मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति
08-01-2016, 06:55 PM,
#38
RE: मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति
मैंने दिमाग से जूली, अनु और तिवारी अंकल को बिलकुल निकाल दिया था ...

मुझे अब कोई चिंता नहीं थी जूली चाहे जिससे कैसा भी मजा ले ....

और मैं अब केवल जीवन को रंगीन बनाने पर विश्वास करने लगा था .....

मुझे पूरा विश्वास था की जूली कितनी भी बिंदास हो ..मगर ऐसा कुछ नहीं करेगी ,,जिससे बदनामी हो ... वो बहुत समझदार है ...जो भी करेगी बहुत सोच समझ कर ...

मैं तिवारी अंकल का घर का दरवाजा खुला देखकर उसमे घुस गया ...

पहले मुझे ऑफिस के अलावा कुछ नहीं दिखता था ..चाहे कुछ हो जाये मैं समय पर ऑफिस पहुँच ही जाता था ...

पर अब मेरा मन काम से पूरी तरह हट गया था ...

हर समय बस मस्ती का वाहना ढूंढ़ता था ....

मुझे याद है पिछले दिनों ऐसे ही एक बार ..जूली ने रंजू भाभी (तिवारी अंकल की बीवी) को कुछ सामान देने को कहा था ....

एक बात याद दिला दू ...तिवारी अंकल भले ही ६०-६५ साल के हों ...पर रंजू भाभी उनकी दूसरी बीवी हैं ..

वो ३०-३५ साल जी भरपूर जवान और सेक्सी महिला हैं ...

उनका एक एक अंग गदराया ...और साँचे में ढला है ..

३८ २८ ३७ की उनकी फिगर उनको सेक्स की देवी जैसी खूबसूरत बना देता है ...

पहले वो साडी या सलवार सूट ही पहनती थी ..

क्युकि वो किसी गाँव परिवेश से ही आई थीं और उनका परिवार गरीब भी था ...

मगर अब जूली के साथ रहकर वो मॉडर्न कपडे पहनने लगी थीं ..

और सेक्सी मेकअप भी करने लगीं थीं...

कुल मिलाकर वो जबरदस्त थीं ...

उनके साथ हुआ वो पिछला किस्सा मुझे हमेशा याद रहने वाला था ...

जब मैं जूली का दिया सामान देने उनके घर पहुंचा तो दरवाजा ऐसे ही खुला था ...

तिवारी अंकल की हमेशा से आदत थी ...

जब वो आस पास कहीं जाते थे तब दरवाजा हल्का सा उरेक कर छोड़ देते थे ...

वैसे भी यहाँ कोई वाहर का तो आता नहीं था ...

और इस बिल्डिंग पर हमारे आखरी फ्लैट थे ...

इसीलिए वो थोड़ा लापरवाह थे ...

उस दिन जैसे ही मैं रंजू भाभी को आवाज लगाने वाला था तो मैंने देखा कि ..

रंजू भाभी अंदर वाले कमरे में ..बालकनी वाला दरवाजा खोले ...जिससे हलकी धूप कमरे में आ रही थी ...

केवल एक पेटकोट अपने सीने पर छातियों के ऊपर बांधे ..अपने बालो को टॉवल से झटक रहीं हैं ...

उनके बाल पूरे आगे उनके चेहरे को ढके थे ...

उनका पेटीकोट उनके विशाल चूतड़ों से बस कुछ ही नीचे होगा ...

जो उनके झुके होने से थोड़ा थोड़ा दृश्य दिखा रहा था ..

ऐसा दृश्य देखकर भी मेरे मन में कोई ज्यादा रोमांच नहीं आया ...

बल्कि डर लगा कि यार ..ये मैंने क्या देख लिया ..अगर भाभी या अंकल किसी ने भी मुझे ऐसे देख लिया तो क्या होगा ..???

मैं वहां से जाने ही वाला था कि तभी.....

भाभी ने एक टॉवल को एक झटका दिया और उनका पेटीकोट शायद ढीला हो गया ...

