Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
12-27-2021, 01:02 PM,
#27
RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र
पता ही नहीं चला और गाने के बहाव में धीरे धीरे हिचकिचाहट जाती रही और हम ओर करीब आने लगे। अब हम एक कपल की ही तरह एक दूसरे की बाहों में चिपक कर थोड़ी देर तक ओर नाचते रहे।

मेरे वक्ष थोड़ी थोड़ी देर में उसके सीने से टकरा कर दब भी रहे थे। वो ऐसे रियेक्ट करता जैसे कुछ हुआ ही न हो, जबकि मैं थोड़ा सा शर्मा जाती ओर थोड़ा दूर हट जाती, पर थोड़ी ही देर में वो फिर मुझे अपने करीब खींचता और फिर वही दोहराता।

बीच बीच में वो स्थिति बदलते हुए मुझे पूरा घुमा देता और पीछे से मुझे पेट से झकड़ कर अपने से चिपका लेता, जिससे मेरे नितंब उसके नाजुक अंगो को छूते और डांस में हिलने के दौरान उससे रगड़ते।

मेरे पेट में तितलियाँ उड़ रही थी, मेरी इच्छाएं बढ़ रही थी। तभी गानो का एक दौर ख़त्म हुआ और हम एक दूसरे से ना चाहते हुए भी अलग हुए। वह एक डांस ब्रेक था। मैं वापिस जाकर कुर्सी पर बैठ गयी।

प्रशांत अपनी मम्मी से मिल कर आया और मुझे चाबी देते हुए कहा, मम्मी ने दी हैं तुम्हारे रूम की चाबी, अगर तुम्हे सोने जाना हैं तो जा सकती हो, मम्मी को समय लगेगा।

मैं तो उसके साथ अभी ओर समय गुजारना चाहती थी सो कुछ कहते नहीं बना।

प्रशांत ने कहा एक राउंड ओर डांस का कर लेते हैं फिर मुझे भी वैसे सोने जाना हैं। मैंने ख़ुशी से हां कर दी। ब्रेक ख़त्म हुआ और सारे कपल फिर बीच में आ गए। प्रशांत मुझे भीड़ के बीच एक बार फिर सबसे पीछे कोने वाली जगह में ले आया।

जैसे ही गाना बजना शुरू हुआ हम एक दूसरे से चिपक गए, और नाचने लगे। उसका ध्यान नाच में कम और छूने में ज्यादा था। हम दोनों काफी करीब आ गए थे, इतना कि मेरी वासनाये भड़कने लगी थी। मन में गंदे विचार आने लगे।

वह बीच बीच में कमर पर हाथ रखने के बहाने कुछ ज्यादा ही ऊपर से पकड़ रहा था जिससे उसके हाथ मेरे वक्षो को छु रहे थे। पर मुझे उसकी ये शरारत भी भा रही थी।

कभी कभार वो अपने होंठ से मेरे कंधे छु रहा था। इसी तरह एक दूसरे में खोये हुए हम नाचते रहे। इससे पहले कि मेरा अपने आप से नियंत्रण हटता गाना ख़त्म हो गया और एक बार फिर हम अलग हुए।

कपल डांस का राउंड ख़त्म हो चूका था और नाचने की बारी दूसरे उम्र के लोगो के लिए थी। अब हम दोनों रूम की तरफ सोने के लिए जाने लगे। उसने मेरे रूम का ताला खोल दिया और कहा कुछ भी जरुरत हो तो वो पास के रूम में ही हैं तो उसे बता दू।

उसने बताया दोनों रूम को जोड़ने के लिए बीच में एक दरवाजा भी हैं। वह शुभरात्रि बोल कर अपने रूम की तरफ गया। मैंने सोचा काश कुछ बहाना मार कर उसे अपने ही रूम में रोक लेती मगर कैसे कहती।

मैं कमरे में आयी और दरवाज़ा बंद कर अपना बेग खोल कर रात को पहनने के लिए नाईट गाउन निकाल लिया। अब मैं आईने के सामने खड़ी हो गयी और अपना रूप निहारने लगी। अपनी चुडिया और दूसरे गहने निकाल दिए।

बहुत तनहा तनहा सा लग रहा था। खैर मैंने अपनी साड़ी निकाल कर एक तरफ रख दी। मेरी चोली पीछे से डोरियों से बंधी थी सो पहले अपने खुले बालो को ऊपर कर झुड़ा बाँध दिया। अब मैंने अपनी चोली की डोरियों की गांठे खोल कर उतार दी।

चोली क्यों कि पीछे से खुली थी तो ब्रा नहीं पहना था। अब मैं अपनी चोली को समेटने लगी। तभी पीछे एक आहट हुई, मैं घबरा कर पीछे मुड़ी तो देखा दोनों रूम के बीच का दरवाज़ा खुला था वहाँ प्रशांत खड़ा हैं।

उसका मुँह खुला का खुला और आँखें फटी की फटी रह गयी थी। कुछ क्षणों में मैंने महसूस किया कि मैं टॉपलेस हूँ और वो मेरे सीने को ही घूर रहा हैं। मैंने तुरंत अपने हाथ में पकड़ी चोली से अपना सीना ढका और पीछे मुड़ गयी।

मैंने आईने में देखा वो अब भी मुझे घूर रहा था। अगर बालो का झुड़ा नहीं बनाया होता तो शायद बाल मेरी नंगी पीठ और कमर को ढक सकते थे, पर अब वो मेरी नंगी पीठ और पतली कमर को ही घूर रहा था।

मैं शरम के मारे पानी पानी हो गयी और नज़रे नीचे जमीन पर गड़ा दी। अपने पैरो की उंगलियों से नीचे के कार्पेट को कुरेदने लगी और उसका ध्यान भंग करते हुए पूछा आप यहाँ?

