RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण
शीतल को चोदने के बाद विकास सो गया था। शीतल किचन में जाकर पानी पिया और फिर सोने आ गई। पहली बार आज शीतल नंगी सो रही थी। शीतल सोचने लगी की ये क्या सोच रही थी वो? ये कैसा सपना था की उसका पति बिकास उसे चोद रहा था लेकिन वो सोच रही थी की वसीम से चुद रही है। क्या मैं सच में वसीम से चुदवाना चाहती हैं? हौं, तभी तो मैं दरवाजा पे ऐमें गई थी। अगर वसीम चाचा मुझे कुछ करते तो क्या मैं उन्हें रोक पाती? बिल्कुल नहीं। मैं उनसे चुदवाना चाहती हूँ तभी तो उनके वीर्य की खुश्बू मुझे पागल कर देती है। और जो आदमी मेरी पैंटी ब्रा पे वीर्य गिराता है राज तो वो मुझे चोदने का सोचकर ही वीर्य गिराता होगा, कोई भजन गाकर तो वीर्य नहीं ही गिरता होगा।
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मुझे चोदकर ही वसीम चाचा रिलैक्स हो पाएंगे। नहीं तो वो शरीफ इंसान अंदर ही अंदर घुट-घुट कर मार जाएगा। कल मैं उनसे सीधी-सौंधी बात करेंगी, और अगर वो मुझे चोदना चाहेंगे तो मेरा जिस्म पेंश हैं उनकी मदद के लिए। मेरी वजह से वो आदमी मर रहा है तो ये पूरी तरह मेरी जिम्मेवारी है की मैं उन्हें इससे बाहर निकालं, चाहे भलें इसके लिए मुझे उन्हें अपना जिम ही क्यों ना देना पड़े।
शीतल के अंदर से आवाज आई- "तू रंडी हो गई है क्या, जो दूसरे मर्द से चुदवाने की बात सोच रही है? तू ऐसा सोचकर भी पाप कर रही है। अपने पति को धोखा देगी त? वसीम के बड़े लण्ड के लालच में तू विकासको धोखा देंगी?"
अंदर से शैतान ने जवाब दिया- "धोखा वाली कौन सी बात हो गई? मैं तो वसीम की मदद करगी, क्योंकी वो मेरी वजह से दर्द सह बहा है। इतने सालों से वो अकेला है और अब मेरी वजह से तड़प रहा है, तो मेरा ही फर्ज हैं उसकी मदद करना। और मैं उससे चुदवाने नहीं जा रही हैं। मैंने कहा की अगर मुझे अपना जिश्म देकर भी उसकी मदद करनी पड़ी को करेंगी। अगर मैं उससे चदबाऊँगी हो तो कौन सा राज चदवाऊँगी?
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