि तुम क्या क्या रखते हो। मुझे जो याद था मैंने बता दिया। कल मेरी एक सहेली आएगी तो उसे बता देना कि क्या क्या रखते हो , ठीक है?
शिवा: ठीक है मम्मी जी।
सरला: चलो बाई।
शिवा: बाई।
शिवा फिर से सोचने लगा कि मम्मी ने बैगन केला आम और कचौरी की बात क्यों की? क्या वो उसे कुछ इशारा कर रही थी? छी ये क्या सोच रहा है वो? ऐसा भी हो सकता है कि ये एक संयोग ही हो। फिर वो सोचा कि क्या इतना बड़ा संयोग भी सम्भव है? पता नहीं क्या सच है क्या ग़लत? उसने अपना सिर झटका और अपने काम में लग गया।
अगले दिन सरला का फ़ोन शिवा को ११ बजे के क़रीब आया।
शिवा: नमस्ते मम्मी जी।
सरला: नमस्ते बेटा। ये मेरी सहेली अंजु है वो तुमसे दुकान के कपड़े के बारे में पूछेगी और फिर वो सब आएँगी तुम्हारे यहाँ सामान ख़रीदने के लिए।
शिवा: जी मम्मी जी बात करवाइए।
अंजु: हेलो बेटा, मेरी बेटी की शादी है अगले महीने । मैं चाहती हूँ कि उसके लिए कपड़े आपकी दुकान से ही लूँ। आप डिस्काउंट दोगे ना?
शिवा: हाँ हाँ क्यों नहीं देंगे। हमारे यहाँ सब तरह के कपड़े मिलते हैं।
अंजु: ज़रा बताओ ना क्या क्या मिलता है?
शिवा: आंटी, सब मिलता है जैसे साड़ी, सलवार मैक्सी वग़ैरह।
अंजु: और स्कर्ट, नायटी और गाउन वग़ैरह ? देखो हम कुछ अपने लिए भी लेंगे ना?
शिवा : हाँ जी वो भी। जींस भी। टॉप और टी शर्ट भी।
अंजु: और वो वो अंडर्गार्मेंट्स?
शिवा: जी हाँ बिलकुल। सब हैं हमारे यहाँ।
अंजु: वो बेटा, कुछ ख़ास क़िस्म के भी होंगे ना? मेरा मतलब समझ रहे हो ना।
शिवा: जी आंटी सब तरह की ब्रा और पैंटी मिल जाएँगी। आप शायद नॉटी तरह की ब्रा और पैंटी की बात कर रही हैं तो वो भी मिल जाएँगी। फ़्रिल या नेट वाली भी। वो हँसते हुए बोला।
अंजु: लिंगरी वगिरह?
शिवा हँसकर: आंटी जी आप आइए तो सही एक से एक सेक्सी लिंगरी और नाइट गाउन मिलेंगे। और बढ़िया से बढ़िया सेक्सी ब्रा और पैंटी भी मिलेगी। सच कहता हूँ।
रंजू: ठीक है बेटा, हम कल आएँगे। लो अपनी मम्मी से बात करो।
सरला: ठीक है बेटा मेरी सहेलियाँ आएँगी तेरी दुकान में। उनको डिस्काउंट दे देना।
शिवा: मम्मी आप भी आ जाओ ना इनके साथ।
अंजु की आवाज़ आइ: हाँ चल ना यार । तू भी चल ।
सरला: ठीक है मैं भी आती हूँ इनके साथ।
शिवा: बढ़िया मम्मी आप भी आ जाओ। फिर सरला ने अगले दिन आने का कहकर फ़ोन रख दिया। अब शिवा सोचने लगा कि कैसी सहेली है मम्मी की जो कैसे अजीब अजीब कपड़ों की बातें कर रही थीं। वो भी इस उम्र में। वो सोचने लगा कि क्या हो रहा है ये सब ? पहले बैगन केला और अब सेक्सी पैंटी ब्रा और लिंगरी। क्या सब ठीक है ना?
