RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
अगले दो दिन कुछ नया नहीं हुआ ।नूरी आती चुदवा कर चली जाती और राजीव मालिनी के साथ ओरल सेक्स करते रहा। फिर नूरी वापस दिल्ली चली गयी। राजीव सोच रहा था कि बात आगे नहीं बढ़ रही थी। मालिनी अभी भी वही राग दुहरा रही थी कि जब शिवा उसके प्रति वफ़ादार है तो वो उससे बेवफ़ाई कैसे कर सकती है।राजीव बोलता था कि शिवा तब तक ही वफ़ादार है जब तक उसे कोई हॉट माल नहीं मिलता। गरम माल मिलेगा तो वो भी उसको छोड़ेगा नहीं। पर मालिनी उसकी बात मानने को तय्यार ही नहीं थी।
अचानक राजीव के दिमाग़ में एक बात आयी और वो सोचा कि शिवा की वफ़ादारी से मालिनी का विश्वास हट गया तो मालिनी को उसकी बाहों में आने में वक़्त नहीं लगेगा। पर ये काम किया कैसे जाए? वो सोचने लगा और एक दिन उसके दिमाग़ की बत्ती जली । वह सरला यानी शिवा की सास को क्यों ना यूज़ करे शिवा को जाल में फँसाने के लिए। वह मुस्कुराया और सरला को फ़ोन किया।
सरला: हाय समधी जी आज कैसे याद आइ हमारी?
राजीव: अरे हम तो रोज़ आपको याद करते हैं आपको ही हमारी याद नहीं आती।
सरला: मैं भी आपको बहुत याद करती हूँ।
राजीव: अरे आपको तो श्याम मिला हुआ है , आप मुझे क्यों याद करोगी।
सरला: वो अपनी जगह हैं और आप अपनी जगह। आप तुलना क्यों करते हैं ?
राजीव: अरे मैं तो मज़ाक़ कर रहा था। और सब परिवार में मस्त ?
सरला: हाँ जी सब बढ़िया। और मालिनी और दामाद कैसे हैं?
राजीव : वो भी मस्त है और जवानी के मज़े लूट रहे हैं। दोनों बहुत ख़ुश रहते हैं। मालिनी तो मस्त भर गयी है सब जगह से ।
सरला: छी क्या बोलते हो आप भी? आपकी बहू है वो उसे इस तरह से देखते हो क्या आप?
राजीव: मैं क्या करूँ? वो तो मेरे सामने दिन भर रहती है। और उसके उभार को मैं कैसे नज़र अन्दाज़ करूँ? उफफफ क्या जवानी उभरी है उसकी। लगता है शिवा का रस उसे बहुत रास आ रहा है।
सरला: छी आप भी ना? कोई अपने बच्चों के बारे में भी ऐसी बातें करता है।
राजीव: अब क्या करूँ ? दिन भर उसकी मस्त जवानी को देखकर सिवाय मूठ्ठ मारने के और क्या कर सकता हूँ।
उसने जानबूझकर उसको अपने और मालिनी की सेक्स गतिविधियों के बारे में नहीं बताया।
सरला: ओह ये तो बहुत चिंता की बात है।
राजीव: मैं तुम्हारी बेटी का बलात्कार नहीं करने वाला हूँ, चिंता मत करो। इसीलिए अब मैंने फ़ैसला किया है कि मैं जल्दी ही एक मस्त जवान लड़की से शादी करूँगा, चाहे वो बहु से उम्र में छोटी ही क्यों ना हो।
सरला: ये क्या कह रहे हैं आप? उफ़्फ़ आप ऐसा कैसे कर सकते हैं।
राजीव: अच्छा चलो नहीं करता तो तुम मुझसे शादी कर लो।
सरला: हे भगवान ये क्या बोल रहे हैं आप? ये बिलकुल नहीं हो सकता। कुछ तो सोचिए आप बोलने से पहले।
राजीव: ठीक है अगर तुम शादी के लिए तय्यार नहीं हो तो मैं अब दूसरी शादी ही कर लेता हूँ। मालिनी को भी एक सहेली मिल जाएगी हालाँकि वो उसकी सास होगी।
सरला: मैं तो बस यही कह सकती हूँ कि आप प्लीज़ ऐसा ना करें। नहीं तो घर में बहुत माहोल ख़राब हो जाएगा।
राजीव का काम हो चुका था। वह सोचा कि आज के लिए इतना ही काफ़ी है। वो बाई कहकर फ़ोन काट दिया।
सरला एकदम से सकते में आ गयी थी। उसकी बेटी को उसका ससुर गंदी नज़र से देखता है और वो अब दूसरी शादी की बात भी कर रहा है। उसका माथा घूमने लगा। उसने मालिनी की फ़ोन लगाया।
मालिनी: हाँ मम्मी बोलो क्या हाल?
