मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति
08-01-2016, 10:23 PM,
#87
RE: मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति
पिंकी की पिंक ...गुलाबी चूत को इतने नजदीक से देखने के लिए मैं मर रहा था .....

उसकी कोमल चूत को देखने और छूने का समय आ गया था ....

पिंकी अब मेरी किसी भी हरकत का खुलकर विरोध नहीं कर रही थी ....

जो भी थोड़ा बहुत ना नुकुर या फिर इधर उधर वो कर रही थी ...वो उसकी नारी सुलभ लज़्ज़ा थी ...या फिर पहली बार किसी बाहरी पुरुष के इतने नजदीक जाने का अहसास ....

लेकिन ये पक्का था कि ये सब छेड़खानी उसको बहुत ज्यादा भा रही थी ....

और उसकी महकती हुई ...मचलती हुई जवानी मेरी बाहों में थी ....और मुझे ज़माने भर का सुख दे रही थी ...

उसकी पतली साडी के ऊपर से ..मैंने पिंकी कि चूची, चूत और गांड को खूब मसल लिया था ....
अब बारी इन सभी अंगों को नंगा करने की थी ....

जिसकी शुरुआत मैंने कर दी थी ....

मैंने साडी खोलने की वजाए ..पहले उसकी साडी को उठाकर उसके बेशकीमती खजाने ...पिंकी की कोमल सी बुर को नंगा करने की सोची ....

एक बार उसकी बुर अच्छी तरह गरम हो जाए ...और कामरस से भर जाए ....वो खुद साड़ी ..पेटीकोट उतार फेंकेगी ....और मेरा लण्ड अपनी चूत में घुसा लेगी ...

मैंने बहुत अरमानो के साथ ही उसकी साडी का निचला सिरा पकड़ लिया .....

और बोला ....

मैं:लाओ जानेमन ...अब तो इज़ाज़त दे दो ....तुम्हारी बुर को अच्छी तरह साफ़ करने की ....

पिंकी: अरे तो अभी तक आप क्या कर रहे थे ..???
मैं तो समझी आप मेरी साफ़ ही कर रहे हैं ... 

मैं: अरे ये भी कोई साफ करना होता है ...एक बार वैसे साफ करवा कर देखो ...फिर तो हर बार मुझे ही याद करोगी ....
मैंने फिर से अपनी जीभ की नोंक को हिलाकर सेक्सी इशारा किया ...(कि कैसे अपनी जीभ से तेरी चूत को कुरेद-कुरेद कर साफ़ करूँगा)

पिंकी के चेहरे पर अब ना बुझने वाली मुस्कान ...सेक्सी मुस्कान ...लगातार झलक रही थी ...

पिंकी: अच्छा तो चलिए उसे भी देख लेते हैं ....

मैं पिंकी की साडी को नीचे से पकड़ ऊपर उठाने लगा ...

मेरे दिल की धड़कने लगातार बढ़ रही थी ....

उसकी साडी अभी घुटने के ऊपर ही आई थी कि ..पिंकी ने कहा ....

...................

पिंकी: ओह ....सुनिए सर ...सोफे पर चलें ...यहाँ ये चुभ रहा है .....

मैंने तुरंत अपने लण्ड की ओर देखा……. जो उसकी जांघ से चिपका था ....

मगर बो मेज से नीचे उतर अपने चूतड़ों को सहला रही थी ...

ओह मतलब मेज पर कुछ चुभ रहा था .....उसका आशय मेरे लण्ड से नहीं था .....

मैंने भी हँसते हुए उसके चूतड़ों को सहलाया ....

मैं:कहाँ जान ?????
मैं तो कुछ ओर समझा ...?????

वो भी मेरे लण्ड की ओर देखते हुए ..मुस्कुराती हुई सोफे पर चली गई ......

सोफ़ा बहुत अच्छी जगह था ....
ये सीसे वाली वाल से लगा था .....

सोफे के पीछे वाला परदा हटते ही ..सीसे से बाहर वाले कमरे में ..पूरा स्टाफ काम करते हुए नजर आने लगता था .....
जिसका मजा में हमेशा यास्मीन को चोदते हुए लेता था .....

पिंकी बड़े आराम से सोफे पर अधलेटी हो गई ....

मैं उसके पैरों के पास बैठ गया ....

मैं धीरे से उसकी साडी ऊपर उठाने लगा ....

पिंकी ने अपनी आँखे बंद कर ली थीं ....

वो आने वाले सुख का पूरा मजा लेना चाहती थी ....

इसी का फ़ायदा उठाते हुए मैंने सीसे पर से परदा हटा दिया ....

और सभी स्टाफ मुझे दिखने लगा .....