उधर सरला और रंजू बातें कर रही थीं।
रंजू बोली: मैं कल कार लाती हूँ फिर हम दोनों चलेंगे और देख लेंगे कि कैसा कलेक्शन है उसके पास। कुछ सामान अपने लिए ले लेंगे और बेटी को अगली बार लेज़ाकर और कपड़े ले आएँगे। और सहेलियाँ फिर किसी दिन आ जाएँगी।
सरला: हाँ घर की बात है। चलो कल १० बजे निकल जाएँगे।
रात को शिवा मालिनी को बताया कि उसकी मम्मी और उसकी सहेली कल आएगी । मालिनी बोली: अच्छा मुझे तो मम्मी ने बताया नहीं।चलो ठीक है। हमारे घर भी आएँगी क्या? वो सोचने लगी कि यहाँ आएँगी तो पापा उनके पीछे पड़ें बिना रहेंगे नहीं।
शिवा: अभी कुछ पक्का नहीं है। तुम दुकान आकर उनसे मिल लेना।
मालिनी: हाँ ये ज़्यादा अच्छा रहेगा । वो सोची कि इस तरह वो पापा से दूर रहेंगी।
शिवा के जाने के बाद राजीव मालिनी के पास आया और बोला: बेटी, बाज़ार जा रहा हूँ, कुछ चाहिए क्या?
मालिनी: नहीं पापा कुछ नहीं चाहिए। आप कब तक वापस आओगे?
राजीव : क्यों हमारे बिना दिल नहीं लगता क्या? वह उसको बाहों में लेकर उसको चूमते हुए बोला।
मालिनी हँसकर: पापा इतने बड़े घर में आप भी ना हो तो मैं तो बिलकुल अकेली हो जाऊँगी। और मुझे अकेले में डर लगता है। बस यही बात है।
राजीव उसकी साड़ी के पल्लू को गिराकर उसकी नंगी चूचियों को चूमकर बोला: उफफफ क्या माल हो तुम ! अब बाज़ार जाने का मूड नहीं हो रहा ।वह ब्लाउस के ऊपर से उसकी मस्त चूचियों को दबाया। फिर वह उसकी नंगी कमर को सहला कर मस्त हो गया। दिर उसके हाथ उसके पेट पर घूमने लगे और नाभि में ऊँगली डालने लगा। वह उसके चूतरों को दबाकर उसके बदन को अपने बदन से चिपका लिया। वह उसकी गरदन और नंगे कंधे को भी चूमा। मालिनी भी अब गरम हो गयी थी। उसका हाथ अब राजीव की छाती पर घूमने लगा। दूसरा हाथ वो नीचे लाकर उसकी लूँगी के अंदर डाल दी। अब उसके मूठ्ठी में उसके ससुर का लौड़ा आ गया। वह उसके लौड़े को मूठियाने लगी। राजीव भी मस्ती से भर गया और उसकी चूचि को ब्लाउस के ऊपर से सहलाने लगा।
अचानक मालिनी नीचे ज़मीन में बैठी और उसकी लूँगी खींच कर उतार दी। अब उसके सामने ससुर का लौड़ा तना हुआ था। वो जीभ निकाली और उसके पूरे लौड़े और बॉल्ज़ को चाटी और फिर वो पूरे जोश से उसका लौड़ा चूसने लगी। राजीव भी अपनी कमर हिलाकर उसके मुँह को चोदने लगा। जल्द ही वह झड़ने लगा और मालिनी ने उसका पूरा वीर्य पी लिया। वह लस्त होकर सोफ़े पर बैठा और गहरी साँस लेते हुए बोला: बेटी अब तो तुम अपनी मम्मी से भी ज़्यादा बढ़िया चूसती हो उफफफफ क्या मज़ा देती हो।
मालिनी मुस्कुराती हुई वाश बेसिन में जाकर क़ुल्ला करी और मुँह धो कर वापस आयी और सोफ़े पर बैठकर बोली: पापा आपने ही सिखाया है सब ।अब आप बाज़ार जाओ। और हाँ आज मम्मी अपनी सहेली के साथ शिवा की दुकान में आ रही हैं, कुछ कपड़े लेने है उनकी सहेली को।
राजीव: ओह तो क्या यहाँ नहीं आएगी?
मालिनी: पता नहीं पापा। अभी कुछ तय नहीं है।
राजीव: अरे बेटी, मेरी प्यास तो बुझा दी और तुम्हारी प्यास का क्या?
मालिनी: पापा मेरा पिरीयड चल रहा है। आज ही शुरू हुआ है।
राजीव: ओह ठीक है बेटी, अब आराम करो। पिरीयड्ज़ में कोई तकलीफ़ तो नहीं होती ?