सरला: अरे बेटी मैं तो ठीक हूँ पर तेरे ससुर को क्या हो गया है?
मालिनी: क्यों मम्मी उनको क्या हुआ? वो तो भले चंगे है। फिर वो सोची कि अभी तो एक घंटे पहले हमने ओरल सेक्स किया है।
सरला: अरे वो मुझे बोले कि मैं उनसे शादी कर लूँ? जब मैंने मना किया तो अब कहते हैं कि वो एक जवान लड़की से शादी करेंगे। बताओ भला ऐसा भी कोई इस उम्र में करता है?
मालिनी सोचने लगी कि ये भी क्या पापा की कोई सोची समझी चाल है? वो मम्मी को दबाव में डालकर मुझे पाना चाहते है। पता नहीं क्या चल रहा है उनके मन में? वो बोली: मम्मी वो पहले मुझे भी बोले थे दूसरी शादी का। पर बाद में मान गए थे। पता नहीं लगता है फिर से भूत सवार हो गया है। बात करती हूँ उनसे।
सरला: हाँ बेटी बात करो और उनको समझाओ कि ये ग़लत है।
मालिनी: ठीक है मम्मी।
सरला: एक बात और बताओ कि क्या वो तुमको भी ग़लत नज़रों से देखते हैं?
मालिनी क्या कहती, कि वो दोनों क्या क्या करते हैं आपस में। सिर्फ़ चुदाई छोड़कर सब कुछ तो कर ही लिए हैं। वो बोली: मम्मी मैंने ध्यान नहीं दिया और शायद ऐसा कुछ नहीं है। वो जानती थी कि वो सफ़ेद झूठ बोल रही है।
सरला: मैं तो बहुत परेशान हूँ बेटी तेरे लिए। अगर ये शादी कर लिए तो शिवा का हिस्सा भी बँट जाएगा। हैं ना?
मालिनी: हाँ मम्मी वो तो होगा ही। दूसरी शादी से बच्चे भी हक़ माँगेंगे ही।
सरला: ठीक है बेटी अभी रखती हूँ। पता नहीं क्या होने वाला है। फिर उसने फ़ोन काट दिया।
सरला श्याम से भी इसके बारे में बात की। पर उसे भी कुछ रास्ता दिखाई नहीं दिया।उधर मालिनी भी राजीव से बात की और पूछी: पापा आप मम्मी से शादी की बात किए थे क्या?
राजीव : हाँ मज़ाक़ किया था बेटी। पर हाँ मैंने उसको ये बताया कि मैं फिर से शादी का सोच रहा हूँ।
मालिनी: आपने ये विचार तो त्याग दिया था ना, फिर अब ये सब क्यों?
राजीव: बेटी तुम अभी भी पूरी हमारी कहाँ हुई हो? इसीलिए रह रह कर शादी की उमंग उठती है जान।
मालिनी: ओह चलो आपके जो मन में आए वह करो। वह बुरा सा मुँह बना कर वहाँ से चली गयी।
अगले दिन सरला दिन भर बेचैन रही और शाम को राजीव को फ़ोन लगायी।
राजीव उसके फ़ोन का रास्ता ही देख रहा था सो वह कुटीलता से मुस्कुराया: हाय सरला कैसी हो? मेरी बात पर विचार किया क्या? करोगी मुझसे शादी?
सरला: बस भी करिए आप। वो नहीं हो सकता। मैं तो आपसे बस इसके लिए फ़ोन की हूँ कि आप रानी जैसी एक जवान नौकरानी रख लीजिए और उससे मज़ा कीजिए। मैं मालिनी को समझा दूँगी कि पिछली बार की तरह समस्या नहीं खड़ी करेगी।
राजीव: अरे जब रानी से भी जवान लौंडियां मिल जाएगी तो क्या ज़रूरत है नौकरानी की। हाँ तुम अगर मान जाओ तो ठीक होगा । बोलो शादी करोगी ना मुझसे ?
