RE: Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो
(UPDATE-42)
देवश : अब साली बनाएगी भी और ये चेहरे से मास्क हटा मास्क्क हटा रनडीी (मैं जैसे ही मास्क हटाने को हुआ ऊसने क़ास्सके मुझे एक धक्का मारा पर मेरी रिवाल्वर साला अंधेरे में कहाँ गिरी शितत)
वो लड़की भागी मैं भी भागा उसके पीछे…”आबेयी रुक्क”……वो कुछ नहीं कह रही थी यक़ीनन वो अपनी आइडेंटिटी छुपाने के लिए भागें जा रही त…मैं लंगड़ा लंगड़ा के उसके पीछे भाग रहा था…अचानक वो जंगल के भीतर घुसी…मैं भी घुस गया ना परवाह की जानवर की और ना ही साँप मिया की
सुना था इस जंगल में काफी ज़हरीले साँप होते है…वो भागें जा रही थी शायद वॉ डर गयी हो उसे लगा हो की मेरे हाथ में अब भी पिस्तौल है…मैंने भी झूठ बोलते हुए चिल्लाया “रुक जा वरना गोली मर दूँगा रुक्क जा”….मेरी आवाज़ पूरे जंगल में गूंज रही थी इतने में अचानक वो एक खंडहर के ऊपर चढ़ गयी
“मां की चुत साला इतना पुराना भुतिया खंडहर…कभी यहां मैंने काला साया बनकर शरण ली थी…मुझे एक चप्पा चप्पा पता था ऊस जगह का मैं भी उसके पीछे भागा….अचानक वो छत्त वाले हिस्से पे चढ़ गई…ये पुराना मंदिर होया करता था…लेकिन इंडो-बांग्लादेश वॉर के चक्कर में यहां के लोग सबकुछ चोद चाढ़ के भाग गये और जगह ऐसी जगह में मंदिर है डर से लोग बहुत प्रेत का नाम लगाकर नहीं आते…”आबेयी रुक्क जा अंदर साँप है”……मैंने चिल्लाया मैं उसके भले के लिए ही कह तो रहा था
अचानक देखता हूँ वो ठिठक गयी है चारों ओर खुला छत्त अब कूदेगी तो मरेगी..”मैं उसे सीडियो पे ही खड़ा होकर मना करने लगा की वापिस आ जाए और कानून को अपने हवाले कर दे…पर वो मेरी बात मानने के बजाय कूदने की फिराक में थी…अचानक देखा एक चीज़ रैंग्ता हुआ उसके करीब चल रहा है..”आबेयी पीछे देखह साँप हाीइ बचके साँप हाीइ”…..ऊसने सुना नहीं और अचानक से ऊस साँप ने उसके पाओ पे कांट लिया…वॉ बहुत ज़ोर से चीखी और फिर वही गिर पड़ी
मैं फौरन ऊपर आया…साँप तब्टलाक़ भाग चुका था…बाप रे ये तो काला साँप है गनीमत थी किसी कोब्रा ने नहीं दसा था…मैंने फौरन उसे उठाया और सीडियो से नीचे ले जाने लगा..अचंकक गरर गरर करके बारिश शुरू हो गयी…ठंड तरफ गयी…फौरन उसे खंडहर के अंदर ले आया एक सुरक्षित उक्चे जगह पे उसे लाइटाया चारों ओर पत्ते परे हुए थे…ऊन्हें साफ किया फिर उसके कपड़े को हटाया उफ़फ्फ़ दो दाँत के निशान थे…लड़की पूरी तरीके से काँप रही थी…मैंने सोचा इसका मुकोता उतार ही देता हूँ
पर ऊस्की हालत ठीक नहीं थी…ज़हेर फैल जाएगा इतने देर में तो…ना जाने किस तरह का साँप था…चाहता तो ओसॉके हालत पे उसे चोद देता..पर इंसानियत भी कोई चीज़ थी…मेरी जगह काला साया होता तो वो भी यही करता मैंने फौरन ना आँव देखा ना ताँव और उसके ज़ख़्मो पे मुँह लगाकर उसका ज़हेर खीचने लगा..और उसे थूकते हुए हुए उसे चूसने लगा….बदल गाराज़ रहे थे बारिश ज़ोर से हो रही थी…कुछ देर बाद मैंने जल्दी से उसी हालत में भीगते हुए जीप से एक वॉटर बॉटल लाई…और कुल्हा किया…कुछ नुस्खे आते थे जब ऑर्फनेज में था तो एक गुरु थे जो योगा के साथ साथ ओझा भी थे…साँप का झाढ़ पता था ऊन्होने हमें कुछ चीज़ें भी बताई…
मैं उसी जड़ी बूटी को ढूंढ़ने लगा कारण बांग्लादेश से सटे होने पे यहां कुछ ऐसी जाडिया पत्तो के भैईस में पाई जाती है जिससे ज़हरीले सानपो का ज़हेर भी कट जाता है…मैंने फौरन ऊस पौडे को खोजने लगा करीब पास ही वो लत्तड़ो में मिला उसे उखाड़ा और उसके पत्तो को सहित ज़ोर से निचोड़ा उससे निकलता रस सीधे जख्म पे टपका तो लड़की ज़ोर से चीख उठी उसे दर्द हो रहा था…उसे ज़हेर पे मलने के बाद मैंने भी थोड़ा सा मुँह में ऊस रस को चुस्स लिया…भगवान का शुक्र था की मुझे कुछ हुआ नहीं पर मैं थोड़ा कमज़ोर सा महसूस कर रहा था
