RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
उस दिन शाम को सरला और श्याम को लेने राजीव बस अड्डा गया। सरला बस से उतरी तो वह उसे देखता ही रह गया । काली साड़ी में उसका गोरा बदन क़हर ढा रहा था। छोटा सा ब्लाउस आधी चूचियाँ दिखा रहा था और उसकी गहरी नाभि उस पारदर्शी साड़ी में बहुत आकर्षक लग रही थी। वह अपना सामान उठाने झुकी तो उसकी सामने की क्लिवेज़ देखते ही बनती थी। दोनों गोलायीयाँ जैसे अलग अलग से मचल रही थीं बाहर आने के लिए।
श्याम भी आकर राजीव से गले मिला और सरला भी उसके पास आकर नमस्ते की। राजीव ने उसका हाथ पकड़कर दबाया और बोला: आऽऽऽंह जानू क्या क़ातिल लग रही हो?
सरला: हा हा आपका चक्कर चालू हो गया। आप भी बहुत स्मार्ट लग रहे हो।
राजीव श्याम से बात करता हुआ सरला के पीछे चलने लगा। उफफफ क्या मस्त चूतर हैं। कैसे मटक रहे हैं। कार में बैठने लगे तो सरला को आगे बैठने को कहा। श्याम पीछे बैठा। कार चला कर वह सरला को बोला: आज तो काली साड़ी में तुम्हारा गोरा बदन बहुत चमक रहा है। उसने सरला की जाँघ दबाकर कहा।
सरला: आप ही तो बोले थे की सेक्सी साड़ी पहनना , तो मैं ये पहन ली। आपको अच्छी लगी चलिए ठीक है।
वह राजीव के हाथ के ऊपर अपना हाथ रखी और दबाने लगी।
राजीव : और श्याम भाई क्या हाल है? हमारी जान का ख़याल रखते हैं ना?
श्याम: हाँ जी रखते हैं। पर ये तो आपको बहुत याद करती रहती है।
राजीव: सच मेरी जान? ये कहते हुए उसने सरला की बुर को साड़ी के ऊपर से दबा दिया।
सरला मज़े से टाँगें फैला दी ताकि वह मज़े से उसको सहला सके। वह बोली: अरे घर जाकर ये सब कर लीजिएगा । अभी कार चलाने पर ध्यान दीजिए।
राजीव: क्या करें सबर ही नहीं हो रहा है। देखो कैसे खड़ा है तुम्हारे लिए? राजीव ने अपना लौड़ा पैंट के ऊपर से दबाकर कहा। सरला भी आगे आकर उसके पैंट के ऊपर से लौड़े को दबाकर मस्ती से भर उठी। फिर बोली: आऽऽह सच में बहुत जोश में है ये तो। फिर वह उसे एक बार और दबाकर अपनी जगह पर आके बैठी और बोली: आज तो ये मेरी हालत बुरी करने वाला है। सब हँसने लगे।
घर पहुँच कर सरला मालिनी से लिपट गयी और प्यार करने लगी। मालिनी भी सब कुछ भूलकर उससे लिपट गयी। फिर मालिनी श्याम से मिली और श्याम ने भी उसे प्यार किया।
अब सब लोग सोफ़े पर बैठे और मालिनी चाय बनाने चली गयी। राजीव पहले ही समोसे और जलेबियाँ ले आया था। वह उसे सजाने लगी, तभी सरला किचन में आयी और मालिनी से बोली: बेटी ख़ुश हो ना यहाँ? शिवा के साथ अच्छा लगता है ना? तुमको ख़ुश तो रखता है?
मालिनी: उफ़्फ़ मम्मी आप भी कितने सवाल पूछ रही हो। मैं बहुत ख़ुश हूँ और शिवा मेरा पूरा ख़याल रखते हैं।
सरला: चलो ये बड़ी अच्छी बात है। भगवान तुम दोनों को हमेशा ख़ुश रखे।
मालिनी: चलो आप बैठो मैं नाश्ता लेकर आती हूँ।
सरला भी उसकी मदद करते हुए नाश्ता और चाय लगाई। सब नाश्ता करते हुए चाय पीने लगे।
सरला: शिवा कब तक आएँगे?