सरला: आप भी ना , आपको पता ही है कि ये हो नहीं सकता। मैं आपको ये बोलने को फ़ोन की हूँ कि आप शादी का विचार छोड़ दो वरना आपके घर की शांति भंग हो जाएगी।
राजीव: अब मैं घर की शांति का सोचूँ या अपने लौडे की शांति का सोचूँ? तुम ही बोलो। मालिनी पूरे दिन अपनी जवानी लहराती हुए मेरे सामने घूमती रहती है, आख़िर मैं क्या करूँ?
सरला: हे भगवान आप भी अपनी बहू पर बुरी नज़र रखें हैं। आपको ऐसा नहीं करना चाहिए।
राजीव: क्यों श्याम भी तुमको पटाने में सफल रहा था जबकि वो तुम्हारा ज़ेठ था। देखो जानू, जब लौड़ा खड़ा होता है या बुर खुजाती है ना तो बस चुदाई ही दिखाई देती है और कुछ नहीं। समझी मेरी जान? अब हम दोनों भी तो समधी समधन है और चुदाई करते हैं। बोलो करते हैं ना?
सरला: देखिए आपकी और मेरी बात दूसरी है। मेरे तो पति भी है नहीं। और आपकी पत्नी नहीं है तो कम से कम हम किसी को धोका तो नहीं ना से रहे हैं।
राजीव: अरे किसी और से मज़ा लेना धोका थोड़ी है। अगर हम अपने जीवन को रंगीन बनाना चाहते हैं तो इसने कोई बुराई नहीं है।
सरला: पर आपको अपनी बहू को कम से कम बक्श देना चाहिए।
राजीव: देखो मुझे लगता है मालिनी भी अब मेरी ओर आकर्षित हो रही है। पर उसके मन में एक भावना है कि वो शिवा को धोका नहीं देना चाहती।
सरला: एकदम सही भावना है। इसमें ग़लत क्या है?
राजीव: देखो मैं तुमको चैलेंज करता हूँ कि अगर शिवा को भी ऐसा अवसर मिले जिसमें उसे कोई हसीन औरत उससे चुदावने को तय्यार हो तो वो भी इस मज़े से नहीं चूकेगा। तब क्या वो मालिनी के प्रति उसकी बेवफ़ाई नहीं होगी?
सरला: आप अपने बेटे के बारे में भी ऐसा कैसे बोल देते हो?
राजीव: अरे बेटा है तो क्या हुआ ? है तो भी एक आदमी और उसके पास भी एक लौड़ा है ना। क्या करेगा वो भी?
सरला: जहाँ तक मैंने देखा है शिवा एक पत्नीव्रत आदमी है और वो दूसरी औरत के चक्कर में नहीं पड़ेगा।
राजीव: अरे जाने दो वो भी एक आम इंसान है। मैंने उस दिन पार्टी में तुम्हारी ब्लाउस से झाँक रहे मोटे दूध को घूरते देखा था।
सरला: ओह आप भी ना। छी मैं उसकी मॉ जैसे हूँ।
राजीव: माँ जैसी होना और माँ होने में बहुत फ़र्क़ है। अब सुनो अगर तुम मेरी शादी रोकना चाहती हो तो एक आख़री उपाय है?
सरला: हाँ हाँ बोलिए ना। मैं पूरी कोशिश करूँगी।
राजीव: देखो मैं जो भी बोलूँगा उस पर अच्छी तरह से सोचना। एकदम से मत नकार देना।
सरला: ठीक है बोलिए।
राजीव: मैं चाहता हूँ कि तुम शिवा को सिड्यूस करो यानी अपनी ओर आकर्षित करो। फिर जब वो तुम्हारे बस में आ जाए तो तुम उससे चुदवा लेना और मैं ये मालिनी को दिखाऊँगा और वो मुझसे चुदवा लेगी। जब उसका पति बेवफ़ा है तो वो ख़ुद भी बेवफ़ाई करने के लिए तय्यार हो जाएगी। यह है मेरी शर्त शादी ना करने की। बोलो क्या कहती हो?
सरला एकदम से भौनचक्की रह गयी और बोली: ये आप क्या बोल रहे है ? मैं शिवा को अपने बेटे जैसा समझती हूँ । मैं उसके साथ ये सब कैसे कर सकती हूँ?
