Free Sex kahani आशा...(एक ड्रीमलेडी )
06-28-2020, 01:48 PM,
#1
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आशा...(एक ड्रीमलेडी )

मित्रो आपके लिए एक कहानी पोस्ट कर रहा हूँ औरभाइयो मैं कोई लेखक नही हूँ मुझे आप सब की कहानियाँ पढ़ने मे बहुत मज़ा आता है
और ये कहानी किसी और ने ( भैया जी ) लिखी है इसलिए सारा क्रेडिट कहानी के लेखक को जाता है मैं सिर्फ़ ऐज पोस्टर कहानी पोस्ट करता रहूँगा

स्क्रीच्चचचssssss….की आवाज़ के साथ एक टैक्सी आ कर रुकी एक घर के सामने | दो मंजिले का घर.. कुछ और कमियों के कारण बंगला बनते बनते रह गया | आगे एक लॉन जिसके बीचों बीच एक पतली सी जगह है जो खूबसूरत मार्बल्स से पटी पड़ी है जिससे चल कर घर के मुख्य दरवाज़े तक पहुँचा जा सकता है | ‘जस्ट पड़ोसी’ की बात की जाए तो जवाब हाँ में भी हो सकता है और ना में भी .. क्योंकि आस पास के घर कम से १५ से २० कदमों की दूरी पर हैं... या शायद उससे थोड़ा ज़्यादा | यानि कि हर घर का शोर शराबा दूसरे (पड़ोस के) घर के लोगों को डिस्टर्ब नहीं कर सकता.. मतलब दूरी इतनी कि आवाज़ वहां तक पहुँचने से पहले ही हवा में घुल जाए | सिर्फ़ यही नहीं हर दो घरों के बीच २-३ पेड़ भी हैं जो कि हर एक घर को दूसरे से आंशिक रूप से छुपा कर खड़े थे |

घर बहुत दिनों से खाली पड़ा था | पांच दिन पहले बात हुआ और तीन दिन पहले ही घर फाइनली बुक हो गया | टैक्सी के पीछे सामानों से लदी दो गाड़ियाँ आ कर खड़ी हो गईं | टैक्सी का पिछला गेट खुला और उससे बाहर निकली नीली साड़ी और मैचिंग शार्ट स्लीव ब्लाउज में... ‘आशा’... ‘आशा मुखर्जी..’ | गोरा रंग, कमर तक लम्बे काले बाल, आँखों पर बड़े आकार के गोल फ्रेम वाला चश्मा (गोगल्स), नाक पर फूल की आकार की छोटी सी नोज़पिन, गले पर पतली सोने की चेन जिसका थोड़ा हिस्सा साड़ी के पल्ले के नीचे है, सिर के बीचों बीच बालों को करीने से सेट कर लगाया हुआ काला हेयरबैंड, कंधे पर एक बड़ा सा हैंडबैग, हाथों में चूड़ियाँ और सामान्य ऊँचाई की हील वाले सैंडेल्स | सब कुछ आपस में मिलकर उसे एक परफेक्ट औरत बना रहे थे |
टैक्सी से उतर कर बाहर से ही कुछ देर तक घर को देखती रही | फिर एक लम्बा साँस छोड़ते हुए हल्का सा मुस्काई | फिर अपने ** साल के बेटे को ले कर, गाड़ी वालों को गाड़ी से सामान उतारने को कह कर घर की ओर कदम बढ़ाई | साथ में उसे घर दिलाने वाला एजेंट भी था | एजेंट घर के एक एक खासियत के बारे में अनर्गल बोले जा रहा था | आशा उसके कुछ बातों पर ध्यान देती और कुछ पर नहीं | अपने बेटे नीरज, जिसे प्यार से नीर कह कर बुलाती थी, नया घर लेने पर उसकी ख़ुशी को देख कर वह भी ख़ुश हो रही थी |

एजेंट ने घर का ताला खोला | धूल वगैरह कुछ नहीं सब साफ़ सुथरा.. एजेंट ने बताया की सब कल ही साफ़ करवाया है | एक बार पूरा घर अच्छे से घूम घूम कर दिखा देने और बाकि के ज़रूरी कागज़ी कामों को पूरा करने के पश्चात् वह चला गया | जाने से पहले उसने मेड के बारे में भी बता दिया जो की एक घंटे बाद पहुँचने वाली थी | आशा ने ही एजेंट से एक मेड दिलाने के बारे में बात की थी .. चूँकि वह खुद एक प्राइवेट स्कूल में टीचर है इसलिए उसे करीब आठ से नौ घंटे तक स्कूल में रहना पड़ता था | हालाँकि नीर भी उसी स्कूल में पढ़ता है जिसमें आशा पढ़ाती है फिर भी कभी कभी नीर जल्दी छुट्टी होने के बाद भी आशा के छुट्टी होने तक स्टाफ रूम में रह कर खेला करता है तो कभी जल्दी घर आ जाता है | उसके जल्दी घर आ जाने पर घर में उसका ध्यान रखने वाला कोई तो चाहिए .. इसलिए आशा ने एक मेड रखवाई.. नीर का ध्यान रखने के साथ साथ वह घर के कामों में भी हाथ बंटा दिया करेगी |

सभी सामान अन्दर सही जगह रखवाने में करीब पौने दो घंटे बीत गए | फ़िर सबका बिल चुका कर, सबको विदा कर, अच्छे से दरवाज़ा बंद कर के वह दूसरी मंजिल के एक बालकनी में जा कर खड़ी हो गई | उसे उस बालकनी से दूर दूर तक अच्छा नज़ारा देखने को मिल रहा था | पेड़, पौधे, उनके बीच मौजूद कुछेक घर और उन घरों के खिड़कियों और छतों पर रखे छोटे बड़े गमलों में लगे तरह तरह के नन्हें पौधे .... हर जगह हरियाली ही हरियाली.. | आशा को हमेशा से ऐसे वातावरण ने आकर्षित किया है | स्वच्छ हवा, आँखों को तृप्त करती हरियाली युक्त हरे भरे पेड़ पौधे, सुबह और शाम मन को छू लेने वाली मंद मंद चलने वाली हवा ... आह: आत्मा को तो जैसे शांति ही मिल जाती है | नज़ारा देखते सोचते आशा की आँख बंद हो गई.. वह वहीँ आँखें बंद किए खड़ी रही .... वह जैसे अपने सामने के सम्पूर्ण प्रकृति, हरियाली और ताज़ा कर देने वाली हवा का सुखद अनुभूति लेते हुए ये सबकुछ अपने अन्दर समा लेना चाहती थी | कुछ पलों तक वह चुपचाप , आँखें बंद किए बिल्कुल स्थिर खड़ी रही | फिर एकदम से आँख खुली उसकी.. ओह नीर को खाना देना है.. वह तुरंत मुड़ कर जाने को हुई की अचानक से ठहर जाना पड़ा उसे | पलट कर देखी, दूर बगान में एक लड़का जांघ तक का एक हाफ पैंट और सेंडो गंजी में खड़ा उसी की तरफ़ एकटक नज़र से देख रहा था | हाथों में उसके मिट्टी जैसा कुछ था ... और पैरों के नीचे आस पास दो चार पौधे रखे थे.. रोपने के लिए.. |
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