RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
रात को खाना खाते हुए सब बातें कर रहे थे । मालिनी ने नोटिस किया कि पापा जी के किसी भी हाव भाव से कोई नहीं कह सकता कि वो आज दिन भर सेक्स में लिप्त थे। पहले नूरी की चुदाई और फिर मेरे साथ दो बार गंदी हरकतें और उससे भी ज़्यादा गंदी बातें की थी उन्होंने। शिवा भी अपनी दुकान की बातें कर रहा था।
कमरे में आकर शिवा ने आज भी उसकी दो राउंड चुदाई की। जिसमें एक बार उसने मालिनी को चौपाया बना कर पीछे से चोदा। फिर दोनों लिपट कर सो गए।
अगले दिन वो ब्रा और नायटी में किचन में चाय बनाई और राजीव को आवाज़ दी । राजीव अपने कमरे में नहीं था। तभी वह बाहर से वॉक करके आया। और आज फिर वो उसके लिए जलेबी लाया था। उसने मालिनी को पकड़ कर चूमा और गुड मॉर्निंग बोलकर उसके मुँह में एक गरम जलेबी डाल दिया। मालिनी हँसती हुई बोली: क्या बात है पापा जी, आज कल मेरे लिए रोज़ जलेबी लायी जा रही है।
राजीव भी हँसकर: अरे मेरी प्यारी बेटी, तुम मेरा इतना ख़याल रखती हो तो मैं क्या इतना सा भी नहीं कर सकता।
चाय पीकर वह अपने कमरे में चला गया। थोड़ी देर बाद कमला और वो किचन में लगी रहीं। फिर उसने शिवा को उठाया। शिवा बाद में जब दुकान चला गया तब वो पेपर पढ़ रही थी, तभी राजीव नहा कर बाहर आया और उसके पास आकर बैठा और बोला: बेटी, एक ख़ुशख़बरी है।
मालिनी: क्या पापा जी?
राजीव: कल मुझे एक sms आया है कि मुझे बैंक जाना है, और मेरी एक सेविंग का समय समाप्त हो गया है और आज मेर अकाउंट में २० लाख ट्रान्स्फ़र होंगे । मैं तुमको और शिवा को कोई उपहार देना चाहता हूँ।बोलो क्या चाहिए?
मालिनी का मुँह इतनी बड़ी धन राशि का सुनकर खुला ही रह गया। वो बोली: पापा जी मैं क्या बोलूँ? आपको जैसा ठीक लगे वैसा करिए।
राजीव: अरे मैं तो ,तुमको कुछ चाहिए क्या सिर्फ़ ये पूछ रहा हूँ। और जहाँ तक ये पैसों का सवाल है वो मैं अपने पोते और पोती के लिए रखूँगा जो कि तुम यहाँ से पैदा करके हमें दोगी। ये कहते हुए उसने उसके पेट को नायटी के ऊपर से सहला दिया।
मालिनी शर्मा कर हँसी: तो आप सब कुछ अपने पोतों के लिए रख देंगे और हमको कुछ नहीं देंगे।
राजीव: बेटी, इतनी देर से और क्या बोल रहा हूँ, कि बताओ क्या चाहिए? तुम तो कुछ बोल ही नहीं रही हो ।
मालिनी: पापा जी मुझे कुछ नहीं चाहिए। बस इनको दुकान के लिए जब भी कुछ चाहिए होगा उतना कर दीजिएगा, मेरे लिए इतना ही बहुत है।
राजीव उसको चूमते हुए बोला: अच्छा बेटी ये तो बताओ की तुम लोगों ने मेरे पोते की क्या प्लानिंग की है?
मालिनी शर्माकर: कैसी प्लानिंग पापा जी? हमने तो कोई प्लानिंग नहीं की है।
राजीव हैरानी से: मतलब तुम लोग कोई फ़ैमिली प्लानिंग नहीं कर रहे हो?
