RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
शिवा शाम को आया और आते ही मालिनी की चुदाई में लग गया। जब वह शांत हुआ तो मालिनी बोली: आपका दिन कैसा रहा?
वो: ठीक था, पर तुम पापा से पैसों की बात करी या नहीं?
मालिनी: नहीं कर पाई। अवसर ही नहीं मिला।
शिवा: चलो मैं ही बात कर लेता हूँ।
मालिनी; नहीं नहीं। आप अभी रहने दो, मैं ही कर लूँगी।
मालिनी को डर था कि कही पापा शिवा को पैसे के लिए मना करके अपनी शादी की बात ना बता दें। शिवा को बड़ा धक्का लगेगा।
शिवा: ठीक है, तुम ही बात कर लेना। अच्छा एक बात बताऊँ? आज असलम आया था। मेरे कॉलेज का दोस्त। शादी के बाद वह पहली बार मिला है। हमारी शादी भी अटेंड नहीं कर पाया क्योंकि वह विदेश में था। उसका इक्स्पॉर्ट का बिज़नेस है।
मालिनी: अच्छा क्या बोल रहा था?
शिवा: अरे वो जो बोल रहा था , सुनोगी तो चक्कर आ जाएगा।
मालिनी: ओह ऐसा क्या बोल दिया उसने।
शिवा: वो बोल रहा था कि वो जब भी बाहर जाता है अपनी बीवी को भी ले जाता है। और वह वहाँ जाकर वाइफ़ सवेप्पिंग यानी बीवियों की अदला बदली का खेल खेलता है।
मालिनी: हे राम, ये क्या कह रहे हैं आप? छि कोई ऐसा भी करता है क्या?
शिवा: अरे बड़ी सोसायटी में सब चलता है । वह कह रहा था कि अब अपने शहर में भी ये सब शुरू हो गया है। वह यहाँ भी अपने दो दोस्तों की बीवियों को चोद चुका है और बदले में उसकी बीवी भी उसके दोनों दोस्तों से चुद चुकी है।
मालिनी: ओह ये तो बड़ी गंदी बात है।
शिवा: मैं भी मज़ाक़ में बोला कि मुझसे भी चुदवा दे भाभी को। जानती हो वो क्या बोला?
मालिनी: क्या बोला?
शिवा: वह बोला कि अरे भाई चल अभी चोद ले उसको, पर अपनी वाली कब दिलवाएगा। ? मैं बोला साले मैं मज़ाक़ कर रहा था। मेरी बीवी इसके लिए कभी तय्यार नहीं होगी। वो बहुत संस्कारी परिवार से है।
मालिनी संस्कारी शब्द से चौकी। और सोची काहे का संस्कारी परिवार ? सत्यानाश हो रखा है संस्कारों का। अपनी माँ और ससुर के सम्बन्धों का जान कर तो वो शर्म से गड़ गयी है।
वह बोली: चलिए हमें क्या करना है इन फ़ालतू बातों से । आप फ़्रेश हो लीजिए मैं खाना लगाती हूँ।
सबने खाना खाया और शिवा ने रात को दो राउंड और चुदाई की।
अगले दिन सुबह मालिनी उठी और चाय बनाकर राजीव के कमरे के बाहर से आवाज़ लगाई: पापा जी, आइए चाय बन गयी।
राजीव लूँगी और बनयान में बाहर आया और टेबल पर बैठकर चाय पीने लगा और बोला: बहु गुड मॉर्निंग।
मालिनी ने झुककर उसके पैर छुए और गुड मोर्निंग पापा जी कहा। वह भी चाय पीने लगी।
राजीव: बहु , रात को शिवा ने मज़ा दिया?
मालिनी चौक कर और शर्म से लाल होकर: छी पापा जी , ये कैसा प्रश्न है?
राजीव: अच्छा प्रश्न है कि रात को मज़ा किया या नहीं? ये तो सामान्य सा प्रश्न है?
मालिनी: मुझे इसका जवाब नहीं देना है। वह चाय पीते हुए बोली।
राजीव: अगर तुमने मज़ा किया तो यह सामान्य बात है। और अब दिन में उसके जाने के बाद तुम मुझसे मज़ा लो तो भी वह समान्य बात हो सकती है। है ना?
