ससुर कमीना और बहू नगीना
04-09-2017, 03:20 PM,
#35
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
अगले दिन सुबह रानी आइ , हमेशा की तरह दरवाज़ा राजीव ने खोला और फिर वह किचन में जाकर चाय बनाई। राजीव फ़्रेश होकर बिस्तर पर बैठा था, तभी वह चाय लेकर आयी। राजीव ने उससे चाय ली और बग़ल के टेबल पर रख दी और उसको अपनी गोद में खींच लिया और उसको चूमने लगा। वह भी उससे लिपट गयी और उसको चूमने लगी। अब वह चाय पीते हुए उसकी चूचि दबाकर बोला: डॉक्टर के पास जाती रहती हो ना?

रानी: जी हाँ, बराबर जा रही हूँ । वो बोली कि सब ठीक ठाक है।

राजीव उसकी जाँघ सहलाकर बोला: लड़का होगा देखना?

रानी: जो भी हो मुझे तो बस एक बच्चा चाहिए बस।

राजीव उसकी जाँघ से हाथ ले जाकर उसकी बुर सहलाकर बोला: हाँ जान बच्चा तो निकलेगा ही यहाँ से ।

रानी: आज सुबह सुबह गरम हो रहें हैं, क्या बात है? वह उसके लौड़े को लूँगी के ऊपर से सहला कर बोली।

राजीव: अरे तुम माल ही इतना बढ़िया हो जो लौड़े को खड़ा कर दे। चलो आज सुबह सुबह ही चुदाई कर लेते हैं। बाद में बच्चे उठ जाएँगे फिर मौक़ा नहीं मिलेगा।

रानी हँसती हुई खड़ी हुई तो उसने उसके चूतरों को दबोच लिया और ज़ोर से दबाने लगा। वह भी मस्ती में आकर चुपचाप खड़ी रही और मज़े लेती रही।

फिर दोनों बेडरूम की ओर चल दिए।

लगभग इसी समय महक की नींद खुली , उसे ज़ोर की पेशाब लगी थी। वह बाथरूम से निपटकर बाहर आइ और फिर उसे प्यास लगी तो वह किचन में जाकर पानी पीकर अपने कमरे में जाने लगी तब अचानक उसे एक औरत के हँसने की आवाज़ आइ । वह रुकी और पलट कर वापस अपने पापा के कमरे की ओर गयी । तभी उसे अंदर से उइइइइइइइ की आवाज़ आयी तो वह हैरान होकर खिड़की से अंदर झाँकी। उसकी आँखें फटी की फटी रह गयीं। अंदर उनकी नौकरानी रानी पूरी नंगी बिस्तर पर घोड़ी बनी हुई थी और उसके पीछे उसके पापा ज़मीन में खड़े होकर उसकी बुर में अपना मोटा और लम्बा लौड़ा डालकर उसे बुरी तरह से चोद रहे थे और उसकी लटकी हुई चूचियाँ मसल रहे थे।

महक की आँखें पापा के लौड़े से, जो कि रानी की बुर के अंदर बाहर हो रहा था, हट ही नहीं पा रही थी। पापा का लंड पूरा गीला सा होकर चमक रहा था। रानी की घुटी हुई चीख़ें गूँज
रही थीं। उइइइइइइइ आऽऽऽऽह और जोओओओओओओओर से चोओओओओओओओओदो । मैं गईइइइइइइइइइइ। ।अब राजीव भी ह्म्म्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगा और जब वह अपना लौड़ा वहाँ से निकाला तो महक की जैसे साँस ही रुक गयी। क्या मस्त लौड़ा था और पूरा काम रस से भीगा हुआ और अभी भी पूरी तरह खड़ा था। मोटे सुपाडे पर अभी भी गीली बूँदें चमक रही थीं। तभी रानी उठी और उसके लौड़े को चाटकर साफ़ करने लगी। जैसे आख़िरी बूँद भी निचोड़ कर पी जाएगी।