मालिनी: नहीं पापा जी हम कुछ नहीं कर रहे हैं।
राजीव: अरे बेटी, तो तुम्हारी शादी को क़रीब ६/७ महीने हो गए हैं। अगर तुम लोग प्लानिंग नहीं कर रहे हो तो अब तक तो तुमको प्रेगनेंट हो जाना चाहिए था। जानती ही महक हमारी शादी के दो महीने बाद ही सविता याने तुम्हारी सास के गर्भ में आ गयी थी। मैं तो आज तक सोच रहा था कि तुम लोग प्लानिंग कर रहे होगे इसलिए अब तक तुम प्रेगनेंट नहीं हुई हो। अगर ऐसा नहीं है तो यह चिंता का विषय है, मेरी प्यारी बेटी। ५/६ महीने में तो तुमको ख़ुशख़बरी देनी ही चाहिए थी।
मालिनी: पर पापा जी लोगों के तो ४/५ साल भी बच्चे होते है?
राजीव: अरे बेटी, फ़ैमिली प्लानिंग करोगे तो ज़ाहिर सी बात है बाद में ही होंगे। पर अगर प्लानिंग नहीं कर रहे हो तो फिर तो समय पर हो जाना चाहिए। चलो मैं शिवा से भी बात करता हूँ।
मालिनी: पापा जी क्या ये सचमुच चिंता का विषय है?
राजीव उसे प्यार से देखते हुए कहा: अरे बेटी, हर समस्या का हल होता है। हम भी इसका हल निकाल लेंगे। अभी तुम दोनों जवान हो चिंता की कोई बात नहीं है। वह उसका गाल सहला कर बोला : चलो तुम नहा लो और मैं बैंक होकर आता हूँ।तुमने बताया नहीं कि क्या लाना है तुम्हारे लिए?
मालिनी हँसकर: आपको जो लाना हो ले आयिएगा।
राजीव : ठीक है पर बाद में नाराज़ नहीं होना, ठीक है। हा हा। वह हँसते हुए बाहर चला गया।
मालिनी अपने कमरे में जाकर नहाने का इंतज़ाम करने लगी और फिर सोची कि पापा ने ये क्यों कहा कि अब तक बच्चा हो जाना चाहिए था। क्या उन दोनों में कोई गड़बड़ है । वो सोची कि शिवा से इसके बारे में बात करेगी ।फिर वह नहाकर बाहर आयी और सलवार कुर्ता डालकर शिवा को फ़ोन किया: सुनो पापा जी आज बहुत ख़ुश हैं । उनको आज उनकी कोई पुरानी सेविंग से २० लाख रुपए मिले हैं ।
शिवा: हाँ पापा का फ़ोन आया था बहुत ख़ुश थे, मुझसे पूछे तुमको क्या चाहिए, मैं बोला कि मेरी कार बदल दीजिए। वह मान गए।
मालिनी: वाह आपने तो ले लिया और मैं बोल बैठी कि मुझे कुछ नहीं चाहिए। बेवक़ूफ़ हूँ मैं।
शिवा हँसने लगा और बोला: जानू ग्राहक ज़्यादा हैं, बाद में फ़ोन करूँगा। फिर उसने फ़ोन काट दिया।
मालिनी कमला के साथ किचन में काम करने लगी। बाद में जब वो बैठी हुई टीवी देख रही थी , तभी राजीव वापस आ गया और आकर मालिनी के बग़ल में बैठ गया। वो बहुत ख़ुश दिख रहा था। उसने मालिनी को कहा: देखो मैं तुम्हारे लिए क्या लाया हूँ। ये कहते हुए उसने एक थैला उसे दिया। वह उसको खोली तो उसमें एक बहुत सुंदर आभूषण का छोटा सा डिब्बा था। वो उसे खोली और उसके जैसे दिल की धड़कन ही रुक गयी । उसमें एक जोड़ी बहुत सुंदर हीरे के कान के झूमके थे। वह जानती थी कि ये बहुत महँगी होगी। फिर उसने देखा कि उसमें एक बिल भी था। बिल मालिनी के नाम का था और उसका दाम लिखा था २ लाख रुपए। वह हैरानी से बोली: पापा जी इतनी महगी क्यों ले आए?
