ससुर कमीना और बहू नगीना
04-09-2017, 04:25 PM,
#60
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
Weekend ka update to banta hai doston ----

उस दिन और कुछ ख़ास नहीं हुआ। रात को शिवा ने मालिनी को दो राउंड चोदा। मालिनी चुदाई करवाते हुए सोच रही थी कि शिवा कितने प्यार से उसे चोद रहा है, आख़िर मैं उसे कैसे धोका दे सकती हूँ। आज शिवा भी तेल लगाकर उसकी गाँड़ में दो उँगलियाँ डालकर मालिनी को मज़े से भर रहा था। मालिनी भी अपनी कमर उछालकर मज़े ले रही थी। चुदाई के बाद दोनों संतुष्ट होकर लिपट कर सो गए। मालिनी शिवा को दिन भर की घटनाओं के बारे में कुछ भी बता नहीं पाई।

अगले दिन मालिनी सुबह फ़्रेश हुई और ब्रा पहनकर नायटी पहनी और किचन जाकर चाय बनाई। राजीव के कमरे में आवाज़ दी कि वो चाय पी ले।

राजीव बाहर आया और उसके हाथ में एक प्लास्टिक का थैला था। वो बोला: देखो बहु तुम्हारे लिए क्या लाया हूँ?

मालिनी: क्या लायें हैं पापा जी?

राजीव: बहु आज मोर्निंग वॉक से आ रहा था तो हलवाई जलेबियाँ और कचौरी निकाल रहा था। वही ले आया। मुझे सरला ने बताया कि तुमको ये पसंद है। तुमने तो कभी बताया ही नहीं।

मालिनी हँसकर: पापा जी आपने कभी पूछा ही नहीं।

वह राजीव के हाथ से थैला लेकर किचन में जाकर प्लेट में डालकर लाई। राजीव ने लाड़ दिखाते हुए उसके मुँह के पास एक जलेबी रखी और बोला: लो बहु एक मेरे हाथ से खाओ।

मालिनी हँसती हुई मुँह खोली और बोली: नूरी के आने की ख़ुशी में। वह जलेबी खाते हुए बोली: आपने उसे मेरा नम्बर दिया है शायद। उसका sms आया है कि वो दिल्ली से जहाज़ में बैठकर निकल चुकी है। उसका जहाज़ अभी एक घंटे में आ जाएगा। वह हमारे घर ३ बजे तक आएगी।

राजीव: हाँ मुझे भी यही sms आया है। उसकी आंटी उसे लेने एयरपोर्ट पहुँचेगी। चलो शाम को मज़ा आएगा। उसने आँख मारते हुए कहा।

मालिनी चाय के कप रखने किचन में गयी तो वह भी उसके पीछे पीछे गया और वहाँ जाकर मालिनी को पीछे से पकड़कर अपने से चिपका लिया। उसके पेट के हिस्से को सहला कर बोला: सच में तुम बहुत ही प्यारी लड़की हो, पर पता नहीं मुझसे दूर दूर क्यों रहती हो।

मालिनी अपने आप को छुड़ाने की कोशिश की और उसके चूतर उसके लौड़े से रगड़ गए। वह बोला: अच्छा बताओ कल रात शिवा ने चुदाई की थी?

मालिनी: आऽऽऽह छोड़िए ना प्लीज़।

राजीव: बताओ ना चोदा कि नहीं उसने?

मालिनी ने महसूस किया कि उसका लौड़ा अब उसे चुभने लगा है। वो बोली: उफफफफ आप भी ना। हाँ दो बार किया था। बस अब छोड़िए।

राजीव: दो बार क्या किया था?

मालिनी: आऽऽहहह चुदाई की थी और क्या करते हैं।

राजीव: और भी बहुत कुछ करते हैं। जैसे बुर चूसते हैं । वो चूस था तुम्हारी इस प्यारी सी मुनिया को? उसने नायटी के ऊपर से उसकी बुर को दबाकर पूछा?

मालिनी: उइइइइइ हाँ चूसे थे। हमेशा चूसते है। छोड़िए ना प्लीज़।

उसने मालिनी का हाथ पकड़कर अपने खड़े लौड़े पर रखा और बोला: और तुमने उसका ये यानी लौड़ा चूसा था?

