RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
राजीव सुबह मॉर्निंग वॉक से वापस आया और अपना ट्रैक सूट खोलकर बनियान में आ गया। फिर उसने अपनी चड्डी भी उतारी और लूँगी पहनने लगा। तभी मालिनी की आवाज़ आइ: पापा जी चाय बन गयी है। आ जाइए।
राजीव अपनी लूँगी पहनते हुए बोला: आ रहा हूँ बहु।
राजीव बाहर आया तो मालिनी टेबल पर बैठ कर चाय रख कर बैठी थी। वो दोनों चाय पीने लगे।
राजीव: रात कैसे बीती? कल तो दिन भर की घटनाओं से तुम बहुत गरम हो गयी थी, शिवा से मज़े करी होगी ख़ूब सारा?
मालिनी: आपको अपनी बहू से ऐसी बातें करते शर्म नहीं आती? मुझे आपसे बात ही नहीं करनी ।
राजीव: अरे बहू ग़ुस्सा क्यों कर रही हो। मैं तो मज़ाक़ कर रहा था। चलो ग़ुस्सा थूक दो । अच्छा अपनी मम्मी और ताऊजी को क्या खिलाना है? डिनर तो हम बाहर ही करेंगे। शाम के लिए कुछ मँगाना हो तो मुझे बता देना।
मालिनी: ठीक है शाम को समोसा और जलेबी ला दीजिएगा।
राजीव: ज़रूर बहू। यह ठीक रहेगा।
चाय पीने के बाद मालिनी उठी और कप लेकर किचन में जाने के लिए मुड़ी और राजीव के लौड़े ने झटका मारा। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मटक रही है आज बहू की गाँड़ । एक गोलाई इधर जा रही है तो दूसरी उधर। आऽऽहहह उसने अपना लौड़ा लूँगी के ऊपर से दबा दिया । फिर वह खड़ा हुआ और किचन में जाकर मालिनी को देखने लगा। वह स्टोव में कुछ पका रही थी। राजीव दबे पाँव उसके पीछे आके उसकी नायटी को पास से देखा। नायटी का कपड़ा उसके चूतरों की गोलाइयों पर कुछ इस तरह से सटा था कि वह पक्की तरह से कह सकता था कि उसने पेटिकोट नहीं पहना हुआ था। उसका लौड़ा लूँगी के अंदर पूरा खड़ा था।
अब राजीव उसके पास आया और मालिनी को अहसास हुआ कि कोई पीछे खड़ा है, वो पलटने लगी, पर राजीव ने उसके कंधे पकड़ कर उसे घूमने नहीं दिया और अब वह उसकी कमर में हाथ रखकर उसने अपने दोनों हाथ उसने पेट पर रख दिए और उसे ज़ोर से जकड़ लिया। अब वह पीछे से उसके पिछवाड़े से सट गया ।उसका खड़ा लौड़ा अब उसकी गाँड़ से टकरा रहा था। मालिनी हल्की आवाज़ में चिल्लाई: पापा जी मुझे छोड़ दीजिए। प्लीज़ हटिए।
राजीव ने बेशर्मी से अपने लौड़े को उसके चूतरों पर रगड़कर मस्त होकर बोला: आऽऽऽह बहु , तुम्हें कैसे धन्यवाद दूँ कि तुमने मेरी बात मान ली और पेटिकोट नहीं पहना।
अब वह पीछे को हुआ और फिर मालिनी के चूतरों को दोनों हाथों से दबोच लिया और उनको दबाने लगा। वह बोला: उफफफफ क्या मक्खन जैसा माल है जान। सच में ऐसी गाँड़ आज तक नहीं सहलाई। ह्म्म्म्म्म्म।
मालिनी: उइइइइइ माँआऽऽऽ पापा जी छोड़िए ना। हाय्ययय दर्द हो रहा है ना।
राजीव ने उसे छोड़ दिया। मालिनी बोली: पापा जी आपको इस तरह की हरकत नहीं करनी चाहिए। आपने कहा था कि आप मेरे साथ कोई ज़बरदस्ती नहीं करेंगे। फिर ये सब क्या है?