राजीव: बेटी, पसंद आया कि नहीं?
मालिनी: पापा जी ये बहुत सुंदर है। पर महँगा भी बहुत है।
राजीव: अरे बेटी तुम्हारी सुंदरता के आगे इसकी सुंदरता क्या चीज़ है। अच्छा पहन कर दिखाओ ना।
मालिनी: आप ही पहना दीजिए। वह ईयरिंग उसे देती हुए बोली।
राजीव ख़ुश हो कर उसके ऊपर झुका और उसकी ज़ुल्फ़ें हटाकर उसके कान से पुराना सोने का ईयरिंग निकाला और फिर वह नए वाले पहनाने लगा। उसकी कोहनी उसकी छातियों को रगड़ रही थी। फिर वह उसको देखा और उसके दोनों गाल चूमकर बोला: जाओ शीशे में देखो, तुम पर कितना फ़ब रहा है। वाह ।
मालिनी उठी और अपने कमरे में जाकर शीशे में ख़ुद को देखी और बहुत ख़ुश हो गयी। तभी उसने देखा कि पापा उसके पीछे ही खड़े थे।
मालिनी: सच पापा जी बहुत सुंदर है। थैंक यू ।
राजीव उसको पीछे से आकर अपने आप से चिपका लिया और उसकी पैंट का आगे का हिस्सा अब उसकी गाँड़ के ऊपरी हिस्से से टकरा रहा था। लौड़ा नरम गाँड़ के स्पर्श से खड़ा होने लगा था। अब उसने इसकी चूचियाँ दबायी और बोला: उफफफफ क्या मस्त दिख रही हो। फिर वह अपने हाथ हटाया और कहा: शिवा के लिए भी मैंने एक गिफ़्ट ली है।
वह उसके बिस्तर पर बैठ गया और जेब में हाथ डालकर एक बहुत ही सुंदर और महँगी घड़ी निकाली। मालिनी आकर उसके पास बिस्तर पर बैठ गयी और घड़ी देखकर बहुत ख़ुश हुई और बोली: सच में पापा जी बहुत सुंदर है। उनको ज़रूर पसंद आएगी।
राजीव हँसकर बोला: जिसने तुम्हारी जैसे प्यारी लड़की पसंद की हुई है उसे और क्या चाहिए। यह कहते हुए वह उसकी हथेली अपने हाथ में लेकर सहलाने लगा।
मालिनी: हा हा आप मुझे चने के झाड़ पर क्यों चढ़ा रहे हो।
राजीव: अरे चने के झाड़ पर तो उस दिन मुझे चढ़ा दिया था डॉली ने जब मैंने उसे पापा से चुदवाते देखा था।
मालिनी को कल की बात याद आइ और उसे लग ही रहा था कि कल आधी ही कहानी हुई थी, सो वह बोली: हाँ पापा जी आपने दादा जी और बुआ जी को वो सब करते देखा था। फिर उसके बाद क्या हुआ?
