RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
आज छुट्टी थी तो एक बड़ा सा अपडेट तो बनता है दोस्तों----
अगली सुबह मालिनी सुबह उठी और फ़्रेश होकर ब्रा और पेटिकोट और नायटी पहनी। आज उसने पेटिकोट इसलिए पहनी कि ताऊ जी भी थे। जब वह किचन में गयी तो मम्मी को वहाँ देखकर हैरान रह गयी। उन्होंने भी अभी ब्रा और पेटिकोट पहना था नायटी के नीचे। मम्मी की मुस्कान ने मालिनी के मन की सारी कड़वाहट को धो धिया और वह उनसे लिपट कर प्यार करने लगी। सरला ने उसके गाल को चूमा और बोली: चल आज मुझे चाय बना लेने दे ।
मालिनी: ठीक है आप बनाओ , मैं मदद करती हूँ । फिर माँ बेटी मिलकर नाश्ते की तय्यारी में लग गयीं।
मालिनी सरला दो देखते हुए सोच रही थी कि अभी इनको देखकर कौन कहेगा कि ये रात को दो मर्दों के साथ एक रँडी की तरह व्यवहार कर रहीं थी। अभी वो चाय बनाते हुए एक गृहिणी लग रहीं थीं। मालिनी सोची कि हम सबके कितने रूप हैं इस जीवन में। ख़ैर वो रोज़ की तरह राजीव के कमरे के सामने जाकर आवाज़ दी: पापा जी , ताऊ जी आइए। चाय बन गयी है।
ताऊ जी की आवाज़ आयी: आते हैं बेटी अभी ।
थोड़ी देर में दोनों बाहर आए लूँगी और बनियान में। सरला और मालिनी टेबल पर बैठकर चाय पी रही थीं। वो दोनों भी आकर उनके आमने बैठ गए।चाय पीते हुए ताऊ जी बोले: बेटी बड़ा अच्छा लगा तुम सबसे मिलकर। बस नाश्ता करके हम लोग निकलेंगे।
मालिनी: ठीक है ताऊजी, ये दुकान जाते हुए आपको बस अड्डे छोड़ देंगे।
राजीव: अरे यार कुछ दिन और रहते तो ज़्यादा मज़ा आता। ये कहते हुए उसने सामने बैठी मालिनी को सबकी नज़र बचा कर आँख मार दी। मालिनी ने अपना मुँह घुमा लिया ।
सरला मुस्कुरा कर बोली: भाई सांब आप जब बुलाएँगे फिर आ जाएँगे ।
ताऊजी: अगली बार आप सब भी आयिए हमारे घर।
राजीव: हाँ जी ज़रूर आएँगे। आप सबसे मिलना तो बड़ा अच्छा लगता है। इस बार भी वह मालिनी को देखते हुए मुस्कुरा कर कहा था।
फिर सब नहाने चले गए और शिवा भी सोकर उठा और सबने साथ नाश्ता किया और फिर सरला और श्याम शिवा के साथ चले गए। अब घर में सिर्फ़ राजीव और मालिनी ही रह गए। कमला सफ़ाई कर के चली गयी थी। राजीव सोफ़े पर बैठा और बोला: बहु एक और चाय पिलाओ ना प्लीज़।
मालिनी: जी पापा जी अभी लायी। कहकर किचन में चली गयी। जब वह चाय लाई तो पापा सोफ़े पर बैठा हुआ मोबाइल में फ़ोटो देख रहे थे। चाय का प्याला सामने रख कर वह जाने लगी तो राजीव बोला: बहु बैठो और ये फ़ोटो देखो। मैं अपना चश्मा लेकर आता हूँ। मालिनी वहीं बैठ गयी और मोबाइल में फ़ोटो देखनी लगी। राजीव अपने कमरे में चला गया था चश्मा लाने।
मालिनी ने फ़ोटो देखना शुरू किया। मम्मी की फ़ोटो थी साड़ी में ,अगली फ़ोटो में वो टॉप में थी जिसमें रेस्तराँ गयीं थीं। अगली फ़ोटो में मम्मी नायटी में थी। यहाँ तक सब ठीक था। उसके बाद की फ़ोटो सब गड़बड़ थीं। अब नायटी में मम्मी के दूध दिख रहे थे। फिर अगली फ़ोटो में मम्मी पूरी नंगी खड़ी थी। सामने से और पीछे से भी फ़ोटो खींची हुई थी। अगली फ़ोटो ने मम्मी बिस्तर पर लेटकर अपनी दोनों टाँगे उठाकर और फैलाकर अपनी बुर और गाँड़ दिखा रही थी। उफफफफ मम्मी को ये क्या हो गया है। ऐसे भी कोई फ़ोटो खिंचवाता है क्या।