मालिनी: आह्ह्ह्ह्ह्ह पापा जी छोड़िए ना। हाँ चूसा था और हमेशा चूसतीं हूँ।

राजीव: आऽऽऽऽऽऽह बहु मेरा कब चूसोगी?

वो बोली: कभी नहीं। मैं अपने पति को धोका नहीं दे सकती।

राजीव अभी भी उसका हाथ पकड़कर उससे अपना लौड़ा दबवा रहा था। वह उसकी बुर दबा कर बोला: अच्छा कोई बात नहीं मेरा मत चूसो पर मुझसे यह अपनी मुनिया तो चूसवा सकती हो बहु रानी।

मालिनी: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ छोड़िए। मैं कयों चूसवाऊँ? आप नूरी का चूसो ना। मम्मी का भी तो चूसते हो आप।

राजीव हँसकर: अरे भाई आज जलन की बू आ रही है। अरे तुम मेरी बन जाओ तो ये नूरी और मम्मी को मैं घर में घुसने ही नहीं दूँगा। अभी हाँ करो और अभी नूरी को मना करता हूँ।

मालिनी हँसकर: वाह बेचारी दिल्ली से सिर्फ़ आपसे चु- मतलब करवाने आ रही है और आप ऐसा बोल रहे हो? मालिनी की बुर आज सबेरे से ही खुजाने लगी थी, पापा जी की हरकतों के कारण।

राजीव उसके गाल चूमकर; क्या करवाने आ रही है?

मालिनी हँसकर उसके लौड़े को दबाकर बोली: इससे करवाने मतलब चुदवाने आ रही है। चलिए अब छोड़िए इनको भी उठाना है। बस बहुत हो गई आपकी ज़बरदस्ती और फ़ालतू की मस्ती।

राजीव उसको एक बार और अपनी बाहों में भींचकर उसके होंठ चूमा और फिर उसे छोड़ते हुए बोला: भगवान सब देख रहा है कि तुम इस ग़रीब पर कितना ज़ुल्म ढा रही हो, पाप लगेगा इस बिचारे को सताने का। वह अपने लौड़े को मसल कर बोला।

मालिनी भी हँसकर: वाह , एक आप ग़रीब और दूसरा ये बेचारा? वाह । वह उसके लौड़े को इशारा करके बोली।

फिर दोनों हँसने लगे। राजीव ने नोटिस किया कि अब मालिनी इस तरह की बातों से विचलित नहीं हो रही है जैसे कि पहले हो जाती थी। उसका कमीना मन यह सोच कर ख़ुश था कि लौंडिया फँस रही है।

उधर मालिनी सोची कि वह पापा जी से ज़रा ज़्यादा ही खुलकर बात करने लगी है। ओह उसे क्या हुआ जा रहा है वह अब पापा जी से चुदाई जैसे शब्द बोलने में भी संकोच नहीं कर रही है। और उसकी बुर को क्या हुआ जा रहा है जो बात बात पर गरम हो जाती है। उफफफफ मैं किस चक्रव्यूह में फँसी जा रही हूँ। वह सोचते हुए शिवा की चाय बनाई और उसे उठाने के किए कमरे में गयी। वो पूरा नंगा सो रहा था। उसने उसे प्यार से देखा और उठाकर चाय पीने को कहा। वह उसे बाहों में अपने ऊपर खींचकर उसे चूमा और गुड मॉर्निंग बोला। वह भी उसे प्यार की और फिर वह फ़्रेश होने के लिए चला गया।

नाश्ता आराम से निपट गया और शिवा अपने काम पर चला गया। तभी नूरी का फ़ोन आया।

मालिनी: हेलो।

नूरी: हाय कैसी हो? मैं तो आंटी के घर में हूँ। आंटी यहाँ अकेली रहती हैं। वो स्कूल में टीचर हैं। वो स्कूल चली गयी हैं। यहाँ बस एक नौकरानी है। मैं बोर हो रही हूँ।

मालिनी: तो आ जाओ अभी । क्या दिक़्क़त है। खाना हमारे साथ खा लेना।

नूरी: सच में अभी आ जाऊँ? आंटी शाम को पाँच बजे आएँगी। इसलिए मैं चार बजे भी निकलूँगी तुम्हारे घर से तो भी हो जाएगा।

मालिनी: अभी आ जाओ। ठीक है?