राजीव: बेटी, उस दिन जब चुदाई ख़त्म हो गयी तो माँ डॉली की बुर साफ़ की और बाबूजी का लौड़ा भी साफ़ की एक तौलिए से । तब डॉली बोली: माँ भय्या को कब इसमें शामिल करेंगे? जानते हैं आप पिछली बार जब भय्या आए थे छुट्टियों में, तो मैंने उनको मूठ्ठ मारते हुए देखा था और बाप रे उनका तो बाबूजी के जितना ही बड़ा है। मॉ बोली कि सच में इतना बड़ा है। वो बोली कि हाँ माँ इतना ही बड़ा है , वो बाबूजी का लौड़ा सहला कर बोली कि मुझे भय्या से चुदवाना है प्लीज़।
मैं सच में उस समय चने के झाड़ पर चढ़ गया था। लेकिन माँ ने कहा कि उसकी पढ़ाई पूरी होने तक उसे इस खेल में शामिल नहीं करेंगे। मैं मायूस हो गया। तभी बाबूजी बोले कि डॉली तेरी माँ भी अपने बेटे से चुदवाने को मरी जा रही है। क्यों सही है ना? इस पर माँ ने साड़ी के ऊपर से अपनी बुर को खुजा कर कहा कि सच में मुझे उससे चुदवाना है। मैं ख़ुशी से झूम उठा।
मालिनी हैरानी से : सच में माँ ऐसा बोली? उसकी साँस अब फुलने लगी थीं। राजीव ने मौक़े को समझा और उसे प्यार करने लगा।उसकी गरदन चूमते हुए बोला: हाँ बेटी, वो ऐसा ही बोली थी और मैं उत्तेजित हो गया था। फिर मैं सामने से दरवाज़ा खटखटाया और अंदर आकर सबको सरप्राइज़ कर दिया। सब बड़े ख़ुश हुए। फिर अगले दो दिन बाद माँ और बाऊजी एक शादी में गए और कह गए कि रात को देर से आएँगे। मैंने डॉली को पटाने का अच्छा मौक़ा देखा और उसके कमरे में जाकर उससे कुछ बातें किया। फिर उसको बोला: डॉली तुम्हारी छातियाँ इतनी बड़ी कैसी हो गयीं?
मालिनी हैरानी से : आपने सीधे सीधे अपनी बहन से ऐसा पूछ लिया।
राजीव: और क्या मुझे तो पता था कि वो बाबूजी से चुदवा रही थी तो उससे क्या घबराना। वो बोली कि भय्या पता नहीं सब सहेलियाँ भी यही कहतीं है। फिर मैंने उसे अपने गोद में बिठाया और बोला कि सच में बहुत सेक्सी हो गयी हो। वह शर्माकर मेरी छाती में मुँह छुपा ली और मैंने उसकी गरदन चुमी और फिर उसको प्यार करने लगा। ऐसा कहते हुए राजीव ने पिछली बार की तरह मालिनी को गोद में खींच लिया और उसको चूमने लगा। मालिनी की साँसे अब तेज़ हो चली थी। राजीव बोलता गया: फिर मैंने उसकी छाती दबाई और वह मज़े से भर गयी। यह कहते हुए राजीव ने अब मालिनी की भी छाती दबाई।
मालिनी: उफफफफ फिर क्या हुआ?
राजीव उसकी छातियाँ दबाते हुए बोला: बस उसके बाद मैंने उसे कान में कहा की मैं तुमको चोदना चाहता हूँ ।वह एकदम से चौक गयी और बोली: भय्या ये कैसे हो सकता है। फिर मैंने उसकी स्कर्ट उठाकर उसकी बुर को पैंटी के ऊपर से सहलाते हुए कहा क्यों नहीं हो सकता? जब तुम बाबूजी से चुदवा सकती हो तो मुझसे क्यों नहीं। ये कहते हुए मैंने उसकी पैंटी में उँगलियाँ डाली और उसकी बुर को सहलाने लगा।अब राजीव ने मालिनी की बुर सलवार के ऊपर से दबा दिया।
मालिनी: वह तो डर गई होगी?