राजीव अचानक आकर उसके बग़ल में बैठ कर बोला: ये नंगी फ़ोटो मैंने तुम्हारे खिड़की से हटने के बाद खींची थी। क्या मस्त पोज दिया है ना तुम्हारी मम्मी ने। असल में ज़्यादा चढ़ गयी थी उसको दारू।
मालिनी को समझ नहीं आया कि वो कैसे इस बात का आवाज़ दे वह बोली: पापा जी ये फ़ोटो आप प्लीज़ डिलीट कर दीजिए।
राजीव: ज़रूर कर दूँगा जब तुम मुझे मिल जाओगी। अभी तो वो मेरे मूठ्ठ मारने के काम आएगी । वैसे तुम निश्चिन्त रहो ये मेरे पास सुरक्षित है। वैसे एक बात बताओ कल जो तुमने खिड़की से देखा , उसके बाद भी तुमको लगता है कि ज़िंदगी मज़े लेने के लिए नहीं तो और किसके लिए बनी है। देखा नहीं कि सरला ने कितना मज़ा लिया। वो एक एक पल का आनंद ले रही थी। हम दोनों भी बहुत मज़ा लिए तुमने देखा ही था।
मालिनी उठकर जाने लगी तो वह उसे पकड़कर बिठा लिया और बोला:बहु बात करोगी तभी तो बात बनेगी । ऐसे उठकर चली जाओगी तो फिर हम आगे कैसे बढ़ेंगे। अच्छा एक बात बताओ कि तुम और शिवा चुदाई करते हो तो उसमें ज़्यादा वेरायटी तो नहीं होती होगी ना? वही रोज़ रोज़ एक या दो आसनों में चुदाई करती होगी। जब तुम किसी और से चुदवाओगी तो तुमको एक अजीब सा मज़ा मिलेगा और वेरयटी भी मिलेगी। हर आदमी का चोदने का एक अपना तरीक़ा होता है और फिर लौड़े और बुर भी अलग अलग नाप और बनावट की होतीं हैं। इसलिए लोग पार्ट्नर बदल कर मज़े लेते है। कुछ समझ में आया मेरी प्यारी बहु रानी।
मालिनी पापा की बातें वो भी इतने खुले और अश्लील शब्दों में सुनकर हक्की बक्की रह गयी। वो बोली: पापा जी आप मुझसे इतनी गंदी भाषा में बात कैसे कर रहे हैं। मुझे बहुत अजीब लग रहा है।
राजीव: बहु , जब तुम खिड़की से अपनी मम्मी को चुदवाते देख सकती हो वो भी मुझसे और अपने ताऊ जी से तो ऐसी बातें तो मैं कर ही सकता हूँ। सच बताओ तुमने हमारी चुदाई देखकर अपनी बुर नहीं मसली क्या? या शिवा से उसी समय नहीं चुदवाई? दोनों में से एक काम तो किया ही होगा।
मालिंनि क्या बोलती, सच तो ये है कि उसने दोनों ही काम किया था, बुर भी मसली थी और चुदायी भी की थी । पर वह सामने से बोली: पापा जी आप ये कैसी बातें कर रहे हैं? मुझे जाने दीजिए। वह अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की।
राजीव: बहु क्यों तड़पा रही हो? मान जाओ और मज़े लो मुझसे और मुझे भी मज़ा दो। ये कहकर वो उसकी चूचि दबाने लगा। अब मालिनी की बुर गीली होने लगी पर वह विरोध करके उठी और राजीव के हाथ को अपनी चूचि से हटायी और बोली: पापा जी प्लीज़ अभी नहीं । मैं अभी तय्यार नहीं हूँ। यहकहकर वो अपने कमरे में चली गयी। वह महसूस की उसकी छातियाँ पापा के बातों से वह बहुत उत्तेजित हो चली थीऔर निप्पल्स कड़े हो गए थे। उसने अपनी बुर दबाई और बिस्तर पर लेट गयी।
उसने शिवा को फ़ोन लगाया: हेलो, आपने उनको बस चढ़ा दिया ना?
