RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
अगले दिन मालिनी सुबह उठकर चाय बनाई और राजीव के कमरे का दरवाज़ा खटखटाई और बोली: पापा जी चाय लाऊँ?
राजीव देर तक सोने के कारण आज वॉक पर भी नहीं गया था । वह उठा और उसकी लूँगी में मॉर्निंग इरेक्शन का तंबू बना हुआ था। वह बोला: मैं अभी बाहर आता हूँ वहीं पी लूँगा।
मालिनी ने चाय डाइनिंग टेबल पर रखी और ख़ुद चाय पीने लगी। थोड़ी देर बाद राजीव बाहर आया तो हमेशा की तरह मालिनी ने उसके पैर छुए और गुड मोर्निंग किया। राजीव ने उसे आशीर्वाद दिया और चाय पीने लगा। उसने देखा कि आज भी वह गाउन पहनी थी पर वह अब उसे वह टाइट हो रही थी क्योंकि वह अच्छा खाने और शायद बढ़िया चुदाई के चलते थोड़ी भर रही थी। उसकी चूचियाँ गाउन को दबा रही थी और उसके चूतरों के उभार भी गाउन से मस्त दिखने लग रहे थे।हालाँकि उसने कपड़े सही पहने थे और उसमें से कोई अंग प्रदर्शन नहीं हो रहा था। पर गाउन से भी वह बहुत मादक लग रही थी। राजीव की लूँगी में हलचल शुरू हो गयी। इसलिए वह उठकर वहाँ से चला गया।
राजीव अपने कमरे में आकर मालिनी की जवानी का सोचकर गरम होने लगा । फिर वह सोचा कि उसे अपना ध्यान बटाना होगा ।ये सोचकर वह तय्यार होकर बाहर चला आया और नाश्ता करके घर से बाहर जाने लगा। मालिनी और शिवा अभी नाश्ता कर रहे थे।
मालिनी: पापा जी आज मैं आपके साथ सब्ज़ी वग़ैरह लेने जाना चाहती हूँ , आप ले जाएँगे क्या? वो क्या है ना, मुझे यहाँ का कुछ पता नहीं है ना, इसीलिए आपकी मदद चाहिए। पड़ोसन कह रही थी कि शिवाजी चौक का सब्ज़ी बाज़ार सबसे अच्छा है।
राजीव: हाँ हाँ बेटी क्यों नहीं , मैं थोड़ी देर में आता हूँ तब चलेंगे। पर शिवाजी चौक में तो बेटी बहुत भीड़ होती है।
यह कहकर राजीव अपने एक दोस्त से मिलने निकल गया। उसकी पास ही में एक दुकान थी चश्मों की जिसमें उसका एक पुराना दोस्त पटेल बैठा था। पटेल उसे देखकर बहुत ख़ुश हुआ और बोला: अरे यार आज रास्ता कैसे भूल गए? आओ बैठो।
राजीव उसके पास बैठा और दोनों पुराने दिनों की बातें करने लगे। तभी बातें राजीव की बीवी की मौत की ओर चली गयीं। पटेल बोला: यार , भाभी जी ने तुझे धोका दे दिया। एकदम से चली गयी।
राजीव : हाँ यार एकदम से अकेला हो गया हूँ।
पटेल: यार सच में बहुत मुश्किल है बिना बीवी के रहना। हालाँकि इस उम्र में रोज़ मज़े नहीं करना होता है पर हफ़्ते में एक दो दिन तो मज़े का मूड बन ही जाता है। उसपर बीवी का ना होना सच में मुश्किल होता होगा।
राजीव: क्या तू सच में अभी भी भाभीजी के भरोसे ही है क्या? यहाँ वहाँ मुँह भी तो मारता होगा?
पटेल: अरे अब तुमसे क्या पर्दा भला। तुम्हारी भाभी के साथ तो हफ़्ते में एक बार हो ही जाता है। और मैं सामान लेने हर महीने मुंबई जाता हूँ और कम से कम दो रात वहाँ होटेल में गुज़ारता हूँ। वहाँ मेरी सेटिंग है रात में २०/२२ साल की एक लौड़िया आ जाती है पूरी रात साली के साथ चिपका रहता हूँ। पूरे पैसे वसूल करता हूँ।
राजीव: वाह भाई , तुम तो छिपे रूसतम निकले। वैसे यहाँ भी तो होटलों में लौंडियाँ मिलती होंगी।
पटेल: यहाँ कोई भी जान पहचान का मिल सकता है, वहाँ कौन अपने को जानता है भला?
राजीव: हाँ ये तो रिस्क है यहाँ करने में ।
पटेल: यार तू दूसरी शादी क्यों नहीं कर लेता।
राजीव: अरे अभी तो मेरे बेटे की शादी हुई है अब इस उम्र में मैं क्या शादी करूँगा यार।
पटेल: अरे अपने गाँव साइड में तो हमारी उम्र के बूढ़ों को भी मस्त जवान लौड़िया मिल जाती हैं शादी के लिए बस कुछ पैसा फेंकना पड़ता है और तूने पैसा तो बहुत कमाया है यार।
राजीव : चल छोड़ ये सब बातें। फिर वह वहाँ से वापस आ गया।
जब वह घर पहुँचा तो शिवा दुकान जा चुका था और मालिनी एक नई नौकरानी से काम करवा रही थी। वह कोई ४० के आसपास की काली सी औरत थी और राजीव ने अपनी क़िस्मत को कोसा कि इस बार बहु ने ऐसी औरत चुनी है जिसे देखकर खड़ा लौड़ा भी मुरझा जाए।पर वह बोला: अरे बहु तुम तय्यार नहीं हुई बाज़ार जाना था ना?
