XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
08-04-2021, 12:34 PM,
#74
RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
मैं उठा और बैठक में आकर बैठ गया. थोड़ी देर में गीति और विनी भी आ गई. दोनों का मूड एकदम खराब लग रहा था.पूछने पर गीति ने बताया- हमारा दिल नहीं लग रहा है लखनऊ में, हम वापस जाना चाहती हैं.
मैंने कहा- ऐसी क्या बात हुई कि आप दोनों का मूड उखड़ गया लखनऊ से?गीति बोली- कोई संगी साथी ही नहीं हमारा यहाँ!मैं बोला- क्यों परी है, जस्सी है, दोनों ही तो तुम्हारी सहेलियाँ हैं न?
गीति बोली- हैं तो सही लेकिन वो हमसे ज़्यादा मिक्स नहीं हो पाई. मेरी और विनी की दूसरी सहेलियाँ हैं लेकिन हम उनको नहीं बुलाती यहाँ यही सोच कर कि तुमको शायद अच्छा नहीं लगेगा.मैं बोला- नहीं नहीं, मेरी परवाह न किया करो. जिसको भी बुलाना हो, तुम बुला सकती हो लेकिन नैना आंटी को पहले बता दिया करना ताकि वो खाने पीने का इंतज़ाम कर दिया करे.
विनी बोली- सच्ची सतीश भैया, हम बुला सकती हैं क्या किसी भी सहेली को?मैं बोला- हाँ हाँ, बेझिझक बुला लिया करो, जैसे तुमने परी को बुलाया था वैसे ही… और खूब मौज मस्ती करो!
यह सुन कर दोनों ही बहुत खुश हुई और जल्दी से आकर मुझको जफ़्फ़ी डाल दी, बड़ी मुश्किल से दोनों को अपने से अलग किया और वो ख़ुशी ख़ुशी अपने कमरे में चली गई.
मैंने नैना को बुलाया और कहा- दोनों बहनें अपनी सहेलियों को बुलाना चाहती हैं क्यूंकि वो काफी बोर हो रहीं हैं, ठीक है न नैना?नैना बोली- ठीक है छोटे मालिक.मैं बोला- वो तुमको बता दिया करेंगी जब भी कोई सहेली आने वाली होगी ताकि तुम खाने पीने का इंतज़ाम कर दो.
रात को जैसे होना था, हमारी चुदाई का दौर चंचल से शुरू हुआ. नैना पहले ही माहवारी की वजह से कुछ रातों के लिए छूट्टी ले गई थी सो हम तीनों ही थे मैदाने जंग में!
चंचल की साड़ी उतारने का हमने एक खेल बनाया, पहले मैंने उसका ब्लाउज उतारा और फिर पारो ने उसकी साड़ी उसके चारों ओर गोल घूम कर उतार दी.फिर मैंने उसकी नई ब्रा को उतारने की कोशिश की लेकिन हम उसमें कामयाब नहीं हुए, उसको कैसे उतारा जाता है, हमें समझ नहीं आ रहा था.
चंचल ने खुद ही अपनी ब्रा खोल दी. फिर उसने बताया कि उसके हुक कहाँ होते हैं और उनको कैसे खोला जाता है.अब पारो को नंगी करने का वक्त था, ब्लाउज चंचल ने उतारा और साड़ी मैंने और फिर पेटीकोट को भी चंचल ने उतारा और इस तरह हम तीनों नंगे थे.
चंचल पारो के मोटे चूतड़ों से बड़ी प्रभावित थी इसलिए वो उसके मोटे और चौड़े चूतड़ों पर हाथ फिरा रही थी.फिर पारो ने कहा कि आज तो चंचल की चूत की खातिर करनी है क्यूंकि बहुत दिनों बाद आई है.
इसलिए उसने चंचल को बिस्तर पर लिटाया और एक उरोज को वो चूसने लगी और दूसरा मेरे मुंह में घुसेड़ दिया.चंचल का एक हाथ मेरे खड़े लंड के साथ खेल रहा था और दूसरा उसने पारो की चूत में डाल रखा था और हम तीनों अपने काम में लगे पड़े थे.