शिवा: हाँ जानू चढ़ा दिया। और क्या हाल है? उनकी याद आ रही है क्या?
मालिनी: हाँ एक दो दिन तो याद आएगी ना।
शिवा: तुम्हारे दोस्त का फ़ोन आया था।
मालिनी: मेरा दोस्त? मेरा कौन सा दोस्त पैदा हो गया?
शिवा हँसकर :वही असलम का यार। कह रहा था कब आएँगे खाना खाने। मैंने कह दिया कि तुमसे पूछ कर बताऊँगा।
मालिनी: हाँ हाँ आप तो मरे जा रहे हो ना आयशा को खाने के लिए। मेरा नाम क्यों लेते हो?
शिवा: अरे यार मैंने तो ऐसे ही कह दिया टालने के लिए। तुम ना जाना चाहो तो कोई ज़बरदस्ती थोड़े ना ले जाऊँगा
मालिनी: चलिए अब रखती हूँ।
राजीव अपने कमरे में बैठा सोच रहा था कि ये लड़की तो बहुत मुश्किल से पटेगी लगता है ।
उसके बाद कुछ दिन और कुछ नया नहीं हुआ। राजीव ने एक नया व्यवहार शुरू कर दिया था। वह अक्सर किचन में जाकर मालिनी को पकड़कर चूम लेता था और अक्सर उसकी चूचि आराम से दबा देता था। कभी कभी वह उसकी बुर और गाँड़ भी दबा देता था। मगर मालिनी हर बार उसका विरोध भी करती थी। इसी तरह चल रहा था। मालिनी अभी भी दुविधा में थी कि क्या करे और क्या ना करे।
उस दिन मालिनी और राजीव दोपहर का खाना खा रहे थे तभी राजीव का मोबाइल बजा। क्योंकि वह खाना खा रहा था उसने फ़ोन को स्पीकर मोड में डालकर कहा: हेलो। कौन बोल रहा है? मालिनी ने भी देखा कि कोई नाम नहीं आ रहा था सिर्फ़ नम्बर था।
उधर से एक लड़की जी आवाज़ आयी: अंकल मैं नूरी बोल रही हूँ।
एक मिनट के लिए राजीव उसे नहीं पहचान पाया और बोल पड़ा: कौन नूरी?
नूरी: ओह आप मुझे भूल भी गए। वाह कैसे पापा हैं आप मेरे बेटे के?
राजीव को अचानक याद आया कि ये तो वही नूरी है जिसे उसने प्रेगनेंट किया था और उसे एक बेटा भी हुआ था। वह बोला: अरे सॉरी नूरी भूल गया था। कैसी हो तुम? और हमारा मुन्ना कैसा है?
अब मालिनी ने चौंकने की बारी थी ।पापा का “हमारा मुन्ना” कहना उसे चौंका गया था। वो ध्यान से सुनने लगी।
नूरी: अंकल मैं भी बढ़िया हूँ और हमारा बेटा भी। बिलकुल आपके ऊपर गया है। आपके जैसा ही दिखता है। और स्वभाव भी आपके जैसा है।
राजीव: अरे दो साल का लड़का कैसे मेरे ऊपर गया है ?
नूरी: वो भी आपके जैसे मेरे दूध चूसता था। अब तो मैंने छुड़ा दिया है। हा हा ।
राजीव: हा हा बदमाश हो तुम। अच्छा बताओ कैसे याद आयी हमारी?