राजीव: बहु , असल में मैं ख़ुशी में अपना आपा खो बैठा था, क्योंकि मेरे कहने पर कल तुमने पैंटी नहीं पहनी और आज मेरे कहने पर पेटकोट भी नहीं पहनी ।मैंने सोचा कि शायद तुम मेरे रंग में रंगने को तय्यार हो। चलो कोई बात नहीं , हम और कोशिश करेंगे तुम्हें जीतने की।
मालिनी: आप बाहर जाइए और मुझे अपना काम करने दें।
राजीव मुस्कुराया और बोला: ठीक है बहु चला जाता हूँ , बस एक बार तुम्हारी मीठी सो पप्पी ले लेता हूँ। यह कह कर उसने मालिनी को बाहों में ले लिया और उसके होंठ चूमने लगा। और उसके हाथ उसके मस्त चूतरों पर घूमने लगे। मालिनी ने उसे धक्का दिया और बोली: आपको क्या हो गया है? आप समझते क्यों नहीं,कि यह सही नहीं है।
राजीव बेशर्मी से मुस्कुराया और बोला: ठीक है बहु , मैं और इंतज़ार करने को तय्यार हूँ।पर एक बात कहूँगा कि तुम्हारी गाँड़ मस्त मुलायम है जान।
इसके बाद राजीव अपने कमरे में चला गया। मालिनी ने आकर शिवा को उठाया और उसको चाय दी। चाय पीने के बाद शिवा फ़्रेश होकर बाहर आकर सोफ़े पर बैठकर पेपर पढ़ने लगा। मालिनी को किचन में जाते देखकर वह उसे बुलाया और बोला: अरे आज तुम्हारे चूतर बहुत मटक रहे हैं , क्या बात है? यह कहकर वह उसकी गाँड़ पर हाथ फेरा और मस्ती से बोला: आऽऽह पेटिकोट नहीं पहना है, इसलिए बिचारे उछल रहे हैं। ये सही किया तुमने जो की पेटिकोट और पैंटी नहीं पहनी हो। सच में मस्त इधर से उधर हो रहे हैं जैसे मचल रहे हों यह कहने के लिए कि आओ मुझे मसलो और दबाओ।
मालिनी: छोड़ो मुझे गंदे कहीं के। कुछ भी बोले जा रहे हैं आप।
शिवा: एक बात बोलूँ , सच में तुम बहुत ही सेक्सी स्त्री हो।मैं बहुत क़िस्मत वाला हूँ जो तुम मेरी बीवी हो।
मालिनी हँसकर बोली: अच्छा जी, मैंने आज पेटिकोट नहीं पहना तो मैं सेक्सी हो गयी। वाह जी । और आपके साथ तो मैं रात भर नंगी भी पड़ी रहती हूँ, उसका क्या?
शिवा: वो दृश्य भी मस्त मज़ा देता है और ये दृश्य भी मस्त मज़ा देरहा है । ये कहकर उसने एक बार फिर उसकी गाँड़ दबा दी और उठा और नहाने के लिए जाने लगा। और जाते जाते बोला: चलो ना आज साथ में नहाते हैं। कई दिन हो गए साथ में नहाए हुए। चलो ना जानू।
मालिनी मुस्कुरा कर बोली: अच्छा चलो आज आपको नहला देती हूँ। पर आप कोई शरारत नहीं करना। ठीक है?