महक की बुर पूरी गीली हो चुकी थी और उसका हाथ अपने आप ही अपनी बुर को दबाने लगा। जब रानी ने मुँह हटाया तो उसके पापा का लौड़ा अब मुरझाने लगा था। इस अवस्था में भी बहुत सेक्सी लग रहा था। कितना मोटा और लम्बा सा लटका हुआ और नीचे बड़े बड़े बॉल्ज़ भी बहुत ही कामुक लग रहे थे। महक की आँखें अपने पापा के लौड़े से जैसे हटने का नाम ही नहीं ले रही थी। अब अचानक राजीव की नज़र खिड़की पर पड़ी और उसकी आँखें महक की आँखों से टकरा गयीं। महक को तो काटो ख़ून नहीं, वह वहाँ से भागकर अपने कमरे में आ गयी। उसकी छाती ऊपर नीचे हो रही थीं। उसकी बुर में भी जैसे आग लगी हुई थी। उसकी आँख के सामने बार बार पापा का मदमस्त लौड़ा आ रहा था और फिर उसे अपने पापा की आँखें याद आयीं जिन्होंने उसको झाँकते हुए देख लिया था। वह अपनी बुर में ऊँगली करने लगी।

उधर राजीव भी महक को उनकी चुदाई देखते हुए देखकर हड़बड़ा गया। उसे बड़ी शर्म आयी कि महक ने उसे रानी के साथ इस अवस्था में देख लिया। पर उसे एक बात की हैरानी थी कि वह उसके लौड़े को इतनी प्यासी निगाहों से क्यों देख रही थी। आख़िर वो शादी शुदा थी और उसके पति का लौड़ा उसे मज़ा देता ही होगा। वो थोड़ी सी उलझन में पड़ गया था। पता नहीं अपनी बेटी से नज़रें कैसे मिलूँगा, वह सोचा। रानी भी थोड़ी परेशान थी। राजीव ने कहा: रानी मैं सम्भाल लूँगा , तुम परेशान मत हो।

रानी सिर हिलाकर किचन में जाकर अपने काम में लग गयी।क़रीब एक घंटे के बाद राजीव ड्रॉइंग रूम में सोफ़े पर बैठा और चाय माँगा। तभी शिवा बाहर आया और चाय माँगा। दोनो बाप बेटे चाय पी रहे थे। शिवा: पापा , दीदी अभी तक नहीं उठी? मैं उसे उठाता हूँ।

राजीव: ठीक है जाओ उठा दो।

शिवा महक के कमरे में जाकर सोई हुई दीदी को उठाने अंदर पहुँचा। महक अपनी बुर झाड़कर फिर से सो गयी थी। वो करवट में सो रही थी और उसकी बड़ी सी गाँड़ देखकर शिवा के लौड़े में हलचल होने लगी। वह सामने से आकर बोला: दीदी, उठो ना सुबह हो गयी है। महक ने एक क़ातिल अंगड़ाई ली और उसके बड़े बड़े बूब्ज़ जैसे नायटी से बाहर आने को मचल से गए। अब उसके आधे नंगे बूब्ज़ नायटी से बाहर आकर राजीव को पागल कर दिए। उसका लौड़ा पूरा खड़ा हो गया। वह अपने लौड़े को छुपाकर बोला: चलिए अब उठिए, पापा इंतज़ार कर रहे हैं।

महक: आऽऽऽऽह अच्छा आती हूँ। तू चल।

शिवा अपने लौड़े को छुपाकर जैसे तैसे बाहर आया और सोफ़े में बैठकर चाय पीने लगा। उसे अपने आप पर ग्लानि हो रही थी कि वह अपनी दीदी के बदन को ऐसी नज़र से देखा । तभी महक आयी और रानी उसे भी चाय दे गयी। रानी महक से आँखें नहीं मिला पा रही थी। राजीव ने भी महक को देखा और बोला: (झेंप कर) गुड मॉर्निंग बेटा ।

महक ने ऐसा दिखाया जैसे कुछ हुआ ही नहीं, और बोली: गुड मोर्निंग पापा।

फिर सब चाय पीने लगे और शादी की डिटेल्ज़ डिस्कस करने लगे। फिर शिवा तय्यार होकर दुकान चला गया। रानी भी खाना बना कर चली गयी।

राजीव: बेटी, ज़ेवरों को आज सुनार के यहाँ पोलिश करने देना है। चलो ज़ेवर पसंद कर लो, जो तुम पहनोगी।

महक पापा के साथ उनके कमरे में पहुँची और राजीव ने तिजोरी खोलकर गहने निकाले और महक उनमें से कुछ पसंद की और अपनी मम्मी को याद करके रोने लगी। राजीव ने उसके कंधे पर हाथ रखा और उसे चुप कराने लगा।

महक: पापा इन गहनों को देखकर मम्मी की याद आ गयी। पापा, आपको उनकी याद नहीं आती?