नूरी: तुम बहुत अच्छी हो। तुमसे मिलने की बड़ी इच्छा है।

मालिनी हँसकर: मुझसे या पापा जी से ? हा हा ।

नूरी भी हँसकर: दोनों से ही। अच्छा आती हूँ एक घंटे में ।

मालिनी ने फ़ोन रखा और राजीव के कमरे में बाहर से आवाज़ लगाई: पापा जी।

मालिनी ने देखा कि पापा जी ने कोई जवाब नहीं दिया तो उसने दरवाज़े को धक्का दिया और देखा कि कमरा ख़ाली है। बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ सुन कर वह बाथरूम के दरवाज़े को खटखटाई और ज़ोर से बोली: पापा जी, नूरी अभी एक घंटे में ही आ जाएगी। ठीक है ना?

उसी समय दरवाज़ा खुला और सामने राजीव पूरा नंगा खड़ा था। उसका मर्दाना बदन पानी से भीगा हुआ था। उसका लौड़ा लटकते हुए भी बहुत सेक्सी लग रहा था। उसके नीचे दो बड़े से बॉल्ज़ भी बहुत प्यारे लगे मालिनी को। वह शर्माकर पलट गयी और बाहर जाते हुए बोली: बस आपको बताना था कि नूरी अभी एक घंटे में आ जाएगी।

राजीव: इतनी जल्दी? वो तो दोपहर को आने वाली थी ना।

मालिनी उसकी बात का जवाब देने को पलटी और फिर से उसे नंगा देखकर झेंपकर बोली: हाँ वो अकेली है और ख़ाली है इस लिए अभी ही आना चाहती है और मैंने हाँ कर दी है। उसने एक नज़र उसके मस्त कसरती बदन को देखा और फिर बाहर जाते हुए बोली: मैं भी नहा लेती हूँ।

राजीव: अरे बहु सुनो तो एक मिनट।

मालिनी जाते हुए फिर रुकी और पलट कर बोली: जी बोलिए।

वह मुस्कुरा कर बोला: आओ ना साथ में ही नहाते हैं। मज़ा आ जाएगा। सच में बिलकुल तंग नहीं करूँगा। वह अपने लौड़े को हिलाकर बोला।

मालिनी: धत्त पापा जी आप भी कुछ भी बोलते रहते हैं। मैं जा रही हूँ। अब वह अपने कमरे में आइ और बाथरूम में जाकर कपड़े उतारते हुए उसे पापा जी का मस्त बदन और उनके मोटे मोटे बॉल्ज़ नज़र आ रहे थे। वह सोची की पापा जी के बॉल्ज़ में कितना रस भरा हुआ है जो कि वो सब लड़कियों को माँ बना देते हैं। उसने अपनी गीली हो रही बुर को सहलाया और सोची कि आज वो तो नूरी की प्यास बुझाएँगे। उसके मन में ये सोचकर थोड़ी सी जलन हुई जिसका कारण वह ख़ुद ही नहीं समझ पाई। वो नहाने लगी।

आज मालिनी ने पहली बार घर में मम्मी का लाया हुआ टॉप और स्कर्ट पहना। वह शीशे में अपने आप को देखी। वह बला की ख़ूबसूरत दिख रही थी। टॉप उसकी छातियों को ढके हुए था और वो दोनों उभारों को और भी उभार रहे थे। स्कर्ट भी शालीन ही था। उसके घुटनो से थोड़ा नीचे तक आ रहा था। आज उसने पैंटी पहन ली थी। वो नहीं चाहती थी कि नूरी उसे बिना पैंटी के देखे। फिर उसने अपनी छातियों को छुपाने के लिए एक जैकेट सा पहना। अब सब ठीक था। जैकेट में चेन लगी थी । वो बाहर आयी और कमला को खाना बनाने में मदद करने लगी।
थोड़ी देर बाद कमला चली गयी। वह किचन से बाहर आइ तभी राजीव बाहर आए। उन्होंने लूँगी बनियान ही पहनी थी। वो मालिनी को देखकर बोले: वाह आज तो बहुत सज रही हो बहु। ऐसे ही रहा करो। बहुत प्यारी लग रही हो। फिर वो मालिनी के पास आकर बोले: ये जैकेट क्यों पहनी हो? क्यूँ मस्त छातियों को छुपा रही हो। चलो निकालो इसे। यह कहते हुए उसने उसकी जैकेट की चेन नीचे को खिंची और जैकेट के दोनों पल्ले अलग हो गए। और मस्त उभरी हुई छातियाँ उसके सामने आ गयीं जो कि टॉप के ऊपर से बहुत ही मादक लग रहीं थीं।