नूरी: मतलबी हूँ ना इसलिए मतलब से याद किया।
राजीव: तुम्हारी ये बात मुझे बहुत पसंद है कि साफ़ साफ़ बात करती हो। बोलो क्या काम है? तुम्हारा पति कैसा है?
नूरी: वो बहुत अच्छें हैं और उनका काम भी अच्छा चल रहा है । मैंने आपको इस लिए फ़ोन किया हाँ कि मेरे पति और ससुराल वालों को एक और बच्चा चाहिए। मैंने समझाने की बहुत कोशिश की पर सब अड़े हुए हैं। मैंने मजबूर होकर आपको फ़ोन किया।
राजीव: अरे तो क्या हुआ, बेबी। आख़िर तुम हमारी जान हो और अपनी हो। पर आजकल तुम हो कहाँ?
नूरी: मैं दिल्ली में रहती हूँ। पर आपसे मिलने मैं आपके शहर आ सकती हूँ , वहाँ एक मेरी आंटी रहती है। आपके दोस्त का फ़्लैट अब भी है क्या जहाँ हम मस्ती करते थे? वहीं अब भी मस्ती हो सकती है।
मालिनी स्तब्ध रह गयी की क्या कोई शादीशुदा लड़की अपने बाप की उम्र के आदमी से ऐसे बात कर सकती है।
राजीव: नहीं उसने वह फ़्लैट बेच दिया। अब तुमको मेरे घर पर ही आना पड़ेगा।
नूरी: आप अकेले रहते है क्या? आंटी कहाँ गयीं?
राजीव: तुम्हारी आंटी भगवान के घर चली गयीं। लेकिन अब मेरे साथ मेरा बेटा और बहु रहते हैं। बेटा तो दिन भर दुकान में रहता है और बहु घर पर ही रहती है।
नूरी: ओह तब तो गड़बड़ हो गया ना? मैं तो रोज़ आंटी के यहाँ से आपसे मिलने के लिए २ घंटे निकाल लूँगी पर आपके घर में तो बहु होगी ना। फिर कैसे होगा? आपको कोई जगह का इंतज़ाम करना पड़ेगा।
राजीव ने मालिनी को देखते हुए कहा: बेबी , मेरी बहु बहुत अच्छी है । जब मैं उसे ये बताऊँगा कि मैं तुमको माँ बनाने के लिए चोद रहा हूँ, तो वो बात को समझ जाएगी और हमारी मदद करेगी।
नूरी: आप बिलकुल नहीं बदले। आपको अभी भी चुदाई शब्द का बहुत शौक़ है। हा हा । पर आपकी बहू इसमेंआपकी मदद करेगी वो बात मेरे गले नहीं उतर रही। सच सच बताइये कि आप कहीं उसकी भी चुदाई तो नहीं कर रहें हैं?
राजीव मालिनी को आँख मारते हुए: नहीं नहीं सच में ऐसी कोई बात नहीं है। वो बहुत ही अच्छी लड़की है। वह सबकी मदद करती है, जब मैं उसे पूरी बात बताऊँगा कि तुम्हारा पति तुमको माँ नहीं बना सकता है और तुमको मेरी इसमें मेरी मदद चाहिए, तो वो तुम्हारी भी मदद करेगी।
मालिनी पापा की बात सुनकर हैरानी से भर गयी। उस लड़की को मेरे ही घर में चोदने के लिए वो मेरी मदद माँग रहे हैं। हे भगवान। इस आदमी का मैं क्या करूँ?
नूरी: तो आप अपनी बहु से बात करके मुझे बता दीजिए। असल में मेरे अन्सेफ़ पिरीयड कल से ही शुरू हो रहा है। अगर आप हाँ करोगे तो मैं कल ही फ़्लाइट से आकर दोपहर में आपसे मिलने हा हा नहीं चुदवाने आ सकती हूँ। हाँ मेरे साथ मेरा बेटा भी होगा। मैं दस बारह दिन का प्रोग्राम बनाऊँगी। इतने दिनों में तो आप मुझे प्रेगनेंट कर देंगे ना?
