Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 02:42 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
माँ ने अपनी दोनो टांगे मेरे कमर और कूल्हें पे सहलाना शुरू कर दिया...माँ अब मेरी काबू में थी..मैने धीरे धीरे छातियो पर से मुँह नीचे ले जाते हुए गोल गहरी नाभि को चूमा और उस पर ज़ुबान लगाई...फिर नाभि से ज़ुबान निकालते हुए फटे स्ट्रेच मार्क्स भरे तालपेट से ले जाते हुए सीधे माँ की चूत पे मुँह रख दिया..माँ के तालपेट और चूत के फास्लो के बीच हल्के हल्के झान्ट उगे हुए थे....मैने उनपे नाक घुसाई और उसे सूंघते हुए चूत को चाटने लगा...स्लूर्रप्प स्लूर्रप्प्प ऑश ससस्स उम्म्म्म.....माँ सिसक रही थी और मैं उसकी चूत को जीब से चख रहा था....वाहह माँ की चूत अब धीरे धीरे खुल रही थी...

माँ ने इस बीच मेरे सर को अपने चूत पे दबाना चाहा...वो कस कर मेरे सर और बालों को थामे...अपनी चूत पे जैसे दबा रही थी...अपने ही बेटे की ज़बान की लज़्जत चूत पे बर्दाश्त जैसे ना हो पा रही थी उससे..

माँ : बेटा धीरी धीरे ज़ोरर से नही सस्स (ज़ुबान चूत की दरार में तेज़ी से चलाने लगा बेटा)

आदम : उफ़फ्फ़ माँ इसमें तो रिस रिस के जैसी महेक आ रही हो मुझे तेरी ये गंध बेहद अच्छी लगती है कि लुभावनी है

माँ : हट बदमाश ये तो मेरी चूत की पेशाब और पसीने की मिली जुली महेक है...(आदम ने मुँह चूत से हटाए माँ की तरफ मुस्कुरा कर देखा)

फिर उसने माँ की चूत को मुँह में भर लिया और दाने को चुसा..माँ किसी तड़पति बिन पानी मछली की तरह मुँह पे हाथ रखके जैसे उस पर दाँत काट रही थी...उसकी लज़्ज़त उससे बर्दाश्त ना हो रही हो...बेटा बीच बीच में दाने को दाँतों से भीचते हुए उपरी चूत पे मुँह रखके उससे चुसता भी गया...जब उसने पाया कि माँ कसमसा रही थी...

तो उसने दो उंगली को दरारो के सीमा पे रखा और उसे दबाव दिए अंदर प्रवेश किया...उंगली को चूत अंदर बाहर करते हुए वो चूत को पूरी तरह से खोल चुका था...बीच बीच में उसने अंगूठे से माँ के दाने को भी खूब छेड़ा..जिससे माँ ने अपने कुल्हो को हवा में उठा लिया..

माँ : अब बस भी कार कितनी उंगली करेगा उफ़फ्फ़ मेरे शरीर में ताक़त नही है अब चोद भी दे बहुत बदन टूट रहा है..

आदम : बस ठहर जा ज़रा (उसने चूत से उंगली अंदर बाहर किए एक पल को रोका फिर झट से उंगली बाहर खीची और एक एक उंगली को चूसा...माँ की चूत के भीतरी अन्द्रुनि से निकाला रस उसके मुँह में घुल सा गया....उसने माँ की चूत पे एक बार नाक रखी उसे सूँघा फिर माँ पे जैसे सवार होते हुए दोनो बेड के कगार को मज़बूती से थामा)

इससे आदम का मुश्तन्डा लंड जो अकडे हुए था...माँ के चेहरे के उपर झूलने लगा...माँ ने झट से उसे अपने मुँह में किसी बर्फ के गोले को चूसने के भाती लिया...माँ की गरम मुँह का अहसास आदम को पागल किए जा रहा था.....एम्म्म ससलूर्रप्प्प स्लूर्रप्प म्म्म्मम.....माँ लंड को चूस्ते हुए गुनगुना सी रही थी...लंड चूसने की आवाज़ उसके मुँह से बेटा हल्के हल्के उसके मुँह में ही लंड भीतर तक डालने लगा...