मालिनी ने विरोध किया पर उसकी एक ना चली। फिर राजीव ने उसके दोनों चूचियों को दबाया और बोला: इनकी सुंदरता इनको दिखाने में है बहु । इस तरह जैकेट में छिपाने में नहीं है।
मालिनी उसके हाथ हटाते हुए बोली: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ पापा जी छोड़िए ना। नूरी आने वाली है । उसकी मसल दीजिएगा। मुझे बक्श दीजिए।

राजीव हँसने लगा और अपना हाथ उसकी चूचियों से हटा लिया पर उसने उसका जैकेट तो उतार ही दिया था । मालिनी जैकेट को अपने कमरे में रखने के लिए जाने के लिए जैसे ही पलटी राजीव की आँख उसकी गाँड़ के ऊपर चुस्त स्कर्ट से झलक रही पैंटी के किनारों पर पड़ी। वह फिर उसको कमर से पकड़ लिया और उसकी गाँड़ को दबाते हुए बोला: बहु आज पैंटी क्यों पहन ली? तुमने तो घर में पहनना छोड़ दिया था ना?

मालिनी झल्लाती हुई: पापा जी क्या स्कर्ट के नीचे भी पैंटी ना पहनूँ? साड़ी या सलवार के नीचे ना पहनूँ तो चल जाता है पर स्कर्ट के नीचे तो पहनना ही पड़ता है।

राजीव: अरे बहु क्यों पहनना पड़ता है? आख़िर मैं अकेला ही तो हूँ तो घर में और वैसे भी तुम्हारी बुर देखने के लिए मरा जा रहा हूँ। तुम ऐसे तो दिखाती नहीं हो, शायद ग़लती से ही दिख जाए तो मज़ा आ जाए।

मालिनी: आपको अपना सब कुछ दिखाने वाली आ रही है अभी। उसका सब देख लेना। चलिए अब छोड़िए मुझे।

राजीव उसकी गाँड़ दबाकर बोला: बहु तुमसे एक रिक्वेस्ट है, मानोगी?

मालिनी: बोलिए। वो अब राजीव की हरकतों से गरम हो रही थी उसका हाथ अभी भी उसकी गाँड़ की गोलाइयों को दबा रहा था।

वह बोला: बहु आज भी मैंने एक पल्ला खिड़की का खोल दिया है। मैं चाहता हूँ कि तुम आज हमारी चुदाई देखो।

मालिनी सन्न रह गयी। उफफफफ कितना खुलकर ऐसी गंदी बातें करते हैं। वो कुछ नहीं बोली।

वो फिर से बोला: देखोगी ना हमारी चुदाई? मैं ऐसा करता हूँ कि जब तुमको बुलाना होगा तो मैं तुमको एक मिस्ड कॉल दूँगा। तुम समझ जाना कि तुम्हारे लिए मेरा शो चालु हो गया है। बोलो आओगी ना? अब वह उसकी गाँड़ मसलता हुआ उसके गाल भी चूमने लगा।

मालिनी ने अब छूटने का प्रयत्न किया और बोली: पता नहीं।

तभी कॉल बेल बजी। मालिनी बोली: नूरी आ गयी लगता है।

राजीव: आने दो उसे, जब तक तुम नहीं बोलोगी कि तुम आकर देखोगी खिड़की से मेरी मिस्ड कॉल के बाद, मैं नहीं छोड़ूँगा।

मालिनी: अच्छा ठीक है छोड़िए ना , आ जाऊँगी देखने । बस अब छोड़िए ना।

राजीव ने उसे चूमा और छोड़ दिया। उसने अपने बदन के कपड़े ठीक किए और दरवाज़ा खोली।सामने एक भरे बदन की बहुत गोरी अच्छे नाक नक़्श की एक लड़की अपनी गोद में एक बच्चा लेकर खड़ी थी। बच्चा सो रहा था ।

मालिनी: नूरी दीदी?

नूरी: हाँ और तुम मालिनी?