राजीव: सोच लो। अगर अपनी बेटी जा घर बचाना है तो तुम्हें ये करना ही पड़ेगा।
सरला: पर इस सबसे मालिनी का क्या लेना देना?
राजीव: अरे वो मुझसे चुदावने को इसी लिए राज़ी नहीं हो रही है क्योंकि वो शिवा से बेवफ़ाई नहीं करना चाहती। पर अगर शिवा ही बेवफ़ाई करेगा तो वो मेरी बाहों में आ जाएगी।
सरला को अब समझ में आया और वो स्तब्ध रह गयी और बोली: तो ये सब आप मालिनी को पाने के लिए कर रहे हैं?
राजीव: अरे इसमें बुराई क्या है? वो दिन में मुझसे मज़े करेगी और रात में शिवा उसको मज़े देगा। एक साथ दो दो मर्द उसके ग़ुलाम रहेंगे।
सरला: साफ़ साफ़ कहिए ना कि वो दो दो मर्दों की ,जो कि बाप बेटे हैं, जोरू बन जाएगी। कैसी अजीब सोच है आपकी? और आप इसमें मुझे भी शामिल कर रहे हो। मुझे तो सोच कर भी अजीब लग रहा है।
राजीव: मेरी जान अच्छी तरह से सोच लो। या तो ये करो और या फिर अपनी बेटी के सास की आने की तय्यारी करो।
कल तक बता देना जो भी करना है। क्योंकि पंडित जी मेरे पीछे पड़ा है शादी के लिए। गाँव की लड़की है १८/१९ साल की। मस्त कड़क जवानी है। ऐसा वो बोल रहा था।
सरला कांप उठी और बोली: ठीक है कल बताती हूँ। और फ़ोन काट दिया।
राजीव भी सोचा कि अब उसने अपने पूरे पत्ते दिखा दिए हैं। देखें वो क्या करती है? तभी मालिनी अंदर आयी और बोली: पापा मैं बाज़ार जा रही हूँ। आपको कुछ चाहिए क्या?
राजीव उसे खींच लिया और अपनी गोद में बिठा लिया और उसके गाल को चूमकर बोला: मुझे तो बेटी बस तुम चाहिए। और कुछ नहीं चाहिए। वह अब उसकी क़ुर्ती के ऊपर से उसकी चुचि दबाने लगा जो कि क़ुर्ती ने से आधी नंगी थी और मानो बाहर आने को फड़फड़ा रही थीं।
मालिनी: उफफफ पापा। अभी छोड़िए ना। मुझे बहुत सा राशन का सामान लाना है।
राजीव: तो चलो मैं भी चलता हूँ । मेरी नाज़ुक सी बहू इतना सामान कैसे उठाएगी? एक नौकर तो चाहिए। सो बंदा हाज़िर है।
मालिनी ख़ुश होकर बड़े से प्यार से उसको देखी और फिर अपने होंठ से उसके गाल चूमती हुए बोली: पापा आप बहुत अच्छे हो। तो चलो साथ में थैला उठाने के लिए।
राजीव ख़ुश होकर उसको अपने ऊपर से उठाया और पैंट और टी शर्ट आलमारी से निकाला । अब वो मालिनी के सामने ही अपनी टी शर्ट पहना और फिर लूँगी खोलकर पूरा नंगा हो गया। उसका लम्बा लौड़ा लटका हुआ भी बहुत हसीन लग रहा था। उसके बड़े बॉल्ज़ तो मालिनी की कमज़ोरी थे ही। अब वह उसको हिलाकर मालिनी से बोला: बेटी इसको कब तक प्यासा रखोगी?
मालिनी हँसकर: फ़ालतू बात ना करो और आप जल्दी से तय्यार हो जाओ। अब राजीव ने चड्डी पहनी और पैंट भी पहनकर तय्यार होने लगा।
मालिनी और वो बाहर को निकले तो उसने पीछे से उसके पिछवाड़े को सहला कर कहा: बेटी ये सलवार मस्त फ़िट है तुम्हारी गाँड़ पर। गोल गोल चूतर बहुत सेक्सी दिख रहे हैं। वो उनको सहलाते हुए बोला। मालिनी सिर्फ़ मुस्कुरा दी। वो कार से बाज़ार पहुँचे। सब सामान लेने के बाद वो मालिनी को बोला: चलो काफ़ी पीते हैं।
वो कार पार्क किया और मालिनी को बोला: बेटी चुन्नी को यहीं छोड़ दो कार के अंदर।
मालिनी: क्यों पापा?