राजीव मालिनी को देखकर मुस्कुराकर बोला: अरे अभी कुछ महीने पहिले ही एक लड़की को एक महीने की चुदाई में माँ बना दिया है। फिर स्पीकर पर हाथ रख कर मालिनी से बोला: मैं रानी की बात कर रहा हूँ। मालिनी का चेहरा लाल हो रहा था। वह चुपचाप सुन रही थी। उसने अपना मुँह घुमा लिया।
नूरी: ओह तब तो मेरा काम भी हो जाएगा, अंकल , तो फिर कब फ़ोन करूँ आपको? आप अपनी बहु से बात करके बता दीजिए।
राजीव: अरे बेबी, मैं उससे बात करके थोड़ी देर में फ़ोन करता हूँ। अब सच बोलूँ , तुम्हारी टाइट बुर को याद करके मेरा लौड़ा खड़ा हो गया है। उफफफ क्या मज़े से चुदवाती थी तुम।
नूरी: अंकल, मेरा भी बुरा हाल है आपसे बात करके। मेरी भी बुर गीली हो रही है। क्या मज़ा करते थे हम? दो दो घंटे चुदाई करते थे। चलो ठीक है , मैं आपके फ़ोन का इंतज़ार करती हूँ। बाई।
राजीव: बाई मेरी जान।
राजीव उठा और उसकी लूँगी का उभार मालिनी को जता दिया कि वो पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका है नूरी से बात करके। वह वाशबेसिन में हाथ धोया खाना ख़त्म करके। मालिनी भी उठकर किचन में जाकर बर्तन रखी और हाथ धोते हुए सोचने लगी। क्या ये सब जो वो सुन रही है ये सम्भव है? एक लड़की माँ बनने के लिए अपने पति को धोका दे सकती है। वह फिर अपने पति से कैसे आँख मिला पाती होगी। पर ये सब सुनकर उसे उत्तेजना क्यों हो रही है। उसने अपनी बुर खुजायी और बाहर आयी। वो जानती थी की पापा अब उससे उसकी हामी के लिए पूछेंगे। पता नहीं क्या हो रहा है इस घर में।
वो किचन से बाहर आयी तो राजीव सोफ़े पर बैठा उसका इंतज़ार कर रहा था। वह बोला: बहु आओ बैठो तुमसे नूरी के बारे में बात करनी है । मालिनी चुपचाप उसके सामने वाले सोफ़े पर बैठ गयी। आज उसने सलवार कुर्ता पहना था। उसकी चुन्नी सलीक़े से उसकी बड़ी छातियों को ढकीं हुई थी।
राजीव बोला: बहु , आज मैं तुमको एक बात बताऊँगा जो कि सिर्फ़ कुछ लोगों को मालूम है, जैसे तुम्हारी मम्मी को। दरअसल में मैंने अब तक रानी को मिलाकर कुल चार लड़कियों को माँ बनाया है। नूरी को तो उसकी माँ लेकर आयी थी मेरे पास चुदवाने के लिए। इसके पहले भी एक और लड़की को उसकी सास लेकर आयी थी जिसे मैंने मॉ बनाया था।
मालिनी का मुँह खुला का खुला रह गया। वो बोली: मा और सास अपनी बेटी और बहु लेकर आयीं थीं आपके पास इस काम के लिए? क्या हो गया है दुनिया को?
राजीव: बहु, हमारे समाज में माँ नहीं बन पाने का दोष सिर्फ़ लड़की को दिया जाता है। यहाँ तक कि लड़के की दूसरी शादी की बात भी होने लगती है। फिर लड़की और उसकी माँ क्या करें? वो मेरे जैसे आदमी की मदद लेती हैं और कुछ लड़कियाँ अगर घर में ही कोई ज़ेठ या देवर या ससुर हो तो उनसे ही चुदवा कर माँ बन जाती हैं और कुछ पड़ोसी या मेरे जैसे किसी जान पहचान वाले से चुदवा लेती हैं माँ बनने के लिए। समझी तुम?
मालिनी: ओह, मैं तो ऐसा कुछ होता है सोच भी नहीं सकती थी।
राजीव: अब तुमने सुना ही है कि नूरी के ससुराल वालों को दूसरा बच्चा चाहिए। अब उसका पति हालाँकि उसे चोदकर संतुष्ट कर लेता है पर स्पर्म की कमज़ोरी के कारण उसे माँ नहीं बना सकता। अब बताओ वो क्या करे?