राजीव: उसको आज जल्दी आने को कहा है आता ही होगा।
मालिनी: मम्मी आपका सामान महक दीदी वाले कमरे में रख देती हूँ। ताऊ जी आपका सामान पापा जी के कमरे में रख दूँ क्या?
राजीव: अरे बहु तुम क्यों परेशान होती हो, मैं भाभी का समान रख देता हूँ , चलो भाभी आप कमरा देख लो। और हाँ बहु तुम शिवा को फ़ोन करो और पूछो कब तक आ रहा है।आओ श्याम जी आप भी देख लो कमरा।
तीनों महक वाले कमरे में सामान के साथ चले गए। मालिनी शिवा को फ़ोन करने का सोची। तभी उसे महसूस हुआ कि ये तीनों कमरा देखने के बहाने उस कमरे में क्यों चले गए। शायद मस्ती की शुरुआत करने वाले हैं। मुझे बहाने से अलग किया जा रहा है। ओह तो ये बात है , वह चुपचाप उस कमरे की खिड़की के पास आइ और हल्का सा परदा हटाई और उसकी आँखें फटी की फटी रह गयीं।
सामने मम्मी पापा जी की बाहों में जकड़ी हुई थी और दोनों के होंठ चिपके हुए थे ।पापा जी के हाथ उसकी बड़ी बड़ी गाँड़ पर घूम रहे थे। ताऊ जी भी उनको देखकर मुस्कुरा रहा था और पास ही खड़ा होकर मम्मी की नंगी कमर सहला रहा था। फिर राजीव सरला से अलग हुआ और उसकी साड़ी का पल्ला गिराकर उसकी ब्लाउस से फुली हुई चूचियों को दबाने लगा और उनके आधे नंगे हिस्से को ऊपर से चूमने लगा। उधर श्याम उसके पीछे आकर उसकी गाँड़ सहलाए जा रहा था
मालिनी की बुर गरम होने लगी और उसके मुँह से आह निकल गयी। तभी पापा जी ने कहा: अरे क्या मस्त माल हो जान। सच में देखो लौड़ा एकदम से तन गया है।
मम्मी: आज छोड़िए अब मुझे, रात को जी भर के सब कर लीजिएगा। फिर हाथ बढ़ाके वह एक एक हाथ से पापा और ताऊ के लौड़े को पैंट के ऊपर से दबाते हुए बोली: देखो आपकी भी हालत ख़राब हो रही है, और मेरी भी बुर गीली हो रही है।
पापा नीचे बैठ गए घुटनो के बल और बोले: उफफफफ जान, एक बार साड़ी उठाके अपनी बुर के दर्शन तो करा दो। उफफफ मरा जा रहा हूँ उसे देखने के लिए।
मालिनी एकदम से हक्की बक्की रह गयी और सोची कि क्या उसकी बेशर्म मॉ उनकी ये इच्छा भी पूरी करेगी। और ये लो मम्मी ने अपनी साड़ी और पेटिकोट उठा दिया। पापा की आँखों के सामने मम्मी की मस्त गदराई जाँघें थी जिसे वो सहलाने लगे थे। और उनके बीच में उभरी हुई बिना बालों की बुर मस्त फूली हुई कचौरी की तरह गीली सी दिख रही थी। पापा ने बिना समय गँवाये अपना मुँह बुर के ऊपर डाल दिया और उसकी पप्पियां लेने लगे। मम्मी की आँखें मज़े से बंद होने लगी। फिर उन्होंने पापा का सिर पकड़ा और ही वहाँ से हटाते हुए बोली: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ बस करिए। मालिनी आती होगी।