अब ऐसा लग रहा था जैसे में कहीं भीड़भाड़ ...या पब्लिक प्लेस में हूँ ....और ये सब मस्ती कर रहा हूँ ...

पिंकी की शरम अभी भी पूरी तरह नहीं हटी थी ....

उसने अपनी टाँगे ढीली नहीं छोड़ी थीं ...वल्कि कसकर मुझे साडी नहीं उठाने दे रही थी .....

पिंकी: प्लीज ऐसे ही कर दीजिये न साफ़ .....मुझे बहुत शरम आ रही है .....

उसके नखरे देख मुझे बहुत मजा आ रहा था .....

मैंने पिंकी को चूमते हुए सोफे पर सही से लिटा दिया ...
उसके साडी का पल्लू हटाकर उसके चेहरे पर डाल दिया ...

..................

पिंकी: देखिये सर मुझे बहुत शरम आ रही है ...केवल एक बार ही ...जल्दी से साफ़ कर देना ....फिर मैं उठ जाउंगी ....एक दो बार से ज्यादा मैं नहीं कराऊंगी ...पक्का ...

मैं: हा हा हा हा ...अरे मैं कौन सा घंटे ललगाउंगा ..बस गीलापन साफ़ करूँगा ...कसम से .....हा हा 

पहले उसकी शरम को कुछ दूर करना जरुरी था ....

मैं सोफे के नीचे अपने घुटनो पर बैठ गया ...मैंने अपने होंठ पिंकी की नाभि के ऊपर रख दिए ...और जीभ से चाटने लगा ...

अब पिंकी मचलने लगी ....मैंने एक हाथ उसके घुटनो पर रख ...उसकी साडी को पकड़ लिया ....

पिंकी के मचलने से और मेरे प्रयास से उसकी साडी ऊपर होने लगी ....
कुछ ही क्षणों में साडी जाँघों तक आ गई ...

मैं पिंकी के पेट को चूमते हुए ही नीचे उसकी चूत की ओर बढ़ने लगा ...
साथ ही साथ साडी ..पेटीकोट के साथ ऊपर ..उसकी कमर तक भी लाने का कार्य जारी था ....

और जल्दी ही साडी कमर तक पहुँच गई ....

मैं भी घूमकर अब उसकी टांगों के बीच आ गया .....

वाओ.... कितनी चिकनी और सफ़ेद टांगें थी पिंकी की ....बिलकुल केले के तने जैसी ...तरासी हुई टांगों को देखकर ही मेरा डिल बाग़ बाग़ हो गया ....

मैंने उसके पैरों को सहलाते हुए ....अपना पूरा चेहरा वहां रख दिया ....
उसके पैरों को सहलाते हुए मैं ऊपर को बढ़ने लगा ...

पिंकी बहुत कसमसा रही थी ...पर जैसे ही मैं उसकी जांघो तक पहुंचा ..उसने खुद ही अपनी टांगों के बीच गैप बना दिया ....

अब मैंने उसकी दोनों टांगों को घुटने से हल्का सा मोड़ते हुए ....उसकी जाँघों के अंदर वाले भाग को चूमते हुए ....दोनों को इतना फैला दिया कि मेरा सर ..सरलता से वहां आ गया ....

अब मैं पिंकी की चूत के बिलकुल नजदीक पहुँच गया था ....
इतनी सब क्रिया के बाद ...मैंने पहली बार पिंकी की गुलाबी चूत को देखा .....

कसम से मेरे लण्ड ने हल्का सा पानी छोड़ दिया ...क्या चूत थी ...गुलाबी तो थी ही ...और इस समय उसके सफ़ेद रस से भरी हुई ....

उसकी चूत का पानी उसके चूत के छेद और बाहर भी निकल कर चारों ओर फ़ैल गया था ....
वो चमक रहा था ..जिससे चूत की ख़ूबसूरती कई गुना बढ़ गई थी ...

....................

मैंने अपनी नाक ठीक उसके चूत के छेद पर रख उसकी मदमस्त खुसबू ली ...

मेरी सांस जैसे ही वहां पड़ी ...

पिंकी ने एक जोर की सिसकारी ली ....

पिंकी: अह्ह्ह्हाआआआआआ आह्हआआआआआआआआअ ओह ......

उसकी साडी तो शायद पूरी खुल ही गई थी ...और पेटीकोट के साथ उसके कमर से भी ऊपर ..उसके पेट तक फैली थी ....

पैरों के तलुए से लेकर ..पेट तक ..जहाँ पिंकी ने अपने पेटीकोट का नारा बाँधा था ...वहां तक पूरी नंगी वो मेरे सामने लेती थी ...

उसके पैरों में घुँघरू वाली पायल ..लगातार बज रही थी ..जो बहुत खूबसूरत लग रही थी ...

