उशा की कहानी
04-04-2017, 08:36 PM,
#3
RE: उशा की कहानी
थोरि देर तक जोर जोर धक्को से अपने बहु चूत चोदने के बद गोविनदजी ने अपना धक्कोन कि रफ़तेर धेमे कर दिया और उशा कि चुमचेओन को फिर से अपने हथोन मे पकर कर उशा से पुचा, “बहु कैसा लग रहा अपने ससुर का लुनद अपनि चूत मे पिलवा कर?” तब उशा अपनि कमर उथा उथा कर चूत मे लुनद कि चोत लेति हुइ बोलि, “ससुरजी अपसे चूत चुदवा कर मैं और मेरि चूत दोनो का हल हि बेहल हो गया है। आप चूत चोदूनीई मे बहुत एक्सपेरत्तत्तत हैन्नन्नन बदाअ मजा आ रहा है मुझे ससुरजी ऊओह्हह्हह ससुरजी आप बहुत अच! छा चोदते हैन आआह्हह्हह्ह ऊऊऊह्हह्हह्हह्हह्ह। ऊऊओफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़ ससुरजी आप बहुत हि एक्सपेरत हैन और अपको औरतोन कि चूत चोद कर औरतोन को सुख देना बहुत अस्सह्हीए तरह से आत्ता हैन। मुझे बहुत अस्सह्हा लग रहा है ययून्न ही हान सौरजीई यून्न ही चोदो मुझे आप्पप्प बाहुत अच्चहे हो बास्स ययून हि चोदै करो मेरि ऊओह्हह्हह्हह खूब चोदो मुझे। गोविनदजी भि उशा कि बतोन को सुन कर बोले, “ले रनदि, चिनल ले अपने चूत मे अपसने सौर के लुनद का थोकर ले। आज देखतेन है कि तु कितनि बरि चिनल चुद्दकर है। आज मैं तेरि चूत को अपने हलवी लुनद से चोद चोद कर भोसरा बना दुनगा। ले मेरि चुदक्कर बहु ले मेरा लुनद अपनि चूत से खा।” गोविनदजे इतना कह कर फिर से उशा कि चूत मे पना लुनद जोर जोर से पेलने लगे और थोरि देर के अपना लुनद जर तक थनस कर अपनि बहु कि चूत के अनदर झर गये। उशा भि अपने सौर कि लुनद को चुतौथा उथा कर अपनि चूत से खती खती झर गयी। थोरि देर तक दोनो ससुर और बहु अपनि चुदै से थक कर सुसत परे रहे।

थोरि देर के बद उशा ने अपनि अनख खोलि और अपने ससुर और खुद को ननगी देख कर शरमा कर अपने हथोन से अपना चेहेरा धक लिया। तब गोविनदजी उथ कर पहले बथरूम मे जा कर अपना लुनद धो कर सफ़ करने के बद फिर से उशा के पस बैथ गये और उसकि शरेर से खेलने लगे। गोविनदजी ने अपने हथोन से उशा का हथ उसके चेहेरे से हथा कर अपने बहु से पुचा, “कयोन, चिनल चुद्दकर रनदी उशा मज़ा अया अपने ससुर के लुनद से अपनि चूत चुदवा कर? बोल कैसा लगा मेरा लुनद और उसके धक्के?” उशा अपने हथोन से अपने ससुर को बनध कर उनको चुमते हुए बोलि, “बबुजी अपका लुनद बहुत शनदर है और इसको किसि भि औरत कि चूत को चोद कर मज़ा देने कि कला अति है। लेकिन, सुबसे अस्सह्हा मुझे अपका चिदते हुए गनदी बत करना लगा। सुच जब आप गनदी बत करते हैन और चोदते है तो बहुत अस्सह्हा लगता है।” गोविनदजी ने अपने हथोन से उशा कि चुनची को पकर कर मसलते हुए बोले, “अरे चिनल, जा हुम गनदा कम कर रहेन हैन तो गनदी बत करने मे कया फ़रक परता है और मिझको तो चुदै के समय गली बकने कि अदपत है। अस्सह्हा अब बोल तुझे मेरा चुदै कैसी लगी? मज़ा आय कि नही, चूत कि खुजली मेती कि नही?” उशा ने तब अपने हथोन से अपने ससुर का लुनद पकर कर सहलते हुए बोलि, “ससुरजी अपका लुनद बहुत हि शनदर है और मुझे अपसे अपनि चूत चुदवा कर बहुत मज़ा आया। लगता है कि अपके लुनद को भि मेरि चूत बहुत पसनद आया। देखेये ना अपका लुनद फिर से खरा हो रहा है। कया बत एक बर और मेरि चूत मे घुसना चहता है कया?” गोविमदजी ने तब अपने हथ उशा कि चूत पर फेरते हुए बोले, “सलि कुतिअ, एक बर अपने ससुर का लुनद खा कर तेरि चूत का मन नही भरा, फिर से मेरा लुनद खना चहती है? थीक है मैं तुझको अभि एक बर फिर से चोदता हुन।”