शिवा: अरे बिलकुल नहीं करूँगा। वैसे भी मुझसे शरीफ़ आदमी दुनिया में कोई और है ही नहीं है।
मालिनी: हाँ जी पता है मुझे कि आप कितने शरीफ़ हो। अब चलो और नहा लो।
शिवा अपने कमरे में जाकर अपने कपड़े उतारा और नंगा ही बाथरूम में दाख़िल हुआ। मालिनी भी अपने कपड़े उतारी और बिलकुल नंगी होकर बाथरूम में घुस गयी। वहाँ शिवा उसको अपनी बाहों में भींच लिया और चूमने लगा।
मालिनी: आपको नहाना है या ये सब करना है।
शिवा: ये सब भी करना है और नहाना भी है। वह उसके होंठ चूसते हुए बोला।
मालिनी ने शॉवर चालू किया और दोनों एक दूसरे से चिपके हुए पानी में गीले होने लगे। फिर मालिनी ने साबुन लिया और शिवा की छाती में लगाना चालू किया। वह चुपचाप साबुन लगवा रहा था। मालिनी ने छाती के बाद उसके पेट में साबुन लगाया। फिर वह उसकी बाहों में साबुन लगायी। फिर वह उसकी गरदन और पीठ में भी साबुन लगायी। वो नीचे बैठ कर उसके पैरों और जाँघों में भी साबुन लगाई। अब वह उसके सख़्त चूतरों पर भी साबुन लगायी। फिर वह अपने हाथ को उसकी गाँड़ के छेद और चूतरों की दरार में डालकर वह साबुन लगायी। और शिवा का लौड़ा पूरा खड़ा हो गया। फिर शिवा को घुमाई और उसके बॉल्ज़ और लौड़े में भी साबुन लगायी। उसने उसके सुपाडे का चमड़ा पीछे किया और उसको भी अच्छी तरह से साफ़ किया। फिर वह उठी और शॉवर चालू किया। उसने शिवा के बदन से साबुन धोना शुरू किया। जल्दी ही वह पूरी तरह से नहा लिया था। उसने उसके लौड़े और बॉल्ज़ के साथ ही उसकी गाँड़ में भी हाथ डालकर सफ़ाई कर दी थी। शिवा का लौंडा उत्तेजना से ऊपर नीचे हो रहा था।
शिवा: चलो अब मैं तुमको नहा देता हूँ।
मालिनी: नहीं बाबा, मैं ख़ुद ही नहा लूँगी। चलो आप बाहर जाओ मैं अभी नहा कर आती हूँ।
शिवा हँसते हुए अपना लौड़ा सहला कर बोला: अरे इसका क्या होगा? इसका भी तो इलाज करो ना।
वह हँसकर बोली: यहाँ ही इलाज करूँ या बिस्तर पर चलें?
शिवा: अरे यहीं करो ना। यह कहते हुए उसने मालिनी को कंधे से पकड़कर नीचे बैठाया। वह नीचे बैठी और उसके लौड़े को मुँह के पास लाकर उसे जीभ से चाटी और फिर चूसने लगी। दस मिनट चूसकर वह उठी और शिवा ने उसे दीवार के सहारे आगे को झुकाया और पीछे से उसकी मस्तानी गाँड़ को दबाते हुए उसकी बुर में ऊँगली की और फिर वहाँ अपने लौंडे को सेट किया और धीरे से लौड़ा अंदर डाल दिया और मालिनी की उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽ निकल गयी। फिर वह उसकी नीचे को झुकी चूचियों को दबाकर उसकी चुदाई में लग गया। फ़च फ़च की आवाज़ों से बाथरूम गूँजने लगा। साथ ही ठप्प ठप्प की आवाज़ भी आने लगी जो कि शिवा की जाँघें और मालिनी के मोटे चूतरों से टकराने से निकल रही थी। उधर मालिनी भी मज़े से आऽऽऽऽहहहह जीइइइइइइइइ बहुत मज़ाआऽऽऽऽऽऽ रहाआऽऽऽऽ है। हाय्य्य्य्य्यू मैं गयीइइइइइइइइइइइ । शिवा भी ह्म्म्म्म्म्म मैं भी झड़ गयाआऽऽऽऽऽऽऽ । फिर मालिनी टोयलेट की सीट पर बैठी और पेशाब करने लगी। शिवा उसके उठने के बाद ख़ुद भी पेशाब करने लगा। फिर वह शॉवर लिया और बाहर आकर तय्यार होने लगा। तब तक मालिनी भी नहा करक%
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