उसकी जैसे नींद सी टूटी और सकपकाते उसने कहा, मुझे पता नहीं था आप चेंज कर रही होंगी वरना ऐसे नहीं आता। मैंने नज़रे ऊपर करते हुए आईने में देखा तो वो आईने के माध्यम से मुझसे नज़रे मिलाते हुए बोला आई ऍम सॉरी।

वो बेमन से पीछे मुड़ कर पीछे जाने ही वाला था। मुझे लगा मेरी इस हालत से शायद वो घबरा गया हैं। उसको थोड़ा सामान्य करने के लिए उसको पूछा कुछ काम था तुमको मुझसे?

उसने कहाँ नहीं मैं बस चेक कर रहा था अगर जरूररत पड़े तो ये बीच का दरवाज़ा काम करता भी हैं या नही।

मैंने कहा अच्छा ठीक हैं।

उसने कहा गुड नाईट, मैंने भी गुड नाईट में जवाब दिया।

उसने आगे कुछ हकलाते हुए पूछा आपको बुरा ना लगे तो एक बात कहु?

अब हम आईंने के माध्यम से ही नज़रे मिला कर बात कर रहे थे।

मैंने कहा बेझिझक बोलो।

उसने कहा तुमने अपना फिगर बहुत संभाल के रखा हैं, शादी के चार पांच साल बाद भी ऐसे संभाल कर रखना आसान नहीं हैं। मैंने शर्म के मारे एक बार फिर नज़रे नीचे झुका ली और उसको थैंक यू बोला।

मैं इंतज़ार करने लगी वो दरवाज़ा बंद कर वापिस अपने रूम में जाएगा। पर अगले कुछ क्षणों के बाद उसकी उंगलिया मेरी पीठ और कमर पर मचल रही थी। मेरे पुरे शरीर में जैसे विद्युत प्रवाह सा हो गया।

मैंने अपने हाथों में पकड़ी चोली से सीना ओर भी कस के दबा लिया। मेरे मुँह से ना तो एक शब्द निकला ना ही मैं जरा भी अपनी जगह से हिली।

थोड़ी देर ऐसे ही उंगलिया फिराने के बाद उसने उनको हटा लिया। मुझे ऐसा लगा जैसे शरीर में विद्युत प्रवाह रुक गया।

प्रशांत ने अब अपने दोनों हाथों से मेरी कलाइयां पकड़ ली और मेरे हाथों को शरीर से दूर हटाने लगा। मैंने भी अपना पूरा जोर लगा के अपने हाथों से चोली को सीने से चिपकाये रखा। पर उसके बल के आगे मेरा जोर काम न आया।

उसने ज्यादा दम लगा के मेरे दोनों हाथों को एक झटके में शरीर से दूर करके चौड़ा कर दिया। मेरे हाथ में पकड़ी चोली नीचे गिर गयी और मेरे सीने की इज़्ज़त बचाने में नाकाम रही।

मैंने अपना सर ऊपर कर आईने में देखा। थोड़ी देर पहले उसके उंगलियों के जादुई स्पर्श से मेरे दोनों वक्ष और भी फुल गए थे और कड़क हो गए थे। निप्पल भी तन गए थे। अपने आप को आईने में देख कर मेरा पूरा चेहरा शर्म से लाल हो गया था। वो आईने में मेरे सीने की ही खूबसूरती को देख कर लार टपका रहा था।

मैंने अपने हाथ छुड़ाने का भरसक प्रयास किए ताकि अपनी इज्जत को फिर से ढक सकू पर उसने मुझे इजाजत नहीं दी।

थोड़ी देर में मैंने भी थक कर प्रयास बंद कर दिया। अब उसने मेरी कलाइयां छोड़ दी, पर अब भी उसकी मजबूत पकड़ मैं अपनी कलाइयों पर महसूस कर पा रही थी। जिससे उसके हाथ छोड़ देने के बाद भी मैं अपने हाथ उसी अवस्था में फैलाये खड़ी रही।

उसने अपने दोनों हाथों को मेरे बड़े वक्षो पर रख दिया। वो इतने बड़े थे कि वो उनको पूरा पकड़ भी नहीं पा रहा था, इसलिए हाथ घुमा घुमा कर वक्षों को दबा रहा था। मैंने अपनी चेतना लौटाते हुए तुरंत उसके दोनों हाथो को पकड़ा और अपने सीने से हटाने का प्रयास करने लगी।

पर उसके हाथ तो जैसे खजाना लग गया था जिसे वो छोड़ने को ही तैयार नहीं था। मेरे थोड़ी देर संघर्ष करने के बाद उसने स्वतः ही मेरे वक्षो को छोड़ दिया। मैंने तुरंत अपने दोनों हाथों से अपने वक्षो को ढकने का प्रयास किए।

उसके बड़े हाथ जो नहीं कर पाए भला मेरे छोटे हाथ क्या कर पाते। जितना हो सकता था मैंने कवर करने का प्रयास किया। मैं तुरंत वहा से हटना चाहती थी पर उसने अपने एक हाथ को मेरे पेट पर लपेट कर मुझे झकड़ लिया। मैं हिल नहीं पायी और मेरे नितम्ब उसके आगे के अंग को छू गए।
अब उसका दूसरा फ्री हाथ मेरे लहंगे की तरफ बढ़ा और जो नाडा लहंगे के अंदर फंसा था, उसको लहंगे से बाहर निकालने लगा। मुझे खतरे का आभास हुआ। हाथों से ऊपर के अंगो की हिफाजत करती या नीचे की।
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RE: Antarvasnax मेरी कामुकता का सफ़र - by desiaks - 12-27-2021, 01:02 PM

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