राजीव: अरे बेटी तुम्हारी क्लिवेज़ आज ग़ज़ब ढा राही है। इसे ऐसे ही रहने दो।
मालिनी मुस्कुराकर अपनी चुन्नी वहीं कार में छोड़कर बाहर आकर बोली: पापा आजकल आप बहुत मस्ती में रहते है । मैं देख रही हूँ।
राजीव: बेटी जिसके घर में तुम्हारी जैसे मस्त बहू हो वो कैसे मस्ती में ना रहे। अच्छा मेरे आगे आगे चलो क्योंकि मुझे तुम्हारी मटकती हुई गाँड़ देखनी है।
मालिनी हँसते हुए आगे चलने लगी। वो उसकी मटकती गाँड़ देखकर मस्ती से भर गया। जब दोनों लिफ़्ट में अकेले थे तो राजीव बोला: बेटी,मस्त मटक रही है तुम्हारी गाँड़ आज।पैंटी नहीं पहनी हो क्या? वो उसकी गाँड़ पर हाथ फेरा और पैंटी की साइड ढूँढने लगा पर उसे नहीं मिली।
मालिनी हँसकर: आप चेक कर लिए ना कि मैं पैंटी नहीं पहनी हूँ। असल में आपने मेरी आदत ही छुड़वा दी, पैंटी पहनने की। अब मैं सिर्फ़ जींस और स्कर्ट के नीचे ही पहनती हूँ।
रेस्तराँ में जाकर वो बैठे और वहाँ काफ़ी पीते हुए वह बोला: बेटी, आज तुम बला की ख़ूबसूरत लग रही हो।देखो वो दोनों लड़के तुमको कैसे घूर रहे हैं मानो खा ही जाएँगे।
मालिनी ने अपना सिर घुमाया और देखा कि सच में दो लड़के उसको बुरी तरह से घूर रहे थे। वो उसकी क्लिवेज़ ही देखे जा रहे थे। वो बोली: पापा आप ठीक कह रहे हो। वो तो मुझे ऐसा देख रहे हैं कि अगर मैं उनको अकेले में मिल गयी तो मेरा रेप ही कर देंगे।
राजीव : वो दूसरी तरफ़ देखो। वो जो एक अधेड़ जोड़ी बैठी है। वो भी तुमको घूर रहे हैं।
मालिनी ने उनको भी देखा और हैरान रह गयी कि वो दोनों यानी क़रीब ४५ साल का आदमी और क़रीब ४० साल की औरत उसे घूरे जा रहे थे।
राजीव: बेटी ये आदमी तो ठरकी लगता है पर औरत भी नूरी की सास की तरह बाइसेक्शूअल लग रही है। वैसे आज तुम्हारी चूचियाँ बहुत ग़ज़ब ढा रही हैं। वो क़ुर्ती से झाँकती उसकी आधी नंगी चूचियों को घूरते हुए बोला।
काफ़ी पीने के बाद वो दोनों उठे और लिफ़्ट में एक बार फिर राजीव उसकी चूचियों को जो बाहर झाँक रहीं थी झुककर चूमने लगा। उसके हाथ अब भी उसकी गाँड़ पर ही घूम रहे थे। लिफ़्ट से बाहर आकर दोनों कार में बैठे और घर की ओर चल पड़े।
रास्ते में मालिनी बोली: पापा आज बहुत मस्ती में हो आप? कोई ख़ास वजह?
राजीव: अरे बस तुम साथ हो तो और क्या चाहिए। अचानक उसने कार एक दुकान पर रोक दी और मालिनी को उतरने को बोला। सामने एक शानदार ब्रानडेड कपड़ों की दुकान थी। दोनों दुकान पर पहुँचे तो राजीव उसे लेकर एक लेडीज़ शॉप में गया और उसने मालिनी से कुछ बढ़िया ड्रेस ख़रीदने को कहा। मालिनी बोली: पापा मैं ये सब कब पहनूँगी?
