Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 02:19 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
उस दिन घर आया तो पाया माँ एक औरत के साथ बात कर रही थी....खुले बाल थे उसके जैसा बताया हूँ यहाँ की उम्रदराज औरत कामवासना की जैसे मूरत है बाल एकदम खुले हुए नाइटी पहनी हुई थी जो आमतौर पे यहाँ की घरेलू महिलाओ की पोशाक है...मुझे देखते ही उसने मुस्कुराया मैने भी उन्हें सलाम किया...माँ ने बताया कि यह पास में ही रहती है..हम बातचीत करने लगे...तो माँ को आंटी ने कहा कि क्या बात है लड़का तो आपका बड़ा सुंदर है? माँ ने कहा ऐसा कुछ नही है....आंटी ने कहा नही नही पूरा आप पर गया है हाहाहा हँसी मज़ाक का दौर था और मैं कपड़े बदलने लिविंग रूम से अपने कमरे चला आया

मुझे नही मालूम फिर क्या बात हुई? जब वापिस लौटा तो माँ ने जैसे एक खुशख़बरी सुनाई उसने अपने फोन पे किसी लड़की की तस्वीर दिखाई मालूम चला कि वो फोटो अभी कुछ देर पहले आई उस औरत की भांजी का है नाम निशा है और अभी अभी कॉलेज ग्रॅजुयेट हुई है....मैने तस्वीर दिखी आमतौर पे तो एफेक्ट लगा क्यूंकी हद से ज़्यादा गोरी दिख रही थी माँ ने बताया कि उसने कबकि ये तस्वीर ब्लूटूथ से ले ली बात आंटी ने ही छेड़ा था मुझे देखते हुए...उन्हें भी तलाश थी अपने बेटी के लिए किसी नौजवान की

आदम : माँ ये सब तो ठीक है खूबसूरत भी है बेंगल की लड़कियो से थोड़ा हटके है ना साँवली है और ना ही कही से लगे की गवार काफ़ी स्मार्ट है पर तू जानती है ना की मैं क्या कहना चाहता हूँ?

माँ : हाँ बेटा चल के देख लेते है एक बार तू मिल ले ना...इसे खाना बनाना भी आता है घर यही संभालती है अपना इसलिए तो देख माँ बौराई घूमती है इधर उधर

यक़ीनन अब सीरत पढ़ना तो आसान नही...कैसी है? क्या कोई ज़िंदगी में है या सिंगल है? आजकल की बंदी है क्या मालूम कैसा रवैया हो? नखरेबाज़ ना हो? यही सब आमतौर पे सवालात के घेरे में माँ ने मेरी खामोशी को तोड़ा और कहा कि आज शाम को चलेगा देख भी लेना इस बहाने...उसकी माँ ने तुझे देखने की इच्छा जताई है...मैने कहा तो कह दे उनसे कि आज हम आ रहे है इस बात पे मुलाक़ात भी कर लूँगा उनकी बेटी निशा से..माँ खुशी से मेरे गले लग गयी...जब उसने मुझे गले लगाया तो मुझे उसके निपल्स अपने सीने पे चुभते महसूस हुए मैने उसे अलग किया वो एक चुम्मा मेरे गाल पे देते हुए किचन चली गयी खाना बनाने...

मैं खुश तो था नही ना ही मैं दिल फेक आशिक़ था कि उसे देखके फ्लॅट हो गया था...बस सवालातो के घेरे में था जो मेरे मन में चल रहे थे...माँ की ही फिकर थी क्यूँ चाहती है कि मैं दूरिया बनाऊ? शायद यही खुदा की मर्ज़ी है किसे मालूम?

माँ ने मुझे तय्यार किया कहा कि अच्छे से बनके चल..ऑफीस के पसीनेदार कपड़ों में मैं नही गया..ये मेरा पहला अनुभव था माँ के साथ रिश्ता देखने जाना....माँ और मैं उसके घर पहुचे....तो उनके पिता ने मेरा स्वागत किया बड़े हाशमुख थे बड़े बेचैन.....मुझे बिठा कर बीवी को ज़ोर ज़ोर से चिल्लाते हुए कहे कि अर्रे आओ ना मेहमान आ गये है....आज सिर्फ़ मेरी माँ ही मेरी गार्जियन बनके लड़की देखने आई थी मेरे साथ....हम दोनो चुपचाप बैठे हुए थे पिता तो माँ से गॅप करने लगा और मेरा प्रोफेशन और दिल्ली के घर बार के बारे में जानना चाहा...मैं सवालो का जवाब बड़ी सहेजता से दे ही रहा था...कि इतने में ट्रे में दो ग्लास शरबत भर लिए.....उन हाथो में निशा शरमो हया का जैसे लिबास ओढ़े बड़ी बड़ी पर झुकी निगाहो से मेरे सामने झुकी वो कोई गवार नही थी आते ही उसने मुझसे हल्की सी नज़र मिलाई फिर मुस्कुराइ....फिर सोफा के पीछे अपने चाचा चाची के पीछे खड़ी हो गयी...हँसी मज़ाक चलने लगा बातों बातों में परिवार की बात छिड़ी....माँ ने कहा पिता है पर दिल्ली रहते है बेटे की नौकरी के चलते हम यहाँ है...तो उन्होने भी बताया कि निशा उनकी अपनी सग़ी बेटी तो ना सही पर दिलो जान से वो उनकी एक मात्र घर की चिराग थी...जिसके लिए उन्होने अपनी सारी ज़िंदगी लगाई...ज़ज़्बातो भरी बातों में मैं जैसे खामोश रहा....बीच बीच में उठती निगाहो से निशा को देखा तो वो भी मुझे ही बड़े गौर से देख रही थी

मुझे अहसास हुआ इस बीच कि जैसे मुझे देखके उसे शरम नही बल्कि ऐसा लग रहा था जैसे मैं उसे पसंद आ रहा हूँ...क्यूंकी उसकी उंगलिया अब भी ट्रे थामे हुए जो थी उस पर अपने नाख़ून जैसे खुरच रही थी..उसकी आँखे एक टक मेरी ओर देखी तो मैं मुस्कुरा दिया तो उसने भी मुस्कुराया..ऐसा लगा देख ले आदम अभी से ही

उसके चाचा ने उसे आगे बुलाया और फिर उसे मेरे साथ अंदर के कमरे में जाके बात करने को कहा..कि बेटा तुम कुछ बोलो और एकदुसरे से कुछ देर बात करो....माँ सोफे पे ही बैठी रह गयी उसने मुझे जैसे जाने की इच्छा जताई...मैं उसके साथ उठा..तो उसने हल्के से कहा "आओ ना"......बांग्ला में उसने कहा

तो मैं उसके पीछे पीछे उसके कमरे में दाखिल हुआ गुलाबी रंग की दीवारें थी सजी धजी चीज़ें आसपास मज़ूद थी बिस्तर एकदम मुलायम गद्देदार था उस पर बैठते ही वो नज़ाकत से अपने बाल खोले और मुझे एकटक देखा....वहाँ तो मैं ही थोड़ा शरमा सा गया....उसने धीरे धीरे मुझसे खुलना शुरू किया मैं नोटीस कर रहा था कि कहीं वो पहले से चुदि चुदाई तो नही थी...फिर मैने अपने गंदे दिमाग़ को झटका और सोचा फ्रॅंक्ली होना भी कोई बुराई है क्या?
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