मालिनी: जी दीदी । आइए प्लीज़।

वह अपना एक बैग और पर्स लेकर आयी और बोली: इसे कहाँ सुला दूँ?

मालिनी: मेरे कमरे में सुला दीजिए।

नूरी ने बच्चे को बिस्तर पर लिटाया और फिर सीधी खड़ी हुई और मालिनी को गले लगा ली। मालिनी की गोल पुष्ट छातियाँ उसकी पहाड़ जैसी छातियों से टकरा रहीं थीं। नूरी ने एक टॉप पहना था जिसमें से उसकी ब्रा भी दिख रही थी और नीचे उसने जींस पहनी थी जो उसके विशाल चूतरों से चिपकी हुई थी। फिर नूरी बोली: यार तीन साल पहले मेरा फ़िगर भी तुम्हारे जैसा ही था जब मैं अंकल से मिली थी। बच्चा होने के बाद शरीर काफ़ी बदल जाता है।

मालिनी: दीदी, आप तो अभी भी बहुत सेक्सी दिख रही हो। पापा जी तो फ़िदा हो जाएँगे।

वो हँसकर: अरे उनका क्या है? उनको तो बस तो मस्त चूचियाँ और एक छेद मिल जाए तो उनका काम हो जाता है।

मालिनी: छी दीदी आप भी कैसी बातें कर रही हैं। चलिए आपको पापा जी से मिलवाती हूँ।

बाहर आकर मालिनी ने देखा कि पापा वहाँ भी नहीं हैं। वह उनके कमरे के बाहर से आवाज़ लगाई: पापा जी नूरी से नहीं मिलना क्या?

राजीव बाहर आकर बोला: वो तो तुमसे मिलने आई है , देखो ना सीधे तुम्हारे कमरे में चली गई। मेरे पास तो आइ नहीं। फिर जैसे ही उसकी नज़र नूरी पर पड़ी वह सब ग़ुस्सा भूल गया। उसकी आँखों में एक चमक दौड़ गयी और उसने बाँहें फैलाकर कहा: wow क्या दिख रही हो जान। पहले से भी ज़्यादा मस्त भर गयी हो। आओ मेरी बाहों में आओ ।

नूरी भी बाँहें फैलाकर उसकी तरफ़ जाकर उससे लिपट गयी। राजीव को मज़बूत बाहों ने उसे जकड़ लिया और वह उसके गाल चूमता हुआ अब उसके होंठ चूसने लगा। उसके हाथ उसकी पीठ , नंगी कमर से होता हुआ उसके बड़े। बड़े चूतरों तक जा पहुँचा था। अब वह उसकी गाँड़ की गोलाइयों को नाप रहा था। ये सब देखकर मालिनी की हालत ख़राब होने लगी।
उसे मन ही मन जलन की भावना से भर गई। उसे ख़ुद पर हैरानी हुई कि वह इस तरह से क्यों सोच रही है।

मालिनी: अच्छा तो मैं चलती हूँ। दीदी आप चाय पीयोगि क्या?

रेणु अपने आप को छुड़ाकर बोली: हाँ ज़रूर पियूँगी। चलो बनाते हैं। फिर राजीव को बोली: आप बैठो हम चाय लाते हैं।

वो दोनों किचन में चली गयी। मालिनी: आपको तो पापा जी बहुत प्यार करते हैं ।

नूरी: तुम अपना बताओ कि तुम दोनों के बीच क्या चक्कर है? अंकल को जहाँ तक मैं जानती हूँ वो तुम्हारे जैसे हॉट और मस्त माल को छोड़ने वाले हैं नहीं। चुदवा चुकी हो क्या उनसे?


मालिनी उसकी बात सुनकर सन्न होकर बोली: ऐसा कुछ नहीं है। मैं अपने पति से बहुत प्यार करती हूँ।

नूरी: तो क्या मैं नहीं करती अपने पति से प्यार। वो मुझे भी प्यारे हैं। पर उनको बच्चा भी चाहिए इसलिए मैं इनके पास आयीं हूँ। अब वो मुझे अभी तुम्हारे घर में चोदेंगे और तुम्हारी जानकारी में ही। इसका मतलब तो ये हुआ ना कि तुम दोनों का रिश्ता ससुर और बहु से कुछ आगे का भी है। क्या कहती हो?