राजीव: अरे ले लो । पहनने के कई अवसर आएँगे। और कोई नहीं भी हुआ अवसर तो मुझे ही पहन कर दिखा देना। अब उसने सेल्ज़्गर्ल को कहा: इनके लिए सुंदर सी सेक्सी ड्रेस दिखाओ।
वो मुस्कुराती हुई बोली: जी सर अभी दिखाती हूँ। फिर उसने कई ड्रेस दिखाए जिनमे छिपता कम था और दिखता ज़्यादा था। मालिनी बोली: पापा ऐसी ड्रेस थोड़ी पहनूँगी। आधी नंगी दिखूँगी।
राजीव ने इधर उधर देखा तो आसपास कोई नहीं था। उसने अपना हाथ उसकी जाँघ पर रखा और बोला: बेटी, अरे इसी में तो मज़ा है और जब तुम सेक्सी दिखोगी तो शिवा भी तुमको ज़ोर से चोदेगा। और मुझे पहन के दिखाओगी तो मैं भी फाड़ दूँगा तुम्हारी । ये कहते हुए उसने उसकी सलवार के ऊपर से बुर को सहला दिया। मालिनी सिहर उठी। उसने कहा: पापा हाथ हटाओ ना प्लीज़। उफफफफ गीली होने लगेगी और मैंने पैंटी भी नहीं पहनी है।
राजीव ने नोटिस किया कि आजकल वो उसे पापा जी नहीं बोलती है बल्कि पापा बोलती है। और अब कहिए या जाइए भी नहीं बोलती बल्कि जाओ या कहो बोलती है। इसका मतलब वो उसके अंतरंग हो रही है। वह यह सोचकर ख़ुश हो गया और बोला: बेटी ये ड्रेस पहन कर देखो।
मालिनी शर्मीली मुस्कान के साथ ट्राइयल रूम में गयी और ड्रेस पहन कर शीशे ने ख़ुद को देखकर शर्मा गयी। उसकी आधी कमर,आधे दूध ,पूरे कंधे और आधी जाँघें ऊपर से भी नंगी दिखाई दे रही थी।
राजीव : अरे बाहर आओ ना।
मालिनी: पापा मैं बाहर नहीं आ सकती । आप अंदर आ जाओ।
राजीव अंदर छोटे से ट्राइयल रूम में गया और मालिनी को इस रूप में देखकर मस्त हो गया। वो बोला: बेटी उफफफफ क्या माल दिख रही हो। वो उसकी कमर और जाँघ को सहला कर मस्ती से भर गया। फिर उसके दूध को ऊपर से चूमा और बोला: आऽऽऽह बेटी आज तो चुदाई बनती है। देखो कैसे खड़ा हो गया है मेरा? वो उसका हाथ अपने पैंट के ऊपर रख कर बोला। मालिनी भी मज़े से दबाई और बोली: फिर ये ड्रेस ले लूँ?
राजीव: हाँ हाँ बेटी ले लो। जब मेरे साथ सुहाग रात मनाओगी तो यही पहनना। वह उसे चूमते हुए बोला। वह हँसकर बोली: अभी तो यहाँ से चलें।
फिर दोनों घर पहुँचे और जैसे ही वो घर के अंदर आए राजीव उसको गोद में उठा लिया और अपने बिस्तर पर लिटाया और पागलों की तरह चूमने लगा जल्दी ही दोनों गरम हो गए। राजीव ने अपने कपड़े खोले और फिर मालिनी की भी सलवार खोल दी। फिर दोनों ६९ की पोज़ीशन में आए और मालिनी को उसने अपने ऊपर खींच लिया था। अब मालिनी भी उसका लौड़ा बॉल्ज़ चाटी और अब चूसने भी लगी। उधर राजीव भी उसकी बुर को चूमकर चाटने और जीभ से चोदने लगा। उफफफ क्या मस्त बुर है वो और ज़ोर से चूसने लगा। जल्दी ही दोनों एक दूसरे के मुँह में अपना अपना कामरस छोड़ने लगे और पूरा का पूरा पी भी गए।
थोड़ी देर बाद वो अपने अपने कमरे में आराम कर रहे थे। राजीव सोच रहा था कि देखो कल सरला का क्या जवाब आता है।
उधर सरला की रात करवट लेते हुए बीत गयी थीं। वो सोच रही थी कि क्या जवाब दे वो राजीव को? अगर मना करती है तो वो शादी करेगा और मालिनी की ज़िंदगी बर्बाद हो जाएगी। और अगर मान जाती है तो वो शिवा के साथ ये सब कैसे कर सकती है। क्या मुसीबत है इधर कुआँ और उधर खाई? वो करे तो क्या करे?
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