मालिनी: ओह , तो ये बात है।
राजीव: हाँ बहू यही बात है। अब तुम उसकी मदद कर दो और अगर उसे यहाँ दो घंटे के लिए आने दो और मुझसे चुदवाने दो तो उस बेचारी को माँ बनने का सौभाग्य प्राप्त होगा और मुझे भी फिर से एक जवान बदन को चोदने का सुख मिलेगा।
ये कहकर वो खड़ा हुआ और उसकी लूँगी में से खड़ा लौड़ा मालिनी की आँखों के सामने था। वह आकर मालिनी के पास बैठा और उसकी जाँघ सहला कर बोला: बहु, प्लीज़ हाँ कर दो। देखो मैं भी कैसे मरा जा रहा हूँ उसको चोदने के लिए। यह कहकर उसने अपनी लूँगी खोली और अपना लौड़ा हवा में झुलाकर उसको दिखाने लगा। मालिनी इतने पास बैठी थी कि उसे पापा के लौड़े की गंध भी आ रही थी। उसकी बुर भी बुरी तरह से गीली होने लगी।
वो बोली: ठीक है पापा जी आप आने दीजिए उसको। और उसकी और अपनी इच्छा पूरी कर लीजिए।
राजीव ख़ुशी से भर कर बोला: आह बहु , तुमने मुझे ख़ुश कर दिया । थैंक यू बहु । तुम बहुत अच्छी हो सच में। यह कहकर वो उसको अपनी बाँह में दबाकर चूम लिया। मालिनी इस अचानक हमले के किए तय्यार नहीं थी। फिर वह उसकी चुन्नी हटाकर उसकी एक चूची दबाने लगा। मालिनी कसमसाते हुए बोली: पापा जी छोड़िए ना प्लीज़।
मगर राजीव ने उसका हाथ अपने लौंडे पर रखा और उसके हाथ को दबाकर मूठ्ठ मारने लगा। उसके गरम लौड़े का स्पर्श उसे भी पागल करने लगा। वह अब दूसरी चूची दबाने लगा। मालिनी का हाथ अभी भी उसके लौड़े पर ही था और वह अभी भी अपने हाथ से उसे दबाकर मूठ्ठी मार रहा था।
मालिनी: आऽऽऽंहहह पापा जी छोड़िए ना।
राजीव ने करीब गिड़गिड़ाते हुए कहा: बहु, प्लीज़ एक बार मेरा पानी गिरा दो। आऽऽऽह बहुत अच्छा लग रहा है।
मालिनी समझ गयी कि बिना झड़े वो शांत नहीं होगा, तो उसने हार मान ली और अब उसके लौड़े को ख़ुद ही मुट्ठी में जकड़ कर हिलाने लगी। अब राजीव ने अपना हाथ वहाँ से हटाया और बहु की दोनों चूचियाँ दबाने लगा। मालिनी ने शर्म और उत्तेजना से अपनी आँखें बंद कर लीं और ज़ोर ज़ोर से अपने हाथ हिलाने लगी। तभी राजीव ने उसकी क़ुर्ती उठाई और सलवार के ऊपर से उसकी बुर को सहलाने लगा और उसने पाया कि वो इतनी गीली थी जैसे उसने पेशाब कर दिया हो। उसने दो उँगलियाँ सलवार के पतले कपड़े से ही उसकी बुर में डाल दीं।
मालिनी अब उइइइइइइ करके उसका लौड़ा हिलाती रही और अनजाने में अपनी कमर भी हिलाने लगी। फिर अचानक उसे लगा कि पापा आऽऽऽहहहह कर रहे हैं तो उसने आँख खोली और देखा कि उसी समय उनका लौड़ा झटका मारकर पानी छोड़ने लगा। वीर्य गाढ़ा सा काफ़ी दूर तक ज़मीन में फैल गया और उसका हाथ भी उससे गीला हो गया। तभी वो भी पापा की उँगलियों में झड़ने लगी। ऐसा पहली बार हुआ था कि वो अपने पति के अलावा किसी और से ये सब की थी।