"एम्म्म एम्म अओओउू अओउू एम्म".....होंठ अंडकोष को छू रहे थे...लंड मुँह के अंदर बाहर कर रहा था आदम अपनी माँ के....उसने मज़बूती से काग्गर को पकड़े रखा और माँ के मुँह में लंड ठूँसे रखा..माँ भी बेटे के लंड को चुसते हुए जैसे खा रही थी...उसका साइज़ हालाकी उसके लिए काफ़ी हद तक बड़ा था...पर उसे सहना और उसका मज़ा लेने की वो आदि थी...

"अओउ ओओउूउ"....अब हलक तक जैसे आदम लिंग को घुसाने लगा तो माँ की आँखे बड़ी बड़ी हो गयी उसने बेटे के कुल्हो पे चुन्टी कांटी और उसकी पेट पे हाथ फेरते हुए उसे पीछे धकेला.

उसी पल आदम ने लॉडा माँ के मुँह से बाहर खीचा...माँ का मुँह लार थूक से गीला हो चुका था उसने अपने होंठ पोंछे..तो आदम ने अपने गीले लंड पे थूक मलते हुए माँ के होंठो से होंठ जोड़ लिए...दोनो पागलो की तरह एकदुसरे को स्मूच करने लगे...एकदुसरे के होंठो को चूसने चबाने लगे...एकदुसरे की जीब पे जीब सटाने लगे...जब दोनो अलग हुए तो हाफ्ते हुए साँसें एकदुसरे के चेहरे पर छोड़ने लगे....

आदम ने लंड को फुरती से माँ की चूत के मुंहाने पे घिसा...तो गीली चूत ने उसे अपने अंदर जैसे समा लिया..

."ओह्ह्ह्ह"....माँ ने ज़ोर से आहह भरी...

इस बीच आदम ने पाया उसका लंड अंदर तक सरकता जा रहा था...जब अंडकोष ही केवल बाहर लटके रह गये तो वो माँ की छातियो पे सर रखकर कुछ देर के लिए सुस्ताया....

अंजुम को अहसास हुआ कि सुपाड़ा बेटे का उसके बच्चे दानी को छू रहा था उससे वो काँपने लगी क्यूंकी बेटे के हिलने से लंड उस हिस्से पे घिस रहा था..जिसे सहना अंजुम के बस की नही थी...उसने बेटे के कंधे पे दोनो हाथ रखके और उसे धक्के लगाने को कहा...

आदम : हाए माँ तेरी चूत की सील ऐसा लगा जैसे खुली ही नही है अभी तक इतनी सख़्त..

माँ : अब गेपिंग इतना हो जाता है तो चूत में सख्ती आ जाती है बेटा ये कोई ढीली चूत नही किसी अधेड़ उमर की औरत की

आदम : यह तो है माँ ससस्स (लंड स्ररर से अंदर भीतर तक पेलते हुए आदम उसे बाहर निकालने को होता है फिर सुपाडे मुंहाने तक पहुचते ही उसे फिर तेज़ी से अंदर घुसा देता है)

हर धक्को में अंजुम हिल जाती है और उसकी छातियाँ बेटे के जैसे से टकरा जाती है...आदम इसी मुद्रा में माँ की चूत में सतसट धक्के पेलने शुरू करता है.."वाहह माँ क्या गजब की चूत है तेरी? इस्शह कितनी सख्ती है गहराइयो में".......

"अफ बेटा और अंदर कितना डालेगा? मुझे मूत लग रहा है".....

."क्या तुझे पेशाब लग रहा है".......आदम धक्को पे धक्के तेज़ मारता ही बोला
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RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत - by sexstories - 12-09-2019, 02:42 PM

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