मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति
08-01-2016, 10:05 PM,
#55
RE: मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति
[b][b][b][b]पहले मैं घर जाने कि सोच रहा था ...

पर इतनी जल्दी घर पहुंचकर करता भी क्या ?

अभी तो जूली भी घर नहीं पहुंची होगी .....

मैं अपनी कॉलोनी से मात्र १० मिनट कि दूरी पर ही था ...

सोच रहा था कि फ्लैट कि दूसरी चावी होती तो चुपचाप फ्लैट में जाकर छुप जाता ...

और देखता वापस आने के बाद जूली क्या क्या ..करती ...

पर चावी मेरे पास नहीं थी ......

अब आगे से ये भी ध्यान रखूँगा ....

तभी अनु का ध्यान आया ....

उसका घर पास ही तो था ...
एक बार मैं गया था जूली के साथ ....

सोचा चलो उसके घर वालों से मिलकर बता देता हूँ ..
और उन लोगों को कुछ पैसे भी दे देता हूँ ...

अब तो अनु को हमेशा अपने पास रखने का दिल कर रहा था ...

गाड़ी को गली के बाहर ही खड़ा करके ...
किसी तरह उस गंदी सी गली को पार करके मैं एक पुराने से छोटे से घर में घर के सामने रुका... 

उसका दरवाजा ही टूटफूट के टट्टों और टीन से जोड़कर बनाया था ...

मैंने हलके से दरवाजे पर नोक किया ...

दरवाजा खुलते ही मैं चोंक गया ...
खोलने वाली अनु थी ...

उसने अपना कल वाला फ्रॉक पहना था ...
मुझे देखते ही खुश हो गई ...

अनु: अरे भैया आप...

मैं: अरे तू यहाँ ...मैं तो समझ रहा था कि तू अपनी भाभी के साथ होगी ...

अनु: अरे हाँ ..मैं कुछ देर पहले ही तो आई हूँ ...
वो भाभी ने बोला ..अब शाम हो गई है तू अब घर जा ..
और कल सुबह जल्दी बुलाया है ...

मैं अनु के घर के अंदर गया ..मुझे कोई नजर नहीं आया ...

मैं: अरे कहाँ है तेरे मां पापा ...

अनु: पता नहीं ...सब बाहर ही गए हैं ...
मैंने ही आकर दरवाजा खोला है ...

बस उसको अकेला जानते ही मेरा लण्ड ..फिर से खड़ा हो गया ... 

मैं ..वहीँ पड़ी ..एक टूटी सी चारपाई पर बैठते हुए ..
अनु को अपनी गोद में खींचता हूँ ...

अनु दूर होते हुए ...

अनु: ओह ..यहाँ कुछ नहीं भैया ...
कोई भी अंदर देख सकता है ..
और सब आने वाले ही होंगे ...
मैं कल आउंगी ना ..तब कर लेना ...

वह रे अनु ...वो कुछ मना नहीं कर रही थी ...
बस उसको किसी के देख लेने का घर था ..
क्युकि अभी बो अपने घर पर थी तो ...

कितनी जल्दी ये लड़की तैयार हो गई थी ...
जो सब कुछ खुलकर बोल रही थी ..

मैं अनु और पिंकी की तुलना करने लगा ...

ये जिसने ज्यादा कुछ नहीं किया ..कितनी जल्दी सब कुछ करने का सहयोग कर रही थी ...

और उधर वो अनुभवी ..सब कुछ कर चुकी पिंकी ..कितने नखरे दिखा रही थी ...

शायद भूखा इंसान हमेशा खाने के लिए तैयार रहता है ..ये बात थी ..या अनु की गरीबी ने उसको ऐसा बना दिया था .

मैंने अनु के मासूम चूतड़ों पर हाथ रख उस अपने पास किया ..और पूछा ..

मैं: अरे मेरी गुड़िया ..मैं ऐसा कुछ नहीं कर रहा ...
ये तो बता जूली खुद कहाँ है ...

अनु: वो तो अब्दुल अंकल के यहाँ होंगी ...
वो उन्होंने ३ साड़ी ली हैं ना ..तो उसके ब्लाउज और पेटीकोट को सिलने देना था ...

मैं: अरे कुछ देर पहले फोन आया था ..कि वो तो उसने दे दिए थे ...

अनु: नहीं वो बाजार वाले दरजी ने मना कर दिया था ..
वो बहुत देर मैं सिलकर देने वाला था ..
तो भाभी ने उसको नहीं दिया ...
और फिर मुझको छोड़कर .अब्दुल अंकल के यहाँ चली गई ...

मैं सोचने लगता हूँ की अरे वो अब्दुल वो तो बहुत कमीना है ...

और जूली ने ही उससे कपडे सिलाने को खुद ही मना किया था ...

तभी ...
अनु के चूतड़ों पर फ्रॉक के ऊपर से ही हाथ रखने पर मुझे उसकी कच्छी का एहसास हुआ ...

मैंने तुरंत ..अचानक ही उसके फ्रॉक को अपने दोनों हाथ से ऊपर कर दिया ...

उसकी पतली पतली जाँघों में हरे रंग की बहुत सुन्दर कच्छी फंसी हुई थी ...

अनु जरा सा कसमसाई ...
उसने तुरंत दरवाजे की ओर देखा ...

और मैं उसकी कच्छी और कच्छी से उभरे हुए उसके चूत वाले हिस्से को देख रहा था ...