अपने दोनों पैरों को थोड़ा सा उठाकर ..घुटनो तक मोड़े हुए ...
उसके चूतड़ों की गोलाई ...चूतड़ों के बीच सुरमई छेद ....और गुलाबी दरार ....उसके ऊपर ..गुलाबी पफ्फ़ी ..गुदगुदे ..हलके से उभरे हुए ...पर आपस में चिपके हुए ..उसकी चूत की ख़ूबसूरती के हर कौण को अच्छी तरह दिखा रहे थे ...

उसकी चूत को देखकर कोई नहीं कह सकता था कि ये अभी तक चुदी भी है ...उसको देखकर तो लग रहा था जैसे उसमे कभी ऊँगली तक नहीं गई ....

मैंने पिंकी की ख़ूबसूरती अच्छी तरह निहारने के बाद उससे खेलना शुरू कर दिया ....

मेरी जीभ पिंकी की चूत के हर ओर घूमने लगी ...

पिंकी के मुहं से अब लगातार सिस्कारियां निकल रही थी ....

पिंकी: आःह्हाआआआआआ उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ओह अह्ह्ह हाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आःह्हाआआ नहीईइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइ आह्हआआआअ 

मेरे ऑफिस में एक अलग ही माहोल बन गया था ....

....................

मैंने उसकी चूत को अब अपने हाथों से हल्का सा खोला ....बहुत चिपचिपा हो रहा था ...

सायद बहुत समय के बाद उसकी चूत को ये अहसास मिल रहा था ...या शायद पहली बार ....

उसकी चूत बहुत ज्यादा ही पानी छोड़ रही थी ....इतना पानी तो अनु की चूत से भी नहीं निकला था ...

मुझे उसकी खुसबू बहुत भा रही थी ...मेरी जीभ लगातार उसकी चूत के चारों ओर ...अंदर तक अठखेलियां कर रही थी ...

अब पिंकी ने अपने चूतड़ों को ऊपर की ओर उछालना भी शुरू कर दिया था ....

उसको बाकई बहुत आनंद आ रहा था ....

वो मजे के सागर में गोते लगा रही थी ....

मैं चूत से लेकर गांड तक ..सब कुछ चाट रहा था ....

जो पिंकी केवल १-२ बार में साफ़ करने की बात कर रही थी ...
वो अब सिस्कारियों के साथ-साथ चटवाने में सहयोग भी कर रही थी ...

वो खुद अपनी चूत मेरे मुहं से चिपकाये जा रही थी ...

मुझे १५ मिनट से भी ज्यादा हो गए थे ...मेरे होंठ दर्द करने लगे थे ....

मगर पिंकी १ बार भी मना नहीं कर रही थी ...

उसने शायद दो बार अपना पानी भी छोड़ दिया था ...

क्युकि उसकी चूत ..पानी से लबालब हो गई थी ...

मैं उसके सरे पानी को चाट चाट कर फिर से साफ़ कर देता था ....

फिर मुझे ही उससे बोलना पड़ा ...क्या हुआ मेरी जान ....अभी और साफ़ करू .....

इस समय मैं चाहता तो उसको आसानी से चोद सकता था ...
वो इस कदर गरम हो गई थी ...कि बड़े से बड़े लण्ड को भी मना नहीं करती ...

पर मैं उसको ऐसे नहीं वल्कि उसके अपने दिल से ये सब करना चाहता था ....

जब वो खुद पहले से चुदाई के लिए राजी होगी ...तभी मैं चोदना चाहता था ....

वरना उसको बहुत हर्ट होता ...जो मैं नहीं चाहता था ...

मैंने उसको वैसे ही छोड दिया ...

वो कुछ देर तक वैसे ही लेटी रही ....नीचे से नंगी लेटी वो बहुत सेक्सी लग रही थी ...

उसने अपनी साडी से चूत तक को नहीं ढका ...मतलब वो बहुत कुछ चाहती थी ...पर खुद नहीं कह पा रही थी ...

भले ही वो इस समय मुझे गाली दे रही होगी ...परन्तु जब उसकी खुमारी उतरेगी ..वो मुझसे प्यार करने लगेगी ...
मुझे इस बात की पूरी गारंटी थी ....

अब मैं उसके उठने और कपडे सही करने का इन्तजार कर रहा था ....
मैं देखना चाहता था कि वो ऑफिस के स्टाफ को देख कैसा रियेक्ट करती है ....

मैं दराज से सिगरेट निकाल ...जलाई ...और आराम से पीते हुए उसको देख रहा था ........

........
........................ 


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RE: मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति - by desiaks - 08-01-2016, 10:23 PM

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