मालिनी: ऐसा कुछ नहीं है। वो मेरे को बोले कि तुमको उनकी मदद चाहिए तो मैंने आप दोनों की मदद कर दी। बस इतना ही है। और कुछ नहीं।

मालिनी चाय लेकर बाहर आयी। नूरी राजीव के पास बैठी और मालिनी सामने बैठकर चाय पीने लगी। राजीव उसकी जाँघ दबाकर बोला: जान मस्त भर गयी हो। देखो जाँघे भी मांसल हो गयीं है। फिर वह उसकी एक चूची को हाथ में लेकर जैसे उसका वज़न तौलने लगा और बोला: ये भी मस्त भारी हो गई है। पिछली बार ये सख़्त थे और छोटे भी थे जैसे अभी मालिनी के हैं।

मालिनी को तो जैसे काटो ख़ून नहीं। वो बोली: पापा जी आप क्या बोले जा रहे हो?

राजीव हँसकर : अरे मैंने तो मज़ाक़ किया है। नूरी ये मैं अपने अनुभव से नहीं बल्कि अन्दाज़ से कह रहा हूँ कि शायद मालिनी के ऐसे होंगे। वैसे मैंने कभी उसके छुए नहीं हैं। वह झूठ बोलकर मुस्कुराया।

मालिनी की जान में जान आयी। वो अब थोड़ी सामान्य हो गयी। फिर राजीव ने नूरी को कहा: चलो जानू अब चुदाई शुरू करें।

नूरी: आपको अपनी बहू के सामने ये सब बोलते हुए अजीब नहीं लगता।

राजीव: अरे उससे सहमती लेकर तो तुम्हारी चुदाई की प्लानिंग की है। अब उसके सामने कैसा छिपाना। क्यों बहु ठीक है ना? यह कहते हुए उसने नूरी को अपनी गोदी में खिंच लिया और उसे चूमते हुए उसकी मस्त गाँड़ पर हाथ फेरने लग। फिर उसने उसे एक झटके से गोद में उठा लिया और नूरी ने भी अपने हाथ उसकी गरदन में डाल दिए। अपने पैरों को हवा में झुलाते हुए वह हँसती हुई बोली: अंकल मैं भारी हो गयी हूँ, गिरा मत देना।

राजीव हँसते हुए उसको बेडरूम की ओर ले जाते हुए बोला: कोई अपनी जान को गिराता है भला। और तुमको चोट लग गयी तो चुदाई कैसे होगी। फिर उसने मालिनी को आँख मारी और खिड़की की ओर इशारा करके चुदाई देखने का निमंत्रण सा दिया।

मालिनी ने अपनी नज़रें झुका लीं। वह अपने कमरे में गयी और सोते हुए बच्चे के पास लेट गयी।

उधर राजीव ने नूरी को कमरे में जाके खड़ा किया और बोला: यार मस्त माल हो गयी हो। चलो अपने कपड़े उतारो। यह कहते हुए उसने उसका टॉप उतार दिया और ब्रा में उसके बड़े बड़े मम्मे देखकर वह उनको ब्रा के ऊपर से सहलाया और चूमने भी लगा। नूरी भी मस्ती से उसके सिर को अपनी छाती में दबाने लगी। अब उसने उसकी ब्रा भी खोल दी और उसके बड़े बड़े दूध अपने ही वज़न से नीचे को हो गए। राजीव ने मस्ती में आकर उनको दबाया और फिर चूसने लगा और निप्पल को ऐंठने भी लगा। नूरी आऽऽऽह कर उठी। अब वो झुक कर बैठा और उसकी जींस खोला और पैंटी समेत उसे उतार कर नंगी करके उसकी जाँघों और बीच में छुपी बुर को घूरने लगा। वो अब उसकी जाँघों को सहलाया और उनको फैलाकर उसकी बुर को देखा और फिर वहाँ नाक ले जाकर सूँघा और फिर उसे चूम लिया। अब उसने उसके चूतरों को सहलाया और उसको घुमाकर उनको भी दबाने लगा और चूमने भी लगा। फिर उसने उसके चूतरों को फैलाया और उसकी गाँड़ को भी सूँघा और उस छेद को ऊँगली से सहलाया। तभी नूरी बोली: हटिए अभी , मुझे बाथरूम जाना है।