उसके चूत वाली जगह पर ही मिक्की माउस बना था ..

मैंने कच्छी के बहाने उसकी चूत को सहलाते हुए कहा ..

मैं: ये तो बहुत सुन्दर है यार ..

अब वो खुश हो गई ...

अनु: हाँ भैया ..भाभी ने दो दिलाई ..
और वो मुझसे छूटकर तुरंत दूसरी लेकर आती है ..

वो भी वैसी ही थी पर लाल सुर्ख रंग की ..

मैं: वाओ ..चल ये भी पहनकर दिखा ...

अनु: नहीं अभी नहीं ...कल ..

मैं भी अभी जल्दी में ही था ...
और कोई भी वाकई आ सकता था ...

फिर मैंने सोचा क्या अब्दुल के पास जाकर देखू वो क्या कर रहा होगा ...??

पर दिमाग ने मना कर दिया ...मैं नहीं चाहता था ..कि जूली को शक हो कि मैं उसका पीछा कर रहा हूँ ...

फिर अनु को वहीँ छोड़ ...मैं अपने फ्लैट कि ओर ही चल दिया ...
सोचा अगर जूली नहीं आई होगी तो कुछ देर रंजू भाभी के यहाँ ही बैठ जाऊंगा ..

और अच्छा ही हुआ जो मैं वहां से निकल आया ...
वाहर निकलते ही मुझे अनु कि माँ दिख गई ..
अच्छा हुआ उसने मुझे नहीं देखा ...

मैं चुपचाप वहां से निकल... गाड़ी ले.... अपने घर पहुंच जाता हूँ ...

मैं आराम से ही टहलता हुआ तिवारी अंकल के फ्लैट के सामने से गुजरा ...

दरवाजा हल्का सा भिड़ा हुआ था बस ...
और अंदर से आवाजें आ रही थीं ...

मैं दरवाजे के पास कान लगाकर सुनने लगा ..
कि कहीं जूली यहीं तो नहीं है ...

रंजू भाभी: अरे अब कहाँ जा रहे हो ..कल सुबह ही बता देना ना ...

अंकल: तू भी न ..जब बो बोल रही है तो ..उसको बताने में क्या हर्ज है ..
उसकी जॉब लगी है ..
उसके लिए कितनी ख़ुशी का दिन है ...

रंजू भाभी: अच्छा ठीक है जल्दी जाओ और हाँ वैसे साड़ी बंधना मत सिखाना ..जैसे मेरे बांधते थे ..

अंकल: हे हे तू भी ना ..तुझे भी तो नहीं आती थी साड़ी बांधना ...
तुझे याद है अभी तक कैसे मैं ही बांधता था ..

रंजू भाभी: हाँ हाँ ..मुझे याद है ..कि कैसे बांधते थे ..
पर वैसे जूली की मत बाँधने लग जाना ..

अंकल: और अगर उसने खुद कहा तो ...

रंजू: हाँ वो तुम्हारी तरह नहीं है ...तुम ही उस वैचारी को बेहकाओगे ..

अंकल: अरे नहीं मेरी जान ..बहुत प्यारी बच्ची है ..
मैं तो बस उसकी हेल्प करता हूँ ..

रंजू: अच्छा अब जल्दी से जाओ ..और तुरंत वापस आना ...

मैं भी तुरंत वहां से हट ..एक कोने में को चला जाता हूँ ..
वहां कुछ अँधेरा था ...

इसका मतलब तिवारी अंकल मेरे घर ही जा रहे हैं ..
जूली यहाँ पहुंच चुकी है ...

और अंकल उसको साड़ी पहनना सिखाएंगे ...

वाओ ..मुझे याद है कि जूली ने शादी के बाद बस ५-६ बार ही साड़ी पहनी है ...

वो भी तब... जब कोई फैमिली फंक्शन हो तभी.... 

और उस समय भी उसको कोई ना कोई हेल्प ही करता था ...

मेरे घर कि महिलायें ना कि पुरुष ...

पर अब तो अंकल उसको साड़ी पहनाने में हेल्प करने वाले थे ...

मैं सोचकर ही रोमांच का अनुभव करने लगा था ...

कि अंकल ..जूली को कैसे साड़ी पहनाएंगे ...

पहले तो मैंने सोचा कि चलो जब तक अंकल नहीं आते ..रंजू भाभी से ही थोड़ा मजे ले लिए जाएँ ..

पर मेरा मन जूली और अंकल को देखने का कर रहा था ...

किचिन की ओर गया ...

खिड़की तो खुली थी ...
पर उस पर चढ़कर जाना संभव नहीं था ...
इसका भी कुछ जुगाड़ करना पड़ेगा ...

फिर अपने मुख्य गेट की ओर आया ...

और दिल बाग़ बाग़ हो गया ...

जूली ने अंकल को बुलाकर गेट लॉक नहीं किया था ...

क्या किस्मत थी यार ...??

और मैं बहुत हलके से दरवाजा खोलकर अंदर देखता हूँ ...

और मेरी बांछे खिल जाती हैं ...

अंदर ...इस कमरे में कोई नहीं था ...

शायद दोनों बैडरूम में ही चले गए थे ...

बस मैं चुपके से अंदर घुस दरवाजा फिर से वैसे ही भिड़ा देता हूँ ...

और चुपके चुपके ..बैडरूम की ओर बढ़ता हूँ ...

जाने क्या देखने को मिले .....????
........
......................
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RE: मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति - by desiaks - 08-01-2016, 10:05 PM

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