RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
रानी की बुर साड़ी के ऊपर से दबाकर वह बोला: चलो चुदाई करते हैं।
रानी: अभी नहीं पहले जुली के बारे में बताइए की उसको कैसे गर्भ वती किया आपने?
राजीव: अच्छा पीछे पड़ गयी हो , ठीक है सुनो। फिर उसने अपनी बात बोलनी शुरू की------------------
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क़रीब पाँच साल पहले की बात है, जब मैं दुकान पर ही बैठता था क्योंकि शिवा का फ़ाइनल साल था कॉलेज का। उस दिन मैं अकेला बैठा था क्योंकि नौकर सामने के होटेल में खाना खाने गए थे। मैंने वहीं अपना डिब्बा खा लिया था। मैं ऊँघ रहा था क्योंकि इस वक़्त कोई भी ग्राहक नहीं था।
तभी काँच का दरवाज़ा खुला और उसमें से एक बहुत ही गोरी सुंदर थोड़ी भारी बदन की क़रीब मेरे ही उम्र की महिला अंदर आइ और साथ ही तेज़ सेंट की ख़ुशबू दुकान में फैल गयी। मेरी नींद उड़ गयी और मैं उठकर उसके पास आया और बोला: आइए मैडम जी, बैठिए।
वो मुस्कुरा कर बोली: मुझे कुछ नई साड़ियाँ दिखाइए।
मैं उसे नई डिजाइन की साड़ियाँ दिखाने लगा। वह हर साड़ी को अपने ऊपर रखती और शीशे में देखती थी। ये करते हुए उसका पल्लू खिसक जाता था और मुझे उसकी बड़ी बड़ी चुचीयो की और उनके बीच की घाटी के दर्शन हो जाते थे। ऐसा करते हुए आख़िर उसने दो साड़ियाँ पसंद कीं। मेरा लौड़ा गरमाने लगा था। वह जब शीशे के सामने खड़ी होती तो उसके मस्त चूतरों के उभार तो जैसे मुझे दीवाना कर रहे थे।
फिर वह बोली: आपके यहाँ कोई सेल्ज़ गर्ल नहीं है क्या?
मैं: है ना मगर सब अभी सामने होटेल में खाना खाने गए हैं क्योंकि उंनमें से एक का आज जन्म दिन है। आपको कुछ चाहिए तो आप मुझे बताइए ना?
उसने हिचकिचाते हुए कहा: मुझे अंडर गारमेंट्स चाहिए।
मैं: आइए इस काउंटर पर आइए मैं निकालता हूँ।
यह कहकर मैं एक काउंटर जे पीछे पहुँचा और वहाँ रखे ब्रा और पैंटी को दिखाकर बोला: बताइए किस पैटर्न में दिखाऊँ?
वह बोली: आप मुझे सभी दिखायीये मैं पसंद कर लूँगी।
मैंने उसको जानबूझकर पैडेड ब्रा के डिब्बे से ब्रा निकाल कर दिखाया।
वह बोली: मुझे बिना पैडेड वाली ब्रा चाहिए।
मैं मुस्कुराकर उसकी छाती को देखकर बोला: आप सही कह रही हैं , आपको भला पैड की क्या ज़रूरत है?
वो मेरी बात का मतलब समझ कर लाल हो गई पर कुछ नहीं बोली।
फिर मैंने जानबुझकर उसको ३६ साइज़ की लेस वाली ब्रा दिखाई। वह उसको देखकर बोली: हाँ ये पैटर्न तो सही है पर मुझे बड़ी चाहिए।
मैंने पूछा: क्या साइज़ है मैडम?
वो थोड़ा सा हिचकिचाके बोली: ४० की चाहिए।
मैंने ख़ुश होकर कहा: आपकी और मेरी बीवी की साइज़ एक ही है। अच्छा ज़रा रुकिए , मैंने अपनी बीवी के लिए कुछ नई नोट्टि ब्रा लाया था। उसमें से कुछ शायद आपको भी पसंद आ जाएँ। यह कहकर मैंने उसे बहुत सेक्सी ब्रा दिखायीं। उंनमें निपल के छेद बने थे और निप्पल की जगह किसी में नेट लगा था।
वह ये देखकर बोली: आप अपनी बीवी के लिए ऐसे ब्रा ख़रीदे है ? छी मुझे तो बहुत शर्म आ रही है।
मैं: मुझे तो वो इसमें बहुत सेक्सी लगती है। आप भी बहुत सेक्सी लगेंगी।
वो बोली: नहीं नहीं मुझे आप ये सादी वाली ही दे दीजिए। और अब पैंटी दिखा दीजिए।
मैं उसके कमर को देख कर बोला: आपको तो xxl ही आती होगी। मेरी बीवी का भी यही साइज़ है। फिर मैंने उसे सेक्सी जाली वाली पैंटी ही दिखाई। वह उसे देखकर बोली: छी ये पहनने या ना पहनने में क्या फ़र्क़ है भला।
मैं: अरे मैडम ये भी बहुत सेक्सी है आप पर बहुत फबेगी।
वो: नहीं नहीं मैं ऐसे कपड़े नहीं पहन सकती। फिर मैंने उसे सादी पैंटी दिखाई तो वह उसने ले ली। मैं समझ गया था कि वह एक शरीफ़ महिला है। पर क्या करता मेरा आवारा लौड़ा कड़ा होकर मुझे बार बार उसकी ओर खींच रहा था।
मैं: मैडम मैं आपको भाभी जी बोल सकता हूँ?