राजीव मालिनिं की सलवार के नाड़े को खोला और बोला: हाँ वो हैरान हो गई थी कि मुझे कैसे पता चला। फिर वह बोली कि आप क्या बोल रहे हो? ये ग़लत है भय्या। मैंने उसकी बुर में ऊँगली करते हुए कहा कि मैंने तुमको परसों बाबूजी से चुदते देखा है। अब वो आह करके मेरी उँगलियाँ का मज़ा ले रही थी। इधर राजीव ने मालिनी की सलवार खोल दी थी और उसको नीचे खिसकाया। मालिनी ने अपनी गाँड़ उठाकर उसे उतारने में मदद ही की।
मालिनी की सलवार उसके पैरों पर थी। राजीव की उँगलियाँ अब उसकी बुर के छेद में हलचल मचा रही थी। मालिनी : आऽऽऽह पापा जी क्या कर रहे हैं? उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ फिर क्या हुआ बताइए ना?
राजीव अपनी उँगलियाँ चलते हुए बोला: बेटी, फिर वो बोली कि आप मेरे कमरे में आना रात को फिर जो चाहे कर लेना।
मालिनी : हाऽऽऽऽय्य तो वो मान गयी? फिर आप उसे छोड़ दिए उस समय।
राजीव ने उसकी clit सहलाते हुए कहा: बेटी, उस समय मैं तो बहुत गरम था सो मैंने कहा कि डॉली तेरी बुर चूसने दे ना। मैं कोई अनाड़ी तो था नहीं , कोलेज में मैंने सब सीख लिया था। डॉली बोली कि आप सिर्फ़ चूस लेना पर चोदना नहीं। मैं मान गया और वो ऐसे ही बिस्तर पर बैठी थी और मैं नीचे ज़मीन पर बैठा और उसकी बुर चूसने लगा। राजीव अब मालिनी की clit सहला रहा था वो जैसे पागल सी हो गयी थी। फिर राजीव नीचे ज़मीन पर बैठा और मालिनी की बुर को चूमने लगा। वह उसकी बुर को चाटना शुरू किया।मालिनी की आँख मज़े से बंद होने लगी थी। वह उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽ करके अपनी जाँघें राजीव के कंधे पर रखकर अपनी बुर उछालकर चूसवा रही थी। राजीव की जीभ अपनी कारगुज़ारी दिखा रही थी और मालिनी दीवानी हुई जा रही थी। अचानक वो चिल्लाई: आऽऽऽऽऽह पपाऽऽऽऽऽऽऽऽऽ जीइइइइइइइइइइ बहुत अच्छाआऽऽऽऽऽऽऽऽ लग रहाआऽऽऽऽऽ है। उइइइइइइ माँ मर गईइइइइइइइइइइ। वो बड़बड़ा कर अपना रस राजीव के मुँह में छोड़ने लगी।
झड़ने के बाद वो शांत होकर बैठी रही । राजीव भी वापस आकर बिस्तर पर बैठ चुका था और अपनी जीभ होंठों पर फेरकर बोला: आऽऽहहह बेटी क्या स्वादिष्ट है तेरी बुर और उसका रस। मालिनी शर्मा कर अपनी सलवार उठाकर पहनी और बाथरूम में चली गयी। वह वापस आयी तो राजीव अब भी बैठा हुआ था और मोबाइल में कुछ कर रहा था। वह आकर उसके पास बैठने लगी तो राजीव ने उसे फिर से अपनी गोद में बिठा लिया। उसका खड़ा लौड़ा उसकी गाँड़ में गड़ रहा था। फिर वह बोला: बेटी। मज़ा आया?
वह: जी पापा जी बहुत मज़ा आया। सच में जैसा आपने चूसा वैसे तो शिवा को चूसना आता ही नहीं। आप सच में एक्स्पर्ट हो।
राजीव अब उसकी चूचियाँ दबाकर बोला: बेटी , अभी तो तुमको और बहुत से मज़े देने है।
वह बोली: पापा जी फिर क्या आप डॉली को रात में किए?
राजीव: ये किए क्या होता है साफ़ साफ़ बोलो क्या आप चोदे?
मालिनी हँसकर: अच्छा चलिए वही बता दीजिए कि क्या आप उसे रात को चोदे?