मालिनी: बिलकुल नहीं। वो मेरे पति हैं आप नहीं। फिर वह उठी और चाय के ख़ाली प्यालियाँ उठा कर किचन में ले गयी। राजीव उसके पीछे किचन में गया और बोला: जानती हो जब तुम चलती हो तो तुम्हारा पिछवाड़ा बहुत सेक्सी दिखता है।
मालिनी पीछे को मुड़ी और बोली: पापा जी प्लीज़ ऐसी बातें मत करिए । मुझे बहुत दुःख होता है।
अब राजीव उसकी छातियों को घूरते हुए बोला: और तुम्हारी इन मस्त छातियों ने तो मेरी नींद ही उड़ा दी है।
मालिनी अब लाल होकर चुपचाप वहाँ से बाहर निकलने लगी। तभी राजीव ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोला:मान जाओ ना मेरी बात, क्यों मुझे मजबूर कर रही हो कि मैं इस घर में एक और जवान लड़की लाऊँ और घर की शांति भंग करूँ।
मालिनी दुखी मन से अपना हाथ छुड़ाया और बोली: पापा जी ये बिलकुल ग़लत है । ये कैसे हो सकता है?
यह कहकर वह वहाँ से चली गयी। राजीव भी अपनी लूँगी के ऊपर से अपना लौड़ा मसलते हुए चला गया अपने कमरे में।
मालिनी ने शिवा को उठाया और उसे भी चाय पिलाई। शिवा फ़्रेश होकर मालिनी को बिस्तर पर पटक दिया और बोला: क्या बात है थोड़ी उदास दिख रही हो? वह उसके होंठ चूसते हुए बोला।
मालिनी क्या बोलती कि पापा ने अभी कितनी गंदी बात की है? वह सोची कि शिवा को बतायी तो उसे बहुत ग़ुस्सा आ जाएगा और परिवार बिखर जाएगा । वह उससे चिपट गयी और दोनों प्यार के संसार में खो गए। शिवा उत्तेजित होता चला गया और उसने मालिनी की जम कर चुदाई कर दी।
चुदाई के बाद थोड़ा आराम कर मालिनी बाहर आइ और नाश्ता बनाने लगी । नाश्ते के टेबल पर राजीव बिलकुल सामान्य लग रहा था और उससे बड़ी अच्छी तरह से बातें कर रहा था जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो। उधर मालिनी को उसके लिए सामान्य होने में बड़ी दिक़्क़त हो रही थी । शिवा अपने पापा से बहुत सी बातें किया। मालिनी सोच रही थी कि पापा कितने बड़े गिरगिट हैं । अभी ऐसा लग ही नहीं रहा है जैसे उन्होंने उससे कुछ गंदी बात की ही ना हो। उफ़्फ़्फ़ वह कैसे इस सिचूएशन को हैंडल करे।
शिवा के जाने के बाद वह नहाने चली गयी।बाथरूम में शीशे में अपनी जवानी देखकर वह सोची कि शायद पापा की इसमें कोई ग़लती नहीं है। सच में शादी के बाद उसका बदन बहुत ही मस्त हो गया है। उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ एकदम गोल गोल और पूरी तरह टाइट थे। बड़े बड़े काले निपल बहुत मस्त लग रहे थे। नीचे उसका सपाट पेट और गहरी नाभि और पतली कमर बहुत ही ग़ज़ब ढा रही थी। उसके नीचे मस्त भरी हुई जाँघें और उसके बीच में फूली हुई बुर का नज़ारा उसे ख़ुद ही मस्त कर दिया था। तभी उसके कान में पापा के शब्द सुनाई दिए कि क्या मस्त पिछवाड़ा है । वह अब मुड़ी और उसके सामने उसके सेक्सी चूतर थे। उफफफफ सच पापा जी का कोई दोष नहीं है। कितने आकर्षक हो गए हैं उसके चूतर । वह ख़ुद ही अपनी चूतरों पर मुग्ध हो गयी और उनपर हाथ फिराकर उनके चिकनेपन से वह मस्त हो गयी। फिर उसने अपना सिर झटका और सोची कि वो पापा की बातों के बारे में क्यों सोच रही है। अब वो नहाने लगी।
नहाकर तय्यार होकर साड़ी में वह बाहर आइ और बाई से काम करवाने लगी। फिर वह आकर सोफ़े पर बैठी और पेपर पढ़ने लगी। राजीव भी थोड़ी देर में नहाकर बाहर आया और पंडित को मिस्ड काल किया। जल्दी ही पंडित का फ़ोन आ गया।
राजीव: नमस्ते पंडित जी। कैसे याद किया? फिर उसने फ़ोन स्पीकर मोड में डाल दिया ताकि सामने बैठी मालिनी सब सुन ले।
पंडित: जज़मान, आज एक लड़की वाले के यहाँ गया था। वो बोल रहे थे कि अगर शादी हो गयी और उस लड़की के बच्चा हुआ तो आपके बड़े बेटे और इस नए बच्चे में सम्पत्ति बराबर से बाटनी होगी। मैंने कह दिया कि ये तो होगा ही। पर वो स्टैम्प पेपर में अग्रीमेंट चाहते हैं। वो बोल रहे हैं की आप तो उससे क़रीब ३० साल बड़े है। आपके बाद उस लड़की और उसके बच्चे का भविष्य कैसे सुरक्षित रहेगा। आप बताओ क्या बोलना है?