राजीव: ऐसा क्यों बोल रही हो बेटी, उसकी याद तो हमेशा आती है।

महक: इसलिए आज आप रानी के साथ वो सब कर रहे थे?

राजीव थोड़ा परेशान होकर बोला: बेटी, तुम्हारी मम्मी को याद करता हूँ, मिस भी करता हूँ। पर बेटी, ये शरीर भी तो बहुत कुछ माँगता है , उसका क्या करूँ ?

महक: पर पापा, वो एक नौकरानी है, आपको बीमारी दे सकती है, पता नहीं किस किस के साथ करवाती होगी?

राजीव: नहीं बेटी, रानी बहुत अच्छी लड़की है, वो मेरे सिवाय सिर अपने पति से ही चुद-- मतलब करवाती है। इस शरीर की प्यास बुझाने के लिए मैं रँडी के पास तो नहीं गया।

महक: आपको कैसे पता? हो सकता है वो झूठ बोल रही हो।

राजीव: बेटी, अब तुमसे क्या छुपाना? दरअसल उसका पति उसको माँ नहीं बना पा रहा था तो मैंने उसे वादा किया कि मैं उसे एक महीने में ही गारण्टी से मॉ बना दूँगा। इसीलिए वो मेरे साथ करवाने के लिए राज़ी हुई।

महक: ओह, तो क्या वो प्रेगनेंट हो गयी?

राजीव: हाँ बेटी, वादे के अनुसार एक महीने में ही वो प्रेगनेंट हो गयी। वो अब जल्दी ही माँ बनेगी।

महक की आँखों के सामने पापा का बड़ा सा लौड़ा और बड़े बड़े बॉल्ज़ घूम गए। वह सोचने लगी कि इतना मर्दाना हथियार और ऐसे बड़े बॉल्ज़ की चुदाई से बच्चा तो होगा ही।
महक: ओह, पर उसके मर्द को तो शक नहीं होगा ना?

राजीव : उसे कैसे शक होगा क्योंकि वह तो उसको हफ़्ते में एक दो बार चो- मतलब कर ही रहा था ना। वो तो यही सोचेगा ना कि उसकी चुदा- मतलब उसका ही बच्चा है वो।

महक देख रही थी कि पापा चुदायी और चोदने जैसे शब्द का उपयोग करने की कोशिश कर रहे थे। वह अब उत्तेजित होने लगी थी।

तभी राजीव ने एक अजीब बात बोली: एक बात और रानी के पति का हथियार बहुत छोटा और कमज़ोर है और वह उसे बिस्तर पर संतुष्ट भी नहीं कर पाता।

महक की बुर अब गीली होने लगी थी। बातें अब अश्लीलता की हद पार कर रहीं थीं। वह बोली: ओह । और शर्म से लाल हो गयी। उसकी आँख अब अचानक पापा की लूँगी पर गयी तो वहाँ एक तंबू देखकर वह बहुत हैरान रह गयी। वह समझ गयी कि पापा भी उत्तेजित हो चले हैं। उसे बड़ा अजीब लग रहा था कि बाप बेटी की बातें अब इतनी बेशर्म हो गयीं थीं कि वह दोनों उत्तेजित हो चुके थे।

महक ने बात बदलने का सोचा और बोली: ओह अच्छा चलिए मैं ये ज़ेवर पहनूँगी , इसे ही पोलिश करवा लेती हूँ।

राजीव : ठीक है बेटी। पर तुम मुझसे नाराज़ तो नहीं हो? मेरे और रानी के बारे में जान कर।

महक : पापा आप बड़े हैं और अपना अच्छा बुरा समझ सकते हैं। इसलिए आपको जो सही लगता है वह करो। पर एक बात है मालिनी के इस घर में आने के बाद यह सब कैसे करेंगे रानी के साथ?

राजीव : बेटी सब मैनिज हो जाएगा। तब की तब देखेंगे।

तभी कॉल बेल बजी। महक ने दरवाज़ा खोला । सामने रानी खड़ी थी।

महक: अरे तुम वापस आ गयी? क्या हुआ?