वह मुस्कुराया और फिर वह खड़ा हुआ और बोला: जान मस्त माल बन गयी हो, एक बच्चे के बाद। सब कुछ गदरा गया है। गाँड़ का छेद भी गदराया हुआ है साला। ठीक है जाओ मूत के आओ मैं भी नंगा होता हूँ।

वह अपनी गाँड़ मटकाती हुई बाथरूम चली गयी और राजीव भी कपड़े निकालकर नंगा हो गया। फिर वह भी बाथरूम में घुसा और उसने देखा कि वो अपनी बुर और गाँड़ में साबुन लगा रही थी। फिर वह उसे धोने लगी।

राजीव मुस्कुराया: तो तय्यारी कर रही हो चटवाने की।

नूरी: हाँ मैं नहीं चाहती कि आप बीमार पड़ जाओ। मुझे पता है आप तो सब जगह को चाटोगे ही।

वह भी मूतने के बाद शॉवर से अपने लौड़े और आसपास के हिस्से को साफ़ किया और बोला: लो मैंने तुम्हारे लिए भी सफ़ाई कर दी है।

वह हँसती हुई आइ और तौलिए से उसके लौड़े और बॉल्ज़ के हिस्से को पोछते हुए एकदम से नीचे बैठी और उसके लौड़े को भूक़े की तरह चूसने लगी। उसके चूसने से वह पूरा खड़ा हो गया। अब राजीव ने उसे उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर आकर उसके होंठ चूसने लगा। उसकी चूचियाँ उसके दोनों पंजों में दबी हुई फड़फड़ा रहीं थीं। वह निपल्ज़ भी ऐंठे जा रहा था।

नूरी भी अपने होंठ चूसवा कर मस्ती से उसकी पीठ को दबाए जा रही थी। अब वह उसकी चूचियाँ चूसने लगा। नूरी की आऽऽऽऽहहह निकलने लगी। अब राजीव ने नूरी की नज़र बचा कर अपने मोबाइल से मालिनी को मिस्ड कॉल दी। फिर वह नूरी के पेट और नाभि को चूमते हुए उसकी जाँघें चूमने लगा।

अब वह उठकर दो तकिए लाया और नूरी ने अपनी कमर उठाकर अपने चूतर उस पर रख दिए। अब वो उसकी बुर, जो पूरी तरह से उभर आइ थी ,को सहलाने लगा। अब उसने चुपके से खिड़की की तरफ़ देखा पर उसे वहाँ कोई नज़र नहीं आया।

उधर मालिनी बैठे हुए ये सोच रही थी कि पापा और नूरी मज़े ले रहे होंगे। पता नहीं पापा आज किस आसन में उसे चोदेंगे। उसकी बुर अब गीली होने लगी थी। तभी जब उसकी बेचैनी चरम सीमा पर पहुँची तभी पापा का मिस्ड काल आया। वो तो जैसे उसी का इंतज़ार कर रही थी। वह एकदम से उठी और खिड़की के पास आकर पर्दा हटायी और अंदर झाँकी। उफफफफ पापा भी क्या मज़ा दे रहे थे नूरी को, बस देखते ही बनता था।

राजीव उस समय उसकी दोनों टांगों को हवा में उठा कर पूरी फैलाया हुआ था। अब वह अपनी जीभ उसके गाँड़ के छेद से लेकर उसकी बुर के ऊपर तक ला कर नूरी को उइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽ कहने पर मज़बूर कर दिया था। ऐसा उसने कई बार किया और फिर उसने बुर को खोला और अपनी जीभ डालकर वह अपनी जीभ से चुदाई करने लगा। नूरी अपनी गाँड़ उछालकर मज़े से चिल्ला रही थी: आऽऽऽऽह और चूसोओओओओओओ उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मज़ाआऽऽऽऽऽ देतें हैं आऽऽऽऽऽऽऽऽप । दुनिया में ऐसा कोई नहीं चूस सकता आऽऽऽहहहह।

राजीव अपना सिर उठा कर: क्यों तुम्हारा पति नहीं चूसता इसको? और वह फिर से चूसने लगा।

नूरी: हाँ चूसते हैं पर आऽऽऽऽऽऽह आऽऽऽऽऽऽप सबसे अच्छाआऽऽऽऽऽऽऽऽऽ चूसते होओओओओओओओओ उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़।