जब चंचल बोली- शुरू करो छोटे मालिक!तो मैंने उसकी टांगों को अपने कंधे के ऊपर रख दिया और एक धक्के में पूरा लंड अंदर कर दिया.उसकी चूत एकदम बहुत गीली हो रही थी, लंड आज़ादी के साथ अंदर बाहर हो रहा था.
फिर मैंने पारो को इशारा किया कि वो भी हमारे साथ लेट जाए और चंचल के मम्मों को चूसे.
अब जब चंचल का छूटने वाला हुआ तो मैंने लंड निकाल कर पारो की मोटी चूत में डाल दिया और चंचल एकदम तड़फने लगी.फिर वो पारो की चुदाई में हमारे साथ हो गई. पारो का वैसे भी बहुत जल्दी छूट जाता था तो चंचल उसकी भग को रगड़ने लगी.
थोड़ी देर में पारो भी कमर उठा कर लंड को बीच में ले रही थी, मैं समझ गया कि पारो का छूटने के नज़दीक पहुँच गया है, मैंने लंड को वहाँ से निकाला और चंचल की नाजुक चूत में डाल दिया.अब पारो सर हिला कर लंड को मांगने लगी.
मैंने कहा- रुको मेरी जान, आज मैं तुम दोनों का छूटने नहीं दूंगा.यह कह कर चंचल की चूत में लंड की रेल गाड़ी चला दी.वो चालाक थी, उसने अपनी टांगों को मेरी कमर के चारों और बाँध दिया और मुझको लंड निकालने का मौका ही नहीं दिया.
जब चंचल छूटी तो उसके शरीर में एक अजीब किस्म की तड़फड़ाहट हुई जो मैंने और पारो ने देखी और उसकी चूत से पानी की एक ज़ोरदार धारा बह निकली.बाद में वो इस कदर ज़ोर से काम्पने लगी कि मैं जो उसके ऊपर था, भी हिलने लगा.
फिर मैंने और पारो ने उसको कस कर पकड़ा तब वो कुछ संयत हुई.पारो बोली- वाह चंचल, क्या छूटी है री तू? कमाल कर दिया तूने तो!
अब मैं पारो के ऊपर फिर चढ़ गया और उसको ऐसे चोदना शुरू किया कि उसको कई बार छूटने के मुकाम पर लाकर फिर उसको छुटने से वंचित कर रहा था.आखिर वो तंग आ गई और उसने मुखे नीचे लिटाया और मेरे ऊपर चढ़ बैठी, वो मुझ को चोदने लगी अपनी मर्ज़ी के मुताबिक़.थोड़ी देर में उसका पानी भी झड़ गया और वो थक कर मेरे ऊपर ही पसर गई.
रात भर हम जागते, चोदते और फिर हम तीनों थक कर सो गए.
सुबह नैना ने चंचल से पूछा- क्या हुआ तेरे गर्भ धारण करने का प्लान? कुछ हुआ या नहीं?वो बोली- अभी तो 2 दिन ऊपर हैं, कह नहीं सकती कि है या नहीं.नैना बोली- अरे वाह, दाई के होते हुए तुझको काहे का फ़िक्र है री? चल उठ अभी तुझको चैक करती हूँ.
चाय पीने के बाद नैना ने मेरे सामने ही चंचल को चेक किया.नैना गंभीर मुंह बना कर बोली- चंचल तू कैसी है री, तुझको गर्भ ठहर गया है री!चंचल एकदम चौंक कर बोली- अच्छा दीदी, तुम कैसे कह सकती हो? मुझको तो कुछ महसूस नहीं हो रहा है?नैना बोली- अब जा घर अपने… और 15 दिन यहाँ नहीं आना! कच्चे दिनों में चुदवायेगी तो कुछ भी हो सकता है, जा भाग, तुझको गर्भ ठहर गया है.हम सब ख़ुशी से उछल पड़े और चंचल को गले लगा लिया सबने बारी बारी.

कहानी जारी रहेगी.

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