रानी: दीदी मेरा मोबाइल यहीं रह गया है।

महक: ओह ठीक है ले लो। वह अब सोफ़े पर बैठ गयी।

रानी किचन में जाकर मोबाइल खोजी पर उसे नहीं मिला। उसने महक से कहा: दीदी आप मिस्ड कॉल दो ना । फिर उसने नम्बर बोला।

महक ने कॉल किया और घंटी पापा के कमरे में बजी। रानी थोड़ा सा डरकर राजीव के कमरे में पहुँची।

महक दौड़कर दरवाज़े के पीछे खड़ी होकर उनकी बातें सुनने लगी।

राजीव: अरे रानी क्या हुआ? तुम्हारे फ़ोन की घंटी यहाँ बजी अभी।

रानी: मेरा फ़ोन यहाँ आपके कमरे में ही गिर गया है। फिर वह बिस्तर में खोजी तो उसे तकिए के नीचे मिल गया।

रानी: दीदी ने कुछ कहा क्या आपसे हमारी चुदाई के बारे में? और ये आपका फिर से खड़ा क्यों है? वह लूँगी के तंबू को देखकर बोली।

राजीव अपने लौड़े को मसल कर बोला: वो महक से तुम्हारी चुदाई की बातें कर रहा था तो खड़ा हो गया।

रानी: अपनी बेटी से हमारी चुदाई की बातें कर रहे थे? हे भगवान, कितने कमीने आदमी हो आप?

राजीव: अरे वो भी तो बड़े मज़े से सब पूछ रही थी।

रानी: तो अब क्या हमारी चुदाई बंद?

राजीव: अरे नहीं मेरी जान, उसे कोई इतराज नहीं है। चल अब तू आइ है तो मेरा लौड़ा चूस दे अभी।

रानी हँसती हुई नीचे बैठी और उसकी लूँगी हटाई और उसके मोटे लौड़े पर नाक लगाकर सूंघी और बोली: आऽऽह क्या मस्त गंध है आपकी। फिर वह अपनी जीभ से उसके सुपाडे को चाटने लगी और बोली: म्म्म्म्म्म्म क्या स्वाद है। म्म्म्म्म।

अब महक से रहा नहीं गया और वह फिर से खिड़की से झाँकने लगी। अंदर का दृश्य देखकर उसकी बुर गीली होने लगी। रानी की जीभ अभी भी उसके सुपाडे पर थी। फिर वह उसके बॉल्ज़ को सूँघने लगी और फिर चाटी। महक को लगा कि वह अभी झड़ जाएगी। फिर रानी ने ज़ोर ज़ोर से उसके लौड़े को चूसना शुरू किया। महक ने देखा कि वह डीप थ्रोट दे रही थी। लगता है पापा ने उसे मस्त ट्रेन कर दिया है। क़रीब दस मिनट की चुसाई के बाद वह उसके मुँह में झड़ने लगा। उसके मुँह के साइड से गाढ़ा सा सफ़ेद रस गिर रहा था। महक की ऊँगली अपने बुर पर चली गयी और वह अपने पापा के लौड़े को एकटक देखती रही जो अब उसके मुँह से बाहर आ कर अभी भी हवा में झूल रहा था।

अब महक अपने कमरे में आकर अपनी नायटी उठायी और तीन ऊँगली डालकर अपनी बुर को रगड़ने लगी और जल्दी ही उओओइइइइइइइ कहकर झड़ गयी।

रानी के जाने के बाद राजीव तय्यार होकर महक से बोला: बेटी, चलो सुनार के यहाँ चलते हैं और एक बार होटेल का चक्कर भी मार लेते हैं। देखें मैनेजर को अभी भी कुछ समझना तो नहीं है।

महक: ठीक है पापा , मैं अभी तययर होकर आती हूँ। महक ने सोचा कि उसके सेक्सी पापा को आज अपना सेक्सी रूप दिखा ही देती हूँ। वह जब तय्यार होकर आयी तो राजीव की आँखें जैसे फटी सी ही रह गयीं। महक ने एक छोटा सा पारदर्शी टॉप पहना था जिसमें से उसकी ब्रा भी नज़र आ रही थी। उसके आधे बूब्ज़ नंगे ही थे। उसके पेट और कमर का हिस्सा बहुत गोरा और चिकना सा नज़र आ रहा था। नीचे उसने एक मिनी स्कर्ट पहनी थी जिसमें से उसकी गदराई हुई गोल गोल चिकनी जाँघें घुटनो से भी काफ़ी ऊपर तक नज़र आ रही थीं।

राजीव: बेटी, आज लगता है अमेरिकन कपड़े पहन ली हो।

महक: जी पापा, सोचा आज कुछ नया पहनूँ। कैसी लग रही हूँ?