मालिनी: पापा मुझे दूसरे दिन ज़्यादा तकलीफ़ होती है
राजीव: ठीक है बेटी, अभी आता हूँ वापस। वह उसे चूमकर बाहर चला गया।
उधर रंजू अपनी कार लेकर सरला को उसके घर से लेकर चल पड़ी।
रंजू कार चला रही थी और सरला उसके साथ बैठी थी। रंजू क़रीब ४६/४७ साल की गोरी चिट्टि स्वस्थ बदन की मालकिन थी। वो अपने स्वास्थ्य का बहुत ध्यान रखती थी। रईस घर की महिला थी और उसकी लड़की की शादी तय हुई थी।
रंजू: यार तेरे दामाद की दुकान पहुँचते हुए १२ बज जाएँगे।
सरला: जितना तेज़ तुम चला रही हो मुझे लगता है कि उसके पहले ही पहुँच जाएँगे।
रंजू: अच्छा तेरा दामाद दिखने में कैसा है?
सरला: अच्छा है सुंदर तगड़ा। मालिनी को बहुत ख़ुश रखता है। पर उसका बाप थोड़ा ठरकी है।
रंजू: सच, मुझे मिलवा ना उससे । मुझे ठरकी मर्द बहुत पसंद है।
सरला: अच्छा इधर उधर मुँह मारती है क्या?
रंजू अपनी सलवार के ऊपर से बुर खुजाकर बोली: अरे सती सावित्री तो हूँ नहीं। जब ये खुजाती है तो इलाज तो ढूँढना पड़ता है ना। अरे मेरे पति महोदय तो ज़्यादा टूर पर ही रहते हैं। और टूर में वो क्या क्या मज़े करते हैं इसका भी मुझे अंदाज़ा है। तो मैं यहाँ क्यों मन मार कर बैठी रहूँ।
सरला: ओह ये बात है। चलो आज तो हम दुकान जाएँगे। मैं कोशिश करूँगी कि मालिनी भी वहीं आ जाए। वरना जब उसके घर जाएँगे तो उसके ठरकी ससुर को मिल लेना। देखते हैं क्या प्रोग्राम बनता है।
रंजू: चलो ठीक है। अच्छा ये बता कि श्याम जी तेरा ख़याल रखते हैं ना? कितनी बार चुदाई हो जाती है हफ़्ते में?
सरला ने कभी भावना में भरककर रंजू को बता रखा था की वो श्याम से फँसी हुई है। वो बोली: हफ़्ते में २/३ बार ही हो पाती है।
रंजू: बस २/३ बार हफ़्ते में। मुझे तो एक बार रोज़ ही चुदाई चाहिए। इससे कम में मेरा गुज़ारा नहीं होता।
सरला: ओह बड़ी चुदासि औरत है तू? कौन चोदता है तेरे को रोज़ ?
रंजू: अरे मैंने घर के पीछे एक छोटा सा मकान है वहाँ मैंने एक कॉलेज का लौंडा रखा है २० साल का साँड़ है। जब मर्ज़ी होती है उसे बुला लेती हूँ और वो ३ घंटे में पूरा निचोड़ देता है मुझे निम्बू की तरह। सच बहुत मस्ती से चोदता है। और एक बात है कि वो मुझे चोदते समय मम्मी मम्मी बोलता है। और मुझे भी बेटा बोलने को कहता है।
सरला: ओह इसका मतलब है कि वो शायद अपनी मम्मी को बुरी नज़र से देखता है। तभी तो तुमको मम्मी कहकर चोदता है।
रंजू: हाँ यही बात है। उसने मुझे बताया भी है कि वो अपनी मम्मी को चोदना चाहता है पर हिम्मत नहीं कर पता। इसीलिए मुझमें अपनी मम्मी खोजता है।
सरला: रिश्तों में सेक्स पर तेरा क्या विचार है?
रंजू: मैं तो इसे बुरा नहीं मानती।
सरला: कल को तेरा दामाद तुझे चोदना चाहेगा तो मान जाएगी?