पापा पीछे हटे और मालिनी की आँखों के सामने मम्मी की गीली बुर थी। तभी पापा ने उनको घुमाया और अब मम्मी के बड़े बड़े चूतर उसके सामने थे। मालिनी भी उनकी सुंदरता की मन ही मन तारीफ़ कर उठी। सच में कितने बड़े और गोल गोल है। पापा ने अब उसके चूतरों को चूमना और काटना शुरू कर दिया। मम्मी की आऽऽहहह निकल गई। फिर पापा ने जो किया उसकी मालिनी ने कभी कल्पना नहीं की थी। पापा ने उसकी चूतरों की दरार में अपना मुँह डाला और उसकी गाँड़ को चाटने लगे।उफफगग ये पापा क्या कर रहे हैं ।मम्मी भी हाऽऽऽय्यय कर रही थी। फिर वह आगे बढ़के उससे अपने आप को अलग की और अपनी साड़ी नीचे की और बोली: बस करिए आप नहीं तो मैं अभी के अभी झड़ जाऊँगी। उफफफफ आप भी पागल कर देते हो।
पापा उठे और अपने लौड़े को दबाते हुए बोले: ओह सच में बड़ी स्वाद है तुम्हारी बुर और गाँड़ । वाह मज़ा आ गया।
मम्मी: आप दोनों ऐसे तंबू तानकर कैसे बाहर जाओगे। मालिनी क्या सोचेगी। आप दोनों यहाँ रुको और थोड़ा शांत होकर बाहर आना । यह कहते हुए मम्मी ने बड़ी बेशर्मी से अपनी बुर को साड़ी के ऊपर से रगड़ी और बाहर आने लगी। मालिनी भी जल्दी से किचन में घुस गयी। उसकी सांसें फूल रही थी और छातियाँ ऊपर नीचे हो रहीं थीं। उसकी बुर गीली हो गयी थी। तभी सरला अंदर आइ और मालिनी उसे देखकर सोची कि इनको ऐसे देखकर कोई सोच भी नहीं सकता कि ये औरत अभी दो दो मर्दों के सामने अपनी साड़ी उठाए नंगी खड़ी थी और अपनी बुर और गाँड़ चटवा रही थी।
सरला: बेटी शिवा से बात हुई क्या? कब आ रहा है वो? कितने दिन हो गए इसे देखे हुए?
मालिनी: हाँ मम्मी अभी आते होंगे। दुकान से निकल पड़े हैं।
तभी शिवा आ गया और उसने सरला के पाँव छुए। तभी राजीव और श्याम कमरे से बाहर आए और ना चाहते हुए भी मालिनी की आँख उनके पैंट के ऊपर चली गयी और वहाँ अब तंबू नहीं तना हुआ था। उसे अपने आप पर शर्म आयी कि वह अपने ताऊजी और ससुर के लौड़े को चेक कर रही है कि वो खड़े हैं कि नहीं! छी उसे क्या हो गया है, वह सोची।
फिर सब बातें करने लगे और शिवा के लिए सरला चाय बना कर लाई। शिवा: मम्मी आप बहुत अच्छी चाय बनाती हो, मालिनी को भी सिखा दो ना।
मालिनी ग़ुस्सा दिखाकर बोली: अच्छा जी , अब आप ख़ुद ही चाय बनाइएगा अपने लिए।
सब हँसने लगे। राजीव: शिवा मुझे तो बहु के हाथ की चाय बहुत पसंद है। वैसे सिर्फ़ चाय ही नहीं मुझे उसका सब कुछ पसंद है। पता नहीं तुमको क्यों पसंद नहीं है।
सरला चौक कर राजीव को देखी और सोचने लगी कि राजीव ने मालिनी के बारे में ऐसा क्यों कहा?
शिवा: अरे पापा जी, मालिनी को मैं ऐसे ही चिढ़ा रहा था।
फिर सब बातें करने लगे और फिर राजीव ने कहा: चलो डिनर पर चलें?
शिवा: जी पापा जी चलिए चलते हैं, मैं थोड़ा सा फ़्रेश हो लेता हूँ।
सरला: हाँ मैं भी थोड़ा सा फ़्रेश हो आती हूँ।
राजीव: चलो श्याम, हम भी तय्यार हो जाते हैं।
इस तरह सब तय्यार होने के लिए चले गए।
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