राजीव झुककर उसके गाल चूमा और बोला: हाँ बेटी, उस रात वो मेरे कमरे में आयी और हम नंगे हो कर चूमा चाटी के मज़े ले रहे थे। तभी दरवाज़ा खुला और मॉ और बाबूजी वहाँ आ गए। मैं चौका पर समझ गया कि ये सब डॉली का किया धरा है। मैंने डरने की ऐक्टिंग की और बाऊजी और माँ हँसने लगे। फिर उस रात मैंने डॉली और मा दोनों को चोदा।
मालिनी: माँ को भी ?
राजीव उसकी चूचि दबाकर बोला: अरे बेटी, मॉ तो चुदवाने के लिए मरी ही जा रही थी। उस दिन के बाद हम सब बाबूजी के बड़े से बिस्तर पर सोते थे और रात भर मैं और बाबूजी बदल बदल कर डॉली और माँ को चोदते थे।
मालिनी: ओह बड़ा अजीब लगता है सुनने में भी और आप लोग तो करते थे। अच्छा पापा जी खाना लगाऊँ?
राजीव: मेरे इसका क्या होगा? वो अपना लौड़ा उसकी गाँड़ में चुभा कर बोला।
मालिनी: अभी लंच के बाद आपकी नूरी आएगी ना। वो इसे शांत कर देगी।
राजीव अब उसे अपनी गोद से उतारकर खड़ा हुआ और पैंट नीचे करके अपना लौड़ा उसके मुँह के पास लाकर बोला: बेटी, थोड़ा सा चूस दो ना, अच्छा लगेगा। मालिनी उसके ऊपर नीचे हो रहे लौड़े को देखी फिर उसने उसे मूठ्ठी में भरा और सहलाया और फिर उसे चूसने लगी। थोड़ी देर बाद बोली: बस अब नूरी से चूसवा लीजिएगा।
राजीव भी हँसकर: अच्छा चलो ठीक है, खाना लगाओ। मैं कपड़े बदल कर आता हूँ।
खाना खाने के थोड़ी देर बाद नूरी अपने बच्चे को लेकर आयी। और फिर से राजीव के कमरे में जाकर चुदवायी । एक राउंड के बाद वह बाहर आई ,पानी के लिए,तब वह मालिनी से पूछी: आज अंकल को क्या हो गया है? बहुत धमाकेदार चुदाई की है उन्होंने?
मालिनी अनजान बनकर बोली: ऐसा तो कुछ नहीं हुआ है। पर वह मन में सोची कि पापा जी आज मेरे साथ काफ़ी गरम हो गए थे सो इस पर अपनी गरमी निकाले होंगे। वह ये सोचकर थोड़ी निराश हुई कि काश ये मज़ा वो ख़ुद ले पाती। नूरी पानी लेकर वापस चली गयी और उसका बच्चा अभी भी सो रहा था।
ख़ैर दूसरे राउंड की चुदाई के दौरान एक बार मालिनी खिड़की में थोड़ी देर तक खड़ी होकर उनकी चुदाई देख आइ थी। उसकी बुर फिर से गीली होने लगी थी।
बाद में नूरी के जाने के बाद वो दोनों अपने अपने कमरे में आराम करने लगे थे।
शाम की चाय पर फिर से मुलाक़ात हुई और इस बार राजीव ने उसे पकड़कर चूमते हुए कहा: कान के उतार क्यों दिए?
