XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
08-18-2021, 11:47 AM,
RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
नैना ने ही कहा- छोटे मालिक, पहले आप निम्मो को ही चोदो, उसको शायद काफी दिनों से लंड के दर्शन नहीं हुए हैं.मैंने निम्मो से कहा- कैसे चुदना पसंद करोगी निम्मो? जो पोज़ तुमको अच्छा लगता है, उसी से चुदाई शुरू करते हैं.निम्मो बोली- जैसे आप चाहो, वैसे ही कर लो, मेरी कोई ख़ास पसंद नहीं है.मैं बोला- तो चलो फिर घोड़ी बन कर ही चोद देता हूँ. घोड़ी बन जाओ निम्मो फ़ौरन.
निम्मो घोड़ी बन गई और मैंने अपने खड़े लंड को निम्मो की चूत के ऊपर रगड़ कर उसको थोड़ा गीला किया एक धक्के में उसकी टाइट चूत में लंड पूरा चला गया.शुरू में धीरे धक्कों से चुदाई की फिर आहिस्ता से तेज़ी पकड़ ली और 10-15 धक्कों में ही जब निम्मो छूट गई तो मैंने उसको बगैर लिंक तोड़े पलट दिया और अब उसकी टांगें हवा में लहराते हुए चुदाई शुरू कर दी फिर थोड़ी देर बाद मैंने उसको साइड में लिटा कर स्वयं उसके पीछे से चूत चुदाई करने लगा, उसकी एक टांग तो हवा में थी और दूसरी उसके नीचे.
इस दौरान नैना और पारो जो अभी तक आपस में लगी हुई थी, अब निम्मो के मुम्मों को चूसने लगी और पारो ने अपनी ऊँगली निम्मो की गांड में डाल दी.इस डबल अटैक से निम्मो फिर बड़े ज़ोर से हिलते हुए छूट गई और मैं उसको छोड़ कर पारो की सेवा करने लग गया और जब पारो की चूत में अपना गीला लंड डाला तो वो बेहद गीली हो रही थी और उसको भी चुदाई आनन्द काफ़ी दिनों से नहीं मिला था तो वो भी कामातुर होकर चुद रही थी.
थोड़ी देर की चुदाई में वो जब 2 बार झड़ गई तो मैंने अपना ध्यान अब नैना की तरफ किया और उसकी जाने पहचानी चूत को भी आनंदित किया.
उसके बाद एक बार फिर निम्मो को चोदा और पारो को भी फाइनल चुदाई की और इस तरह वो रात हम तीनों एक साथ सोये नीचे फर्श पर बिछे गद्दों पर!
सुबह जल्दी उठ कर हम सब तैयार होने में लग गए और अपने निर्धारित समय पर टैक्सी में बैठ कर गाँव के लिए चल दिए.चार घंटे के सफर के बाद हम अपने गाँव पहुँच गये.
जैसे ही मैं हवेली में दाखिल हुआ, एकदम बहुत सारे लोगों ने मुझ को घेर लिया और बड़ी गर्म जोशी से मिलने लगे.मैं एकदम हैरान हो गया कि ये सब कहाँ से आ गए लेकिन तभी मम्मी आ गई और कहने लगी- सतीश ये सब तुम्हारे कजिन हैं जिनसे तुम पहली बार मिल रहे हो. इन सबको हमने दशहरा यहाँ मनाने के लिए आमंत्रित किया है.और फिर उन्होंने हम सब को एक दूसरे से मिलवाया.
जितने सारे मेहमान थे उनमें बहुत सारी भाभियाँ और लड़कियाँ थी और एक दो लड़के भी थे जिनको मैं पहली बार मिल रहा था.मैं अपने कमरे में घुसा तो वहाँ एक बहुत ही सुंदर भाभी मेरे बेड पर लेटी हुई थी और एक मैगज़ीन पढ़ रही थी.
मुझको देखते ही वो अकचका गई और उठ के बैठ गई, उसकी साड़ी का पल्लू उसके वक्ष से ढलक गया और उनके बहुत ही सॉलिड मुम्मे जो लाल ब्लाउज में ढके थे, मेरे सामने आ गए.
भाभी बोली- तुम सतीश हो क्या?मैं बोला- जी हाँ, और आप?भाभी बोली- मैं जूही हूँ, तुम्हारे इलाहबाद वाले भैया की पत्नी, रिश्ते में तुम्हारी भाभी हूँ.मैं बोला- भाभी जी, आप से मिल कर बड़ी प्रसन्नता हुई. मम्मी ने यह कमरा आपको दिया है क्या? कोई बात नहीं, मैं दूसरे कमरे में चला जाऊँगा मम्मी से बात कर के, तब तक मेरा यह बैग यहाँ पड़ा है, आप लेटी रहो.भाभी बोली- कॉलेज में पढ़ते हो क्या लखनऊ में?
मैंने भाभी की तरफ देखा, उन्होंने अपनी साड़ी के पल्लू से वक्ष ढकने की कोई कोशिश नहीं की और उनके गोल और सॉलिड दिखने वाले मुम्मे मेरे सामने वैसे ही जगमगा रहे थे.मैं मुस्करा कर बोला- हाँ भाभी, कॉलेज में हूँ वहाँ! अच्छा मैं ज़रा मम्मी से मिल कर आता हूँ.
यह कह कर मैं कमरे से बाहर आ गया और मम्मी को ढूंढने लगा जो उस समय एक और सुंदर भाभी से बात कर रही थी.वो मुझको देखते ही वो कमरे के बाहर चली गई और तब मैंने मम्मी से पूछा- आपने बताया ही नहीं कि इतनी सारी फ़ौज आने वाली है रिश्तेदारों की?मम्मी जी बोली- कोई बात नहीं सतीश, कुछ दिनों की ही तो बात है, एडजस्ट कर लो बेटा. मैंने तुम्हारा कमरा छेड़ा नहीं, तुम उसी में ही रहोगे, और तुम्हारे साथ वो इलाहाबाद वाली जूही भाभी और उसकी ननद रहेगी. तुमने अच्छा किया जो निम्मो को भी साथ ले आये, उसकी बड़ी मदद हो जाएगी घर के काम काज में!मैं बोला- ठीक है मम्मी जी, जैसा आप ठीक समझो.
मैं अपने कमरे में आ गया और वहाँ भाभी के साथ एक और 18-19 साल की लड़की भी बैठी थी.भाभी ने उसके साथ परिचय कराया और कहा- यह मेरी ननद है रिया, अलाहबाद के कॉलेज में फर्स्ट ईयर आर्ट्स की छात्रा है तुम्हारी तरह!देखने में काफी अच्छी लगी वो और मैंने उसको अपने ख़ास अंदाज़ से देखा तो वो अच्छे मोटे मुम्मों और उभरे हुए चूतड़ों की मालिक नज़र आई.मेरी और रिया की पटरी अच्छी बैठ गई और हम दोनों एक दूसरे से जल्दी ही घुलमिल गए.

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