मालिनी आँखें फ़ाडे देख रही थी कि नूरी कैसी दीवानी हुई जा रही थी। अब नूरी बोली: हाऽऽऽय्यय रुकोओओओओओओ ,नहीं तो मैं झड़ जाऊँगी। राजीव ने मुस्कुराते हुए अपना मुँह वहाँ से हटाया और अपने गीले मुँह को पोंछकर वह उठकर अपने लौड़े को उसके मुँह के पास लाया और उसने खिड़की की ओर देखा और वहाँ उसे पता चल गया की मालिनी खड़ी है तो वह उसे आँख मारा और नूरी के मुँह में अपना लौड़ा डाला और उसके मुँह को मानो चोदने लगा। नूरी ह्म्म्म्म्म करके चूस रही थी। और वह बॉल्ज़ भी सहला रही थी।

अब वह अपना लौड़ा उसके मुँह से निकाला और थूक से सने लौड़े को उसकी बुर में सेट करके उसने धीरे से धक्का मारकर लौड़ा अंदर करना शुरू किया मालिनी को साफ़ साफ़ पापा का मोटा लौड़ा नूरी की गहराई में धँसता हुआ दिख रहा था और मारे उत्तेजना के उसके पैर काम्पने लगे थे। अब उसकी बुर भी पनिया गई थी। उसके हाथ अपनी बुर और चूचि पर चले गए।

उधर राजीव ने अब नूरी को ज़बरदस्त तरीक़े से चोदना शुरू कर दिया था। वह भी अपनी गाँड़ उछालकर चिल्ला रही थी: आऽऽऽऽऽऽह अंकल और जोओओओओओर से चोओओओओओदो । उइइइइइइइ फट गयीइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽ मर गयीइइइइइइइइइ। आऽऽऽऽऽह कितना मज़ाआऽऽऽऽ आऽऽऽऽता है जीइइइइइइइइ। फ़ाआऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽड़ दो। अब मैं गईइइइइइइइइ।

उधर फ़च फ़च की आवाज़ के साथ राजीव के धक्के भी अब ज़ोरदार हो चलें थे। वह भी आऽऽहहहह करके झड़ने लगा।

नूरी अब आराम से लेटकर बोली: आपने आज बहुत मज़ा दिया। क्या मस्त चुदाई करते है आप। आपका लौड़ा मेरी बच्चेदानी को ठोकर मार रहा था। आऽऽऽऽऽह क्या बताऊँ कितना सुख मिला आज बहुत सालों के बाद । उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मस्त चोदतें हैं जी आप।

मालिनी की ऊँगली अब उसके बुर में थी और वह नूरी की बात सुन कर वह सोची कि ये नूरी तो उनसे चुदकर मस्त हो गयी है। और आगे भी चुदवाएगी। और एक मैं बेवक़ूफ़ जिसको पापा और उनका ये मस्त लौड़ा हमेशा आराम से रोज़ मिल सकता है, मैं उसको ठुकरा रहीं हूँ। उधर पापा देखो ना किस तरह से नूरी के बग़ल चाट रहे हैं और उसकी बुर को कपड़े से साफ़ कर रहे हैं। आऽऽऽऽह फिर नूरी उनके नरम लौंडे और बॉल्ज़ से खेलने लगी।मालिनी सोची- आऽऽऽऽंह यहाँ तो मेरा हाथ होना चाहिए ।फिर नूरी लौड़े को सूंघी और बोली: आऽऽऽह अंकल क्या मस्त गंध है ह्म्म्म्म्म और वह उसे चाटने लगी।

मालिनी की बुर ने पानी छोड़ दिया। उफफफफ क्या हो गया है उसे। वह कांपते पैरों से वापस आयी अपने कमरे में और बाथरूम में जाकर वापस आइ। तभी बच्चा जग गया। वह उसे गोद में लेकर दूध का गिलास दी और फिर उसके साथ खेलने लगी।

मालिनी सोची कि उधर शायद पापा इस लड़के की माँ की दूसरी राउंड की चुदाई की तय्यारी कर रहें होंगे। उसे देखना ही होगा कि दूसरी राउंड में पापा उसे कैसे चोदतें हैं???

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RE: ससुर कमीना और बहू नगीना - by desiaks - 04-09-2017, 04:25 PM

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