इतने में देखता हूँ की लड़की को होश नहीं आ रहा…लगता है की इसकी साँसें धीमी हो गयी है…शायद दर्द के मारें बेहोश हो गयी हो…अब क्या करूं?..साला बड़ा चक्कर बहुत गुस्सा तो आया था ऊसपे पर ऊस्की जवानी को देखकर गुस्सा भी पिघल गया…मैंने फुरती से उसके मुकोते का निचला भाग जो खुला था उसके होठों पे होंठ रख दिए….उफ़ कितना नरम गरम होंठ..कितना मुलायम मैं उसे मौत तो मौत साँस देने लगा ऊस्की मुँह के अंदर साँस देने लगा…दोस्तों मैं ऊस्की किस लेने में मजा आ रहा था पर गणीनात थी वो अभीतक उठी नहीं…अचानक दूसरी बार जब उसे किस किया…और उसके होंठ जैसे ही छोढ़के सीने पे दो हाथ रखकर दबाया वो खांसने लगी ऊस्की निगाह एकदम से मुझपर हुई और ेकूडम से घबरौ त बैठीी
देवश : ठीक हो? अरे दररो मत मैं तुम्हें कुछ नहीं करूँगा खमोकः ऊपर चली गयी थी साँप ने कांट लिया था तुम्हें तुम्हारा ज़हेर निकालके फैका तुम्हें साँस दी अब कैसा महसूस कर रही हो
लड़की : टीटी..तुंन्ने मेरी जान बचाइइ?
देवश : क्यों गलत किया? या अब भी बदला लेना है मुझसी बोलो
लड़की : देखो एमेम..मुझे जाने दो
देवश : अच्छा जाने दूँगा पर एक वादा करना होगा की चोरी चोद डोगी
लड़की : मैंने कह दिया ना मुझे जाने दो
देवश : एक तो चोर ऊपर से सीना जोड़ी एक तो तुमको बचाया और ऊपर से तुम भाव कहा रही हो अगर चाहता तो तुम्हारा मुकोता उतरके चेहरा देख लेता लेकिन कुछ सेल्फ़-रिस्पेक्ट है दिल में (खांसने लगा और अचानक वही पष्ट पार गया साला लगता है जैसे हालत अब भी सही नहीं है वो मेरी हालत को गौर करने लगी)
मैं वही निढल सा पढ़ने लगा फिर किसी तरह उठा पर तब्टलाक़ वो मेरी हालत को गौर करते हुए एक एक कदम पीछे होने लगी…और मैं वही लरखरके गिर पड़ा…वो मेरे हालत को घूर्रती रही…फिर एक दो कदम करते हुए खंडहर से भाग गयी..और मैं वही लाचार निढल मज़बूर पड़ा रहा सही में मुझ जैसा चूतिया कोई नहीं कोई बात नहीं बचपन में धोखा मिला बारे में भी कौन सा प्यार मिलेगा? काश दिव्या यहां होती..अभी बर्बराह ई रहा था इतने में
देखता हूँ वो वापिस आई और ऊसने मुझे एक बार घूरा फिर मेरे पास रखी बंदूक ली और मुझे उठाया मेरी हालत बहुत ज्यादा खराब थी बहुत कमज़ोर हो गया था ज़हेर चूसने के चक्कर में…शायद कुछ रिएक्शन हो गया हो…ऊसने मुझे उसी हालत में उठाया और मैं बर्बरते हे उसके कंधे पे सर रखकर निढल हो गया
ऊसने कब मुझे किस तरह मज़बूती से जीप पे सवार किया और फिर खुद जीप पे बैठकर जीप स्टार्ट करके चलाने लगी कुछ पता नहीं…जब आँख खुली तो पता चला की मैं हॉस्पिटल में हूँ…डॉक्टर और हवलदार खड़े है…वो सब मुझे चेक कर रहे है खैर होश आया..तो पता चला की एक अंजान शॅक्स ने मुझे बाइक से हॉस्पिटल के पेशेंट वाले सीट पे लाइटाया और भाग गयी…मुझे पहचानते हुए डॉक्टर ने तुरंत एडमीशन किया असल में ज़हेर का कुछ कान मैंने पी लिया जिस वजह से मैं मौत के मुँह से बच्चा था…अब ज़हेर मैंने कैसे पिया इस बात का एक्सप्लनेशन देने के बजाय मैंने बारे ही सहेजता डॉक्टर को मुँह बंद रखने की ज्यादा हिदायत दी पुलिसवाला था ज्यादा कुछ हुआ नहीं ना ही ऊस रांड़ का कोई सुराग पुलिसवालो को बताया ताकि उसके पीछे वो लोग छानबीन ना करे
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