उशा की कहानी
04-04-2017, 08:36 PM,
#2
RE: उशा की कहानी
अब गोविनदजी उथ कर उशा को पलनग पर पिथ के बल लेता दिया। जैसे हि उशा पलनग पर लेती, गोविनदजी झपत कर उशा पर चर बैथ गये और अपने दोनो हथोन से उशा कि चुनचेओन को पकर कर मसलने लगे। गोविनदजी अपने हथोन से उशा कि चुनची को मसल रहे थे और मुनह से बोल रहे थे, “मुझे मलुम था कि तेरि चुनची इतनि मसत होगि। मैं जब पहली बर तुझको देखने गया था तो मेरा नज़र तेरि चुनची पर हि थी और मैने उसि दिन सोच लिया था इन चुनचेओन पर मैं एक ना एक दिन जरूर अपना हथ रखुनगा और इनको रगर रगर कर दबुनगा। “है! अह! ओह! एह आप कया कह रहेन है? एक बप होकर अपने लरके के लिये लरकी देखते वकत आप उसकि सिरफ़ चुनचिओन को घुर रहे थे। ची कितने गनदे है आप” उशा मचलती हुइ बोलि। तब गोविनदजी उशा को चुमते हुए बोले, “अरे मैं तो गनदा हुन हि, लेकिन तु कया कम गनदी है? अपने ससुर के समने बिलकुल ननगी परी हुइ है और अपनि सुनचिओन को ससुर से मसलवा रही है? अब बता कयोन जयदा गनदा है, मैं या तु?” फिर गोविनदजी ने उशा से पुचा, “अस्सहा एह बत कि चुमची मसलै से तेरा कया हल हो रहा है?” उशा अपने ससुर से लिपत कर बोलि, “"ऊऊह्हह्हह और जोरे से हान ससुरजी और जोरे से दबाओ बदा मजा आरहा है मुझे, अपका हथ औरतोन के चुमची से खेलने मे बहुत हि महिर है। अपको पता है कि औरतोन कि चुनची कैसे दबया जता है। और जोर से दबैये, मुझे बहुत मज़ा आ रहा है। फिर उशा अपने ससुर को अपने हथोन से बनधते हुए बोलि, “अब बहुत हो गया है चुनची से खेलना। आपको इसके आगे जो भि करने वले हैन जलदी किजिये, कहीन रमेश ना आ जये और मेरि भि चूत मे खुजली हो रही है।” “अभि लो, मैं अभि तुझको अपने इस मोते लुनद से चोदता हुन। आज तुझको मैं ऐसा चोदुनगा कि तु जिनदगी भर यद रखेगी” इतना कह कर गोविनदजी उथकर उशा के पैरोन के बीच उकरु हो कत बैथ गये।

ससुरको अपने ऊप्पेर से उथते हि उशा ने अपनि दोनो तनगोन को फ़ैला कर ऊपर उथा लिया और उनको घुतने से मोर कर अपना घुतना अपने चुनचिओन पर लगा लिया। इस्से उशा कि चूत पुरि तरह से खुल कर ऊपर आ गयी और अपने ससुर के लुनद अपनि चूत को खिलने के लिये तयर हो गयी। गोविनदजी भि उथ कर अपना धोति उतर, उनदेरवेअर, कुरता और बनिअन उतर कर ननगे हो गये और फिर से उशा के खुले हुए पैरोन के बीच मे आकर बैथ गये। तब उशा उथ कर अपने ससुर का तनतनया हुअ लुनद अपने नज़ुक हथोन से पकर लिया और बोलि, “ऊओह्हह्हह ससुरजी कितना मोता और सखत है अपका यै।” गोविनदजी अतब उशा के कन से अपना मुनह लगा कर बोले, “मेरा कया? बोल ना उशा, बोल” गोविनदजी अपने हथोन से उशा का गदरया हुअ चुमचेओन को अपने दोनो हथोन से मसल रहे थी और उशा अपने ससुर का लुनद पकर कर मुथी मे बनधते हुए बोलि, "आआअह्हह्ह ऊओफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़ ऊईईइम्मम्ममाआ ऊऊह्हह्ह ऊऊउह्हह्हह्हह्ह! अपका एह पेनिस स्सस्सह्हह्हह्हह्ह ऊऊम्मम्मम्ममाआह्हह्ह।" गोविनदजी फिरसे उशा के कन पर धिरे से बोले, "उशा हिनदि मैं बोलो ना इसका नाम पलेअसे"। उशा ससुर के लुनद को अपने हथोन मे भर कर अपनि नज़र नीची कर के अपने ससुर से बोलि, “मैं नही जनता, आप हि बोलिए ना, हिनदि मे इसको कया कहते हैन।” गोविनदजी ने हनस कर उशा कि चुनची के चुसते हुए बोले, “अरे ससुर के समने ननगी बैथी है और एह नही जनती कि अपने हथ मे कया पकर रखी है? बोल बेति बोल इको हिनदि मे कया कहते और इस्से अभि हुम तेरे सथ कया करेनगे।”