वो: हाँ हाँ क्यों नहीं? भाई सांब आपके कितने बच्चे हैं?
मैं: दो और आपके? आपके पति का बिज़नेस है क्या?
वो: जी हाँ उनका इक्स्पॉर्ट का काम है । मेरे एक ही बेटा है, उसकी शादी हो चुकी है।
मैं: तो आप दादी भी बन गयी क्या?
वो दुखी होकर बोली: नहीं अभी तक तो नहीं बनी हूँ।
फिर मैं बिल बना रहा था तो मैंने उसका नाम पूछा। उसने अपना नाम सारिका बताया। मैंने उसका मोबाइल नम्बर और पता भी ले लिया। फिर बिल का पैसा देकर वो जाने लगी तो मैं बोला: भाभी जी आते रहिएगा।
सारिका: ठीक है फिर आऊँगी।
अचानक मुझे पता नहीं क्या हुआ कि मैं बोला: भाभी जी , कल शाम को एक कॉफ़ी साथ में पियें क्या?
सारिका हैरानी से बोली: जी? क्या मतलब?
मैं: बस एक कप कॉफ़ी का तो बोला है और क्या? यहाँ पास में एक कॉफ़ी शाप है चौक पर । कल आपका वहाँ शाम को पाँच बजे इंतज़ार करूँग़ा ।
सारिका: पाँच बजे नहीं चार बजे। छह बजे मेरे पति और बेटा घर आ जाते हैं।
मैं: ठीक है चार बजे। वह मुस्कुराकर चली गयी।
और मैं अपना लौड़ा मसलते हुए उसके मस्त गदराये बदन का सोचने लगा।
उस रात मैंने सरिता याने अपनी बीवी को जबदरस्त तरीक़े से चोदा। और ये सोचकर चोदा कि सारिका को चोद रहा हूँ।
दूसरे दिन शाम को चार बजे मैं कॉफ़ी शॉप में गया तो सारिका वहाँ नहीं थी। थोड़ी देर में वह आयी तो कई मर्दों की निगाहें उस पर थीं। आज उसने सलवार कुर्ता पहना था। वह आइ तो उसकी जानी पहचानी सेंट की ख़ुशबू मेरे नथुनों में घुस गयी और मैं मस्त होने लगा। तभी वह मुस्कुरा कर मेरे सामने आके खड़ी हुई। मैंने उठकर उसकी ओर हाथ बढ़ाया तो उसने मेरे हाथ में अपना हाथ दे दिया और मैंने उसके नरम हाथ को हल्के से दबा दिया।
अब वो मेरे सामने बैठ गई और मेरी आँखें उसकी कुर्ते से बाहर झाँक रही आधी चूचियों पर चली गई। उसने चुन्नी ऊपर रखी थी। आऽऽऽह क्या जलवा था। मेरा लौड़ा झटका मार उठा। उसका हाथ टेबल पर रखा था सो मैंने भी हिम्मत करके उसके हाथ पर अपना हाथ रख दिया और हल्के से दबा दिया। वह मेरी आँखों में देखी पर कुछ नहीं बोली। फिर कॉफ़ी आयी और हम कॉफ़ी पीने लगे।
वह धीरे से बोली: आपके परिवार की फ़ोटो दिखायीये ना। मैंने मोबाइल में बीवी बेटे और बेटी और दामाद की फ़ोटो दिखाई। वो बोली: आपकी बीवी तो बहुत सुंदर है और फ़िगर भी अच्छा है।
मैं: आपसे अच्छा नहीं है। आपका ज़्यादा अच्छा है। मैंने उसकी चूचियों को घूरते हुए कहा। वह शर्मा गयी।
वह: आपको पता है कि मेरी उम्र ५० साल की है और आप मुझसे फ़्लर्ट कर रहे है।
मैं: मैं भी तो ४५ का हूँ। अच्छा आप भी फ़ोटो दिखाइए ना अपने पति की और बच्चों की। फिर उसने भी मोबाइल पर अपने पति बेटे और बहु की फ़ोटो दिखायी।
उसका बेटा और बहु तो सामान्य थे पर उसका पति मोटा और तोंद वाला था और बहुत स्वस्थ भी नहीं दिख रहा था।
मैं: आपके पति तो थोड़े बीमार से दिख रहे हैं।
सारिका: जी हाँ उनको २ महीने पहिले हार्ट अटैक आया था।
मैं: ओह तभी इतने कमज़ोर दिख रहे हैं चेहरे से। एक बात बोलूँ बुरा तो नहीं मानेंगी?