राजीव: अरे साले मेरे मरने का अभी से इंतज़ार कर रहे हैं क्या? वैसे उनकी बात में दम है, अगर मैं १५/२० साल में मर गया तो वह लड़की तो उस समय सिर्फ़ ३५/४० की होगी। उसका और उसके बच्चे का भविष्य सच में ख़तरे में होगा मतलब मुझे अभी से जायदाद का बँटवारा करना होगा। ताकि बाद में उसके साथ अन्याय ना हो।
यह कहते हुए वह मालिनी की ओर देखा जिसके मुँह का रंग उड़ गया था। वह सोच रही थी कि शिवा के हिस्से में आधी प्रॉपर्टी ही आएगी। वह कितना दुखी होगा। पापा को इस शादी से रोकना ही होगा। उफफफफ वह क्या करे? शादी रोकने की शर्त तो बड़ी घटिया है। उसे पापा जी से चुदवाना होगा। वो सिहर उठी ये सोचकर।
राजीव मन ही मन मुस्कुराया मालिनी की परेशानी देखकर और बोला: ठीक है पंडित जी मैं परसों आ ही रहा हूँ। एक अग्रीमेंट बना कर ले आऊँगा। चलो अभी रखता हूँ।
मालिनी: पापा जी आप अपने बेटे शिवा के साथ इस तरह का अन्याय कैसे कर सकते हैं? वह बहुत दुखी होंगे और टूट जाएँगे।
राजीव: बहु इसके लिए तुम ही ज़िम्मेदार हो। अगर तुम मेरी बात मान लो तो कोई शादी का झमेला ही नहीं होगा। और हम तीनों एक परिवार की तरह आराम से रहेंगे। कोई बँटवारा नहीं होगा। पर तुम तो अपनी बात पर अड़ी हुई हो। मैं भी क्या करूँ?
मालिनी: पापा जी फिर वही बात?
राजीव: चलो तुम चाहती हो तो यही सही। अब तो शिवा की दुकान, ये घर और सोना रुपया भी बराबर से बँटेगा। मैं भी मजबूर हूँ।
मालिनी की आँखें मजबूरी से गीली हो गयीं और वह वहाँ से उठकर अपने कमरे में आके रोने लगी।
उस दिन और कुछ नहीं हुआ । मालिनी ने सोचा कि अब उसकी आख़री आस महक दीदी थी। अभी तो अमेरिका में वो सो रही होगी। वह शाम को उससे बात करेगी ताकि वह पापा जी को समझाए। वह थोड़ी संतुष्ट होकर लेट गयी।
तभी उसे शिवा की कही बात याद आइ जो वह अपने दोस्त असलम के बारे में बता रहा था कि वो बीवियों की अदला बदली में मज़ा लेता है। वह थोड़ी सी बेचैन हुई कि क्या यह सब आजकल समान्य सी बात हो गयी है। क्या पति से वफ़ादारी और रिश्तों की पवित्रता अब बाक़ी नहीं रह गयी है। और क्या शिवा सच में असलम से जो बोला कि वह उसकी बीवी को करना चाहता है यह मज़ाक़ ही था या कुछ और? क्या शिवा उसे भी अपने दोस्त से चुदवाना चाहता है? पता नहीं क्या क्या चल रहा है किसके मन में यहाँ? हे भगवान मैं क्या करूँ? फिर वह सोची कि शाम को महक दीदी से बात करूँगी तभी कुछ शायद मदद होगी। ये सोचते हुए उसकी आँख लग गयी ।
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