मालिनी: पापा जी इतने महँगे गहने कोई घर में थोड़ी पहनता है ।
फिर वह चाय लाई और उसके बग़ल में बैठ कर बोली: पापा जी , जब आप ऐसे वातावरण में पले हैं तो आपने ये सब अपने घर में भी क्यों नहीं किया? मतलब सासु माँ और महक दीदी भी शिवा से करवा सकती थी ना? फिर आपने यह क्यों नहीं होने दिया। मैं शिवा के बारे में जानती हूँ कि वो मुझसे मिलने तक कुँवारा ही था। वो ये बोल कर मुस्कुराई।
राजीव: असल में सविता यानी तुम्हारी सास इसके सख़्त ख़िलाफ़ थी और घर की शांति के लिए मुझे यह मानना ही पड़ा। वरना जब महक पर जवानी आ रही थी तो मैं ही जानता हूँ कि मैंने अपने आप को कैसे सम्भाला था । उधर डॉली का भी यही हाल था। उसका पति भी इसके सख़्त ख़िलाफ़ था। इसी चक्कर में डॉली हमारे घर नहीं आयी और ना मैं उसके घर गया। हम किसी शादी या ग़मी में ही एक दूसरे से मिलते थे।
मालिनी: तो पापा जी, फिर उन डॉली बुआ जी के साथ आपका सम्पर्क अभी भी है?
राजीव: हाँ हाँ हम एक दूसरे को फ़ोन करते है। और जब भी मिलते है बहुत बातें करते है। अभी फ़ोन लगाऊँ उसको?
मालिनी: मुझे क्या पता आप जानो।
राजीव डॉली को फ़ोन लगाया और फ़ोन को स्पीकर मोड में रख दिया। डॉली: हेलो भय्या कैसे हो? आज बहुत दिन बाद अपनी बहना की याद आइ।
राजीव: अरे हम तो अक्सर तुमको याद करते हैं। और सुनाओ बहनोई की तबियत में सुधार आया?
डॉली: हाँ अब पहले से ठीक हैं पर इस हार्ट अटेक ने उनको हिला दिया है।
राजीव: तो अब चुदाई कर पाते हैं या बन्द हो गयी है?
डॉली: अरे वो पहले भी तो एक महीने में एक बार ही करते थे अब समझो वह भी बंद ही है।
राजीव ने मालिनी की चूचियाँ सहलाते हुए कहा: और तुम्हारा दामाद तो तुम्हारा ख़याल रख रहा है ना।
डॉली: अरे उसी के भरोसे तो काम चल रहा है। बहुत प्यारा है वो हर रोज़ एक बार तो अपनी अधेड़ सास को चोद ही देता है।
राजीव: उसका घर तो पास ही है ना? अब तक तो तुम्हारी बेटी को भी पता चल गया होगा।
डॉली: हाँ वो इसको ऐक्सेप्ट कर ली है। सब नोर्मल है। दामाद दोनों को संतुष्ट रखता है।
राजीव: तो अब इधर उधर मुँह मारना बंद है या अभी भी चलता है।
डॉली हँसकर: अरे वो कैसे बंद होगा। इनके दो तीन दोस्तों से तो पुरानी यारी है। वो पहले भी सेवा करते थे अब भी करते हैं। कल ही पार्टी थी। ये तो दो पेग पीकर सो गए। उनके दोनों दोस्त रात भर मुझे रगड़ते रहे। अपनी सुनाओ भय्या, सुना है बहु बहुत सुंदर है ? कहाँ तक पहुँचे उसके साथ? आप छोड़ने वाले तो है नहीं उसे ।
राजीव मालिनी को आँख मारा और लूँगी हटाकर उसके हाथ में अपना लौड़ा पकड़ा कर बोला: अरे नहीं मेरी बहु तो नगीना है। हाँ यहाँ वहाँ मुँह मैं भी मार लेता हूँ। पर बहु के बारे में ऐसा नहीं सोचा। मालिनी उसका लौड़ा सहलाते हुए सोची कि कितना झूठ बोल रहे हैं। इधर मेरे हाथ में लौड़ा दे दिए है और कहते हैं की बहु के बारे में गन्दा नहीं सोचते।
डॉली: रहने दो अब तो भाभी भी नहीं है आपको रोकने वाली। अब तो आप महक को भी नहीं छोड़ोगे , बहु क्या चीज़ है।
मालिनी चौक कर उसे देखी और वो उसके होंठ चूम लिया और बोला: अरे वो बाहर रहती है उसकी क्यों बात कर रही हो। वैसे अब तुम कभी आ जाओ तो पुरानी यादें ताज़ा हो जाएँगी।
डॉली: मैं आऊँगी तो शिवा से भी चुदवाऊँगी । बोलो मंज़ूर है?