सारिका: नहीं नहीं बोलिए क्या बोलना है?
मैं: आप इतनी मस्त जवान सी रखीं हैं और कहाँ आपके पति कमज़ोर से , आपको संतुष्ट कर लेते हैं?
सारिका का चेहरा लाल हो गया और बोली: आप भी ना? ये कैसा सवाल है?
मैं: मैंने तो कहा था कि आप बुरा नहीं मानोगी।
सारिका: बुरा नहीं मान रही हूँ। ये सच है कि अब हमारे बीच में सेक्स दो महीनों से पूरी तरह बंद है। पर अब ५० की होने के कारण इतनी पागल भी नहीं हो रही हूँ इसके लिए ।
मैंने उसका हाथ दबाया और बोला: देखिए आप मुझे बहुत अच्छी लगती हैं और अगर आप चाहें तो मैं आपसे अपने सबँध को आगे बढ़ाना चाहता हूँ।
सारिका ने मेरी आँखों ने झाँका और बोली: मैंने कभी भी अपने पति को धोका नहीं दिया है। और अब इस उम्र में देना भी नहीं चाहती।
मैं: अच्छा आप कितने विश्वास से यही बात अपने पति के लिए भी कह सकती हो?
सारिका: मुझे पता है कि उनका कई लड़कियों से चक्कर रह चुका है। मैंने तो उनको रंगे हाथों भी पकड़ा है। पर क्या करूँ हर बार उनको माफ़ कर देती थी।
मैं: जब वो बेवफ़ा है तो आपने क्या वफ़ा का ठेका ले रखा है? चलिए ना थोड़ी सी बेवफ़ाई करते हैं हम दोनों।
वो हँसते हुए बोली: क्या बात कही है। अब मैंने अपना हाथ उसके हाथ से हटाकर उसकी जाँघ पर रख दिया और सहलाने लगा। टेबल के नीचे होने से किसी को नहीं दिख रहा था।
सारिका सिहर उठी और बोली: आप मुझे कमज़ोर कर रहे हैं।
मैं: प्लीज़ चलिए ना , वादा करता हूँ कि आपको बहुत ख़ुश करूँगा।
सारिका: कहाँ जाएँगे?
मैं उत्साहित होकर: ये मेरे पास एक फ़्लैट की चाबी है , मेरे दोस्त की वह अभी विदेश में है। यहीं पास में है।
सारिका: पर अब ६ बज रहे हैं। वो दोनों घर आने वाले होंगे , बाप बेटा मेरा मतलब है।
मैं: अरे उनको फ़ोन कर दो कि किसी सहेली के यहाँ हो थोड़ी देर में आ जाओगी।
सारिका :ठीक है आज पहली बार मैं बेवफ़ा बनने जा रही हूँ। फिर उसने अपनी बहू को फ़ोन लगाया और बोली: जूली बेटा अपने पापा को बोलना कि मैं एक सहेली के यहाँ हूँ, एक घंटे में आ जाऊँगी।
फिर वह बोली: एक घंटे में छोड़ दोगे ना?
मैं: ये तो तुम पर सारी आप पर निर्भर करता है कि कितनी ज़्यादा बेवफ़ाई करना चाहती हो?
वो हँसने लगी और बोली: तुम मुझे तुम कह सकते हो। अब हम आख़िर दोस्त तो बनने ही जा रहे हैं ना।
मैं उठते हुए बोला: दोस्त से भी कुछ ज़्यादा । शायद प्रेमी।
हम दोनों हँसते हुए बाहर आए और उसकी कार को वहीं छोड़ कर मेरी कार में हम फ़्लैट की ओर चल पड़े। मेरा हाथ अब उसकी गदराइ जाँघ पर था।
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