गोविनदजी कि बत सुन कर उशा झत से उथ कर बैथ गयी और अपने ससुर के समने झुक कर अपने हथ और पैर के बल बैथ कर अपने ससुर से बोलि, “बबुजी, अब मेरि चूत मे पीचे से अपना लुनद दल कर चोदिअ। मुझे पीचे से चूत मे लुनद दलवने मे बहुत मज़ा आता है।” गोविनदजी ने तब अपने समने झुकि हुए उशा किए चुतर पर हथ फेरते हुए उशा से बोले, “सलि कुत्ती तुझको पीचे से लुनद दलवनव मे बहुत मज़ा आता है? ऐसा तो कुतिअ चुदवती है, कया तु कुतिअ है?” उशा अपना सिर पीचे घुमा कर बोलि, “हन मेरे सोदु ससुरजी मय कुतिअ हुन और इस समय आप मुझे कुत्ता बन कर मेरि चूत चोदेनगे। अब जलदी भि कतिये और शुरु हो जैअ जलदी से मेरि चूत मे अपना लुनद दलिये।” गोविनदजी अपने लुनद पर थुक लगते हुए बोले, “ले रेनि रनदी बहु ले, मैं अभि तेरि फुदकती चूत मे अपना लुनद दल कर उसकि खबर लेत हुन। सलि तु बहुत चुद्दकर है। पता नहीन मेरा बेता तुझको शनत कर पयेगा कि नही।” और इतना कहकर गोविनदजी अपने बहु के पीचे जकर उसकि चूत अपने उनगलिओन से फैला कर उसमे अपना लुनद दल कर चोदने लगे। चोदते चोदते कभि कभि गोविनदजी अपना उनगली उशा कि गनद मे घुसा रहेन थे और उशा अपनि कमर हिला हिला अपनि चूत मे ससुर के लुनद को अनदर भर करवा रही थी। थोरि देर के चोदने के बद दोनो बहु और सौर झर गये। तब उशा उथ कर बथरूम मे जकर अपना चूत और झनगे धोकर अपने बिसतर पर आकर लेत गयी और गोविनदजी भि अपने कमरे जकर सो गये।

अगले हफ़ते रमेश और उशा अपने होनेयमून मनने अपने एक दोसत, जो कि शिमला मे रहता है, चले गये। जैसे हि रमेश और उशा शिमला ऐरपोरत से बहर निकले तो देखा कि रमेश का दोसत, गौतम और उसकि बिबि सुमन दोनो बहर अपनि सर के सथ उनका इनतेज़र कर रहेन हैन। रमेश और गौतम अगे बरज कर एक दुसरे के गले लग गये। फिर दोन ओने अपनि अपनि बिबिओन से इनत्रोदुसे करवा दिया और फिर सर मे बैथ कर घर कि तरफ़ चल परे। घर पहुनच कर रमेश और गौतन दरविनग मे बैथ कर पुरनी बतो मे मशगूल हो गय और उशा और सुमन दुसरे कमरे मे बैथ कर बतेन करने लगे। थोरि देर के बद रमेश और गौतम अपने बिबिओन को बुअकर उनसे कह कि खना लग दो बहुत जोर कि भुक लगी है। सुमन ने फता फत खना लगा दिया और चरोन दिनिनग तबले पर बैथ कर खने लगे। खना खते वकी उशा देलह रही थी कि रमेश खमा खते वकत सुमन को घुर घुर कर देख रहा है और सुमन भि धिरे धिरे मुसकुरा रही है। उशा को दल मे कुच कला नज़र अया। लेकिन वो कुच नही बोलि।