मैंने साफ़ देखा कि भाभी कि दोनों चूचियाँ उछल कर बाहर निकल आई ..

उनका पेटीकोट ढीला होकर उनके पेट तक आ गया था ...

अब इस दृश्य ने मेरी जाने की इच्छा को विराम लगा दिया ...

उनके बार-बार टॉवल झटकने से उनके दोनों बॉल ऐसे उछल रहे थी ...

बस दिल कर रहा था को जाओ और उनको पकड़ लो ..

भाभी चाहे कितनी भी सेक्सी थी ..पर अंकल की बीवी यानी आंटी होने के नाते मैंने कभी उनको इस नजर से नहीं देखा था ...

पर आज उनके नंगे अंग देख मेरी सरीफों वाली नजर भी बदल गई थी ...

शायद इसीलिए कहा जाता होगा कि आजकल लड़कियों के इतने खुले वस्त्रों के कारण ही इतने ज्यादा बलात्कार हो रहे हैं ...

भाभी के उछलते मम्मे मेरे को अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे ...

मगर मेरे ईमान मुझे रोके थे ...

मेरे इच्छा और भी देखने कि होने लगी ...

मैं सोचने लगा कि काश उनके गद्देदार चूतड़ भी दिख जायें ..

और यहाँ भी भगवान से प्राथना कर रहा था ...कि अंकल अभी वापस ना आएं ...

और शायद भगवान ने मेरी सुन ली ...

भाभी टॉवल को वहीँ स्टूल पर रख ...

एक कोने पर रखे ड्रेसिंग टेबल कि ओर जाने लगीं ..

और जाते हुए ही उन्होंने अपना पेटीकोट ..चूतड़ों से नीचे सरकाते हुए..पूरा निकाल दिया ...

उनकी पीठ मेरी ओर थी ... 

पीछे से पूरी नंगी रंजू भाभी मुझे जानमारु लग रही थी ...

उनकी नंगी गोरी पीठ और विशाल गोल उठे हुए चूतड़ गजब का दृश्य था ...

उनके दोनों चूतड़ आपस में इस कदर चिपके थे कि जरा सा भी गैप नहीं दिख रहा था ...

फिर भाभी सीसे के सामने खड़ी हो अपने बाल ..कंघे से सही करने लगी ..

मुझे सीसे का जरा भी हिस्सा नहीं दिख रहा था ...

मैं सीसे से ही उनके आगे का भाग ..या यूँ कहो कि उनकी चूत को देखना चाह रहा था ...

मगर मेरी किस्मत इतनी अच्छी नहीं थी ...

भाभी ने वहीँ टेबल से उठा अपनी कच्छी पहन ली ..
और फिर ब्रा भी ....

फिर वो घूम कर जैसे ही आगे बढ़ी ..उनकी नजर मुझ पर पड़ी ..

भाभी हाय राम कहते हुए टॉवल उठा खुद को आगे से ढक लेती हैं ...

मैं सॉरी बोल उनको सामान देकर वापस आ जाता हूँ ..

उस दिन के वाकिये का कभी कोई जिक्र नहीं हुआ था ...

बस जूली ने ही एक बार कुछ कहा था ..जिसका मेरे से कोई मतलब नहीं था ...

हाँ तो आज फिर दरवाजा खुला देख मैं अंदर चला गया ...

आज मेरे पास कोई वाहना नहीं था ... ना ही मैं उनको कुछ देने आया था ...

मगर मेरी हिम्मत इतनी हो गई थी कि आज अगर भाभी वैसे मिली तो चाहे जो हो ..

आज तो पकड़ कर अपना लण्ड ..पीछे से उसके चूतड़ों में डाल ही दूंगा ...

यही सोचते हुए मैं अंदर घुसा ..

बाहर कोई नहीं था ...इसका मतलब भाभी अंदर वाले कमरे में ही थी ..

और मैंने चुपके से अंदर वाले कमरे में झाँका ...

अह्हा ........

........................... 

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RE: मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति - by desiaks - 08-01-2016, 06:55 PM

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