मालिनी: बस पापा अभी ५ मिनट में तय्यार होकर आती हूँ। ये नई बाई है कमला। इसे काम समझा रही थी। ये कहकर वह अपने कमरे में चली गयी और १० मिनट में तय्यार होकर आइ। राजीव उसका इंतज़ार सोफ़े में बैठा टी वी देखकर कर रहा था। मालिनी: पापा चलें ?
राजीव ने आँखें उठाईं और मालिनी को देखता ही रह गया। गुलाबी सलवार सूट में वो बहुत प्यारी लग रही थी। ये कपड़े भी अब उसे थोड़े टाइट हो चले थे। पर उसने चुन्नी इस तरह से ली थी जिसमें उसकी छातियाँ पूरी ढकीं हुई थी। सच में उसकी बहु नगीना याने हीरा थी ,वह सोचा।
फिर दोनों बाहर आए और कार में बैठकर सब्ज़ी बाज़ार की तरफ़ चल पड़े। रास्ते में राजीव उसे शहर के ख़ास बाज़ार और मुहल्लों के बारे में बताने लगा। वह बड़े ध्यान से सुन रही थी। तभी सब्ज़ी मार्केट आ गयी ।दोनों कार से उतरे और मालिनी हाथ में थैला पकड़कर चल पड़ी। राजीव उसके पिच्छे चलने लगा। उसने ऊँची एड़ी का सेंडल पहनी थी और उसके चूतर सलवार में मस्त मटक रहे थे। राजीव का लौड़ा अकडने लगा। तभी वह एक सब्ज़ी वाले के यहाँ रुकी और झुक कर टमाटर पसंद करने लगी। अब उसकी चुन्नी ढलक गयी थी और उसकी मस्त छातियाँ सामने तनी हुए दिखाई दे रहीं थे। उसके चूतर भी पीछे से मस्त कशिश पैदा कर रहे थे। उफ़्फ़्फ़्ग्ग क्या मस्ती है इस लौड़िया में। तभी एक आदमी वहीं से गुज़रा और उसने झुकी हुई मालिनी की गाँड़ पर हाथ फेरा और चला गया।
राजीव को ग़ुस्सा आया पर वह आदमी ग़ायब हो चुका था। मालिनी एकदम से पलट कर देखी तब तक वह आदमी जा चुका था। राजीव उसके पीछे आकर खड़ा हुआ और बोला: बेटी, अब मैं यहाँ खड़ा हूँ तुम आराम से सब्ज़ी पसंद करो।
मालिनी: ठीक है पापा जी। वह अब अपने काम में लग गयी।
राजीव अब अच्छी तरह से उसकी गाँड़ का जायज़ा ले रहा था और अपने लौड़े को adjust कर रहा था। तभी राजीव को एक साँड़ आता दिखा और वह राजीव के बिलकुल बग़ल में आ गया और उसे रास्ता देने के लिए उसे आगे को होना पड़ा तभी उसका पैंट के अंदर से उसका लौड़ा उसकी चूतरों पर टकराने लगा। मालिनी सकपका कर उठने की कोशिश की और तभी वह साँड़ राजीव से टकराने लगा और राजीव आगे को हुआ और फिर मालिनी उसकी ठोकर से आगे को गिरने लगी। तभी राजीव ने उसके कमर पर हाथ डाला और उसे अपने क़रीब खींच लिया और वह नीचे गिरने से बच गयी । राजीव का अगला हिस्सा अब मालिनी के पिछवाड़े से पूरी तरह चिपक गया था। मालिनी को भी उसके कड़े लौड़े का अहसास अपनी गाँड़ पर होने लगा था। राजीव का हाथ उसकी कमर पर चिपका हुआ था। मालिनी पीछे को मुड़ी और उसने साँड़ को वहाँ से जाते देखा । वह समझ गयी कि क्या हुआ है। वह बोली: पापा जी साँड़ चला गया, अब मुझे छोड़ दीजिए।
राजीव झेंप कर पीछे को हुआ और अपने पैंट को अजस्ट करने लगा। मालिनी की आँखें उसकी पैंट पर पड़ी और वह शर्म से दोहरी हो गयी। वो सोची - हे भगवान ! ये पापा को क्या हो गया? वो इतने उत्तेजित मुझे छू कर हो गए क्या? फिर उसने अपनी आँखें वहाँ से हटाई और पैसे देने लगी।
राजीव: बेटी, मैंने बोला था ना कि यहाँ बहुत भीड़ रहती है। चलो तुम्हारी सब्ज़ी हो गयी या अभी और लेना है।
मालिनी: पापा जी अभी और लेनी है, चलिए उधर भीड़ नहीं है वहाँ से लेते हैं।
दिर उन्होंने सब्ज़ी ख़रीदी और वापस घर आए। मालिनी थोड़ी सी हिल सी गयी थी कि पापा उसे छू कर इतने उत्तेजित क्यों हो गए। क्या वो उसे ग़लत निगाह से देखते है। उसे थोड़ा ध्यान से रहना होगा अगर पापा जी उसके बारे में कुछ ऐसा वैसा सोचते हैं तो । फिर उसने अपने आप को कोसा और सोची कि छि पापा के बारे में वो ऐसा कैसे सोच सकती है। अब वह आराम करने लगी।
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