मालिनी अब चौकी और राजीव को देखी, वो बोला: तुम जानो और शिवा या उसकी बीवी जाने। मुझे इससे क्या। हाँ अगर तुम मेरी भांजी को लाओगी तो मैं ज़रूर उसे पटा कर चोद लूँगा।
मालिनी इन भाई बहन की बातों से बहुत हैरान हो गयी थी।
डॉली: चलो कुछ प्रोग्राम बना तो बताऊँगी। बाई।
राजीव अब मालिनी को देखा तो वह उत्तेजित दिख रही थी। वह बोला: बहु , एक बार और चूस दूँ तुम्हारी बुर?
मालिनी: नहीं नहीं पापा जी। ये सब ग़लत है।
राजीव: अच्छा मेरे लौड़े को ही चूस दो प्लीज़।
मालिनी ने अपने हाथ में रखे लौड़े को देखा और पता नहीं उसे क्या हुआ कि वह झुक कर उसे चूसने लगी। हालाँकि वो चूसने के मामले में अभी भी अनाड़ी थी, पर राजीव तो सिर्फ़ यह सोचकर कि आख़िर में उसकी बहु उसकी पकड़ में आने वाली है, वह बहुत गरम हो गया। वह अब उसके बदन में भी हाथ फेर रहा था और मस्त हुए जा रहा था।क़रीब २० मिनट की चुसाई के बाद वो उसके मुँह में आऽऽऽँहहह बेटीइइइइइइ करके झड़ने लगा। मालिनी उसका पूरा वीर्य पी गई। वो अभी भी उसका लौड़ा चूसती रही जब तक एक एक बूँद रस निकल नहीं गया।
राजीव बहुत ख़ुश होकर बोला: आऽऽऽह बेटी मस्ती आ गयी तुमसे चूसवा कर। आज का दिन बहुत अच्छा है जब हम दोनों ने एक दूसरे के अंगों को चूस ही लिया।
मालिनी चुपचाप जाकर वाशबेसिन में मुँह साफ़ की और अपने कमरे में चली गयी। वहाँ जाकर एक बार से वह आत्मग्लानि से भर गयी कि वो ऐसा कैसे कर सकती है। अपने पति को जो कि उससे बेइंतहा प्यार करता है को कैसे धोना दे सकती है।उसने सोच लिया कि जो हुआ सो हुआ । अब वो अपने ससुर को बिलकुल ही लिफ़्ट नहीं देगी। और उसके साथ कोई भी ग़लत काम नहीं करेगी और ना ही उसे करने देगी। यह सोचकर उसे तसल्ली हुई और वो शिवा को फ़ोन लगाने लगी। उसने शिवा को बताया कि पापा उसके लिए एक महँगी गिफ़्ट लाए है और उसके लिए भी एक बढ़िया घड़ी लाए हैं तो वो बहुत ख़ुश हुआ। शिवा से बात करके उसको अच्छा लगा और वह अपनी आत्मग्लानि से काफ़ी हद तक बाहर आ गई। अब उसका विश्वास और बढ़ गया कि अब तक उसके ससुर और उसके बीच में जो भी हुआ था ग़लत था और उसे ये सबको यहाँ ही रोकना पड़ेगा। उसने सोचा कि पता नहीं पापा जी उसके इस नए निर्णय को कैसे लेंगे। पता नहीं क्या नई मुसीबत खड़ी होगी उसके इस निर्णय से । वह थोड़ी चिन्ता में डूब गयी।
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