रंजू: सच बताऊँ? वो मुझे बहुत हॉट लगता है। अगर वो मुझसे फ़्लर्ट करेगा तो मैं तो ख़ुश होकर उसकी बाहों में चली जाऊँगी।पर पहल मैं नहीं करूँगी। यह कहते हुए वो अपनी बुर खुजा दी।
सरला को अपनी बात का जवाब मिल गया। वो सोची कि मैं तो शिवा को शायद दबाव में आकर फँसाने जा रही हूँ पर ये तो मज़े के लिए अपने दामाद से मज़े के लिए तय्यार है। उसे याद आया था कि क़रीब पाँच साल पहले उसकी घर की एक विधवा नौकरानी रोते हुए आयी थी और बोली थी कि उसके दामाद ने रात को ज़बरदस्ती उसके साथ मुँह काला किया था। सरला ने उसे पुलिस के पास जाने को बोला था। पर वो नहीं गयी। एक महीने के बाद वो काफ़ी ख़ुश दिखने लगी थी।नए नए कपड़े और गहने भी पहनने लगी थी। सरला जब कई बार पूछी तो वो बताई कि अब उसके दामाद के साथ उसका समझौता हो गया है। वह दोपहर को रोज़ आकर उसको एक दो बार चोद जाता है। रात को वो उसकी बेटी की सेवा करता है। वो उसकी चुदाई से बहुत ख़ुश थी।उसने सरला से उसके बड़े और मोटे लौडे का भी ज़िक्र किया था। वो उसे नए कपड़े और ज़ेवर भी देता था। अब सरला उस औरत को याद की और अपनी बुर भी खुजा उठी। ये सब सोचकर वह गरम होने लगी थी। इधर रंजू की बातें भी उसे गरम कर गयी थी।
सरला पूछ बैठी: उस छोकरे का हथियार कैसा है?
रंजू शरारत से उसकी जाँघ में चुटकी काटी और बोली: क्या हुआ चाहिए क्या? आजा मेरे घर। मस्त लम्बा और मोटा है। सात इंच से तो बड़ा ही होगा। बहुत मज़ा देता है।
सरला: आह सच? नहीं यार मैं इतनी ख़ुश क़िस्मत कहाँ हूँ। मैं नहीं आ सकती ।
इसी तरह की बातें करते हुए दोनों शिवा की दुकान पहुँच ही गयी। दोनों रास्ते भर मज़े की बातें कर रहीं थीं, इसलिए वो दोनों काफ़ी गरम थीं।
शिवा ने अपने काउंटर से देखा कि दो मस्त औरतें सलवार कुर्ते में अंदर दुकान में आ रही हैं। वो उनको देखता ही रह गया । क्या मस्त फ़िगर है दोनों के। तभी वो जब पास आयीं तो वो सरला को पहचाना और हड़बड़ा कर उठा और उनको मिलने के लिए पास आया और आकर सरला के पैर छूआ । सरला ने उसे आशीर्वाद दिया। फिर रंजू से परिचय कराया। वह उसके पैर छूने को झुका पर रंजू ने उसे बीच से ही उठा लिया और बोली: अरे बेटा पैर मत छुओ। गले लगो। ये कहकर उसने शिवा को गले लगा लिया। इसकी बड़ी बड़ी छातियाँ शिवा की मस्क्युलर सीने से चिपक गयी। शिवा के लौडे में हरकत होने लगी। रंजू उससे चिपके हुए सरला को आँख मारी। फिर वो अलग हुई और शिवा ने चैन की साँस ली क्योंकि उसका लौड़ा खड़े होने लगा था।
अब वह उन दोनों को अपने कैबिन में लेकर गया। वहाँ वो सब बैठे और रंजू ने अपनी चुन्नी ठीक करने के बहाने अपनी एक चुचि खुली कर दी। सरला सब देख रही थी। वो सोचने लगी कि देखती हूँ कि शिवा कितना शरीफ़ है?
उसने देखा कि शिवा की आँखें बार बार रंजू की चुचि पर जा रहा था। उसे राजीव की वो बात याद आइ कि उस दिन पार्टी में शिवा सरला की चूचियों को घूर रहा था।
शिवा ने उनके लिए जूस मँगाया। सब पीने लगे।
रंजू: बेटा हम आज काफ़ी तंग करेंगे तुझे ? वैसे दुकान अच्छी है। मैंने काफ़ी कुछ ख़रीदना है आज ,और मैं काफ़ी देर लगाती हूँ फ़ाइनल करने में।
शिवा: कोई बात नहीं आंटी जी, आप अपना टाइम लीजिए।
सरला: अरे चल ना कपड़े देखते हैं। फिर वह उठकर बाहर आयी, रंजू भी उसके पीछे पीछे आयी। शिवा उनके पीछे आया और उसकी निगाहें दोनों की हिलती हुई मस्त गोल गोल मटकती हुई गाँड़ पर थीं। शिवा अपने लौंडे को पैंट में ऐडजस्ट किया। वह सोचा कि मैं आज इतना उत्तेजित क्यों हो रहा हूँ? वो सोचने लगा कि एक के बाद एक ऐसे बातें हो रही हैं जो उसे अजीब लग रही है और उसे उत्तेजित भी कर रही हैं। पता नहीं क्या होने वाला है।
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