RE: कमसिन कन्या
....आप सोचें की एक कुंवारी कमसिन कन्या जिसकी उम्र नादान है और जो अभी खिलती हुई कली ही है और एक लड़का जिसने अभी उम्र के सत्रवेंह साल में ही प्रवेश किया है, सेक्स के बारे में कितने उत्सुक और अधीर होंगे, यह मैंने बाद में जाना की कोमल भी सेक्स की रंगीन दुनिया के लिए सोचती थी और कमसिन कन्याएँ जितना सोचती हैं और अधरी होती हैं उतना और किसी उम्र में शायद ही होती होंगी और इस आनंद को प्राप्त करने के लिए नए प्रयोग करने से भी संकोच नहीं करती... कोमल बाथरूम में गयी और सलवार उतार कर अपने योनी स्थान को धोने लगी, बाथ का दरवाज़ा आधा खुला छोड़ दिया था, शायद उसने सोचा नहीं इतनी सुबह कोई होगा और मैं पीछे से देख रहा होऊँगा. अद्भुत दृश्य...
बनाने वाले ने गज़ब के नितम्ब और जांघें दी थी, गोल, भरे भरे मांसल,गोरे, बिलकुल जैसे सांचे में ढले हुए, मै उसकी योनी नहीं देख पा रहा था, पानी की धार योनी को साफ़ करती हुई जांघों के बीच से पैरों पर होती हुए नीचे गिर रही थी, उसकी कुर्ती गीली हो गयी थी, मैं दरवाजे के पीछे छुप कर देख ही रहा था की वो अचानक ही मुड़ी और मुझे देख स्तब्ध हो गयी, यही हाल मेरा था, उसने सलवार नहीं पहनी थी, सामने से अर्ध नग्न, योनी जांघें और पैर पानी से गीले, योनी पर के हलके सुनहरे बाल योनी से चिपके हुए, स्तन उन्नत और कुर्ती को फाड़ बाहर आने को तैयार, स्तन का ऊपरी हिस्सा गोरा चिकना आकर्षित कर रहा था, लेकिन हम दोनों को काटो तो खून नहीं ऐसी हालत थी..... कोमल ने हड़बड़ा कर अपनी सलवार खूंटी से खींची और बिना पहने ही अपने कमरे की ओर भागी, मैं देखता रह गया, एक जवान नंगी कन्या के नितंबों को, हिलते और मचलते हुए . मेरा मन बेचैन, रहा नहीं गया, मैं कमरे के तरफ आया, कोमल ने सलवार पेहेन ली थी, बाहर निकलते हुए बोली यह तुमने किया ?
मैंने अनजान बनते हुए पुछा, क्या किया ?
"ज्यादा चालाक मत बनो तुमने मुझे चोकलेट क्रीम से पूरी तरह लस दिया, और इस तरह ?"
"तो किस तरह , तुम ने भी रात को क्या किया"
"पर मैंने तुम्हारे मुहं में लगाया और तुमने......." और बोलते बोलत वो रुक गयी
"और मैंने क्या, तुम्हें जो अच्छा लगा वहां तुमने लगाया, मुझे जो अच्छा लगा वहां मैंने लगाया "
कोमल की तो आवाज ही बंद होगई सुनकर, "तुम गंदे हो " उसने कहा,
"तुमने कपडे ख़राब कर दिए मेरे, मेरी सलवार पर दाग लग गए, कैसे छूटेंगे "
" और मेरे पैंट पर जो दाग लगे वो क्या" मैंने कहा,
"झूठ, मैंने वहां नहीं लगाया " कोमल बोल पड़ी
"तुमने लगाया, यह देख" मैंने अपना अन्दर्वेअर लाकर दिखाया जिसमें रात वीर्य पोंछा था, सूख कर दाग हो गए थे,
"यह चोकलेट थोड़ी है, यह क्या है, मैंने ऐसा कुछ नहीं किया " और कोमल मेरे अन्दर्वेअर को देख शर्मा गयी, उसे समझ में नहीं आ रहा था की मैं क्या बोल रहा हूँ,
" यह तुम्हारी वजह से है, तुम्हारे कारण यह निकला" मैंने कहा,
"निकला ?" उसने अनजाने में पुछा,
" मेरा रस "
" तुम्हारा रस मतलब ?" वो वाकई अनजान थी,
"तुम गुस्सा नहीं हो तो मैं बताऊँगा तुमने क्या किया मेरे साथ " मैं अब उससे कुछ खुल गया था और मुझे अपने पर काबू नहीं था, मैं चाहता था की बात को उस ओर मोड़ कर उसकी प्रतिक्रिया देंखूं,
"बोलो" उसने कहा
"गुस्सा नहीं होना, यह देख क्या किया " कहकर मैंने अपने अपने लिंग पर हाथ रक्खा जो अब फिर से फुफकार रहा था और पैंट के एक तरफ के किनारे को ऊपर कर लिंग की चमड़ी को पूरा पीछे खींच भरपूर लाल सुपाड़े की झलक उसे दिखाई, लिंग था मोटा और लाल, उसकी आँखें पथरा सी गयीं, एकटक निहारने लगी,
"आआअ, उईई, यह क्या है....आआआआ..शी शी शी शी........ओह हो यह क्या है ...." कोमल का चेहरा आश्चर्य से भरा था, आँखें सुपाड़े पर अटकी थी,
और आवाज़ भारी हो गयी जैसे गले में रुंध गयी हो, लिंग फडफडा रहा था, शिष्न बिंदु पर रस की बूँद दिख रही थी, उसने मुझे देखा,
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