महारानी देवरानी
06-21-2023, 05:34 PM,
#76
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी

अपडेट 33 (A)

अजब गजब फैसला !

बलदेव को जाते हुए देखते-देखते देवरानी वही अपने बिस्तर पर बैठ जाती है और पीछे बीते कुछ सप्ताह में बीती घाटनाऔ को याद करती रहती है।

उसके बाद बलदेव अपने काम से घाटराष्ट्र की सीमा सुरक्षा के लिए चला जाता है। ऐसे ही संध्या हो जाती है।

कमला: महारानी चांद निकल आया है ।



[Image: dev-yellow.jpg]
देवरानी: हाँ कमला!

कमला: तो क्या आप जाओगी ही महारानी?

देवरानी: हाँ मैंने वादा क्या था शेर सिंह को आज मिलने का।

कमला; मेरे को छोड़ो पर बलदेव के प्यार और वादे का क्या? बलदेव का क्या होगा ये आपने सोचा है?

देवरानी: कमला ये बताओ नदी के पास कैसे जाना है।

कमला देवरानी का मुह देखती रह जाती है। जो उसकी बातो को अनसुना कर रही थी।

कमला: मैं पीछे के रास्ते से आपको महल के बहार ले जाउंगी और नदी के रास्ता दिखा दूंगी । आपको वह रास्ता नदी जैसे तक ले जाएगा, जहाँ आपको शेर सिंह मिलेगा।


[Image: d-k1.jpg]
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देवरानी: तो ठीक है। हम सही समय होती ही चलेंगे।

कमला: 9मन में) कामिनी कहीं की!

देवरानी: क्या कहा?

कमला: वह मैंने कहा, जरूर महारानी! पर क्या तुम किसी बेगाने के लिए अपनों का साथ छोड़ दोगी?

उधर बलदेव सीमा पर जा कर अपने घोडे को बाँध देता है और एक नई पोशाक पहन लेता है और एक दूसरे घोड़े पर बैठता है और अपने चेहरों पर सर पर बंधी पगड़ी के निकले हिस्से से ढक लेता है। जिस से उसको देवरानी पहचान नहीं पाए.

बलदेव गुस्से में था और घोड़ा की लगाम को ढीला देता हैऔर घोड़े को कहता है।

"चलो यार जरा अपनी मैया चुदवा ले।"


[Image: baldev.jpg]

ये बलदेव के ऊपर मदिरा का असर था जो उसने इस गम में पि ली थी की उसकी माँ उसे छोड़ कर किसी और के पास जा रही थी।

वो घोड़े को भगाता हुआ नदी के तट पर ले जाता है और वहाँ जा कर बैठ जाता है।

इधर कमला के बार-बार समझने पर भी देवरानी नहीं मानती और अपने कक्ष से अपने भगवान की मूर्ति ले कर चलने को त्यार हो जाती है ।

कमला: अआप्को कुछ और साथ में नहीं चाहिए?

देवरानी: नहीं और कुछ नहीं चाहिए ।

कमला देवरानी को महल से ले कर बाहर आने लगती है और देवरानी भी अपने पल्लू से अपना मुँह ढक कर उसके साथ चलने लगती है।


[Image: B-HORSE.jpg]

दोनों छुपते हुए महल से बाहर निकलती हैं। वह दोनों सब सैनिकों की आखो में धूल झोंक कर और आखिरी कार नदी के रास्ते पर आ जाती हैं आखिरकार कमला के लिए देवरानी को अलविदा कहने का समय आ गया था।

कमला: (रोते हुए) महारानी ना जाओ!

देवरानी: कमला रोते नहीं!

कमला: तुम्हारे पास कोई है, तुम्हारा अपना, जो तुम्हारे इस नरक को स्वर्ग में बदल देगा। तुम उसे मत छोड़ो! और तुम इस बात को जानती हो की वह कितना शक्तिशाली है और तुम्हे कितना प्यार करता है।

देवरानी इस बात को भांप लेती है कि वह बलदेव के सिवा किसी और के संपर्क में नहीं है, इसलिए कमला ये बात तो बलदेव की ही कर रही है। \ 



[Image: KAMLA-DEV.jpg]
देवरानी (मन में) : "पर कैसे? वह मेरा बेटा है। धर्म और समाज कभी नहीं मानेगा।"

देवरानी: चुप करो कमला, फिर मिलेंगे।

दोनो गले मिलती हैं और देवरानी नदी के रास्ते की तरफ चली जाती है।

उधर नदी के किनारे बैठा बलदेव सोच रहा था कि ये साला शेर सिंह कितना भाग्य वाला है। उसे बैठे बिठाये देवरानी जैसी पत्नी मिल जाएंगी और वह भी मेरी गलती से।

"पर मेने माँ को एहसास दिलाया ही था अपने प्यार का, पर वह उसे धर्म के विरुद्ध मानती है। अब मुझे क्या करना चाहिए," आखिर उसकी भी अपनी चाहत है। तो क्या मुझे माँ को रोकना चाहिए? "

"उनके दिल में जब ये बात है कि वह किसी और पुरुष से सम्बंध रखे, तो हम कर ही क्या सकते हैं।"

देवरानी भी चलती जा रही थी और उसके मन में मंथन हो रहा था।

उसके कान में कमला की कहीं हुई एक बात बार-बार गूंज रही थी।

" कमला ने ठीक कहा मेरे चुप रहने के वजह से ही मैंने अपने पिता की बात मान कर विवाह क्या लिया, क्योंकि मैं येसमझती थी की पिता जी के फ़ैसले के विरुद्ध जाना सही नहीं है। फिर मेरे चुप रहने पर ही मेरे पति ने मेरा अधिकार मुझे नहीं दिया क्योंकि मैंने फिर यही सोचा की पति से बगावत करना जुर्म है। फिर अपने ससुराल की प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए भी मैं ही चुप रही। मैंने कभी किसी के साथ कोई गलत कदम नहीं उठाया, पर अंत में मुझे क्या मिला?

आज में अपने ही घर से भाग रही हूँ और मेरे जाने के बाद भी वही होगा जिससे बचने के लिए आज तक चुप मैं रही और आज मिलेगी मुझे वह "बदनामी" जिससे बचने का मैं हमेशा प्रयास करती रही ।

"पर अगर में रुक गई तो भी मेरे लिए बलदेव के प्यार को कैसे रोकूंगी मैं । फिर मैं अधर्मी ही कहलाउंगी और तो और इसमें मेरी और मेरे बलदेव दोनों की जान ले ली जाएगी।"

"हे भगवान में तो इस जीवन से तंग आ गई हूँ।"


[Image: lady-walk.jpg]

और वह ये सब सोचती हुई पगडंडियों से जल्दी-जल्दी नदी की ओर चले जा रही थी।




[Image: RIVER-BANK.jpg]
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कुछ दूर चलने के बाद उसे नदी का तट दिखाई पड़ता है और वह वहाँ अपना चेहरा छुपाए एक पुरुष को बैठा हुआ देखती है।

देवरानी समझ जाती है, यही शेर सिंह है। फिर वह उसकी तरफ चलने लगती है।


[Image: RIVER1.jpg]

बलदेव देखता है। की उसकी माँ भूखी प्यासी हाथ में मूर्ति लिए चली आ रही है। तो जल्दी से उठ कर अपना घोड़ा लेता है और उसपे बैठ जाता है।

बलदेव के आंखों से आसु नहीं रुक रहे थे ।


कहानी जारी रहेगी
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RE: महारानी देवरानी - by aamirhydkhan - 06-21-2023, 05:34 PM

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