राजीव को अपना गला सूखता सा महसूस हुआ। वह बोला: बहुत प्यारी लग रही हो।

महक हँसते हुए: सिर्फ़ प्यारी सेक्सी नहीं?

राजीव: अरे हाँ सेक्सी भी लग रही हो। अब चलें।

महक: चलिए । कहकर आगे चलने लगी। पीछे से राजीव उसके उभारों को देखकर अपने खड़े होते लौड़े को ऐडजस्ट करते हुए चल पड़ा।

राजीव कार लेकर गरॉज़ से बाहर लाया और जब महक उसकी बग़ल की सीट में बैठने के लिए अपना एक पैर उठाकर अंदर की तब राजीव को अपनी प्यारी बेटी की गुलाबी क़च्छी नज़र आ गयी। उसकी छोटी सी क़च्छी बस उसकी बुर को ही ढाँक रही थी। अब तो उसका लौड़ा जैसे क़ाबू के बाहर ही होने लगा। उसकी क़च्छी से उसकी बुर की फाँकें भी साफ़ दिखाई दी। अपने लौड़े को दबाके वह कार आगे बढ़ाया। महक भी अपने पापा के पैंट के उभार को देखकर बिलकुल मस्त होकर सोची कि पापा को आख़िर उसने अपने जाल में फँसाने की तय्यारी शुरू कर ही दी। वह सफल भी हो रही थी। वैसे उसकी भी पैंटी थोड़ी गीली हो चली थी, पापा का तंबू देखकर।

सुनार के यहाँ काम ख़त्म करके वो दोनों होटेल में पहुँचे जहाँ शादी की पूरी फ़ंक्शन होने वाली थी। होटेल में सब लोग ख़ूबसूरत औरत को देखे जा रहे थे। राजीव ने ध्यान से देखा कि क्या जवान क्या अधेड़ सभी उसको वासना भरी निगाहों से देखे जा रहे थे। अब वो दोनों रेस्तराँ के एक कोने में बैठे और मैनेजर को बुलाया । अब वो सब फ़ाइनल तय्यारियों के बारे में डिस्कस करने लगे। राजीव ने देखा कि मैनेजर भी महक की छातियों को घूरे जा रहा था। राजीव को अचानक जलन सी होने लगी। फिर राजीव का हाथ मोबाइल से टकराया और वह नीचे गिर गया। वह झुक कर उसे उठाने लगा तभी उसकी नज़र टेबल के नीचे से महक की फैली हुई जाँघों पर पड़ीं। वहाँ उसे उसकी क़च्छी दिखाई दी जो कि एक तरफ़ खिसक गयी थी और उसकी बुर एक साइड से दिख रही थी। बुर की एक फाँक दिख रही थी। वहाँ थोड़े से काले बाल भी दिखाई दे रहे थे। उसकी इच्छा हुई कि उस सुंदर सी बुर की पप्पी ले ले। पर अपने को संभाल कर वो उठा।

महक ने शैतानी मुस्कुराहट से पूछा: पापा कुछ दिखा?

राजीव सकपका कर बोला: हाँ मोबाइल मिल गया। वो गिर गया था ना।

महक मुस्कुराई: अच्छा दिख गया ना ? फिर वह उठी और बोली: चलो पापा चलते हैं।

अब वो दोनों घर की ओर चले गए।

महक मन ही मन मुस्कुरा रही थी। राजीव की आँखों के सामने महक की बुर की एक फाँक आ रही थी।
दोनों अपने अपने ख़यालों में गुम से थे।

Free Savita Bhabhi &Velamma Comics @
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RE: ससुर कमीना और बहू नगीना - by desiaks - 04-09-2017, 03:20 PM

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