तब उशा ने शरमा कर अपने ससुर के नगी चती मे मुनह चुपते हुए बोलि, “ससुरजी मैं अपने हथोन से अपका खरा हुअ मोता लुनद पकर रखी है, और थोरि देर के बद आप इस लुनद को मेरि चूत के अनदर दल कर मेरि चुदै करेनगे। बस अब तो खुश हैन आप। अब मैं बिलकुल बेशरम होकर आपसे बत करुनगी।” इतना सुन कर गोविनदजी ने तब उशा को फिर से पलनग पर पीथ के बल लेता दिया और अपने बहु के तनगो को अपने हथोन से खोल कर खुद उन खुली तनगो के बीच बैथ गये। बैथने के बद उनहोने झुक कर उशा कि चूत पर दो तीन चुम्मा दिया और फिर अपना लुनद अपने हथोन से पकर कर अपनि बहु कि चूत के दरवजे पर दिया। चूत पर लौनद रखते हि उशा अपनि कमर उथा उथा कर अपनि ससुर के लुनद को अपनि चूत मे लेने कि कोशिश करने लगी। उशा कि बेतबी देख कर गोविनदजी अपने बहु से बोलि, “रुक चिनल रुक, चूत के समने लुनद आते हि अपनि कमर उचका रही है। मैं अभि तेरे चूत कि खुजली दुर करता हुन।” उशा तब अपने ससुर के चती पर हथ रख कर उनकि निप्पले के अपने उनगलेओन से मसलते हुए बोलि, “ऊऊह्हह ससुरजी बहुत हो गया है। आब बरदशत नहिन हो रहा है आओ ना ऊऊओह्हह पलेअसे ससुरजी, आओ ना, आओ और जलदी से मुझको चोदो। आब देर मात कारो आब मुझे चोदो ना आब और कितनि देर करेनगे ससुरजी। ससुर जी जलदी से अपना एह मोता लुनद मेरि चूत मे घुसेर दिजिये। मैं अपनि चूत कि खुजली से पगल हुए जा रही हुन। जलदी से मुझे अपने लुनद से चोदिये। अह! ओह! कया मसत लुनद है अपका।” गोविनदजी अपना लुनद अपने बहु कि चूत मे थेलते हुए बोले, “बह रे मेरे चिनल बहु, तु तो बरि चुद्दकर है। अपने मुनह से हि अपने ससुर के लुनद कि तरीफ़ कर रही है और अपनि चूत को मेरा लुनद खिलने के लिये अपनि कमर उचका रही है। देख मैं आज रत को तेरे चूत कि कया हलत बनता हुन। सलि तुझको चोद चोद करत तेरि चूत को भोसरा बना दुनग” और उनहोने एक हि झतके के सथ अपना लुनद उशा कि चूत मे दल दिया।

चूत मे अपने ससुर का लुनद घुसते हि उशा कि मुनह से एक हलकी सि चिख निकल गये और उसने पने हथोन से अपने ससुर को पकर उनका सर अपनि चुनचेओन से लगा दिया और बोलने लगी, “वह! वह ससुर जी कया मसत लुनद है आपका। मेरि तो चूत पुरि तरह से भर गये। अब जोर जोर से धक्का मा कर मेरि चूत कि खुजली मिता दो। चूत मे बहुत खुजली हो रही है।” “अभि लो मेरे चिनल चुद्दकर बहु, अभि मैं तेरि चूत कि सरि कि सरि खुजली अपने लुनद के धक्के के सथ मितता हुन” गोविनदजी कमर हिला कर झतके के सथ धक्का मरते हुए बोले। उशा भि अपने सौर के धक्के के सथ अपनि कमर उचल उचल कर अपनि चूत मे अपने ससुर का लुनद लेते बोलि, “ओह! अह! अह! ससुरजी मज़ा आ गया। मुझे तो तरे नज़र आ रहेन है। अपको वाकि मे औरत कि चूत चोदने कि कला आती है। चोदिए चोदिए अपने बहु कि मसत चूत मे अपना लुनद दल कर खूब चिदिए। बहुत मज़ा मिल रहा है। अब मैं तो आपसे रोज़ अपनि चूत चुदवौनगी। बोलिये चोदेनगे ना मेरि चूत?” गोविनदजी अपनि बहु कि बत सुन कर मुसकुरा दिये और अपना लुनद उसकि चूत के अनदर बहर करमा जरि रखा। उशा अपनि ससुर कि लुनद से अपनि चूत चुदवा कर बेहल हो रही थी और बरबरा रही थे, “आआह्हह्हह ससुरजीईए जोर्रर्रर सीई। हन्नन्न ससयरजीए जूर्रर्रर जूर्रर्र से धक्कक्काअ लगीईईईईई, और्रर्रर जूर्रर सीई चोदिईईए अपनि बहूउ कि चूत्तत्त को। मुझीई बहूत्तत्त अस्सह्हह्हाअ लाअग्गग रह्हह्हाअ हैईइ, ऊऊओह्हह्ह और जुर से चोदो मुझे आआह्हह्ह सौऊउर्रर्रजीए और जोर से करो आआअह्हह्हह्हह्हह्ह और अनदेर जोर सै। ऊऊओह्हह्ह दीआर्रर ऊऊओह्हह्हह्ह ऊऊऊफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़ आआह्हह्हह आआह्हह्हह्ह ऊउईईई आअह्हह्हह ऊऊम्मम्माआआआह्हह्हह्हह्हह ऊऊऊओह्हह्हह्हह।"

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