वो चुपचाप से उठी और अपराध बोध से भरकर वह अपने कमरे में आ गयी और बाथरूम में जाकर अपने हाथ को धोने का सोची। तभी फिर उस दिन जैसे उसने पापा के वीर्य को सूँघा और फिर पता नहीं उसे क्या हुआ कि वह अपने हाथ को चाटने लगी। उफफ़ग़फ उसे क्या हो रहा है? वो इतनी कामुक कैसे होती जा रही है? ये सब सही है क्या? शिवा को ये सब पता चलेगा तो उसपर क्या बीतेगी? आऽऽऽह वह क्या करे। वह टोयलेट की सीट पर बैठकर मूतने लगी। फिर सफ़ाई करके बाहर आयी और बिस्तर पर लेट गयी। उसकी आँख लग गयी।
थोड़ी देर में राजीव अंदर आया और उसके पास आकर वह उसके माथे पर हाथ फेरा। वह हड़बड़ा कर उठने की कोशिश की। पर राजीव ने उसे कंधे दबाकर ज़बरदस्ती लेटे ही रहने को कहा। वो बोला: तो बहु, मैं नूरी को बोल दूँ ना कि वो कल से आ सकती है। देखो बाद में अपना इरादा बदल नहीं लेना।
मालिनी धीरे से बोली: ठीक है ।
राजीव: तो मैं उसे बोल देता हूँ। पर उसका बेटा भी तो आएगा, उसे तुम थोड़ी देर सम्भाल लोगी ना जब हम चुदाई करेंगे।
मालिनी: ठीक है पापा जी मैं उसे भी संभाल लूँगी।
राजीव ख़ुश होकर उसके गाल को चूम लिया। फिर वह नूरी को फ़ोन लगाया। फ़ोन को इसने स्पीकर मोड में रखा। राजीव: हेलो बेबी।
नूरी: जी अंकल क्या बोली आपकी बहू। वैसे उसका नाम क्या है।
राजीव मालिनी के माथे को सहलाते हुए बोला: उसका नाम मालिनी है और वह बहुत ही प्यारी बच्ची है। और हाँ वो मान गयी है और जिस समय हम चुदाई करेंगे वो हमारा बच्चा भी सम्भालेगी।
नूरी: सच में मालिनी बहुत अच्छी लड़की है, क्या आप मेरी उससे बात करवा देंगे?
राजीव : हाँ अभी करवाता हूँ। उसने मालिनी को फ़ोन दिया।
मालिनी ने हिचकते हुए कहा: हेलो।
नूरी: हेलो मालिनी, मैं तुमको थैंक्स कहना चाहती हूँ। तुम मेरी मदद करोगी और मुझे सम्मान से जीने का अवसर दोगी। सच में तुम बहुत अच्छी लड़की हो। भगवान तुम्हें सब ख़ुशियाँ दे।
मालिनी : अरे नहीं नहीं आप ज़्यादा सोचो मत । आप आओ और बाक़ी बच्चे को मैं संभाल लूँगी।
नूरी ख़ुश होकर: ठीक है तो फिर कल मिलते हैं। बाई ।
राजीव ने फ़ोन लेकर नूरी को कहा: अब तो कल मिलोगी ना बेबी।
नूरी: जी तीन बजे दोपहर में आती हूँ आपके पास । ठीक है?
राजीव मुस्कुरा कर अपना लौड़ा दबाया और बोला: बिलकुल बेबी मैं तो बस अब बेकरार हूँ तुमसे और हमारे बेटे से मिलने के लिए। अच्छा अब रखता हूँ। बाई ।
राजीव अब मालिनी को देखा और बोला: बहु आज मैं तुम्हारा ऋणी याने क़र्ज़दार हो गया। थैंक यू। वह झुका और उसके गाल चूम लिया और बाई कहकर उसे आराम करने को कहा और अपने कमरे में चला गया।
मालिनी आज दिन भर की घटनाओं के बारे में सोचते हुए सो गयी।
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