अगले दिन सुबह गौतम नहा धो कर और नशता करने के बद अपने ओफ़्फ़िसे के लिये रवना हो गया। घर पर उशा, रमेश और सुमन पर बैथ कर नशता करने के बद गप लरा रहे थे। उशा आज सुबह भि धयन दी कि रमेश अभि भि सुमन को घुर रहा है और सुमन धिरे धिरे मुसकुरा रही है। थोरि देर के बद उशा नहने के लिये अपने कपरे ले कर बथरूम मे गयी। करीब अधे घनते के बद जब उशा बथरूम से नहा धो कर सिरफ़ एक तौलिअ लप्पेत कर बथरूम से निकली तो उसने देखा कि सुमन सिरफ़ बलौसे और पेत्तिसोअत पहने तनगे फैला कर पनि कुरसी पर फैली अधे लेति और अधे बैथी हुए है और उसकि बलौसे के बुत्तोन सब के सब खुले हुए है रमेश झुक कर सुमन कि एक चुनची अपने हथोन से पकर चुस रहा है और दुसरे हथ से सुमन कि दुसरी चुनची को दबा रहा है। उशा एह देख कर सन्न रह गयी और अपनि जगह पर खरि कि खरि रहा गयी। तभि सुमन कि नज़र उशा पर पर गयी तो उसने अपनि हथ हिला कर उशा को अपने पस बुला लिया और अपनि एक चुनची रमेश से चुरा कर उशा कि तरफ़ बरहा कर बोलि, “लो उशा तुम भि मेरि चुनची चुसो।” रमेश चुप चप सुमन कि चुनची चुसता रहा और उसने उशा कि तरफ़ देलहा तक नही। सुमन ने फिर से उशा से बोलि, “लो उशा तुम भि मेरि चुनची चुसो, मुझे चुनची चुसवने मे बहुत मज़ा मिलता है तभि मैने रमेश से अपनि चुनची चुसवा रही हुन।” उशा ना अब कुच नही बोलि और सुमन कि दुसरी चुनची अपने मुनह मे भर कर चुसने लगि।

थोरि देर के बद उशा ने देखा कि सुमन अपना हथ अगे कर के रमेश का लुनद उसके पैजमे के ऊपेर से पकर कर अपनि मुथि मे लेकर मरोर रही है और रमेश सुमन कि एक चुनची अपने मुनह मे भर कर चुस रहा है। अब तक उशा भि गरम हो गयी थी। तभि सुमन ने रमेश का पैजमे का नरा खीनच कर कजखोल दिया और रमेश का पैजमा सरक कर नीचे गिर गया। पैजमा को नीचे गिरते हि रमेश ननगा हो गया कयोनकी वो पैजमे के नीचे कुच नहि पहन रखा था। जैसे हि रमेश रमेश ननगा हो गया वैसे हि सुमन अगे बरह कर रमेश का खरा लुनद पकर लिया और उसका सुपरा को खोलने और बनद करने लगी और अपने होथोन पर जीव फेरने लगी। एह देख कर उशा ने अपने हथोन से पकर कर रमीश का लुनद सुमन के मुनह से लगा दिया और सुमन से बोलि, “लो सुमन, मेरे पति का लुनद चुसो। लुनद चुसने से तुमहे बहुत मज़ा मिलेगा। मैं भि अपनि चूत मरवने के पहले रमेश का लुनद चुसती हुन। फिर रमेश भि मेरि चूत को अपने जीव से चत्ता है।” जैसे हि उशा ने रमेश का लुनद सुमन के मुनह से लगया वैसे हि सुमन ने अपनि मुनह खोल कर के रमेश का लुनद अपने मुन मे भर लिया और उसको चुसने लगी। अब रमेश अपना कमर हिला हिला कर अपना लुनद सुमन के मुनह के अनदर बहर करने लगा और अपने हथोन से सुमन कि दोनो चुनची पकर कर मसलने लगा। तब उशा ने अगे बरह कर सुमन कि पेत्तिसोअत का नरा खोल दिया। पेत्तिसत का नरा खुलते हि सुमन ने अपनि चुतर कुरसी पर से थोरा सा उथा दिया और उशा अपने हथोन से सुमन कि परत्तिसोअत को खीनच कर नीचे गिरा दिया। सुमन ने पेत्तिसोअत के नीचे पनती नही पहनी थी और इसलिये पेतीसोअत खुलते हि सुमन भि रमेश कि तरह बिलकुल ननगी हो गयी।

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